Tuesday, May 7, 2024
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कर्नाटक में बुर्का पहन ‘अल्लाह-हू-अकबर’ चिल्लाने वाली मुस्कान को कॉन्ग्रेसी नेता ने दिया iPhone, बताया शेरनी, जमात दे चुका है ₹5 लाख

कर्नाटक (karnataka) में चल रहे हिजाब विवाद (Hijab Controversy) से सुर्ख़ियों में आईं छात्रा मुस्कान खान के लिए मुस्लिम संगठनों ने इनामों और उपहारों की बौछार कर दी है। मुस्कान खान PES कॉलेज में पढ़ती हैं। 11 फरवरी को कॉलेज कैम्पस में हिजाब पहनकर ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे लागने के बाद कई इस्लामिक समूहों द्वारा उन्हें ‘बहादुर लड़की’ की पदवी दी जा रही है। अब महाराष्ट्र की राजधानी मंबई के बांद्रा से कॉन्ग्रेस विधायक ज़ीशान सिद्दीकी ने भी मांड्या शहर में मुस्कान के घर जाकर मुलाकात की और उनके काम को ‘साहसिक’ बताया है। उन्होंने मुस्कान को आईफोन और स्मार्टवॉच भी गिफ्ट किया है।

जीशान ने ट्वीट कर कहा, “कर्नाटक की शेरनी से मिला, जो हिजाब पहनने के उनके अधिकार से रोकने की कोशिश करने वाले फासीवादियों के खिलाफ मजबूती से खड़ी थीं। बैंगलोर से मांड्या तक 100 किमी ड्राइव करने के बाद मैं बहादुर लड़की मुस्कान खान और उसके परिवार से मिला, उसे प्रशंसा का प्रतीक दिया और उसकी बहादुरी की सराहना की!”

जीशान खान ने अपने ट्वीट में राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, राज्यसभा सांसद के सी वेणुगोपाल, शशि थरूर, कॉन्ग्रेस विधायक बालासाहेब थोराट, इमरान प्रतापगढ़ी और श्रीनिवास बी वी व कुछ अन्य लोगों को भी टैग किया है।

कॉन्ग्रेस विधायक जीशान द्वारा मुस्कान की पोस्ट में टैग किए गए लोग व नेता

जीशान सिद्दीकी ने एक वीडियो को ट्वीट कर कहा, ‘मांड्या में मेरी मुलाकात मुस्कान खान से हुई। आप सभी मुस्कान खान को जानते होंगे। मुस्कान जी आज देश और कर्नाटक की शेरनी कहलाई जा रहीं हैं। मुस्कान जी अपने कॉलेज में जाने की कोशिश कर रही थीं, तब कुछ गुंडों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। उन्हें हिज़ाब नहीं पहनने के लिए कहा गया। मैं उन लोगों से कहना चाहता हूँ कि आप किसी को हिजाब पहनने या न पहनने के लिए कहने वाले कोई नहीं होते हो। मुस्कान जी जैसी हमारी सभी बहनें जो चाहें वो पहन सकती हैं। हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है।”

वीडियो में उन्होंने आगे कहा, “मेरी मुलाकात आज मुस्कान जी और उनके पूरे परिवार से हुई। मुझे उनसे मिल कर बहुत ख़ुशी हुई। मैंने उन्हें बताया कि पूरे देश को उन पर नाज़ है। मैंने उनकी हौसला अफजाई की। मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि आगे भी जरूरत पर उनकी एक बड़े भाई की तरह मैं मदद करूँगा।”

जमीयत उलेमा ए हिन्द पहले ही दे चुका है 5 लाख रुपए का इनाम

इसी माह 9 फरवरी को जमीयत उलेमा ए हिन्द का एक प्रतिनिधिमंडल मुस्कान खान के घर गया था। वहाँ इस प्रतिनिधिमंडल ने मुस्कान के अब्बा को 5 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट सौंपा था।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही मुस्कान खान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में वो एक स्कूटी से कॉलेज कैम्पस में आती हैं। उस दौरान वो हिजाब में थीं और हेलमेट नहीं पहना था। इसका वहाँ मौजूद अन्य छात्रों ने विरोध किया। छात्रों के हाथों में और गले में भगवा पट्टिका थी। मुस्कान खान की तरफ से अल्लाह हु अकबर के और अन्य छात्रों की ओर से जय श्रीराम के नारे लगाए। बाद में मुस्कान ने जय श्रीराम का नारा लगाने वाले छात्रों को बाहरी लोग बताया था। इस घटना के बाद मुस्कान को तालिबान और पाकिस्तान से भी समर्थन मिला।

सोनम कपूर ने की सिख पगड़ी की तुलना हिजाब से… लोगों ने कहा – ‘पृथ्वी गोल है’ पढ़ाना भी कम्युनल हो जाएगा

बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर (Sonam Kapoor) द्वारा सिख पगड़ी पर शेयर की गई एक तस्वीर विवादों का विषय बन गई है। सोनम कपूर ने हिज़ाब और पगड़ी की तुलना करते हुए इंस्टाग्राम पर पगड़ी पहने एक सिख और हिजाब पहनी हुई एक महिला की तस्वीर शेयर की। इस पर विवाद बढ़ने और इसकी आलोचनाओं होने के बाद उन्होंने यह स्टोरी डिलीट कर दी।

सोनम कपूर द्वारा किया गया इंस्टाग्राम पोस्ट

भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने ट्विटर पर सोनम कपूर को टैग करते हुए लिखा, “दस्त-ए-यार यानि कि भगवान का हाथ। ये चॉइस नहीं, बल्कि गुरू गोबिंद सिंह जी का आशीर्वाद और सिख पहचान का अभिन्न अंग है। इस संदर्भ में दस्तर और हिजाब की तुलना गलत और अवांछित है। हर मामले में सिखों की भावानाओं को चोट पहुँचाना बंद करो।”

मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक वीडियो में कहा, “सोनम कपूर ने एक बेहद विवादित पोस्ट अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट डाला। ये दिखाया कि जो दस्तार है, इसकी च्वॉइस हो सकती है देश में, लेकिन हिजाब की नहीं है। सोनम कपूर को कहना चाहता हूँ कि 2 धर्मों को आपस में भिड़ाना गलत है। दस्तार सिख के लिए जरूरी है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ये जो हमें बख्शीश दी है, ये हर सिख के लिए जरूरी है और ये हमारे शरीर का हिस्सा है, कोई पहनावा नहीं है। सब धर्मों की अपनी मान्यताएँ हैं, जो कायम रहनी चाहिए। सोनम कपूर ने ये जो शरारत की है, जो ये जान-बूझ कर लोगों को उकसाया जा रहा है, ये बहुत गलत है। मैं सोनम कपूर को कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा काम कलाकार वाला है। तुम अपना कलाकार वाला काम करो, लेकिन ऐसे मसलों के अंदर जो बड़े संवेदनशील मुद्दे हो सकते हैं उनमें तुम्हारी दखलंदाजी ये दिखाती है कि तुम किसी पार्टी के एजेंडे पर काम कर रही हो। ये गलत है। हिसाब और दस्तार की तुलना की मैं निंदा करता हूँ।”

भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने भी सोनम कपूर के तर्क को गलत बताया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “गलत तर्क। सिखों के लिए पगड़ी अनिवार्य है। धर्मनिरपेक्ष भारत में हिजाब का प्रोपोगेंडा चलाया जा रहा है, खासतौर पर इस्लामी एजेंडे के तहत। इसे स्कूलों में मान्यता नहीं दिया जा सकता।”

भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने लिखा, “मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा और उनके शोषण के मुद्दे पर कभी आती हैं ये बिकिनी ब्रिगेड आगे? ख़ुद भी शिक्षित नहीं हैं इसलिए कपड़ों से ऊपर किसी मुद्दे पर कभी इनका कोई ओपिनियन हो ही नहीं सकता।” उन्होंने कहा कि ऐसी ही जिद और जाहिलियत रही तो आने वाले सालों में भारत में सेक्युलरिज्म इतना बढ़ जाएगा कि ‘पृथ्वी गोल है’ पढ़ाना भी कम्युनल माना जाने लगेगा।

स्वदेशी जागरण मंच के अश्वनी महाजन ने लिखा, “बिलकुल सत्य। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में साफ़ आदेश दे दिया है। इसलिए इस मामले को अब विराम देना चाहिए।”

उत्तर प्रदेश के पूर्व DGP व रिटायर्ड सीनियर IPS अधिकारी प्रकाश सिंह ने कहा कि यदि कोई यह नहीं जानता की वह क्या कर रहा है तो उस पर कार्रवाई करना मूर्खता है।

इसी के साथ सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर कई नेटीजेन्स सोनम कपूर को ट्रोल कर रहे हैं।

अल्ताफ को कब्र से निकाल फिर पोस्टमॉर्टम: थाने में ‘आत्महत्या’ पर इलाहाबाद HC, हिंदू लड़की को भगाने-धर्मांतरण के दबाव का था आरोप

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में 9 नवम्बर 2021 को 21 साल के अल्ताफ की नगर कोतवाली में मृत्यु हो गई थी। उस पर हिन्दू समाज की एक लड़की के अपहरण का आरोप था। पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने लाई थी, जहाँ पुलिस के अनुसार उसने बाथरूम में फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली। स्थानीय स्तर पर हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अल्ताफ के शरीर पर कोई चोट के निशान या पुलिस प्रताड़ना के सबूत नहीं मिले थे। दोबारा उच्चस्तरीय पोस्टमॉर्टम करवाने और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की माँग के साथ अल्ताफ का परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट गया था। अब हाईकोर्ट ने अल्ताफ के शव के दुबारा पोस्टमॉर्टम के आदेश दिए हैं। यह आदेश 10 फरवरी (गुरुवार) को जारी हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस केस में याचिकाकर्ता अल्ताफ के अब्बा चांद मियाँ हैं। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार अब अल्ताफ का पोस्टमॉर्टम एम्स (AIIMS) दिल्ली में किया जाएगा। पोस्टमॉर्टम के लिए कासगंज के कब्रिस्तान में दफन अल्ताफ के शव को कब्र से खोद कर निकाला जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान पुलिस अधीक्षक कासगंज को मौके पर मौजूद रहना होगा। शव को सील कर के AIIMS लाया जाएगा। पोस्टमॉर्टम AIIMS के निदेशक द्वारा गठित एक टीम की देखरेख में किया जाएगा। कब्र से शव निकालने से ले कर पोस्टमॉर्टम तक की पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफ़ी HD कैमरे से करवाई जाएगी। इसकी एक प्रति हाईकोर्ट में भी जमा होगी। इस पूरी प्रक्रिया को 10 दिनों के अंदर पूरा करना होगा।

याचिकाकर्ता चांद मियाँ ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में स्थानीय पुलिस और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर भरोसा न होने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने मामले की जाँच CBI द्वारा किए जाने की गुहार लगाई थी। इस केस की याचिका सँख्या CRIMINAL MISC. WRIT PETITION No.- 12441 of 2021 थी। केस की सुनवाई जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस दीपक वर्मा ने की। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल मौजूद थे। कोर्ट ने उनसे उत्तर प्रदेश के बाहर AIIMS में अल्ताफ के पोस्टमॉर्टम पर कोई आपत्ति पूछी तो उन्होंने किसी भी आपत्ति से इनकार करते हुए सहमति दे दी।

सुनवाई कोर्ट नंबर 47 में हुई। चांद मियाँ के वकील अली कमर ज़ैदी और मोहम्मद दानिश हैं। इस केस में अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद तय की गई है। कोर्ट ने इस केस में CBI जाँच की माँग को मानने से इनकार कर दिया है।

पुलिस के मुताबिक अल्ताफ ने थाने में की आत्महत्या

गौरतलब है कि अल्ताफ घरों में रंगाई-पुताई और टाइल्स लगाने का काम करता था। जिस घर की लड़की गायब हुई थी, वह वहाँ भी टाइल्स लगाने का काम कर रहा था। अल्ताफ के मोबाइल में कुछ आपत्तिजनक वीडियो भी मिले थे। उन्हीं वीडियो के आधार पर पुलिस को शक हुआ था। पुलिस ने पूछताछ के लिए अल्ताफ को थाने के हवालात में रखा था। इस दौरान पुलिस के मुताबिक उसने लॉकअप के टॉयलेट में अपने हुड के नाड़े का गले में फंदा बनाकर 3 फिट ऊँचाई पर स्थित पानी के प्लास्टिक पाइप से लटककर आत्महत्या कर ली थी।

अपने बयान से बार-बार मुकरे थे अल्ताफ के अब्ब्बा चांद मियाँ

अल्ताफ कासगंज के अहरौली गाँव का रहने वाला था। उसकी मौत के बाद एक पत्र सामने आया था। इस पत्र में उसके अब्बा का अंगूठा लगा था। पत्र में लिखा गया था कि अल्ताफ ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या की है। पत्र में चांद मियाँ के हवाले से यह भी दावा किया गया था कि उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है और इस मामले वह कोई कार्रवाई नहीं चाहते। इस पत्र के लेखक के रूप में सगीर का नाम दर्ज है, जबकि इस पर लगे अंगूठा के निशान मृतक के पिता चांद मियाँ के बताए गए थे।

अल्ताफ के अब्बा के अँगूठे के साथ बताया जा रहा पहला पत्र

10 नवम्बर 2021 को अल्ताफ के अब्बा चांद मियाँ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। उस वीडियो में उन्होंने स्वयं को पुलिस की कार्रवाई से पूरी तरह से संतुष्ट बताया था। उनका कहना था, “पुलिस का उनके प्रति व्यवहार ठीक रहा। मैंने आवेश में आकर पुलिस के खिलाफ मीडिया बयान दिया था। पुलिस ने मेरे बेटे का इलाज करवाया पर वो नहीं बचा।”

कुछ ही देर में मामले ने राजनैतिक रूप से तूल पकड़ लिया था। एक दिन बाद 11 नवम्बर को अल्ताफ के अब्बा अपने पुराने बयान से पलट गए। उन्होंने एक नया वीडियो जारी करके पिछले बयान को खराब मानसिक स्थिति के चलते दिया बताया था। इसके साथ उन्होंने खुद को अनपढ़ बताया और कहा कि उन लोगों ने पत्र पर अंगूठा लगाने के लिए कहा तो वे लगा दिए थे। इस नए वीडियो में उन्होंने खुद को पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट बताते हुए न्याय माँगा था।

अल्ताफ पर यौन शोषण और उसके परिजनों पर धर्मान्तरण के दबाव का आरोप

घटना के कुछ समय बाद नवम्बर 2021 में ही पीड़िता को पुलिस ने कासगंज रेलवे स्टेशन से सकुशल बरामद कर लिया था। जाँच के दौरान पीड़िता बालिग निकली थी। बजरंग दल द्वारा 28 दिसम्बर 2021 को कासगंज पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र में अल्ताफ के परिवार पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा कर उन पर केस दर्ज करने की माँग की गई थी। शिकायत में लिखा गया था, “लड़की ने न्यायलय में अल्ताफ द्वारा अपने साथ यौन शोषण होना बताया है। साथ ही अल्ताफ और उनके परिजनों द्वारा अपने ऊपर धर्मान्तरण के दबाव की भी बात कबूली है। यह कृत्य भारतीय कानून के तहत अपराध है। अतः अल्ताफ के परिवार वालों पर केस दर्ज कर के कठोर कार्रवाई की जाए।”

अल्ताफ आत्महत्या मामले में पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने के लिए बजरंग दल का पत्र

बजरंग दल ने इस पूरी घटना को लव जिहाद से जोड़ा था। जानकारी के मुताबिक बजरंग दल की इस शिकायत पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

सस्पेंड पुलिसकर्मी अब तक नहीं हुए बहाल

अल्ताफ की मौत के बाद इस मामले में कासगंज के SP ने इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह इंदौलिया, सब इंस्पेक्टर चंद्रेश गौतम, सब इंस्पेक्टर विकास कुमार, हेड कॉन्स्टेबल घनेंद्र सिंह और सिपाही सौरभ सोलंकी को सस्पेंड कर दिया था। ये सभी पुलिसकर्मी उस समय कोतवाली नगर में ही तैनात थे, जहाँ ये घटना हुई थी। पाँचों पुलिसकर्मी आज भी सस्पेंड ही चल रहे हैं। इसमें से कुछ का ट्रांसफर भी गैर जनपदों में हो चुका है।

इस मामले में एक केस भी दर्ज हुआ था, जिसकी जाँच चल रही है।

हिजाब के बाद अब कर्नाटक के स्कूलों में नमाज की जिद: क्लासरूम में मजहबी गतिविधि का वीडियो वायरल, लोगों में जबरदस्त आक्रोश

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के आह्वान के बाद कर्नाटक के उडुपी में सामने आए हिजाब विवाद के बाद राज्य के कई इलाकों में इस तरह की कट्टरपंथी सोच वाली घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। राज्य के कई इलाकों के स्कूलों में मुस्लिम छात्र-छात्राओं द्वारा नमाज पढ़ने की घटनाएँ सामने आई हैं।

कर्नाटक बगलकोट जिले के एक स्कूल में 6 विद्यार्थी स्कूल में ही नमाज पढ़ने लगे, इसको लेकर बवाल हो गया है। स्कूल में नमाज पढ़ने देने पर स्थानीय लोग भड़क गए। हालाँकि, कहा जा रहा है कि स्कूल द्वारा अनुमति देने से इनकार करने के बावजूद स्कूल में नमाज पढ़ते देखे गए। सीएनएन न्यूज18 के वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि कुछ छात्राएँ स्कूल के बरामदे में ही नमाज पढ़ रही हैं।

वहीं, मंगलुरु के कडबा तालुका के अनकथाडका स्थित गवर्नमेंट हायर प्राइमरी स्कूल में नमाज पढ़ने की घटना सामने आई है। इस स्कूल के क्लासरूम में ही छात्र नमाज पढ़ने लगे। मुस्लिम विद्यार्थियों द्वारा नमाज पढ़ने की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यह वीडियो 4 फरवरी की बताई जा रही है। इस वीडियो में नमाज पढ़ते दिखने वाले बच्चे कक्षा पाँच और छह में पढ़ते हैं। मामला तब लोगों की नजर में आया जब इसका वीडियो क्लिप वायरल हुआ है। वीडियो देखने के बाद स्थानीय लोगों ने इस घटना का विरोध करना शुरू कर दिया। मामला तूल पकड़ता देख राज्य के शिक्षा विभाग ने शुक्रवार (11 फरवरी) को स्कूल का दौरा किया।

बताया जा रहा है कि शुक्रवार को पढ़े गए नमाज के संबंध में स्कूल के शिक्षकों को जानकारी नहीं थी, लेकिन जैसे ही इस संबंध में उन्हें जानकारी मिली स्कूल प्रशासन ने सभी छात्रों को क्लासरूम के भीतर धार्मिक गतिविधियों ना करने की चेतावनी जारी कर दी।

इतना ही नहीं, इनमें से स्कूल के कुछ मुस्लिमों विद्यार्थियों के परिजनों ने स्कूल प्रशासन से जुमे की नमाज के लिए अनुमति देने की माँग की। उन्होंने कहा कि जुमे की नमाज (शुक्रवार की नमाज) के लिए उनके बच्चों को स्थानीय मस्जिदों में जाने की अनुमति दी जाए।

कर्नाटक में बढ़ता कट्टरपंथ

ये पहली बार नहीं है कि स्कूलों में नमाज पढ़ने की घटना सामने आई है। राज्य कोलार के एक सरकारी स्कूल के करीब 20 मुस्लिम छात्र स्कूल क्लास में नमाज (Namaz) अता करते देखे गए थे। बताया गया था कि इन छात्रों को शुक्रवार (21 जनवरी 2022) की नमाज के लिए स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने इजाजत दी थी। स्कूल की कक्षा में नमाज पढ़ने की भनक लगने के बाद हिंदू संगठनों ने इसका जमकर विरोध किया था।

मुलबगल सोमेस्वरा पलाया बाले चंगप्पा सरकारी कन्नड़ मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल (Mulbagal Someswara Palaya Bale Changappa Government Kannada Model Higher Primary School) की इस घटना के बाद प्रधानाध्यापिका उमा देवी को सस्पेंड कर दिया गया था।

कक्षा में हिजाब पहनना इस्लामिक प्रथा का अंग है या नहीं, जाँच की जरूरत: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- संवैधानिक अधिकार असीमित नहीं

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Hight Court) की फुल बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि कक्षा में हिजाब पहनना इस्लाम का आवश्यक हिस्सा है या नहीं, इसकी गहन जाँच की आवश्यकता है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन स्कूल या कॉलेजों में यूनिफॉर्म कोड लागू है, उनमें अगले आदेश तक क्लास में भगवा स्कार्फ, हिजाब या धार्मिक झंडे जैसी अन्य चीजों पर रोक रहेगी।

मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृृष्णा दीक्षित और एमजे काजी ने गुरुवार (10 फरवरी 2022) के अपने आदेश में कहा कि यह आदेश उन्हीं संस्थानों तक सीमित रहेगा, जहाँ ‘कॉलेज विकास समितियों’ ने छात्र ड्रेस कोड/यूनिफॉर्म निर्धारित की है। कोर्ट ने जारी विवाद और उसके बाद शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने से आहत हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

कोर्ट ने आगे कहा, “भारत बहुधर्मी, बहुसंस्कृति और बहुभाषी देश है। एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के कारण इसकी अपनी कोई धार्मिक पहचान नहीं है। यह सच है कि देश के हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म और आस्था को अपनाने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार संपूर्ण नहीं हैं। ये अधिकार भारत में दिए गए प्रतिबंधों के तहत दिए गए हैं। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के आलोक में कक्षा में हिजाब पहनना इस्लाम की धार्मिक प्रथा का आवश्यक हिस्सा है या नहीं, इसकी गहन जाँच की आवश्यकता है।”

कोर्ट ने कहा कि धर्म या संस्कृति के नाम पर भारत के सभ्य समाज में शांति और व्यवस्था को भंग करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने आगे कहा, “अंतहीन आंदोलन और शिक्षण संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना खुशी की बात नहीं है। इन मामलों की जरूरी मामलों के आधार पर सुनवाई जारी है।

कोर्ट ने शैक्षणिक सत्र को बढ़ाने को लेकर कहा कि इससे छात्रों के शैक्षिक करियर के लिए हानिकारक है, क्योंकि उच्च अध्ययन/पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समय सीमा अनिवार्य है। छात्रों के हितों की पूर्ति आंदोलन जारी रखने और संस्थानों को बंद करने से नहीं, बल्कि उनके कक्षा में लौटने से होगी। कोर्ट ने सभी पक्षों से कक्षा शुरू करने का आग्रह किया।

CAA दंगाइयों के खिलाफ वसूली नोटिस को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया यूपी सरकार को आदेश, कहा- ‘नहीं किया तो हम करेंगे’

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ दिसंबर 2019 में प्रदर्शन करने वालों को यूपी सरकार (Uttar Pradesh) द्वारा सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए भेजी गई वसूली के नोटिस पर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को उसके द्वारा जारी की गई नोटिस को रद्द करने के लिए आखिरी बार समय दिया और कहा कि अगर राज्य ऐसा नहीं करता है तो वे खुद इस कार्यवाही को निरस्त कर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जिस तरह की कार्यवाही राज्य सरकार ने की थी वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा लागू किए कानून के खिलाफ है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह बात परवेज आरिफ टीटू की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। याचिका पर सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूण और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने की। पीठ ने राज्य सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपितों की संपत्ति को जब्त करने के लिए यूपी सरकार ‘शिकायतकर्ता, न्यायकर्ता और अभियोजक’ की तरह से काम कर रही है। कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लिया गया एक्शन उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का उल्लंघन है।

परवेज आरिफ टीटू ने दायर की है याचिका

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ सीएए कानून के मामले में परवेज आरिफ टीटू नाम के व्यक्ति ने याचिका दायर की है। उसने जिला प्रशासन द्वारा प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नुकसान के भरपाई की नोटिस को खारिज करने की माँग की थी। उसका आरोप है कि मनमाना तरीके से नोटिस भेजी गई है।

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडिशनल महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदेश में 833 दंगाइयों के खिलाफ 106 केस दर्ज किए गए थे, जिसमें से 274 को वसूली के लिए नोटिस भेजा गया था। गौरतलब है कि जुलाई 2020 में ही योगी सरकार के लखनऊ जिला प्रशासन ने 57 दंगाइयों से शामिल 57 आरोपितों से लखनऊ जिला प्रशासन ने 1 करोड़ 55 लाख रुपए की रिकवरी का आदेश जारी किया था।

‘इस्लामिक देशों में हिज़ाब जरूरी नहीं, राहुल-प्रियंका कह रहे बुर्का पहनो’: कर्नाटक विवाद पर CM हिमंता सरमा, बताया- ‘कॉन्ग्रेस की देश तोड़ने की साजिश’

कर्नाटक (Karnataka) के बुर्का (Hijab) विवाद पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta biswa sarama) ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय को हिजाब नहीं, बल्कि शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आप अगर इसे गहराई से समझने की कोशिश करें तो पाएँगे कि इस मामले को शुरू कॉन्ग्रेस ने किया है। वही इस मामले को बढ़ा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, हिमंता बिस्वा सरमा उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रचार करने के लिए आए थे। उसी दौरान उन्होंने शुक्रवार (11 फरवरी 2022) को ये बयान दिया। सरमा ने कहा कि कर्नाटक में जो भी हो रहा है वो ज्ञान का मुद्दा नहीं रहा। ये अब शिक्षा के मंदिर में धर्म का मसला बन गया है। उन्होंने इस विवाद के पीछे साजिश की तरफ इशारा किया और कहा कि तीन साल पहले तक यह विवाद नहीं था। अचानक से यह क्यों उठा?

सरमा ने कहा, “अगर आप स्कूल में हिजाब पहनकर जाते हैं तो शिक्षक को कैसे पता चलेगा कि आपको समझ रहा है या नहीं। अगर एक स्टूडेंट हिजाब पहनकर क्लास में बैठेगा और दूसरा स्टूडेंट दूसरे भेष में बैठेगा तो ये क्या मामला होगा। तीन साल पहले कोई नहीं बोला था कि हिजाब पहनना है। अभी तुरंत वो मामला सामने आ गया है।”

इसके साथ ही सरमा ने राहुल गाँधी द्वारा संसद में भारत को राज्यों का संघ बताने वाले बयान का जिक्र करते हुए आगे कहा, “हिजाब के मामले में केस होता है। सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाई कोर्ट में दोनों ही जगह पर कॉन्ग्रेस का वकील हिजाब के पक्ष में खड़ा होता है। ये देश को तोड़ने की एक साजिश है। अभी अगर मुस्लिम समाज को सबसे अधिक शिक्षा की आवश्यकता है, उनको हिजाब की जरूरत नहीं है। अगर मुस्लिम बेटियों को सबसे अधिक जरूरत है तो डॉक्टर, इंजीनियर बनने की जरूरत है। इस मसले को विपक्ष बहुत ही निचले स्तर तक ले गया है। धार्मिक इस्लाम कुरान और शिक्षा पर जोर देता है, लेकिन दूसरा पॉलिटिकल इस्लाम का पालन कॉन्ग्रेस कर रही है।”

देहरादून में सरमा ने कहा, “सभी इस्लामिक देश कह रहे हैं कि हिज़ाब ज़रुरी नहीं है। राहुल और प्रियंका गाँधी कह रहे हैं कि हिज़ाब पहनों। लेकिन उनका एक भी वक्तव्य नहीं मिलेगा, जहाँ पर वे बोल रहे हों कि आप लोग इंजीनियरिंग, मेडिकल पढ़ो। आप विश्वविद्यालय में जाओ।”

पाकिस्तान के एक और हिन्दू मंदिर शिरनवाली माता में लूटपाट, मुस्लिमों ने 5 देवताओं की मूर्तियाँ तोड़ी: सामने आई CCTV फुटेज

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ एक और हमले में, सिंध प्रांत के रोहरी में एक हिंदू मंदिर को इस महीने की शुरुआत में मुस्लिमों ने न सिर्फ लूटा बल्कि तोड़ दिया। उन्होंने शिरन वाली माता हिंदू मंदिर में नकदी और सोना भी लूट लिया और हिंदू देवताओं की 5 मूर्तियों को नष्ट कर दिया।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध गैर-लाभकारी संगठन वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी ने इस घटना के बारे में ट्वीट किया और पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की माँग की।

इस बीच सोशल मीडिया पर मारपीट और लूट की सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हो गई है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सिंध मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने हमले की निंदा की और एक सतर्कता मंच के रूप में काम करने और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामलों पर नज़र रखने के लिए एक विशेष समिति के गठन की सिफारिश की है।

बता दें कई पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं के मंदिरों पर लगातार हमला, लूट और तोड़फोड़ की जा रही है। इससे पहले 27 जनवरी को सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में निर्माणाधीन हिंगलाज माता मंदिर को पाकिस्तानी अथॉरिटी ने गिरा दिया था। साथ ही साल 2020 में नवरात्रि के दौरान अज्ञात बदमाशों ने हिंगलाज माता की मूर्ति के सिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था, साथ ही उनके वाहन का मुँह भी तोड़ दिया था।

गौरतलब है कि वर्ष 2021 में, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के दूरदराज के शहरों में एक हिंदू मंदिर के विध्वंस को रोकने में विफल रहने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि जब रहिमयार खान जिले के भुंग में एक हिंदू मंदिर पर सैकड़ों लोगों ने लाठियों से हमला किया था और अधिकारियों ने यह कहकर इसका समर्थन किया था कि यह मंदिर के आसपास रहने वाले हिंदू परिवारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने कहा, “एक हिंदू मंदिर को तोड़ा गया, और जरा सोचिए कि उन्होंने क्या महसूस किया होगा। कल्पना कीजिए कि अगर एक मस्जिद को गिरा दिया जाता तो मुसलमानों की क्या प्रतिक्रिया होती।

‘मेरे पास पैन कार्ड नहीं था इसलिए अब्बू और बहन का अकाउंट दिया’: ED द्वारा ₹1.77 करोड़ की संपत्ति जब्त किए जाने पर पत्रकार राणा अयूब की सफाई

लोगों की मदद के नाम पर ‘केटो’ क्राउडफंडिंग वेबसाइट के जरिए धन की उगाही और पैसे की गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब (Rana Ayyub) की 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किए जाने के बाद अब राणा अयूब ने विक्टिम कार्ड खेला है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को पूरी तरह से आधारहीन करार दिया है।

राणा अयूब ने 4 पन्नों के अपने स्पष्टीकरण में बताया कि 2020 में जब कोरोना शुरू हुआ था तो उन्होंने गरीबों की मदद करने के लिए अप्रैल 2020, जून 2020 औऱ मई 2021 में केटो प्लेटफॉर्म पर फंडरेजिंग कैम्पेन शुरू किया था। ईडी के आरोपों का जबाव देते हुए राणा अयूब ने सफाई दी कि जब उन्होंने क्राउडफंडिंग शुरू की तो केटो ने उनसे दो बैंक अकाउंट की डिटेल्स माँगी, जिसमें इकट्ठे किए गए धन को ट्रांसफर किया जाना था। इस मसले पर राणा अयूब कहती हैं कि उस दौरान उनके पास पैन कार्ड नहीं था। कोरोना पीड़ितों की मदद करना भी आवश्यक था। इसीलिए मैंने अपने अब्बू और बहन के अकाउंट की डिटेल्स दी थी।

राणा अयूब के सफाई वाले पत्र का स्क्रीनशॉट

फंड के खर्चे को लेकर राणा अयूब ने ये स्वीकार किया कि उनके द्वारा जुटाए गए फंड का एक हिस्सा मुस्लिमों को रमजान के महीने में जकात के तौर पर दिया गया था। वो कहती हैं कि एक मुस्लिम होने के कारण वो जकात और उसकी पवित्रता के लिए इसके उपयोग को समझती हैं।

साभार: राणा अयूब

राणा ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहती हैं कि वो लोगों के राहत कार्य के लिए काम करते हुए खुद भी कोरोना पॉजिटिव हुई थीं। उसने कोरोना में अपने दो स्वयंसेवकों को भी खोया। वो स्ल्पि डिस्क की भी शिकार हुई। राणा ने दावा किया कि फंड रेजिंग कैम्पेन के दौरान उन्हें किसी भी तरह का विदेशी दान नहीं मिला था। उन्होंने दावा किया कि उसने एफसीआरए कानूनों को तहत कोई अपराध नहीं किया है। इसके साथ ही राणा अयूब ने ये भी दावा किया है कि अगर उसे किसी तरह की कोई विदेशी आय प्राप्त हुई है तो वो केवल उसके पेशेवर शुल्क के कारण जो अपराध नहीं है।

प्रोपेगेंडा पत्रकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दर्ज किए गए एफआईआर को भी पूरी तरह से निराधार बताया है। अयूब ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है। साथ ही उसने ये भी दावा किया कि उसके बैंक स्टेटमेंट के रिकॉर्ड को गलत तरीके से पढ़ा गया।

इसके साथ ही राणा अयूब ने ईडी द्वारा अटैच की गई उसकी संपत्तियों को लेकर कहा कि इसको लेकर उन्हें अभी तक कोई कॉपी नहीं मिली है।

गौरतलब है कि पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में 7 सितंबर 2021 को आईपीसी की धारा 403, 406, 418, 420, आईटी अधिनियम की धारा 66 डी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें अयूब पर ये आरोप लगाया गया था है कि उसने चैरिटी के नाम पर गलत तरीके से आम जनता से धन की वसूली की थी। हिंदू आईटी सेल के विकास शाकृत्यायन ने अगस्त 2021 में ये एफआईआर दर्ज करवाया था।

प्राथमिकी में राणा द्वारा चलाए गए तीन अभियानों का जिक्र किया गया है।

  • A) अप्रैल-मई 2020 के दौरान झुग्गीवासियों और किसानों के कल्याण के नाम पर धन की उगाही।
  • (B) जून-सितंबर 2020 के दौरान असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य के नाम पर वसूली।
  • (C) मई-जून 2021 के दौरान भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए सहायता के लिए।

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को 11 नवंबर 2021 को शिकायतकर्ता ने इस मामले की जानकारी के साथ एक ईमेल भेजा था। इसमें उसने केटो द्वारा डोनर्स को भेजे गए एक पत्र को भी अटैच किया था। केटो ने दान करने वाले लोगों को बताया कि तीन अभियानों के लिए ₹1.90 करोड़ और 1.09 लाख डॉलर (कुल 2.69 करोड़ रुपए) मिले थे, जिसमें से केवल ₹1.25 करोड़ खर्च किए गए हैं। केटो के पत्र में कहा गया है, “दानदाताओं को उपयोग किए गए धन के विवरण के लिए कैम्पेनर [email protected] से संपर्क करना होगा।”

ईमेल मिलने के बाद जब प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जानकारी के लिए केटो से संपर्क किया। ईडी के एक्शन के बाद 15 नवंबर 2021 को केटो फाउंडेशन के वरुण सेठ ने ईडी को जानकारी दी और कहा:

  1. फंड रेजिंग कैम्पेन को ‘www.ketto.org’ वेबसाइट के जरिए शुरू किया था, जो कि ऑनलाइन माध्यम से शुरू किए गए थे, जो एक निजी कंपनी केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा है। वरण सेठ इसके निदेशकों में से एक हैं।
  2. राणा अयूब ने 23 अगस्त 2021 को केटो को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उसने जानकारी दी थी कि उसे केटो से कुल ₹2.70 करोड़ रुपए की राशि मिली थी, जिसमें से उन्होंने लगभग ₹1.25 करोड़ खर्च किए और उन्हें कर के रूप में फंड से ₹90 लाख का भुगतान करना बाकी है। जबकि उसने 50 लाख रुपए को छोड़ दिया, जो लाभार्थियों तक पहुँचे ही नहीं।

झुग्गी-झोपड़ी वालों से लेकर बिहार-असम-महाराष्ट्र और कोरोना… सबके नाम का पैसा खाया राणा अयूब ने: बैंक डिटेल से खुलासा

प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने समाज कल्याण के लिए जुटाए गए पैसों में धोखाधड़ी की है। इसके बाद अयूब के 1.77 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए जुटाए 2.69 करोड़ रुपए

FIR के मुताबिक राणा अयूब ने ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केटो (Ketto) पर कुल 2,69,44,680 रुपए का फंड जुटाया था। ये धनराशि उसकी बहन और पिता के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी। इस राशि में से 72,01,786 रुपए उसके अपने बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इसके अलावा उसकी बहन इफ्फत शेख के अकाउंट में 37,15,072 और उसके पिता मोहम्मद अयूब वक्फ के बैंक अकाउंट में 1,60,27,822 रुपए थे। बाद में उसकी बहन और पिता के अकाउंट से ये सभी धनराशि उसके खुद के अकाउउंट में ट्रांसफर कर दी गईं। अयूब ने ED के पास सिर्फ 31,16,770 रुपए के खर्च का ब्यौरा दिया। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद सामने आया कि फंड में से सिर्फ 17,66,970 रुपए ही खर्च किए गए हैं।

अयूब ने नकली बिल बनवाए, चैरिटी के पैसों का निजी इस्तेमाल किया

एजेंसी के मुताबिक राणा अयूब ने राहत कार्यों में पैसा खर्च होने के सबूत देने के लिए फर्जी बिल बनवाए थे। निजी सफर के लिए किए गए खर्च को राहत कार्य के लिए बताया गया था। एजेंसी ने कहा कि जाँच में साफ होता है कि राणा अयूब ने पूरी प्लानिंग और व्यवस्थित तरीके से चैरिटी के नाम पर फंड जुटाया था, लेकिन फंड का इस्तेमाल पूरी तरह चैरिटी के लिए नहीं हुआ। एजेंसी ने बताया कि राणा अयूब ने फंड्स में से 50 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कराए और उन्हें राहत कार्य में इस्तेमाल नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने PM CARES और CM Relief फंड में कुल 74.50 लाख रुपए जमा किए।

ईडी के मुताबिक, अयूब के 50 लाख रुपए के फिक्स्ड अमाउंट नेट बैंकिंग से बुक किए गए और एक अलग करेंट अकाउंट खोला गया। एजेंसी ने राणा अयूब की जो संपत्ति अटैच की है, वो इस प्रकार है- 

1. बैंक डिटेल- Saving Bank A/c No. 0541000205235 

with HDFC Bank Ltd, KoparKhairane Branch, NaviMumbai

IFSC- HDFC0001575

अकाउंट होल्डर- राणा अयूब 

फंड डिटेल- 19 मई 2020 को 50 लाख का फिक्स डिपॉजिट

2. बैंक डिटेल- Current Bank A/c No. 9209820179688 

with HDFC Bank Ltd;, KoparKhairane Branch, Navi Mumbai

IFSC- HDFC0001575

अकाउंट होल्डर- राणा अयूब 

फंड डिटेल- बैंक अकाउंट में उपलब्ध शेष राशि 57,19,179

3. बैंक डिटेल- Saving Bank A/c No. 0541000205235 

with HDFC Bank Ltd;, KoparKhairane Branch, Navi Mumbai

IFSC- HDFC0001575

अकाउंट होल्डर- राणा अयूब 

फंड डिटेल- बैंक अकाउंट में उपलब्ध शेष राशि 70,08,525

राणा अयूब ने तीन फंड रेजिंग कैम्पेन शुरू किया था और तीनों से ही उसने पैसे निकाले थे।

तीनों कैम्पेन के लिए निकाली गई धनराशि

A) अपने पहले अभियान में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए राणा अयूब ने 82,55,899 रुपए का फंड इकट्ठा किया था, जिसमें से से उसने 79,63,640 रुपए निकाले थे। इस कैम्पेन में डोनर्स को 1,00,983 अमेरिकी डॉलर (7,582,483 रुपए) लौटाए गए।

B) अभियान 2 (झुग्गीवासियों और किसानों की मदद के लिए): 71,37,217 रुपए एकत्र किए गए, 68,84,560 रुपए निकाले गए। इसके अतिरिक्त, 75,600 अमरीकी डालर जुटाए गए और 73,332 अमरीकी डालर निकाले गए।

ग) अभियान 3 (असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य): 42,01,368 रुपए जुटाए गए, 40,53,640 रुपए निकाले गए। इसके अतिरिक्त, 37,203 अमरीकी डालर जुटाए गए और 36,087 अमरीकी डालर निकाला गया। इस अभियान से राशि राणा अयूब के पिता के खाते में भी ट्रांसफर की गई।