पाकिस्तान में भारत के दुश्मनों की फेहरिस्त से एक और नाम हमेशा के लिए मिट गया। कुख्यात आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा का नायब अमीर (डिप्टी चीफ) अब्दुल रहमान मक्की ने लाहौर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। उसकी मौत को रहस्यमयी माना जा रहा है। हालाँकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया है कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई।
रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत. छिपाकर रखता था पाकिस्तान
मक्की की मौत को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद पाकिस्तान ने उसे सार्वजनिक नजरों से छुपा दिया था। वह रहस्यमयी तरीके से गायब कर दिया गया था, जबकि अफवाहें थीं कि कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने उसे उठा लिया। पाकिस्तान सरकार उसे लगातार एक जगह से दूसरी जगह छुपाकर रख रही थी। अब उसकी मौत का समय और परिस्थितियाँ सवाल खड़े कर रही हैं। क्योंकि अभी तक यही जानकारी आ रही है कि उसकी मौत अस्पताल में हुई है।
भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का मास्टरमाइंड
मक्की ने भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों की योजना बनाई थी। 26/11 मुंबई हमले के अलावा 2000 में लाल किले पर हमला, 2008 में रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमला और 2018 में गुरेज़ हमले में उसकी संलिप्तता पाई गई थी। इन हमलों में सैकड़ों निर्दोष लोगों ने अपनी जान गँवाई। मक्की लश्कर-ए-तैयबा और उसकी राजनीतिक शाखा जमात-उद-दावा का प्रमुख सदस्य था। वह भारत में आतंक फैलाने के लिए युवाओं को बरगलाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल करता था। जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग, हमलों की योजना और युवाओं की भर्ती में उसकी अहम भूमिका थी।
हाफिज सईद का चचेरा भाई और सगा बहनोई था मक्की
अब्दुल रहमान मक्की आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का चचेरा भाई और सगा बहनोई था। यह रिश्ता उसे संगठन में ऊपरी जगह दिलाने में सहायक रहा। अमेरिका और भारत ने उसे मोस्ट वांटेड आतंकवादी घोषित किया था। 2023 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था। इसके तहत उसकी संपत्तियाँ जब्त कर ली गईं, यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया, और हथियारों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई। इससे पहले चीन ने इस प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगाई थी, लेकिन वैश्विक दबाव के कारण उसे यह रोक हटानी पड़ी।
भारत के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक
बता दें कि मक्की की सबसे बड़ी करतूतों में शामिल था 2000 का लाल किला हमला, जिसमें तीन लोग मारे गए थे। इसके अलावा, 26/11 मुंबई हमले में उसकी भूमिका ने उसे भारत के इतिहास में सबसे बड़े दुश्मनों में शुमार कर दिया। इस हमले में 175 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। मक्की की मौत भले ही राहत की बात हो, लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों का नेटवर्क आज भी सक्रिय है। मक्की जैसे आतंकियों की जगह लेने वाले और भी लोग हो सकते हैं। भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।