शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने गठबंधन के विषय पर कड़ा रुख़ अख़्तियार करते हुए बीजेपी को ‘दफ़ना’ देने की धमकी दी है। बता दें कि शिवसेना की यह प्रतिक्रिया बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान के बाद आई है जिसमें उनके द्वारा कथित तौर पर यह कहा गया था कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन ना हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को क़रारी शिक़स्त देगी।
“मंगलवार (जनवरी 8) की शाम को रामदास कदम ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, “वे पाँच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं, न तो वे महाराष्ट्र में आएँ और न ही हमें धमकाएँ वरना हम आपको दफ़ना देंगे। मत भूलिए कि मोदी लहर के बावजूद हमने कुल 288 सीटों में से 63 सीटें जीतीं थी।””
इससे पहले का वाक़्या यह था कि बीते रविवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना को कड़े शब्दों में कहा था कि अगर गठबंधन हुआ तो पार्टी अपने सहयोगियों की जीत सुननिश्चित करेगी, और ऐसा न होने पर पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें शिक़स्त देगी।
थोड़ा और पहले की बात करें तो इससे पहले भी शिवसेना के तल्ख़ तेवर सामने आ चुके हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने तो ‘चौकीदार चोर है’ तक कह डाला था, जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने प्रतिक्रिया दी थी कि समय आने पर इसका जवाब दिया जाएगा।
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान, एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कदम ने कहा कि अभी बीजेपी के साथ उनका कोई गठबंधन नहीं हुआ है, लेकिन दोस्ती लगभग टूटने की कग़ार पर है। इसके लिए उन्होंने बीजेपी से अपने प्रेम और अपनत्व के ख़त्म हो जाने को मुख्य वजह बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जब शिवसेना अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है तो बीजेपी गठबंधन के लिए क्यों दबाव की स्थिति पैदा कर रही है।
ख़बरों के अनुसार, यह भी पता चला है कि बीजेपी नेता चन्द्रकांत पाटील ने कदम द्वारा इस्तेमाल की गई अभद्र भाषा पर कड़ी आपत्ति दर्ज की, कहा कि हम उनके जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते और शिवसेना की इस तीखी आलोचना का जवाब देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि गठबंधन को लेकर बीजेपी की कोई मजबूरी नहीं है बल्कि यह पार्टी की सहनशीलता है।
बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा एक है इसलिए इस तरह की कोशिशें की जा रही हैं कि दोनों साथ मिलकर आगे आएँ और आगामी लोकसभा चुनाव लड़ें। अगर किन्हीं कारणों से शिवसेना और बीजेपी के बीच सीटों के बँटवारे को लेकर गठबंधन नहीं हो पाया, तो ऐसी सूरत में दोनों पार्टियाँ अलग-अलग ही चुनाव लड़ेंगी, जिसके लिए बीजेपी पूरी तरह से सक्षम है।