Monday, May 20, 2024

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इतिहास

हिन्दुओं को अपने इतिहास का सच नहीं पता चलना चाहिए, ये ‘मॉब’ बनाने की साजिश है: The Print

रमा लक्ष्मी के लिए हिन्दुओं के धर्म पर हुए हमले का सबूत लाना इतना बड़ा 'पाप' है कि ऐसे 'पापी' अरुण शौरी के लिबरलों के चहेते बनने से उन्हें दुःख हो रहा है।

महाभारत का मुर्शिदाबाद वर्जन: जब द्रौपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने Tweet कर लिबरलों से पूछे सवाल

दुर्योधन ने चीरहरण का आदेश दिया। युधिष्ठिर ने बिना कौरवों का नाम लिए घोर आपत्ति जताई और बोले- "ऐसे भी कुछ लोग हैं जो परस्त्रियों को निर्वस्त्र करना चाहते हैं। विश्व समुदाय को इनका संज्ञान लेना होगा। अमेरिका को भी अवश्य इन पर कार्यवाही करनी चाहिए।"

अब तक सच्चाई छिपाई गई, अब सही इतिहास लिखने का समय आ गया है: RSS के मंच पर अमित शाह

"चूँकि इतिहास लिखने-लिखवाने की ज़िम्मेदारी उन्हीं लोगों के पास थी, जिन्होंने एक के बाद एक कई गलतियाँ की थीं, परिणामस्वरूप सही तथ्य लोगों तक नहीं पहुँच पाए और सच्चाई छिप गई। अब सही इतिहास लिख कर लोगों के सामने पेश करने का समय आ गया है। अब ग़लत इतिहास में सुधार करने का वक़्त आ चुका है।"

इतिहास से छेड़छाड़, पुनः लिखने की जरुरत: शिवाजी, ज्ञानेश्वर, लक्ष्मीबाई, शंकराचार्य… के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं

"पूरी दुनिया भारत को देख रही है। जाति, पंथ, धर्म, लिंग और क्षेत्र पर आधारित सभी मौजूदा सामाजिक बुराइयों को दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि हम वन नेशन और वन पीपल हैं। हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए, जो देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने के अलावा जीवन जीने का एक तरीका है।"

भरे सदन में नेहरू को सुनाने वाला राष्ट्रकवि जो चाहता था ‘हर-हर-बम’ का महोच्चार

रामधारी सिंह दिनकर भरे सदन में नेहरू की आलोचना से नहीं हिचकते थे। समसामयिक समस्याओं का समाधान वह द्वापर से खोज लाते थे। राष्ट्रकवि दिनकर 'कुरुक्षेत्र' में भीष्म और 'रश्मिरथी' में कर्ण के संवादों में आज के युग के हिसाब से प्रासंगिकता खोज रहे होते हैं।

अशोक से प्रेरित होकर सिंहासन त्यागना चाहते थे युधिष्ठिर: रोमिला थापर का ‘अद्भुत’ इतिहास ज्ञान

रोमिला थापर अपने एक लेख में मानती हैं कि महाभारत का युद्ध 3102 ईसा-पूर्व में हुआ था। यही रोमिला थापर कहती हैं कि 232 ईसा-पूर्व तक राज करने वाले अशोक से 3102 ईसा-पूर्व के बाद राज करने वाले युधिष्ठिर ने प्रेरणा ली। ये कैसा इतिहास ज्ञान है बाबा!

‘केसरी’ का महत्व अक्षय कुमार की पगड़ी का रंग नहीं, बल्कि सारागढ़ी की याद दिलाना है

पठान सही थे या सिख। यह फैसला करना केसरी फिल्म का मकसद नहीं है। चाहे सिख सैनिक अंग्रेज़ों के सिपाही बनकर लड़ें हों या हमला करने वाले पठान आज़ादी के परवाने हों, उन 22 वीरों का 'लास्ट स्टैंड' सब बातों से ऊपर था। इसके बारे में हमें पता होना चाहिए था।

सातवाहन और चालुक्य वंश के बाद तिलक ने गणेश चतुर्थी को बना दिया था स्वतन्त्रता का जन आंदोलन

भारतीय इतिहास में सातवाहन, चालुक्य और राष्ट्रकूट वंशों की, गणेश उत्सव हमेशा ही भारतीय और हिन्दू एकता का प्रमुख केंद्र रहा है।

ब्राह्मणों पर पहली बार जजिया कर लगाने वाले फिरोजशाह तुगलक ने बसाया था ‘कुश्के-फिरोज’

फिरोजशाह द्वारा हिन्दुओं पर जुर्म और बर्बरता करने का एक यह भी कारण था कि उसे एक राजपूत माँ से पैदा होने के कारण अपने समय के उलेमाओं के सामने अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बनाए रखना था। यही वजह है कि इतिहास में उसे एक धर्मांध शासक के रूप में जाना गया।

रंग कुमारी पर बुरी नजर डाली तो बादशाह अकबर की जूतों से हुई पिटाई: इतिहास जो आपसे छिपाया गया

अकबर 'महान' के कथित सेक्युलर चरित्र का गुणगान करते हुए वामपंथी इतिहासकारों ने उसके नेगेटिव पक्ष को दबाया। अकबर कितना बड़ा व्याभिचारी था इसके प्रमाण गुरु गोविंद सिंह रचित सिख ग्रन्थ 'चरित्रोपाख्यान' में मौजूद हैं। जूतों से पिटाई के बाद अकबर ने पराई स्त्रियों के घर में घुसना बंद किया था।

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