Friday, May 3, 2024

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इतिहास

…जब जेल में महात्मा गाँधी का बेटा और नाथूराम गोडसे की हुई मुलाकात, और फिर लिखना पड़ा उन्हें एक पत्र

"महात्मा गाँधी के बेटे देवदास शायद इस उम्मीद में नाथूराम गोडसे से मिलने गए कि कोई डरावनी शक्ल वाला, खून का प्यासा कातिल दिखेगा, लेकिन..."

मई 19, 1961 की त्रासदी: जब 11 बंगालियों ने मातृभाषा के लिए अपनी जान गँवा दी थी

असम के सिलचर में राज्य की सरकारी भाषा के रूप में असमिया के अलावा बांग्ला को भी शामिल करने की माँग को लेकर आज ही के दिन वर्ष 1961 में आंदोलन हुआ था। सिलचर रेलवे स्टेशन पर मई 19, 1961 को आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोली चलाई थी, जिसमें 11 लोग मारे गए थे।

कोर्ट में बैठी जनता अगर न्याय करती तो गोडसे निर्दोष घोषित होते: याचिका की सुनवाई करने वाले जज खोसला

"गोडसे सिरफिरे इन्सान बिल्कुल भी नहीं थे। वो पुणे में रहते थे जहाँ देश विभाजन का कोई असर नहीं हुआ था। वो फिर भी गाँधी को मारने गए क्योंकि..."

दर्थवामा रेन्थलेई: मिजोरम के एक अज्ञात राष्ट्र नायक, जिन्होंने नेताजी के नेतृत्व में लड़ी थी आजादी की लड़ाई

भारतीय स्वतंत्रता में अपना अद्भुत योगदान देने के लिए 15 अगस्त, 1972 को ‘ताम्रपत्र’ राष्ट्रीय पुरुस्कार से दर्थवामा को सम्मानित किया गया था।

सुखदेव थापर: जिनके भगत सिंह पर किए तंज ने क्रांतिकारियों को अमर बना दिया

सुखदेव थापर ने भगत सिंह पर एक लड़की को लेकर तंज करते हुए कहा कि कॉलेज की वो लड़की, जो तुम्हें देख कर मुस्कराया करती थी, तुम उसके इश्क में गिरफ्तार हो गए हो और......

मदुरा विजयम्: मदुरै सल्तनत पर विजयनगर सामाज्य की शानदार जीत की गौरवशाली गाथा है महिला कवि गंगादेवी का महाकाव्य

मदुरा विजयम् बुराई पर अच्छाई की जीत की गौरवशाली गाथा है। दुर्भाग्य से, हमारी पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के ऐसे शानदार अध्यायों के लिए कोई जगह नहीं है।

भारत का सबसे बड़ा सेक्स कांड: 28 साल पहले कॉन्ग्रेसी सत्ता और चिश्ती के वंशजों ने तब खेला था यह ‘घिनौना खेल

वो दरिंदे दरगाह के खादिम थे। संपत्ति व प्रभाव, दोनों ही मामलों में उनका सानी न था। अजमेर में 3 दशक पहले हुए सेक्स कांड में अभी भी न्याय...

शिक्षा के अधिकार की नींव रखने वाले गोपाल कृष्ण गोखले, जिन्होंने सदन से वाक आउट करना सिखाया

गोपाल कृष्ण गोखले ने अंग्रेजी सत्ता के नीचे रहकर एक ऐसे भारत का निर्माण किया जो विवेकशील था। जिसके भीतर उन्नत भविष्य का सपना पलता रहा।

‘तू भोजन कुत्ते की तरह चाट या मत खा’: हल्दीघाटी की एक अनसुनी कहानी में गद्दारों के लिए संदेश

महाराणा प्रताप ने मानसिंह जैसे कुलघाती से क्या कहा? उसके साथ कैसा व्यवहार किया? देश के गद्दारों को लेकर क्या सोचते थे प्रताप?

262 साल पहले जब दुर्रानी साम्राज्य को धूल चटा पेशावर में फहराया था मराठाओं ने केसरी झंडा

पुणे की सीमा से लगभग 2000 किलोमीटर दूर हासिल इस विजय ने मराठाओं के कीर्ति को दूर तक पहुँचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था।

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