नीतियाँ लम्बे समय तक के लिए होती हैं, इसलिए सरकारों को सोच समझ कर बोलना चाहिए ताकि बिजनेस करने वालों के बीच यह भरोसा रहे कि यह सरकार जो बोलती है, वो करती है। अगर नीतियाँ तीन महीने में घोषणा के बाद बदलती रहेंगी, जो कि मोदी सरकार में कई बार हो चुका है, तो इंडस्ट्री उसे सही सिग्नल नहीं मानती।
ऑक्सफोर्ड से पढ़े हुए मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था पर ज्ञान दिए जा रहे हैं। मनमोहन सिंह कहते हैं कि मोदी की नीतियों ने भारत को इस स्थिति में पहुँचाया है। लेकिन आँकड़े इस दावे के उलट कुछ और ही कहानी कहते हैं।
कॉर्पोरेट को समझना होगा कि उसके एजेन्डाबाज और राजनीतिक रूप से वामपंथी झुकाव वाले प्रोफेशनल किसी मुद्दे का समाधान करने की कोशिश नहीं कर रहे। यही कारण है कि मूल व्यवसाय से ज्यादा ऐसी फ़िज़ूल की गतिविधियों में ऊर्जा खपाना धंधे पर भारी पड़ रहा है।
भारत में चीन की तुलना में उन्हें एक-तिहाई वेतन (₹9,000) कर्मचारियों को देना पड़ता है, और राज्य सरकार भी अपने स्तर पर हर-सम्भव सहयोग कर रही है, लेकिन समस्याएँ फिर भी कम नहीं हैं।
भारत में हलाल के दिशानिर्देश उपलब्ध हैं जिनमें यह स्पष्ट है कि पशु वध प्रक्रिया (हलाल) के किसी भी हिस्से में गैर-मुस्लिम को रोज़गार नहीं दिया जा सकता है।
Zomato के तथाकथित मूल्य कितने खोखले हैं, इसकी नज़ीर यह है कि जब एक 'शांतिप्रिय' ने गैर-हलाल खाने के लिए शिकायत की, तो Zomato उसके चरणों में गिर गया। उस समय उसके 'मूल्य' हवा हो गए।
पत्र में वीजी सिद्धार्थ ने पूर्व आयकर महानिदेशक पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इसके अलावा सिद्धार्थ का दावा है कि CCD की माइंडट्री के साथ डील में भी आयकर विभाग ने उनके शेयर अटैच करके अड़ंगा लगाया था।
"मेरी टीम, ऑडिटर, कंपनी का वरिष्ठ प्रबंधन और मेरा अपना परिवार तक मेरी आर्थिक अनियमितताओं से अनजान थे। मैं नव-उद्यमी (entrepreneur) के तौर पर विफल हो गया हूँ। मेरा इरादा किसी को धोखा देने या भ्रम में रखने का नहीं था।"