Sunday, November 24, 2024
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मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा – विस्थापितों की हो घर वापसी, यह मानवीय संकट

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मौजूदा हालातों को मानवीय मुद्दा बताया। साथ ही कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सरकार काम कर रही है। कोर्ट ने हालाँकि मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश पर हैरानी जताई।

मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा है कि मणिपुर में हालात सामान्य हो रहे हैं। दो दिनों से कोई हिंसा नहीं हुई। वहीं, कोर्ट ने हिंसा के चलते विस्थापित हुए लोगों को लेकर सोमवार (8 मई 2023) को कहा कि उन्हें घर वापस लाया जाए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मौजूदा हालातों को मानवीय मुद्दा बताया। साथ ही कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सरकार काम कर रही है। लेकिन सरकार को राहत शिविरों में उचित व्यवस्था करनी चाहिए। वहाँ रह रहे लोगों को भी राशन और चिकित्सा सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाएँ दी जानी चाहिए।

मणिपुर की स्थितियों को लेकर कोर्ट को जबाव देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि पिछले दो दिनों में राज्य में किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई है। इसलिए कर्फ्यू में ढील भी दी गई। सुरक्षा की दृष्टि से हेलीकॉप्टर और ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है। राहत शिविर में रह रहे लोगों को आवश्यक सुविधाएँ मुहैया कराई जा रही हैं।

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में पैरामिलिट्री फोर्स की 52 कंपनियाँ और असम राइफल्स की 100 से अधिक कंपनियाँ तैनात की गई हैं। हिंसा प्रभावित और अशांत क्षेत्रों में फ्लैग मार्च हो रहा है।

तुषार मेहता ने बताया कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। केंद्र सरकार भी इस पूरे मामले में नजर बनाए हुए है। केवल धार्मिक स्थलों को ही नहीं, बल्कि राज्य में लोगों और संपत्तियों की भी रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

मणिपुर मामला: हाई कोर्ट का आदेश, सुप्रीम कोर्ट के सवाल

इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश पर हैरानी जताई। बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई फैसले हैं, जिनके अनुसार हाईकोर्ट किसी भी समाज को एसटी का दर्जा देने का निर्देश नहीं दे सकता है। यह शक्ति हाईकोर्ट के पास नहीं है। ऐसा करना राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है।

तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र और राज्य सरकार को 10 दिन के अंदर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 17 मई 2023 को होगी।

जनजातीय समाज के मार्च के बाद शुरू हुई हिंसा

असल में मणिपुर का मैतेई समाज लंबे समय से माँग कर रहा है कि उसे ‘अनुसूचित जनजाति (ST)’ का दर्जा दिया जाए। हाल ही में उन्होंने अपनी इस माँग को तेज कर दिया।

मैतेई समाज मणिपुर की जनसंख्या का 53% है, यानी आधा से भी ज़्यादा। इसी माँग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM)’ ने बुधवार (3 मई, 2023) को राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में मार्च निकाला था।

मणिपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि मैतेई समाज को ST में सम्मिलित करने के लिए राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजे, जिसके बाद ये हिंसा की घटनाएँ हुईं। जनजातियों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच हिंसा के कारण 54 से अधिक लोग मारे गए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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