सरकार के लिए लम्बे समय से पूर्व सांसदों से निवास खाली करने की समस्या विकट बनी हुई थी। मगर अब इस काम में तेज़ी आ सकती है क्योंकि अब सांसदों से उनके आवास खाली करने के लिए सरकारी तंत्र की मदद में दिल्ली पुलिस पूर्व सांसदों से उनके आवास खाली करवाने उतरेगी। बता दें कि सभी चिह्नित सांसद आवासों की बिजली, पानी और गैस की सुविधा को काटने का भी खाका तैयार कर लिया है।
संसद के निचले सदन लोकसभा में निर्वाचित सांसदों को जो आवास रहने के लिए दिए जाते हैं उनके लिए यह नियम है कि संसद सदस्यता समाप्त होने के एक महीने के भीतर उन्हें यह आवास खाली करना होता है। मगर कई ऐसे महानुभाव हैं जो इन आवासों को जागीर समझकर बैठ जाते हैं और अपनी हनक के चलते इसे छोड़ने के वक़्त आना-कानी करते हैं।
लम्बे समय से देखा जाता रहा है कि कई नेता इस तरह की हरकतों की वजह से चर्चाओं में आते हैं। ऐसे ही एक मामले में सबसे पहले नाम उछला था मुलायम सिंह यादव का, जिन्होंने लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली करने के कोर्ट के आदेश के बावजूद बंगला खाली करने में बड़ी आना-कानी की थी। यही हाल अब संसद निवास का हो रहा है।
हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इसके बाद सभी नवनिर्वाचित सांसदों को बंगले अलॉट किये जाने हैं। आवास खाली करने को लेकर देरी का एक मुख्य कारण यह भी है कि पूर्व सांसद अपना टर्म ख़त्म होते ही आवास खाली करने में बगलें झाँकने लगते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कार्रवाई के पीछे असल कारण है कि अगस्त में अनधिकृत रूप से रह रहे सांसदों को जब आवास खाली करने को कहा गया तो करीब 200 लोग ऐसे थे जिन्होंने आवास नहीं छोड़े थे। यही वजह है कि नवसारी से गुजरात भाजपा के सीआर पाटिल की अध्यक्ता वाली इस कमिटी ने यह निर्णय लिया।