Friday, November 22, 2024
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पुरातत्व विभाग से संरक्षित जो जगह, वहाँ वक्फ की दरगाह-मजार: नेपाल सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी, मुसीबत में बौद्ध धर्मस्थल – OpIndia Ground Report

जगह-जगह थाईलैंड, कम्बोडिया, जापान से आए बौद्ध मतावलम्बी। भारत के भी कई बौद्ध लोग... जगह भी पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित, आए दिन विभिन्न देशों के राजनयिकों का भी आना-जाना... ऐसे में ये मज़ारें कब और कैसे बन गईं, किसी को भी नहीं पता।

हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की आठवीं रिपोर्ट:

नेपाल सीमा से सटा भारत का एक जिला है श्रावस्ती। यह स्थान दुनिया भर के बौद्धों की आस्था का केंद्र है क्योंकि यहाँ भगवान बुद्ध से जुड़े तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरें मौजूद हैं। यहीं पर डाकू अंगुलिमाल की गुफा भी मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने भगवान बुद्ध के वचनों से प्रेरित हो कर हिंसा का रास्ता त्याग दिया था। जब हमने बौद्धों के आस्था केंद्र के क्षेत्र विशेष का दौरा किया तो पाया कि इन जगहों पर भी मज़ारें बन चुकी हैं।

यह रिपोर्ट एक सीरीज के तौर पर है। इस पूरी सीरीज को एक साथ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

मज़ार है कायनात से मौजूद?

बॉर्डर जिला सिद्धार्थनगर से नेपाल बॉर्डर इलाकों को छूती एक हाईवे जाती है। यह बलरामपुर से श्रावस्ती के रास्ते से पीलीभीत तक जाती है। उसी हाइवे पर आगे बढ़ते हुए हम श्रावस्ती जिले के नए बने मॉर्डन पुलिस थाना पहुँचे। इसी थाने से ठीक सामने की सड़क अंगुलिमाल गुफा की तरफ जाती है।

अंगुलिमाल गुफा मार्ग पर जैसे ही हम आगे बढ़े, वैसे ही लगभग 400 मीटर अंदर चलने के बाद तमाम बौद्ध मठों और स्तूपों के बीच एक जगह कुछ ग्रामीणों की भीड़ दिखी। हम वहाँ रुके तो हमने वहाँ सड़क से सटी एक मजार देखी। वहाँ मौजूद बनवारी ने इसे इमाम-ए-हसन हुसैन की मजार बताया।

इमाम ए हसन हुसैन की मजार

इस मजार के आस-पास मुहर्रम में दफनाए गए ताजिया के अवशेष बिखरे थे। कुछ लोग उस जगह को कर्बला बता रहे थे। हमें एक ही जगह 2 मजारें दिखीं। हमने उस मज़ार के पास हिन्दू वेशभूषा में एक महिला व कुछ ही दूरी पर एक पुरुष को लेटे देखा। लोगों ने बताया कि महिला पास के ही गाँव से है और जिन्न से पीड़ित है। जमीन पर लेटने को यहाँ हाजिरी लगाना बताया गया।

मजार के पास मौजूद देशराज और रामभरोसे ने किसी खूँटी बाबा को उस मज़ार का केयर टेकर बताया। हमने जब मज़ार पर मौजूद लोगों से मजार का इतिहास पूछा तो उन्होंने उसे ‘कायनात से मौजूद’ बताया। हालाँकि मज़ार पर हरे रंग का पेंट नया दिख रहा था।

दरगाह के आगे ‘सुन्नी वक्फ’ का बोर्ड

इस मजार से थोड़ा और आगे चलते ही हमें मुख्य सड़क पर ही एक दरगाह का हरे रंग में बड़ा सा बोर्ड दिखा। बोर्ड पर सबसे ऊपर 786 और नीचे ‘सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ संख्या – 2 इंतजामिया कमेटी दरगाह’ लिखा हुआ था। इसके नीचे दरगाह का नाम ‘हजरत सैयद मीर शाह रहमतुल्लाह’ था। इसी बोर्ड के मुताबिक यह दरगाह श्रावस्ती जिले के गाँव महेट के अंतर्गत आती है।

दरगाह के खादिम जव्वाद अली

यह दरगाह अंगुलिमाल गुफा रोड की सड़क से लगभग 200 मीटर अंदर कच्ची सड़क से हो कर जाती है। इस रोड पर बाहर से घने पेड़ दिखाई देते हैं लेकिन अंदर जाने के बाद दिखा कि एक बड़े हिस्से में खाली मैदान जैसी शक्ल हो गई है।

यहाँ हमने पाया कि इस खाली पड़े बड़े हिस्से के बीचों-बीच एक दरगाह बनी हुई है। उस दरगाह की बॉउंड्री बांस के फ़ट्टों से की गई थी और बॉउंड्री के बाहर भी वाहन पार्किंग के नाम पर एक बड़े हिस्से की सफाई कर डाली गई है।

दरगाह परिसर में सरकारी डस्टबिन और नल

इस दरगाह परिसर में हमें स्वच्छ भारत की डस्टबिन दिखाई दी। ऐसे डस्टबिन शहरों और गाँवों के विभिन्न हिस्सों में जनप्रतिनिधियों या सरकारी अधिकारियों द्वारा लगवाई जाती हैं। इसी के साथ दरगाह के पास पड़े खाली हिस्सों में हमें कुछ लोग नए तम्बू गाड़ते दिखाई दिए। खाली मैदान में बचे पेड़ों के आस-पास सीमेंट के पक्के चबूतरे बना दिए गए थे और 2 से अधिक सरकारी नल लगे पाए गए।

सरकारी डस्टबिन और पीछे लग रहे नए तम्बू

‘महिलाओं का जाना मना’ का बोर्ड, महिलाएँ फिर भी मौजूद

मीरा शाह दरगाह के मुख्य केंद्र में तम्बू से ढक कर हरे रंग की जालियाँ लगा कर पक्की दीवाल से बॉउंड्री की गई है। ऊपर हरे रंग के इस्लामी झंडे लगे हैं। मुख्य केंद्र में महिलाओं के ना जाने का एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ है लेकिन हमारी कवरेज के दौरान अंदर एक महिला बैठी मिली। वह महिला हिन्दू परिधान में दिख रही थी।

दरगाह के बाहर अगरबत्ती और इत्र आदि की दुकान थी और कुछ ही दूरी पर एक मुस्लिम व्यक्ति चाय बना रहा था। हमें दरगाह में चढ़ावे का रेट 35 रुपए बताया गया।

दरगाह के आगे लगा बोर्ड

इस दरगाह के खादिम जव्वाद अली और संरक्षक से हमने बातचीत करके कई सवालों के जवाब लिए, जिसे आप इस रिपोर्ट में पढ़ सकते हैं।

पुरातत्व संरक्षित स्थान पर मज़ारें और दरगाह कैसे?

इस जगह पर हमें थाईलैंड, कम्बोडिया, जापान आदि देशों के बौद्ध मतावलम्बी मिले। भारत के भी लगभग हर हिस्से के बौद्ध विभिन्न मंदिरों में मौजूद थे। उनमें से कुछ ने कैमरे पर न आने की शर्त पर बताया कि यह पूरी जगह भारत के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है और यहाँ आए दिन विभिन्न देशों के राजनयिक भी आते हैं। ऐसे में ये मज़ारें कब और कैसे बन गईं, ये किसी को भी नहीं पता। इन मजारों से अधिकतम 2 किलोमीटर की दूरी पर सरकार नया एयरपोर्ट बनाने जा रही है।

रास्ते में पड़ने वाले बौद्ध धर्मस्थल

उर्स में होती है भारी भीड़

हमारी वापसी में श्रावस्ती के निर्माणाधीन एयरपोर्ट के पास खड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना काल में भी मज़ार के बाहर काफी भीड़ लगती थी। उस व्यक्ति ने तब के थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज का नाम लेते हुए कहा कि उन दोनों ने तब बेहद सख्ती दिखाते हुए भीड़ को वहाँ लगने से रोक दिया था। हालाँकि उस व्यक्ति का कहना है कि अब फिर से इस दरगाह पर उर्स के दिन भारी भीड़ लगती है, जिसमें देश के कई हिस्सों से लोग आते हैं।

पढ़ें पहली रिपोर्ट : कभी था हिंदू बहुल गाँव, अब स्वस्तिक चिह्न वाले घर पर 786 का निशान: भारत के उस पार भी डेमोग्राफी चेंज, नेपाल में घुसते ही मस्जिद, मदरसा और इस्लाम – OpIndia Ground Report

पढ़ें दूसरी रिपोर्ट : घरों पर चाँद-तारे वाले हरे झंडे, मस्जिद-मदरसे, कारोबार में भी दखल: मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही नेपाल में कपिलवस्तु के ‘कृष्णा नगर’ पर गाढ़ा हुआ इस्लामी रंग – OpIndia Ground Report

पढ़ें तीसरी रिपोर्ट : नेपाल में लव जिहाद: बढ़ती मुस्लिम आबादी और नेपाली लड़कियों से निकाह के खेल में ‘दिल्ली कनेक्शन’, तस्कर-गिरोह भारतीय सीमा पर खतरा – OpIndia Ground Report

पढ़ें चौथी रिपोर्ट : बौद्ध आस्था के केंद्र हों या तालाब… हर जगह मजार: श्रावस्ती में घरों की छत पर लहरा रहे इस्लामी झंडे, OpIndia Ground Report

पढ़ें पाँचवीं रिपोर्ट : महाराणा प्रताप के साथ लड़ी थारू जनजाति बहुल गाँव में 3 मस्जिद, 1 मदरसा: भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी का ये है ‘पैटर्न’ – OpIndia Ground Report

पढ़ें छठी रिपोर्ट : बौद्ध-जैन मंदिरों के बीच दरगाह बनाई, जिस मजार को पुलिस ने किया ध्वस्त… वो फिर चकमकाई: नेपाल सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी – OpIndia Ground Report

पढ़ें सातवीं रिपोर्ट : हनुमान गढ़ी की जमीन पर कब्जा, झारखंडी मंदिर सरोवर में ताजिया: नेपाल सीमा पर बढ़ती मुस्लिम आबादी, असर UP के बलरामपुर में – OpIndia Ground Report

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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