Friday, April 19, 2024

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Media Hypocrisy

Fake News फैलाने वाले पत्रकार भी यूपी पुलिस की रडार पर: राजदीप, थरूर समेत 11 पर देशद्रोह का मामला दर्ज

इसके अलावा नेशनल हेराल्ड की वरिष्ठ सम्पादकीय सलाहकार मृणाल पांडे, कौमी आवाज के जफर आगा, कारवा पत्रिका के मुख्य संपादक प्रकाशक परेशनाथ, कारवाँ पत्रिका के अनन्तनाथ व इसी पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद और एक अज्ञात का नाम शामिल है।

वो मीडिया हाउस जिसके लिए लादेन था पिता-पति, विवेकानंद को लिखा – सिगार पीने वाला

लादेन को एक 'पिता-पति' बताने वाले 'दी क्विंट' को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर यह बताने की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हुई कि वह एक ‘सिगार पीने वाले सन्यासी’ थे।

NDTV पत्रकार के लिए हिन्दुओं की यात्रा पर पत्थरबाजी संवैधानिक अधिकार है, उस पर कानून न बने

NDTV के पत्रकार जैन ने मध्यप्रदेश की ओर इशारा करते हुए उज्जैन में हुई हिंसा का सारा ठीकरा राम मंदिर डोनेशन यात्रा पर फोड़ा और कहा कि उसी से हिंसा भड़की, लेकिन सरकार ने पत्थरबाजों के ख़िलाफ़ कानून बना दिया।

देवी-देवताओं को कोई मुनव्वर गाली दे तो चुप रहें, वरना भास्कर गुंडा कहेगा

'भास्कर' चाहता है कि देवी-देवताओं को गाली देना कोई 'मुनव्वर' अपना करियर ऑप्शन बना ले और आप सुनते रहें। विरोध नहीं करें। ऐसा करेंगे तो यह गुंडई होगी।

वाकई मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक हैं, अलग-थलग हैं?

शेखर गुप्ता अकेले नहीं हैं। राजदीप से लेकर रवीश कुमार तक एक हरी-भरी जमात है, जिसके लिए अल्पसंख्यक की बातों का मतलब मुस्लिमपरस्ती है।

आढ़ती को हटा दें तो बहुत सी समस्या खत्म हो जाएगी: रवीश ने पाँच साल पहले ये ज्ञान दिया था, अब पलटदास काहे बन...

यही रवीश कुमार साल 2015 में इन किसानों की हालात पर चिंता जताते हुए बता चुके थे कि मंडियों में किसान आढ़ती के चंगुल में फँसा हुआ है, जहाँ उन्हें गुलाम बनाया जा रहा है।

नींद से जागो आरफा खानम शेरवानी! भक्त तो बस हलाला-शिर्क पढ़ ही रहे हैं, कई मुस्लिम वही कर रहे हैं

हिंदू इस्लाम को बदनाम नहीं कर रहे हैं। इसकी मट्टी पलीद उसी कट्टरपंथ ने की है जिसकी कठपुतली बनकर आरफा 'ज्ञानवाचक' बनती हैं।

हम लिख रहे हैं ‘ॐ नमः शिवाय’, क्योंकि सेकुलर मीडिया नहीं लिखेगी: रजनीकांत के जमाई धनुष के ट्वीट से किया खेल

अल्पसंख्यकों के अपराधों को 'हिंदू एंगल' देने वाली लिबरल-सेकुलर मीडिया अब हिंदुओं की धार्मिक अभिव्यक्ति को छिपाने में भी लग गई है।

‘न्यूयॉर्क टाइम्स का फर्जीवाड़ा’: श्रमिक ट्रेन को ‘वायरस ट्रेन’ साबित करने के लिए संजीव सान्याल के 40 मिनट के इंटरव्यू को केवल 2 शब्दों...

यह बातचीत 40 मिनट से अधिक समय तक चली और 40 मिनट के इंटरव्यू में से न्यूयॉर्क टाइम्स ने केवल दो शब्द ‘quite well’ ही लिए।

‘किसानो’ के शाहीन बाग में Zee न्यूज – R. भारत की महिला पत्रकारों पर हमले की कोशिश, ‘गोदी मीडिया’ चिल्लाते हुए पीछे पड़ी...

"मेरे कैमरापर्सन को क़ैदी की तरह पकड़कर साथ ले गए। हज़ारों की भीड़ मेरे पीछे दौड़ रही थी मेरा मोबाइल छीन लिया गया और बहुत कुछ हुआ।”

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