जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद के 115 दिनों में जिहादियों ने 88 घटनाओं को अंजाम दिया। यह संख्या 370 हटने के पहले के 115 दिनों (12 अप्रैल, 2019 से 4 अगस्त, 2019 तक) में हुई ऐसी ही 106 घटनाओं के मुकाबले 17% कम है।
केंद्र सरकार को लम्बे समय से कश्मीर के मामले पर घेरने वालों को जवाब देते हुए उन्होंने राज्य में लगे प्रतिबंधों पर कहा कि इन्टरनेट कभी भी 40 हज़ार लोगों की जान से ज्यादा कीमती नहीं हो सकता। उल्टे उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में खून की नदियाँ बहने के दावे करने वाले गुलाम नबी आज़ाद आज कहाँ हैं?
सीटीडी एडवाइज़र्स नामक इस संस्था का गठन पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश बैंकर शोएब बाजवा ने पिछले साल किया था। जेकेएलएफ जैसा आतंकी संगठन संस्था के कार्यक्रम की प्रशंसा कर चुका है।
मेहराजुद्दीन को गोली पॉइंट-ब्लैंक पर यानी बेहद करीब से मारी गई है। इस घटना के बाद आतंकित लोगों ने इलाके के काम-धंधे, दुकानें आदि बंद कर दिए हैं। हत्या उनकी दुकान में ही की गई।
'रेडियो कश्मीर' का नाम अब 'ऑल इंडिया रेडियो' हो गया है। इसके साथ ही लोगों को लस्सा कौल याद आ रहे हैं। दूरदर्शन कश्मीर के डायरेक्टर रहे कौल की हत्या जेकेएलएफ के आतंकियों ने कर दी थी।
कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा, "हमें प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। वह दिन दूर नहीं जब पीओके में भी तिरंगा (या निशान) फहराया जाएगा, वही निशान जिसके चलते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी जान दी थी।"
सरकार की दिल जीतने की कोशिशों को शांतिदूतों का यह 'करारा जवाब' है। पिछले ही महीने सरकार ने सेब उत्पादकों को सही मूल्य दिलाने के लिए योजना शुरू की थी- यह राज्य में पहली ऐसी योजना है।
बीयर खरीदने के कुछ ही दिन बाद उस इलाके में गाली-गलौच वाली अभद्र भाषा में एक पत्र मिला जिसमें एक चेतावनी के साथ लिखा था कि 'गैर-इस्लामिक' कामों में पड़ने का अंजाम बहुत बुरा होगा, जो भी ऐसा करेगा उसे भविष्य में इसे भुगतना भी पड़ेगा।
केंद्र ने ₹2,000 करोड़ के एक "वन-टाइम सेटेलमेंट" पैकेज की घोषणा की थी। उसे भी यह शरणार्थी इसलिए नहीं ले पाए क्योंकि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1.5 लाख परिवार, यानी 10 लाख शरणार्थी आज भी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।
मुनीर का कई घोटालों और विवादों से नाता रहा है। 2003 में मुशर्रफ ने उन्हें यूएन में स्थायी प्रतिनिधि बनाया था। उस वक्त वे अपनी 35 वर्षीय गर्लफ्रेंड पर हमला कर विवादों में आए थे। बाद में जरदारी ने मुनीर को इस पद से हटा दिया।