Wednesday, May 22, 2024

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वामपंथी

JNU हिंसा में नाम घसीटे जाने पर कोमल शर्मा ने की न्यूज़ चैनल के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत

कोमल शर्मा का आरोप है कि JNU में हुए हमले को लेकर चैनल ने उन्हें कथित तौर पर एक आरोपित के रूप में पेश करके बदनाम किया है। इसके साथ ही कोमल ने मीडिया संस्थानों और दिल्ली पुलिस को भी पत्र लिखकर इस मामले में ध्यान रखने को कहा है।

एक भी छात्र न हुआ तब भी दूँगा लेक्चर: आइशी घोष की क्लास बंद करने की धमकी पर JNU प्रोफेसर का बयान

JNUSU का कहना है कि वो JNU में तब तक कोई क्लास नहीं चलने देंगे जब तक वाइस चांसलर इस्तीफ़ा नहीं दे देते हैं। इसके जवाब में JNU के प्रोफेसर वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अगर क्लास में एक भी विद्यार्थी न हुआ तब भी अपना लेक्चर देंगे।

प्रोफेसरों व वामपंथी छात्रों ने मिल कर किया प्रताड़ित: JNU के छात्र मनीष ने बताया कैसे ‘मीडिया’ भी है साज़िश में शामिल

ऑपइंडिया पर ABVP JNU के छात्र मनीष जांगिड़ का वो इंटरव्यू, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे साज़िश के तहत जेएनयू में हिंसा हुई और तुरंत कॉन्ग्रेस व वामपंथी नेता पहुँच गए। उन्होंने राहुल कँवल पर भी बड़ा आरोप लगाया। जेएनयू में कैसे वामपंथी गुंडों को बचाया जा रहा है, जानें मनीष के शब्दों में।

फ़र्ज़ी स्टिंग वाली ‘इंडिया टुडे’ के झूठ का वजन भारी हो गया है, सवालों से कब तक भागते फिरेंगे कँवल?

साबित हो चुका है कि अक्षत ABVP का कार्यकर्ता नहीं। 'इंडिया टुडे' की पत्रकार वामपंथियों के साथ कानाफूसी और सेटिंग करते देखी गईं। कँवल की थेथरई का आलम ये है कि वो सीधा कह रहे कि वो सवालों के जवाब नहीं देंगे। फ़र्ज़ी स्टिंग को 'पाथ ब्रेकिंग' बताने के पीछे का सच।

‘The Wire’ की पत्रकार आरफा खानम को लोगों ने समझाया जर्मनी-भारत का फर्क, कहा- हिटलर के विरोध के बाद…

“1930 के नाजी जर्मनी और वर्तमान समय के भारत के बीच क्या अंतर है?” 'The Wire' की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने ट्विटर पर पूछा ये सवाल तो सोशल मीडिया यूजर ने उन्हें ठीक से समझाया, यहाँ पढ़ें कुछ जवाब....

रिपब्लिक के पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की कर चुकी है वामपंथियों को कोचिंग देने वाली ‘इंडिया टुडे’ की तनुश्री

'इंडिया टुडे' की पत्रकार तनुश्री पांडेय वामपंथी छात्रों के साथ खुसुर-पुसुर करते हुए दिखी थीं। उन्होंने छात्रों को सिखाया था कि उन्हें कैमरे के सामने क्या बोलना है? इसी तनुश्री ने नवंबर 2019 में वामपंथियों के साथ मिल कर रिपब्लिक, ज़ी न्यूज़ और सुदर्शन चैनल के पत्रकारों के साथ बदतमीजी की थी।

‘मारो साले को’ – भीड़ में शामिल लड़की ने दिया आदेश और सब मुझ पर टूट पड़े: JNU का नेत्रहीन छात्र

आख़िर क्या कारण था कि एक संस्कृत विभाग में शोध करने वाले नेत्रहीन छात्र के कमरे में ही उग्र भीड़ ने उनकी जम कर पिटाई कर दी। भीड़ में से एक लड़की ने कहा- "मारो साले को" और रॉड लेकर वो पिल पड़े। जेएनयू हिंसा की कहानी, एक पीड़ित नेत्रहीन छात्र की जुबानी।

जब JNU में मार कर खदेड़े गए 2 सैन्य अधिकारी: Pak शायरों के भारत विरोधी बयान पर जताई थी आपत्ति

अप्रैल 29, 2000। जेएनयू की वो कहानी, जो आज तक दबी हुई है। वहाँ हुए पाकिस्तानी मुशायरे में कारगिल युद्ध के दो सैन्य अधिकारियों को सिर्फ़ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने भारत-विरोधी टिप्पणियों पर आपत्ति जताई थी। उस आयोजन में बड़ी रक़म ख़र्च की गई थी।

वामपंथियों को कीमोथैरेपी देने वाले ऑपइंडिया के एक साल: न्यूजरूम की तरफ से आपका आभार

साल पूरा होते-होते, अब हर वामपंथी हमें गाली दे कर खारिज करने की कोशिश करता रहता है। जब इस तरह के आक्रमण होने लगते हैं, इसका मतलब है कि किसी को दर्द हो रहा है। हमारी कोशिश है कि इस दर्द की तीव्रता बढ़ाते रहें।

‘रंगा-बिल्ला’ वाली अरुंधति पहुँचीं जामिया, कहा- एक दिन हम आज़ाद होंगे

जब एक पत्रकार ने अरुंधति से पूछा कि क्या विरोध-प्रदर्शन के कुछ परिणाम निकलेंगे तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। उम्मीद जताई कि 'सभी लोग आज़ाद हो जाएँगे।' कहा कि विरोध कर रहे लोग कभी भी पीछे नहीं हटेंगे।

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