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हिन्दूफोबिया
अक्षय पात्र विवाद पर The Hindu में दोफाड़, दो बड़े नाम पब्लिक में फेंक रहे कीचड़
चाहे यह नूराकुश्ती हो या सच में The Hindu दोफाड़ हो गया हो, पत्रकारिता के समुदाय विशेष को यह अब समझ में आने लगा है कि हिन्दू हिट-जॉब बर्दाश्त नहीं करेंगे।
The Hindu को तमाचा: 11 घंटे में 510 लोगों ने अक्षयपात्र को दान किए ₹21 लाख
आनंद रंगनाथन ने अक्षय पात्र के समर्थकों से अपील की कि केवल जबानी समर्थन देने की बजाय अक्षय पात्र के कार्य के समर्थकों को अपना पैसा अपने समर्थन के रूप में लगाना चाहिए। तभी हिन्दूफ़ोबिक गिरोहों को जवाब मिलेगा।
राम नवमी हिन्दुओं के लिए हिंसा व सांप्रदायिकता की जगह! Scroll ने फिर उगला जहर, लेख में केवल झूठ
स्क्रॉल का लेख उसी समय आ रहा है जब रथयात्रा पर घटिया सवाल उठाने को लेकर The Hindu पहले ही घिरा हुआ है। यह संयोग नहीं, साज़िश है। फार्मूला है हिन्दू धर्म को खात्मे की तरफ ढकेलने का.....
‘द हिन्दू’ वालो, पुरी में रथ बनेगा भी, चलेगा भी, और तुम्हारी एंटी हिन्दू छाती पर मूंग भी दलेगा
काले दिल वाले इन असुरों की दृष्टि श्री कृष्ण के रथ पर है। यह हिन्दुओं पर है कि वह असुरों को रथ का पहिया तोड़ देने देते हैं, या आसुरिक इरादों को ही रथयात्रा के नीचे कुचल देते हैं...
द वायर वालो, जनेऊ के लिए इतना जहर उगलने से पहले पता किया था जनेऊ क्या है?
जिसे धार्मिक कर्मकांडों को ढकोसला मानना है, वह काहे का हिन्दू, काहे का ब्राह्मण? उसके विचारों का बोझ हिन्दू क्यों उठाए? उसके विचारों के आधार पर ब्राह्मणों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है, जो हिन्दू ही नहीं है?
‘टाइम’ का रेसिस्ट पत्रकार, हिंदू-घृणा जताने में ‘वायर’ के लेख चोरी कर कल्पना परोस रहा है
पूरा लेख रेटरिक यानी गाल बजाने जैसा है जिसमें वही पाँच साल पुरानी बातें हैं जिन्हें लिख कर भारत का छद्म-बुद्धिजीवी गिरोह भी बोर हो चुका है: मोदी नफरत फैलाता है, समाज को बाँट रहा है, सरकार पूर्णतः विफल रही है... ब्ला, ब्ला ब्ला...
हिन्दूफ़ोबिक द वायर, मंदिर में पूजा-पाठ और यज्ञ-हवन ही होते हैं
सेक्युलर प्रोजेक्ट के तहत सरकारें मंदिरों की मलाई काटने की तो हक़दार हैं पर उनसे उम्मीद यह की जाती है कि वे पूजा-पाठ में सीधा-सीधा विघ्न उत्पन्न करें।
The Print वालों, सीधे-सीधे बोलो हिन्दू प्रतीकों से सुलग जाती है (सीने में आग)
समुदाय विशेष वाले तब तक ‘बेचैन’ रहेंगे जब तक धर्म और संस्कृति, हिन्दू पंथ और सम्प्रदाय की हर अभिव्यक्ति बंद नहीं हो जाती। केवल सरकारी ही नहीं, निजी भी। यही हिन्दूफोबिया है। The Print वालों ने इस लेख से प्रोपेगेंडा को नई ऊंचाई दी है।
साध्वी प्रज्ञा को गोमाँस खिलाने वाले, ब्लू फिल्म दिखाने वाले लोग कौन थे?
साध्वी प्रज्ञा को जख्मी फेफड़ों के साथ अस्पताल में 3-4 फ्लोर तक चढ़ाया जाता था। ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी जाती थी और उन्हें तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता था। लगातार 14 दिन की प्रताड़नाओं के बीच साध्वी प्रज्ञा की रीढ़ की हड्डी भी टूट गई थी, इसी बीच उन पर एक और केस फाइल कर दिया गया।
हिन्दूफोबिया टपकता है हसन मिन्हाज के शो से
हसन मिन्हाज जी, आप अपना समय हिन्दूफोबिया फैलाने की बजाय इस्लाम का एकाधिकारवाद मिटाने पर खर्च करें। कॉमेडी मैटर की वहाँ भी कमी नहीं है।