Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिसबरीमाला पर पुनर्विचार छोड़ मीडिया को नियंत्रित करने पर ध्यान दे सुप्रीम कोर्ट: कॉन्ग्रेस...

सबरीमाला पर पुनर्विचार छोड़ मीडिया को नियंत्रित करने पर ध्यान दे सुप्रीम कोर्ट: कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल

"मुख्यधारा के मीडिया को राजनीति द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यह उन प्रमुख लोगों का समर्थन करता है जो सत्ता में हैं। यह मीडिया की जिम्मेदारी की अवधारणा के पूरी तरह से विपरीत है। आपको समाचारों को विचारों से अलग करना चाहिए।"

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक ऑनलाइन सेमिनार के दौरान न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर अपनी चिंता जताई। सिब्बल ने आरोप लगाया कि अदालतें सरकार का एक टूल बन गई हैं और राष्ट्रहित का मुद्दा नहीं उठातीं। उसकी जगह अन्य मामलों को प्राथमिकता देती हैं।

अपनी बात रखते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मीडिया, सोशल मीडिया को नियंत्रित करना चाहिए और सबरीमाला के फैसलों पर पुनर्विचार करने में समय नहीं खर्च करना चाहिए। गौरतलब हो कि यहाँ कॉन्ग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के लिए मीडिया पर शिकंजा कसना एक बड़ा मुद्दा है। लेकिन हिंदुओं की भावनाएँ उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।

कपिल सिब्बल के अनुसार, प्रेस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि उनकी अभिव्यक्ति, जाहिर तौर पर कमर्शियल स्पीच होती है।

सिब्बल कहते हैं, “मुख्यधारा के मीडिया को राजनीति द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यह उन प्रमुख लोगों का समर्थन करता है जो सत्ता में हैं। यह मीडिया की जिम्मेदारी की अवधारणा के पूरी तरह से विपरीत है। आपको समाचारों को विचारों से अलग करना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में निहित है जो प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। कॉन्ग्रेस नेता के अनुसार, प्रेस के पास यह अधिकार नहीं होना चाहिए।

कॉन्ग्रेस नेता इतने पर ही नहीं रुके। वे यह भी कहते हैं कि मीडिया और सोशल मीडिया ने निष्पक्ष संचार की अवधारणा को नष्ट कर दिया है। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने सबरीमाला फैसले की समीक्षा करने के बजाय प्रेस की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

कपिल सिब्बल के यह दावे प्रेस स्वतंत्रता के लिए बेहद खतरनाक हैं। ऐसा लगता है कॉन्ग्रेस पार्टी मान चुकी है कि मीडिया को अभिव्यक्ति की आजादी होनी ही नहीं चाहिए। इस तरह के मत अभी तक किसी भी राजनीतिक दल द्वारा लिए गए किसी भी कदम से कहीं अधिक तानाशाही है। लगता है कि साल 2020 की कॉन्ग्रेस पार्टी आपातकाल के काले दिनों को लागू करने का सपना देख रही है।

रिपब्लिक टीवी से कॉन्ग्रेस का विवाद इसका स्पष्ट उदहारण है। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछने पर और कॉन्ग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी का नाम लेने पर कई प्रताड़नाएँ झेलनी पड़ी और अब सिब्बल खुलेआम ये दावा कर रहे हैं कि प्रेस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हकदार नहीं है।

यहाँ एक बात और ध्यान में रखना जरूरी है कि प्रेस पर वार कॉन्ग्रेस ने अचानक नहीं किया है। साल 2019 में कॉन्ग्रेस पार्टी ने आम चुनावों के अपने मेनिफेस्टों में सोशल मीडिया को रेगुलेट करने का वादा किया था। लेकिन, चूँकि, कॉन्ग्रेस पिछले साल चुनाव हार गई और सोशल मीडिया पर नियंत्रण कसने वाली स्थिति में नहीं है, इसलिए लगता है वह न्यायपालिका के जरिए अपने चुनावी वादे को पूरा करना चाहती है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केरल के सरकारी स्कूल में मन रहा था क्रिसमस, हिंदू कार्यकर्ताओं ने पूछा- जन्माष्टमी क्यों नहीं मनाते: टीचरों ने लगाया अभद्रता का आरोप, पुलिस...

केरल के एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस मनाए जाने पर कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

जिन 3 खालिस्तानी आतंकियों ने गुरदासपुर पुलिस चौकी पर फेंके थे ग्रेनेड, उनका UP के पीलीभीत में एनकाउंटर: 2 एके-47 के साथ ग्रोक पिस्टल...

इस ऑपरेशन को यूपी और पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। मारे गए आतंकियों की पहचान गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह के रूप में हुई है।
- विज्ञापन -