जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मीटिंग के बाद व आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर सुरक्षाबल व जाँच एजेंसियों की कार्रवाई तेज हो गई है। सिर्फ श्रीनगर में अब तक 70 लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि राज्य भर में ये गिनती 570 के करीब हो गई है। इधर, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने भी प्रदेश में कई जगह छापेमारी कर तमाम शिक्षकों को समन किया है।
जानाकारी के मुताबिक, कश्मीर घाटी में एक सप्ताह में 7 नागरिकों की मौत के मद्देनजर सुरक्षाबल ने श्रीनगर में अब तक 70 युवाओं को हिरासत में लिया है। वहीं पूरे जम्मू-कश्मीर में 570 लोग पकड़े गए हैं। इस बीच, NIA ने आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के खिलाफ अपनी स्ट्रैटेजी के तहत 15-16 स्थानों पर छापेमारी की और 40 शिक्षकों को पूछताछ के लिए समन किया गया।
बता दें कि एजेंसी में आतंकवाद विरोधी विंग के प्रमुख तपन डेका सहित आईबी के शीर्ष अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर श्रीनगर में पहुँचे हुए हैं और आतंकवादी द्वारा नागरिको की हत्याओं के मामले को गंभीरता से लिया हुआ है।
IANS को शीर्ष सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गृह मंत्री ने ये बात उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को साफ की है कि जबतक इन गतिविधियों में आतंकियों को सजा नहीं होगी तब तक केंद्र शासित प्रदेश में कई लोग घूमेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि जमात-ए-इस्लामी और तहरीक-ए-हुर्रियत से लिंक रखने वाले लोगों को पकड़ा गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 400 लोगों को हिरासत में लिया है।
कश्मीर घाटी में पिछले दिनों आतंकियों ने 5 दिन में 7 लोगों की हत्या की थी। इनमें दो शिक्षक भी थे जिनकी आईडी देखने के बाद उन्हें मारा गया और बाकी के जितने मुस्लिम शिक्षक थे उन्हें छोड़ दिया गया। इन घटनाओं ने घाटी के लोगों में डर भर दिया था इसी कारण प्रशासन ने इन्हें राहत देने के लिए 10 दिन की आधिकारिक छुट्टी का ऐलान किया और आतंकियों के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को रफ्तार दी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले एक समाचार एजेंसी को कश्मीरी पंडितों के संगठन ने बताया था कि वह कर्मचारी जिन्हें 2010-11 में रिहेबिलेशन पैकेज के तहत जॉब दी गई थी वो चुपचाप जम्मू जा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन उन्हें सुरक्षित माहौल नहीं दे पा रहा। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिकू ने पीटीआई को बताया, “500 के करीब या ज्यादा ने बड़गाम, अनंतनाग और पुलवामा के अलग-अलग इलाकों से निकलना शुरू कर दिया है। इनमें कुछ कश्मीरी पंडित नहीं भी थे जिन्होंने जगह छोड़ने का फैसला किया। ये 1990 को दोहराया जा रहा है…ये भले दिख न रहा हो लेकिन पलायन चल रहा है और मुझे इसकी आशंका थी। हमने राज्यपाल कार्यालय में अपॉइंटमेंट माँगी लेकिन वो हमें अभी तक नहीं मिली।”