Friday, October 18, 2024
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उद्धव और आदित्य ठाकरे पर चुनावी हलफनामे में झूठ बोलने का आरोप: EC ने CBDT को शिकायत की जाँच के दिए आदेश

शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई हैं। बताया जा रहा है कि ठाकरे पिता-पुत्र द्वारा दायर हलफनामों में कुछ गंभीर विसंगतियाँ सामने आई हैं। कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के डेटा में विरोधाभास का हवाला दिया।

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी और मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले के लिए नई मुसीबत खड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चुनाव आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से ठाकरे और सुप्रिया सुले के खिलाफ प्राप्त उन शिकायतों की जाँच करने को कहा है, जिनमें उन पर लोकसभा / विधानसभा चुनावों के लिए अपने हलफनामे में गलत जानकारी साझा करने का आरोप लगाया गया।

उद्धव और आदित्य ठाकरे द्वारा प्रस्तुत किए गए चुनाव शपथ पत्र में गंभीर विसंगतियाँ

टाइम्स नाउ के मुताबिक इसकी शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई हैं। बताया जा रहा है कि ठाकरे पिता-पुत्र द्वारा दायर हलफनामों में कुछ गंभीर विसंगतियाँ सामने आई हैं। कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के डेटा में विरोधाभास का हवाला दिया। एक जो बड़ी विसंगति सामने आई है, वह है आदित्य के चुनावी हलफनामे में बैंक खाते का गायब होना, जिसका उल्लेख उद्धव के हलफनामे में किया गया था।

उद्धव के हलफनामे में पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे का बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ज्वाइंट अकाउंट की जानकारी दी गई है। इसमें 9,52,568 लाख रुपए जमा होने की बात कही गई है। हालाँकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सौंपे गए आदित्य के शपथ पत्र में इस अकाउंट का उल्लेख नहीं था। कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि दोनों ठाकरे के पास HUF (Hindu Undivided Family) कैटेगरी के तहत शेयर रखने की तारीखें भी अलग-अलग थी।

रिपोर्टों के अनुसार, CBDT जाँच के अग्रिम चरण में है और यह अगले 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप सकता है।

फिलहाल सीबीडीटी की रिपोर्ट इंतजार है, अगर सभी आरोप सही पाए जाते हैं, तो सीबीडीटी द्वारा आर पी एक्ट की धारा 125 ए के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। इस सेक्शन के तहत अधिकतम छः महीने की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। यह सजा उन उम्मीदवारों को दी जाती है, जो या तो चुनावी हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं देते हैं या फिर झूठी जानकारी देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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