Sunday, September 29, 2024

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वामपंथ

‘घायल जवानों के लिए रक्तदान करना पार्टी विरोधी’ – भारत में चीन के एजेंडे को बढ़ाने वाली कम्युनिस्ट पार्टियाँ

ये चीन, क्यूबा और उत्तर कोरिया को अपना देश मानते हैं, जहाँ लोकतंत्र नाम की कोई चीज है ही नहीं। ये अपने देश की सेना का सम्मान नहीं करते।

बारूद और खून की गंध से अपना मनोरंजन करने वाला हत्यारा: चे ग्वेरा, जिसने नेहरू को गिफ्ट किया था सिगार

टीशर्ट से लेकर बिकनी तक पर आज जिसकी फोटो छपवाई जाती है, वो एक ऐसा हत्यारा था जिसके लिए हत्या करना मनोरंजन के समान था। फिर भी उसे नायक बना दिया गया।

हिन्दुओं, ब्राह्मणों, प्राचीन इतिहास की घृणा से सनी हैं ‘विश्व बुक्स’ की किताबें, धर्मग्रंथों का घोर अपमान

'विश्व बुक्स' की अधिकतर पुस्तकें हिन्दूघृणा से सनी हुई हैं। इसमें ब्राह्मणों को खलनायक बताया गया है और धर्मग्रंथों को कूड़े-करकट की तरह पेश किया जाता है।

लेबर पार्टी और ईसाई संस्थाओं के टट्टुओं का समूह है ‘स्टॉप फंडिंग हेट’: भारत-विरोधी जेरेमी कोर्बिन से है सम्बन्ध

'स्टॉप फंडिंग हेट' एक ऐसी संस्था है,जो चाहती है कि मीडिया वही करे, जिसकी वह 'अनुमति' दे। ये वामपंथियों का एक समूह है, जो भारत में दखल दे रहा है।

…जब सावरकर ने लेनिन को लंदन में 3 दिन के लिए दी थी शरण

वीर सावरकर ने एक बार लंदन में लेनिन को 3 दिन तक शरण दी थी। कम्युनिस्ट यह स्वीकार नहीं कर पाते कि सावरकर को कई प्रमुख वामपंथियों ने वीर कहने का साहस किया था।

‘राम मंदिर की जगह बौद्ध विहार, सुप्रीम कोर्ट ने माना’ – शुभ कार्य में विघ्न डालने को वामपंथन ने शेयर की पुरानी खबर

पहले ये कहते थे कि अयोध्या में मस्जिद था। अब कह रहे हैं कि बौद्ध विहार था। सुभाषिनी अली पुरानी ख़बर शेयर कर के राम मंदिर के खिलाफ...

पिंजरा तोड़ की दोनों सदस्य जमानत पर बाहर आईं, दिल्ली पुलिस ने फिर कर लिया गिरफ्तार: इस बार हत्या का है मामला

हिंदू विरोधी दंगों को भड़काने के आरोप में पिंजरा तोड़ की देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को दिल्ली पुलिस ने फिर गिरफ्तार कर...

सहिष्णुता यहीं है, क्योंकि विश्वबंधुत्व, उदारता और बड़प्पन की मिट्टी से बना है हिंदुत्व

आज भारत की संस्कृति ने फिर से अपनी पहचान बनानी शुरू की है, क्योंकि हमने उस पर बिना किसी झेंप के गर्व करना सीख लिया है। आइए भय, पूर्वाग्रह और तुष्टिकरण के परदे से बाहर निकल कर खुली आँखों से सत्य के प्रकाश का अवलोकन करें।

मंदिर में मांस, बलात्कारी सवर्ण, भटके हुए कट्टरपंथी, डरे हुए पत्रकार: हिन्दूफोबिया की घृणा से सना है ‘पाताल लोक’

वामपंथी बेहतर अभिनय और निर्देशन के साथ चीजों को ऐसे पेश करते हैं कि वो वास्तविक लगने लगता है। 'पाताल लोक' में भी यही किया गया है।

बेशुमार दौलत, रहस्यमयी सेक्सुअल लाइफ, तानाशाही और हिंसा: मार्क्स और उसके चेलों के स्थापित किए आदर्श

कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी को कभी एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। उससे हुए बेटे को भी नकार दिया। चेले कास्त्रो और माओ इसी राह पर चले।

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