Wednesday, November 27, 2024
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‘भारत हमारा बड़ा भाई’: आर्थिक संकट से जुझ रहे श्रीलंका को मदद करने पर पूर्व क्रिकेटर अर्जुन रणतुंगा ने कहा- PM मोदी बहुत उदार व्यक्ति हैं

रणतुंगा ने कहा, "जाफना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को शुरू करने के लिए अनुदान देकर पीएम मोदी ने बहुत उदारता दिखाई है। श्रीलंका को पैसा देने के अलावा पीएम मोदी मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। वे हमारी दवा और पेट्रोल जैसी जरूरतों का भी खयाल कर कर रहे हैं।"

चीन (China) के कर्ज के जाल में फँसकर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका (Sri Lanka) के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा (Arjuna Ranatunga) ने भारत को बड़ा बताया और संकट से बाहर निकालने में सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तारीफ की। उन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट के लिए श्रीलंका सरकार की वर्तमान नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।

रणतुंगा ने कहा, “जाफना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को शुरू करने के लिए अनुदान देकर पीएम मोदी ने बहुत उदारता दिखाई है। भारत हमारे लिए बड़ा भाई है। श्रीलंका को पैसा देने के अलावा पीएम मोदी मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। वे हमारी दवा और पेट्रोल जैसी जरूरतों का भी खयाल कर कर रहे हैं। भारत बड़े पैमाने पर हमारी मदद कर रहा है।”

अर्जुन रणतुंगा ने श्रीलंका में मौजूदा संकट के लिए सरकार की नीतियों के लिए वहाँ के सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कहा, “अगर वे (सरकार) स्थिति को संभाल नहीं सकते हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।” राजपक्षे सरकार ने वर्तमान हालात के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार ठहराया था। रणतुंगा ने सरकार के इस दावे को नकार दिया।

उन्होंने देश के नेताओं पर अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने और ‘अपने फायदे के लिए संविधान’ बदलने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि श्रीलंका आज दुनिया भर में भीख माँग रहा है। उन्होंने कहा कि देश की जनता दुध, गैस, चावल जैसी बुनियादी चीजें माँग रही है। अब संकीर्ण विचारधारा वाली पार्टी को दलगत राजनीति से हटकर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए।

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा लगाए गए आपातकाल को लेकर उन्होंने कहा, “मैं बहुत डरा हुआ हूँ। मैं नहीं चाहता कि लोग एक और लड़ाई शुरू कर दें, जिसे हमने 30 साल तक झेला। सरकार के कुछ राजनेता ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह तमिलों और मुस्लिमों द्वारा किया गया है। ऐसा करके वे (सरकार) इस देश को फिर से बाँटने की कोशिश कर रहे हैं।”

दरअसल, महंगाई से त्रस्त जनता ने 31 मार्च को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के आवास के सामने प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन हिंसक होने पर पुलिस ने लाठियाँ बरसाई थीं और वॉटर कैनन का प्रयोग किया था। इस मामले में पुलिस ने 45 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा श्रीलंका के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन जारी था। लोग आगजनी पर उतर आए थे। हालात को देखते हुए राजपक्षे ने 1 अप्रैल से देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। हालाँकि, यह आपातकाल 6 अप्रैल को वापस ले लिया गया।

बता दें कि श्रीलंका में खाद्यान्न और जरूरत की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। लोगों को पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस नहीं मिल रही हैं। इस तरह खाने से लेकर परिवहन तक की व्यवस्था ठप पड़ गई है। इस कारण लोग सड़कों पर निकल आए हैं। लोगों के विरोध को दबाने के लिए पुलिस लाठी चार्ज कर रही है तो कहीं उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर रही है। प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस के गोले भी छोड़े जा रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार एक कप चाय की कीमत 100 रुपए हो गई है। दूध की कीमत 2,000 रुपए पर पहुँच गई है। मिर्च 700 रुपए किलोग्राम बिक रही है। एक किलो आलू के लिए 200 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। फ्यूल की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ा है। कई शहरों में 13 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। परीक्षा के लिए पेपर-इंक नहीं हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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