Saturday, April 27, 2024

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अभिव्यक्ति की आजादी

आतंकवादी के प्रति सहानुभूति जताने के लिए रूसी पत्रकार पर ₽5 लाख का जुर्माना, मानवाधिकर संगठनों ने जताया विरोध

रूस की पत्रकार Svetlana Prokopyeva पर आरोप है कि उन्होंने आतंकवादी के साथ सहानुभूति जताई। जुर्माने के बाद HR संस्थाओं ने जताया विरोध।

ऑपइंडिया को पुलिस से डराना: ‘प्रेस स्वतंत्रता’ टुटपुँजिया वामपंथी पत्रकारों या बड़ी संस्थाओं की बपौती नहीं

किसी भी राज्य की पुलिस, हमारे पीछे अपनी राजनैतिक मजबूरियों के कारण भले ही लग जाए, लेकिन वो ऑपइंडिया से खबरें डिलीट नहीं करवा सकते। कानूनी रूप से लड़ोगे, हम पहले से ज्यादा तैयार हैं। हम यहाँ टिकने आए हैं, खबरें डिलीट करने नहीं।

जब लोकमान्य तिलक की प्रेस को बिकने से बचाने के लिए लोगों ने जुटाए थे ₹3 लाख

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए राष्ट्रवादी विचारधारा को वही संघर्ष आज भी देखना पड़ता है, जिससे एक समय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को गुजरना पड़ा था।

ऑपइंडिया और इनके सम्पादकों के हालिया उत्पीड़न पर CEO राहुल रौशन का संदेश

हमले हमें परेशान नहीं करते हैं, वास्तव में, अगर वे हम पर हमला नहीं करते हैं, तो हमें ऐसा लगता है कि हम कुछ सही नहीं कर रहे हैं, कुछ दमदार काम नहीं है। इसलिए सबसे पहले, ऐसे नफरत करने वालों को धन्यवाद, वे हम पर हमला करते रहें।

अभिव्यक्ति की आजादी देश की चूलें हिलाने में नहीं, देशहित में अभिव्यक्त हों: आजादी के सिपाहियों की मंशा

कुछ लोगों को लगता है कि सत्ता के खिलाफ आवाज उठाना ही सबसे बड़ा वाक्शौर्य है, लेकिन वो भूल जाते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब सिर्फ...

इमरजेंसी में स्नेहलता, आज अर्नब: विरोधियों के दमन का कॉन्ग्रेसी तरीका

वो कॉन्ग्रेस के इमरजेंसी का समय था। विरोध के कारण अभिनेत्री स्नेहलता को जेल में ऐसी यातनाएँ दी गईं कि उनकी मौत हो गई। अब अर्नब को...

The Hindu के ‘इस्लामोफोबिक’ कार्टून में लोगों ने पहचाना कोरोना वायरस का लिबास और मजहब

'द हिन्दू' ने एक कार्टून पब्लिश किया, जिसमें कोरोना वायरस को हाथों में बन्दूक थामे हुए पृथ्वी ग्रह को डराते हुए बताया गया है कि इसने पूरी पृथ्वी को आतंकित किया है।

जब तक हिन्दू बहुमत में है तभी तक रहेगा लोकतंत्र: भारत की आत्मा में श्रीराम बसे हैं, बाबर नहीं

गुरु नानक ने स्वयं अपनी आँखों से देखे बाबर के अत्याचारों का ऐसा दर्दनाक वर्णन किया है कि आज भी उसको पढ़ कर किसी का भी दिल पसीजे बिना नहीं रह सकता। उस अत्याचारी बादशाह की जामिया मिलिया जैसे राष्ट्रीय संस्थान में जयंती मनाई गई थी।

जामिया मिलिया के बाहर ANI पत्रकारों पर हमला, हॉस्पिटल भेजे गए: अन्य रिपोर्टरों से भी हो चुकी है बदसलूकी

समाचार एजेंसी एएनआई के दो कर्मचारियों पर आज दोपहर हमला कर दिया गया, जब वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों को कवर करने गए थे।

सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पत्रकारों (या आम नागरिकों) की गिरफ़्तारी पर कहाँ खड़े हैं आप?

क्या हमारे पास इतना समय है कि ऐसे सड़कछाप पत्रकारों के ट्वीट पर उसके घर दो पुलिस वाले को भेज कर उठवा लिया जाए जबकि हर मिनट बलात्कार हो रहे हैं? क्या सरकारों की पुलिस या कोर्ट जैसी संस्थाओं को पास ऐसी बातों को लिए समय है जबकि करोड़ से अधिक गंभीर केस लंबित पड़े हैं?

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