नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग अब दंगाईयों का रूप ले चुके हैं। सोशल मीडिया पर वायरल होती अनेकों तस्वीरें और करोड़ों रुपयों की नष्ट हुई सार्वजनिक सम्पत्ति, इस बात का प्रमाण है। लेकिन, इतने पर भी मीडिया गिरोह के कुछ लोगों का मानना है कि सीएए के ख़िलाफ़ सड़कों पर दंगा मचा रहे लोग सही हैं और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि उन्हें रोकने के लिए सामने खड़ी पुलिस अत्याचारी है और सरकार के इशारों पर जनता पर जुल्म ढा रही है। इसी क्रम में अपनी प्रोपेगेंडा पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले राजदीप सरदेसाई ने भी आज एक ट्वीट किया है।
दरअसल, राजदीप सरदेसाई का कहना है कि वे अभी तक जितने भी सीएए के ख़िलाफ़ हो रही रैलियों में गए हैं, उन्होंने वहाँ केवल तिरंगा और महात्मा गाँधी की तस्वीरों को ही देखा है। जबकि सीएए की समर्थन वाली रैलियों में उन्होंने तिरंगे के साथ-साथ भगवा रंग का झंडा फहरते भी देखा।
अपने ट्वीट के माध्यम से राजदीप चाहते हैं कि उनके फॉलोवर्स इस तथ्य पर गौर फरमाएँ कि कौन लोग CAA के विरोध में हैं और कौन उसके साथ? साथ ही वे चाहते हैं कि दोनों रैलियों को करने वाले लोगों के मूल उद्देश्यों को भी उनके फॉलोवर्स पहचानें।
At every anti CAA rally, I have spotted only the tricolor and pics of Mahatma Gandhi.. at pro CAA rallies, the saffron flag is seen along with the tricolour.. think about it.. have a good Friday..
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 27, 2019
यहाँ गौर करने वाली बात है कि पिछले दो हफ्तों में सबसे अधिक दंगे भड़कने की खबरें शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद ही आई हैं और राजदीप का इस तरह का ट्वीट भी शुक्रवार की सुबह-सुबह ही आया है। ऐसे में दंगों के भड़कने के पीछे जुमे की नमाज के बाद का समय और ट्वीट करने के लिए शुक्रवार का दिन… क्यों चुना जाता है? क्या महज संयोग है? लेकिन राजदीप संयोग में तो यकीन नहीं ही करते होंगे!
राजदीप अपने मालिक की चैनल में भले ही मीडिया मठाधीश होंगे, सोशल मीडिया पर तो सबकी ‘औकात’ टाइमलाइन या वॉल तक ही सीमित होती है। सो हुआ वही, जो होना था। इनके ट्वीट के नीचे उन तस्वीरों की बाढ़ आ गई, जहाँ CAA के विरोध की आड़ में दंगाई कहीं मंदिर तोड़ रहे तो कहीं पुलिस वालों को मार रहे, कहीं बस जला रहे।
Anti CAA protest @sardesairajdeep lol pic.twitter.com/qM0DQAlQcW
— Mr Sinha (@MrSinha_) December 27, 2019
राजदीप के ट्विटर वॉल पर तरह-तरह की तस्वीर और वीडियो आए। लेकिन सीएए के विरोध प्रदर्शनों में न महात्मा गाँधी दिखे और न ही तिरंगा। बल्कि दिखा तो सिर्फ़ ‘फक हिंदुत्व’ के पोस्टर और ‘हिंदुत्व से आजादी’ के नारे, पुलिस को मारते दंगाई, आग में लिपटी देश की संपत्ति। इसके अतिरिक्त ऊँ के चिह्न का अपमान और नारा-ए-तकबीर की गूँज।
Similar views at every against #CAAProtests pic.twitter.com/u7HkdDdNNy
— Rahul – राहुल – ਰਾਹੁਲ (@rahulpassi) December 27, 2019
राजदीप को आईना दिखाने के लिए कानून का समर्थन कर रही रैलियों की भी तस्वीरें लोगों ने शेयर की। जिनमें भगवा रंग से कई गुणा ज्यादा तिरंगा फहरते दिखा। लोग राजदीप को कहने लगे कि जिन लोगों ने तिरंगे के साथ भगवा उठा रखा है, उन्होंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि इस देश में भगवा रंग ने ही तिरंगे का सम्मान किया है और भगवा तिरंगे का ही एक रंग है, तो क्या वो इसे उससे अलग कर सकते हैं? इसके अलावा लोग राजदीप से ये भी पूछने लगे कि हफ्ते में और भी दिन होते हैं किंतु उन्हें सिर्फ जुमे का दिन ही याद रहता है?
ऐसा इसलिए है महाशय, क्योंकि इस देश में भगवा रंग ने ही तिरंगे का सम्मान किया है। बात समझ में आ गई!!
— MRINAL THAKUR (@mrinalthakur10) December 27, 2019
और हां, हफ्ते में और भी दिन होते हैं किंतु आपको सिर्फ जुम्मे का दिन ही याद रहता है यह अलग बात है।
भगवान करे आप जैसे लोग का भी दिन भी शुभ हो!!
वहीं, कुछ लोगों ने राजदीप के प्रोपेगेंडे को ध्वस्त करते हुए उन्हें मौलाना भी बताया है और कहा है कि वे हमेशा आतंकियों का ही समर्थन करेंगे। लोगों का कहना है कि राजदीप ही ऐसे दंगाईयों के लिए जनसंपर्क का काम कर रहे हैं। क्योंकि वे दंगाई, पत्थरबाज, गोली चलाने वालों पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे।
मौलाना की तकरीर हो गयी
— Rameshwar Arya??? #VandeMatram (@RameshwarArya) December 27, 2019
हमेशा आतंकियों का समर्थन करियो
तूने ही तो pr मैनेज किया था इसीलिए पोस्ट डाल रहा है
एक भी दंगाई, पत्थर बाज, गोली चलाने वाले आतंकी के खिलाफ एक शब्द बोला तूने???
थोड़ी तो शर्म कर
बता दें कि सोशल मीडिया यूजर्स राजदीप से इतना ज्यादा नाराज हो चुके हैं कि उन्हें कह रहे हैं कि राजदीप का ट्वीट देखकर उनका पूरा दिन खराब हो गया। लोगों का पूछना है कि ‘हिंदुत्व की कब्र खुदेगी’ का क्या मतलब होता है और आखिर वे महात्मा गाँधी का नाम दंगाइयों के साथ क्यों जोड़ रहे। सीएए के खिलाफ़ प्रदर्शन पर उतरे लोग जो आज कर रहे, वो महात्मा गाँधी का दिखाया रास्ता नहीं हैं। उनके नाम पर सिर्फ़ बस, कार, बाइक जलाई जा रही है। लेकिन जहाँ भगवा झंडा है, वहाँ शांति मार्च निकल रहा है।
Don’t drag mahatma gandhi with those rioters. the violence people have seen last week ,it’s not the ways of mahatma. Shame on you
— Bhrustrated (@FunMauji) December 27, 2019
गौरतलब है कि बीते दिनों जुमे की नमाज के बाद हुए दंगों के कारण यूपी और दिल्ली जैसे राज्यों को काफी नुकसान हुआ है। प्रदर्शनकारियों की आड़ में दंगाइयों ने पुलिस पर पेट्रोल बम तक फेंकने का काम किया और उन पर गोलियाँ भी चलाई गईं। इस कारण कई पुलिस वाले घायल हुए और कई की जान जाते-जाते बची। लेकिन इतना सब होने के बाद भी अगर राजदीप जैसा कोई पत्रकार अपना प्रोपगेंडा साधने के लिए लोगों को बरगलाए और निष्पक्ष होने के बजाए एकतरफा बातें करें, तो फिर जाहिर है कि उन्हें ऐसी लताड़ लगनी जरूरी है। ताकि उन्हें समझ आ सके कि जिस जनता को वे अपने झूठ पर विचार करने के लिए कह रहे हैं, वो जनता मूर्ख नहीं है।
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