Tuesday, May 13, 2025
Homeविचारसामाजिक मुद्देजर्मनी, आयरलैंड, स्पेन आदि में भी हो चुकी हैं ट्रैक्टर रैलियाँ, लेकिन दिल्ली वाला...

जर्मनी, आयरलैंड, स्पेन आदि में भी हो चुकी हैं ट्रैक्टर रैलियाँ, लेकिन दिल्ली वाला दंगा कहीं नहीं हुआ

लग्जमबर्ग से लेकर लंदन और बर्लिन से लेकर डबलिन तक कई यूरोपीय शहरों में ट्रैक्टर परेड की घटनाएँ सामने आती रहीं। इन ट्रैक्टर रैलियों का उद्देश्य भी किसानों और कृषि संबंधी विषयों पर अपना विरोध दर्ज करना था।

आज गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेड तोड़ दिए गए, पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया और लाल किले पर तिरंगा का अपमान कर सिख झंडा फहरा दिया गया। मंगलवार (जनवरी 26, 2021) के दिन यह सब ट्रैक्टर रैली के नाम पर किया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से किसानों को कुछ जगहों पर ट्रैक्टर रैली निकालने की इजाजत दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि ट्रैक्टर परेड को दिल्ली में होने देना है या नहीं, ये सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा मामला है और इसका निर्णय दिल्ली पुलिस को करना है। मंगलवार सुबह से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हजारों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में धावा बोल दिया, जिसमें तेज रफ्तार से ट्रैक्टर चला रहे एक व्यक्ति की स्टंट दिखाते हुए मौत भी हो गई।

लेकिन क्या अन्य देशों में भी भारत के जैसे ही विरोध प्रदर्शन के नाम पर इसी तरह से हिंसक ट्रैक्टर रैलियाँ की जाती हैं? आयरलैंड, जर्मनी, स्पेन में भी कई मौकों पर ट्रैक्टर रेलियाँ आयोजित की जाती हैं।

विरोध के ये तरीके यूरोपीय देशों तक ही सीमित नहीं हैं; जापान, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका समेत कई राष्ट्रों में समय-समय पर ट्रैक्टर परेड होती रही हैं। जर्मनी में किसानों द्वारा कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया गया था। लन्दन, स्पेन, नीदरलैंड जैसे देशों में ट्रैक्टर रेलियों का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन के मॉडल के रूप में किया जाता रहा है।

‘ट्रैक्टर परेड’ का यूरोपीय मॉडल

विदेशों में होने वाले विरोध प्रदर्शन के तरीकों से अलग, भारत में होने वाले विरोध प्रदर्शनों का स्वरुप पिछले कुछ वर्षों में बदला है। खासकर गत वर्ष हुए नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शनों के बाद से भारत में लिबरल गिरोह और वामपंथियों ने मजहबी उन्मादियों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शनों की नई परिभाषा गढ़ी है।

बीते पाँच सालों के दौरान लग्जमबर्ग से लेकर लंदन और बर्लिन से लेकर डबलिन तक कई यूरोपीय शहरों में ट्रैक्टर परेड की घटनाएँ सामने आती रहीं। इन ट्रैक्टर रैलियों का उद्देश्य भी किसानों और कृषि संबंधी विषयों पर अपना विरोध दर्ज करना था।

स्पेन में भी वर्ष 2017 में एक शो में सैकड़ों किसानों ने बार्सिलोना से ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था। तब ये किसान स्पेन से अलग होने के लिए वे कैटेलोनिया का समर्थन कर रहे थे और स्पेन से अलग देश बनाने के लिए कैटलोनिया में जारी जनमत संग्रह के बीच हिंसक झड़पें भी हुई थीं। लेकिन दिल्ली में जो आज हुआ, स्पेन के किसानों ने वो नहीं किया, हालाँकि वो भी अन्नदाता ही थे।

वर्ष 2014 में जर्मनी की कृषि नीतियों, विशेष रूप से औद्योगिक खेती के खिलाफ विरोध करने के लिए लगभग 50 किसानों ने बर्लिन से अपने ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया। इस परेड में लगभग 10,000 प्रदर्शनकारियों ने जर्मन चांसलर भवन के बाहर अपना विरोध दर्ज किया था। उनका नए पर्यावरण नियमों के खिलाफ वे कहते हैं कि उनकी आजीविका को खतरा है। नवम्बर 2019 में जर्मनी के बर्लिन शहर में भी हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर सवार किसान पहुँचे थे।

फ्रांस में वर्ष 2015 के सितम्बर माह में खाद्यान के गिरते दामों और सस्ते आयात के खिलाफ विरोध जताने के लिए ‘1000 ट्रैक्टर सेट मोई’ प्रदर्शन का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ पेरिस के लिए रवाना हुए।

हालाँकि, किसानों की ट्रैक्टर रैलियों का अनुभव सिर्फ पेरिस के ही पास नहीं था; इसी दौरान लग्जमबर्ग में भी दूध और कृषि उत्पादों के दामों में गिरावट और सरकार से मदद की माँग को लेकर किसानों ने ट्रैक्टरों से मुख्य मार्गों की नाकेबंदी कर डाली थी। ब्रसल्स में भी योरोपीय संघ मुख्यालय के बाहर ट्रैक्टर पर सवार होकर आए किसानों और पुलिस के बीच झड़पें हुई थीं।

वहीं, नीदरलैंड्स में अक्टूबर, 2019 में ट्रैक्टर परेड का आयोजन हुआ था। तब भारी संख्या में किसानों ने सरकार की नीतियों का विरोध जताने के लिए ट्रैक्टर परेड का विकल्प चुना था। नाइट्रोजन उत्सर्जन कम करने के लिए मुर्गियों और सुअरों की संख्या कम करने सम्बन्धी नियमों का विरोध कर रहे किसान बड़ी संख्या में नीदरलैंड्स की राजधानी हेग पहुँच गए थे।

आयरलैंड की राजधानी डबलिन में नवम्बर 2019 में शहर की घेराबंदी ट्रैक्टरों से की गई थी। ट्रैक्टर रैली का नज़ारा नवम्बर, 2019 से लेकर जनवरी, 2020 तक जारी रहा। वहीं, अक्टूबर, 2020 में ब्रितानी कृषि कानूनों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ब्रिटेन के सैकड़ों किसान ट्रैक्टरों के साथ लंदन उतर आए थे। किसानों की माँग ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के भावी कारोबारी समझौतों में किसानों के हितों के संरक्षण की माँग कर रहे थे।

दिल्ली की ट्रैक्टर परेड

दिल्ली में जो आज के गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड के नाम पर किया गया, वह वास्तव में ऐतिहासिक है। लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने अपने समुदाय का झंडा फहरा दिया और एक स्टंट कर रहा ‘किसान’ तेज रफ्तार में ट्रैक्टर दौड़ाते हुए मारा गया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स को तोड़ा और आईटीओ, लाल किले पर उत्पात मचाया। दिल्ली के आईटीओ पर किसानों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष भी हुआ है। किसानों ने दिल्ली में घुसने के लिए कुछ बैरिकेड्स तोड़ दिए।

अब बारी मजहबी फैक्ट चेकर्स द्वारा इन उन्मादी प्रदर्शनकारियों को फैक्ट चेक कर ‘क्लीन चिट’ देने की है। भारत के कुछ फुल टाइम प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शनों के बाद जो स्वरुप विरोध प्रदर्शनों को दिया है, वास्तव में वह मुद्दों के विरोध के बजाय सत्ता के खिलाफ षड्यंत्र ज्यादा रहे हैं। हालाँकि, संविधान या नियम कानूनों को अपने ध्येय सिद्धि तक ही श्रेष्ठ माने जाते रहने का प्रचलन लिबरल गिरोह के लिए कब तक सकारात्मक साबित होता रहेगा, इसका जवाब समय के गर्भ में ही है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

आशीष नौटियाल
आशीष नौटियाल
पहाड़ी By Birth, PUN-डित By choice

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर मारे गए 31 नक्सली, 400 IED-2 टन विस्फोटक मिला: अब तक 35 बार वामपंथी आतंकियों के साथ एनकाउंटर

कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर यह नक्सली 35 अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए हैं। कर्रेगुट्टा पहाड़ी से 400 से अधिक IED बम और 40 हथियार बरामद हुए हैं। यहाँ से 2 टन विस्फोटक भी बरामद हुआ है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद पीएम मोदी पहुँचे आदमपुर एयरबेस, जवानों से की मुलाकात: पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा भी किया ध्वस्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पंजाब स्थित आदमपुर एयरबेस पहुँचे। उन्होंने आदमपुर एयरबेस का यह दौरा 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के बाद किया है।
- विज्ञापन -