Wednesday, May 8, 2024
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महाराष्ट्र पर ‘सुप्रीम’ फैसला आज, एनसीपी का दावा- लौटे आए 54 में से 52 विधायक

इस मसले पर आज संसद में भी हंगामा होने के आसार हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप के. सुरेश ने महाराष्ट्र मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। विनय विश्वम ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव को नोटिस दिया है।

महाराष्ट्र में शनिवार (नवंबर 23, 2019) सुबह हुए सियासी उलटफेर के मामले में उच्चतम न्यायालय आज (नवंबर 25, 2019) दूसरे दिन फिर सुनवाई करेगी। बता दें कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री और अजित पवार के उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने को लेकर शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी ने सर्वोच्च अदालत में चुनौती दे रखी है। तीनों दलों की संयुक्त याचिका में राज्यपाल द्वारा 23 नवम्बर को भाजपा सरकार को सरकार बनाने के लिए दिए गए निमंत्रण को रद्द करने का आदेश देने की माँग की गई है। इस याचिका पर रविवार को जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की थी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सोमवार (नवंबर 25, 2019) सुबह 10:30 बजे राज्यपाल का आदेश और फडणवीस की तरफ से उन्हें सौंपे गए समर्थन पत्र की कॉपी पेश करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार, केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब माँगा था। 

इस बीच, एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने दावा किया है कि पार्टी के 54 में से 52 विधायक शरद पवार के साथ एकजुट हैं और अजित पवार अब अकेले पड़ गए हैं। अजित पवार को मनाने की कोशिशें भी जारी है। एनसीपी नेता छगन भुजबल सोमवार की सुबह उनसे मिलने पहुॅंचे। इससे पहले शिवसेना के नेता ने भी उनसे मुलाकात की थी। इस मसले पर आज संसद में भी हंगामा होने के आसार हैं। लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप के. सुरेश ने महाराष्ट्र मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। विनय विश्वम ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

शिवसेना का दावा है कि शिवसेना-एनसीपी- कॉन्ग्रेस गठबंधन के पास 165 विधायकों का समर्थन है और वह आसानी से विधानसभा में बहुमत साबित कर देगा। वहीं भाजपा ने दावा किया है कि फडणवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है। बता दें कि 288 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट में रविवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस गठबंधन को कोई अंतरिम राहत नहीं दी और फडणवीस सरकार को 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का कोई निर्देश जारी नहीं किया। अदालत ने कहा कि सोमवार को दोनों पत्रों को पढ़ने के बाद ही इस मुद्दे पर विचार करेगी।

पीठ ने कहा था, ‘‘राज्यपाल के आदेश के साथ ही देवेन्द्र फडणवीस द्वारा सौंपे गए पत्रों को पढ़ने के बाद ही मुद्दों पर विचार किया जाएगा और याचिकाकर्ताओं द्वारा 24 घंटे के अंदर शक्ति परीक्षण कराने की माँग पर विचार किया जाएगा। हालाँकि, राज्य सरकार की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ लेकिन हम तुषार मेहता से आग्रह करते हैं कि कल सुबह साढ़े दस बजे तक उन दोनों पत्रों को पेश करें जब मामले की सुनवाई शुरू होगी ताकि हम उचित आदेश पारित कर सकें।’’

कोर्ट में शिवसेना की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस तरीके से सुबह पाँच बजकर 47 मिनट पर राष्ट्रपति शासन हटाया गया यह ‘‘विचित्र’’ था, क्योंकि कैबिनेट की कोई बैठक नहीं हुई और यह स्पष्ट नहीं था कि किस आधार पर राज्यपाल ने इसकी अनुशंसा की। इसके साथ ही जिस तरीके से सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण कराया गया उस पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए और कहा कि यह ‘‘रहस्यों से घिरा’’ है और सार्वजनिक पटल पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं कि किस तरह से सरकार का गठन किया गया।

वहीं एनसीपी और कॉन्ग्रेस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार बनाने के लिए फडणवीस को निमंत्रण देने का राज्यपाल का निर्णय ‘‘धोखेबाजी’’ और ‘‘लोकतंत्र का विनाश’’ करना है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति को रोकना जरूरी है, इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हों। सुप्रीम कोर्ट आज फिर इस पर सुनवाई करेगी, जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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