Saturday, November 23, 2024
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मुंबई पुलिस ने TRP केस में झूठे नाम नहीं लेने पर रिपब्लिक के AVP घनश्याम को बेल्ट से पीटा, यातना दी: हलफनामें में खुलासा

हलफनामे के मुताबिक मुंबई पुलिस ने घनश्याम सिंह के लिए कहा, “इनको मारो मारो मारो।” इसके अलावा उन्हें मोटी बेल्ट से भी मारा गया। वह दर्द से रोए भी लेकिन पुलिस अधिकारियों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा और वह अपने आकाओं के आदेश का पालन करते रहे।

रिपब्लिक टीवी ने आरोप लगाया है कि उनके चैनल के असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट घनश्याम सिंह को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लेकर बुरी तरह प्रताड़ित किया। मंगलवार (दिसंबर 7, 2020) को कोर्ट में जमा कराए गए हलफनामे में चैनल ने दावा किया है कि सिंह को ‘चक्की बेल्ट’ तक से पीटा गया।

चैनल ने कहा कि पुलिस हिरासत के दूसरे दिन से घनश्याम सिंह पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वह टीआरपी केस के अपना नाम ले लें, लेकिन जब उन्होंने दबाव होने के बाद भी ऐसा नहीं किया, तब उन्हें धमकाया गया और उन्हें एक जगह ले जाकर बार-बार प्रताड़िता किया गया। 

हलफनामे के मुताबिक मुंबई पुलिस ने घनश्याम सिंह के लिए कहा, “इनको मारो मारो मारो।” इसके अलावा उन्हें मोटी बेल्ट से भी मारा गया। वह दर्द से रोए भी लेकिन पुलिस अधिकारियों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा और वह अपने आकाओं के आदेश का पालन करते रहे।

एक समय आया, घनश्याम सिंह को दूसरे कमरे में डाला गया और एक ऐसे आदमी को दिखाकर जिसे घनश्याम जानते तक नहीं थे, उसकी ओर इशारा करके पुलिस ने उनसे कहा, “आप ऐसे नहीं मानोगे। अभी बताओ आपने पैसे दिए, आप मिले थे इनसे।”

पुलिस ने उनसे कहा, “अभी भी नहीं बोलोगे तो हमारे पास और भी रास्ते हैं।” इस हलफनामे में कहा गया है कि घनश्याम सिंह को हिरासत के दौरान काफी गहरी चोट आई हैं। उनके हाथ पर इसके निशान हैं, जिससे पता चलता है कि उन्हें प्रताड़ित किया गया।

कोर्ट के समक्ष दायर एफिडेविट के मुताबिक घनश्याम सिंह की कस्टडी के दौरान हर नियत प्रक्रिया की अवहेलना की गई, प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों को दरकिनार किया गया और उन्हें हिरासत में प्रताड़ित करने, यातना देने, नुकसान पहुँचाने और शारीरिक रूप से तोड़ने के लिए भयानक, भयावह और जघन्य तरीके अपनाए गए।

इस हलफनामे में यह भी लिखा गया कि पुलिस ने घनश्याम सिंह पर मानसिक दबाव बनाया और टीआरपी केस की झूठी कहानी में फँसाने के लिए उन पर प्रेशर डालते रहे। रिपब्लिक टीवी का कहना है कि घनश्यम सिंह ने पूछताछ में लगातार एक बात बोली कि उन्होंने टीआरपी हेरफेर केस में किसी तरह की पेमेंट नहीं की, लेकिन फिर भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उन्हें धमकाते रहे। सिंह से यह तक कहा गया, “हमारे पास दूसरे रास्ते भी हैं। आधे घंटे बाद तुम कहोगे। 10 दिन बाद तुम बोलोगे।”

उल्लेखनीय है कि घनश्याम सिंह को 6 दिसंबर को बेल मिली थी। उससे पहले वह 26 दिन पुलिस हिरासत में थे। उन्होंने अपनी रिहाई के बाद कहा था कि जब वह पुलिस हिरासत में थे, तो दूसरे दिन (मुंबई पुलिस) ने उन्हें पीटा। पुलिस “जानना” चाहती थी कि रिपब्लिक टीवी ने कैसे “टीआरपी” में हेरफेर की है। उन्होंने कहा, “मैं इनकार कर रहा था क्योंकि हमने कुछ नहीं किया है। मैंने बताया कि हमने कुछ नहीं किया है और मैंने भी कुछ नहीं किया है। उन्होंने काफी कोशिश की और फिर मुझे पीटा गया।”

यहाँ याद दिला दें रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ फेक टीआरपी का पूरा मामला 8 अक्टूबर को मुंबई कमिशनर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शुरू हुआ था। हालाँकि, एक दिन के अंदर ही रिपब्लिक टीवी ने यह सबूत दे दिए थे कि मामले में दर्ज हुई शिकायत में उनके चैनल का नाम नहीं है, लेकिन तब भी, मुंबई पुलिस चैनल को निशाना बनाती रही और पिछले दिनों रिपब्लिक टीवी पर कई कार्रवाई कर डाली।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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