कनाडा के टोरंटो में रविवार (4 मई, 2025) को खालिस्तान समर्थकों ने एक हिंदू विरोधी परेड का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने खुलेआम कनाडा में रह रहे करीब 8 लाख हिंदुओं को देश से बाहर निकालने का आह्वान किया। यह परेड माल्टन गुरुद्वारे के बाहर आयोजित की गई थी और इसकी तीव्र आलोचना हुई। खालिस्तानियों ने यह ऐसे समय में किया है जब हाल ही में कनाडा में सत्ता परिवर्तन हुआ है और मार्क कार्नी को नया प्रधानमंत्री चुना गया है।
The Jihadis rampaging through our streets have done significant damage to the social fabric running around threatening any Jews they can find.
— Daniel Bordman (@DanielBordmanOG) May 4, 2025
But the Khalistanis are giving them a good run for their money on most hateful foreign funded menace to society.
Will Mark Carney’s… https://t.co/c5ZuyTI6iz
लिबरल पार्टी के भीतर जारी अंदरूनी कलह और जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व पर जनता के घटते भरोसे के चलते मार्क कार्नी ने लिबरल पार्टी के नेता के रूप में ट्रूडो की जगह ली थी। हालाँकि, शुरुआती संकेतों से ऐसा लग रहा है कि कार्नी सरकार भी ट्रूडो की तरह ही खालिस्तानियों पर नरम रहेंगे। इसमें कोई बदलाव की संभावना नहीं है।
खालिस्तानी परेड के दौरान पिंजरे में बंद दिखे थे भारतीय नेता
टोरंटो में आयोजित हिंदू विरोधी परेड के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के पुतलों को हथकड़ियों और पिंजरे में बंद करके प्रदर्शित किया गया था। इनको देख के लगा कि खालिस्तान समर्थक भारतीय नेताओं का मखौल उड़ाना चाहते थे।
यह घटना जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की सरे, कनाडा में हत्या के बाद बढ़ती भारत विरोधी भावनाओं की एक कड़ी के रूप में देखी जा रही है। निज्जर की हत्या के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसके लिए भारतीय एजेंटों को जिम्मेदार ठहराया था। हालाँकि, कनाडा इस पर कोई भी सबूत नहीं दे पाया है।
इस परेड में शामिल लोगों ने पंजाब को भारत से अलग कर सिखों के लिए खालिस्तान की माँग करते हुए नारे लगाए। हालाँकि इस तरह की रैलियाँ कनाडा में पहले भी होती रही हैं, लेकिन लिबरल पार्टी के नए नेता मार्क कार्नी के हाल ही में पदभार संभालने के ठीक बाद इस परेड का आयोजन गुस्से का कारण बना है।
इसने इस सवाल को भी जन्म दिया है कि क्या कार्नी भी ट्रूडो की तरह खालिस्तानी तत्वों के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाएंगे या फिर कनाडा में खाद पानी पाने वाले खालिस्तानियों पर कोई कार्रवाई करेंगे।
इससे पहले एक खालसा परेड के दौरान खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के कार्यकर्ता और अमृतपाल सिंह के मिलिशिया समूह आनंदपुर खालसा फोर्स (AKF) के सदस्य भी नजर आए। इस परेड में फ्लाइट AI-112 पर बम विस्फोट की साजिश में दोषी ठहराए गए बब्बर खालसा से जुड़े आतंकवादी संतोख सिंह खालसा को भी भाषण देते हुए देखा गया।
पत्रकारों और नागरिकों ने कार्नी की चुप्पी पर उठाए सवाल
परेड के वीडियो कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने साझा किए। उन्होंने इसे ‘हिंदू विरोधी घृणा’ का एक स्पष्ट उदाहरण बताया। एक्स (पहले ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, “हमारी सड़कों पर उत्पात मचाने वाले जिहादी पहले ही सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचा चुके हैं,और अब खालिस्तानी समाज उनके मुकाबले एक विदेशी-वित्तपोषित, वैसे ही खतरे के रूप में उभर रहा है। क्या मार्क कार्नी का कनाडा, जस्टिन ट्रूडो के कनाडा से अलग होगा?”
बोर्डमैन की यह टिप्पणी शॉन बिंदा की एक पोस्ट के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने बताया कि टोरंटो के माल्टन गुरुद्वारे में खालिस्तानी गिरोह खुलेआम 8 लाख हिंदुओं को कनाडा से निर्वासित करने की माँग कर रहे हैं। शॉन ने लिखा, “यह भारत सरकार के खिलाफ कोई विरोध नहीं है, बल्कि खालिस्तानी आतंकवादी समूह की हिंदू विरोधी घृणा है, वही समूह जो कनाडा के सबसे घातक आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार रहा है, फिर भी यहाँ अहंकार से रहने के अधिकार का दावा कर रहा है।”
K-Gang at Malton Gurdwara (Toronto) shamelessly demands 800,000 Hindus—whose vibrant communities span Trinidad, Guyana, Suriname, Jamaica, South Africa, Netherlands, Malaysia, Sri Lanka, Singapore, Kenya, and beyond—be deported to "Hindustan." This isn't a protest against India's… pic.twitter.com/WETKJzsria
— Shawn Binda (@ShawnBinda) May 4, 2025
बिंदा द्वारा शेयर किए गए वीडियो में एक व्यक्ति कहते हुए सुनाई दे रहा है, “भारत कहता है कि कनाडा में उसके लिए कुछ नहीं बचा है। यह यहाँ रह रहे 8 लाख भारतीयों के लिए संदेश है, उन्हें वापस हिंदुस्तान ले जाओ।”
भारत नहीं हिन्दुओं के खिलाफ हैं खालिस्तानी
यह साफ़ है कि टोरंटो में आयोजित हालिया परेड भारत सरकार के खिलाफ कोई सामान्य राजनीतिक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाकर किया गया आयोजन था। कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी आतंकियों ने यह दिखा दिया है कि नई सरकार आने के बाद भी उनकी भारत और हिंदू समुदाय के खिलाफ ज़हर फैलाने की गतिविधियाँ नहीं रुकी हैं।
भले ही कनाडा में राजनीतिक चैप्टर बदल गया हो, लेकिन उसकी नीति वैसी ही है। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत के खिलाफ बयानबाज़ी की। थी इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे, द रेजिस्टेंस फ्रंट ने 26 निर्दोष हिंदुओं की हत्या कर दी थी।
भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई एक्शन लिए थे। इसके बाद पन्नू ने एक पाकिस्तानी चैनल पर कहा था कि यदि पाकिस्तान खुलकर खालिस्तान का समर्थन करता है, तो पंजाब के सिख भारतीय सेना को पंजाब से पाकिस्तान पर हमला नहीं करने देंगे।
कनाडा में खालिस्तानी तत्वों ने हाल के वर्षों में विभिन्न शहरों में कई हिंदू मंदिरों पर हमले किए हैं। वे मंदिरों की दीवारों पर भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखते हैं। नवंबर 2024 में ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर खालिस्तानी गुंडों द्वारा हमला किया गया था, इसके चलते ट्रूडो सरकार की काफी फजीहत हुई थी।
इन घटनाओं के कारण भारत सरकार के लिए आवश्यक हो गया है कि वह कनाडा सरकार पर दबाव बनाए, ताकि वह अपनी जमीन पर सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे। ट्रूडो सरकार भारत के बार-बार किए जा रहे अनुरोधों के बावजूद इस मोर्चे पर विफल रही थी, इसका पीछे वोटबैंक की राजनीति रही थी।
अब जब कनाडा में नेतृत्व बदल गया है तो भारत मार्क कार्नी से अपेक्षा कर सकता है कि वह इस प्रकार की भारत विरोधी और हिंदू विरोधी घृणा के विरुद्ध सख्त कदम उठाएँ। हालाँकि, हाल ही में हुई परेड और उसमें शामिल गतिविधियों ने इस पर प्रश्न उठाए हैं कि क्या कार्नी सरकार वाकई इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई करेगी।
यह रिपोर्ट मूल रूप से अनुराग ने अंग्रेजी में लिखी है इसको पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।