कर्नाटक में चल रहे बुर्का विवाद (Karnataka Hijab Row) के बीच कन्नड़ अभिनेता चेतन कुमार (Chetan Kumar) को गिरफ्तार किए जाने की खबर है। उनके खिलाफ कार्रवाई उस ट्वीट को लेकर की गई है जिसमें उन्होंने इस मामले की सुनवाई से जुड़े कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्णा दीक्षित पर सवाल उठाए थे। चेतन कुमार को पुलिस ने मंगलवार (22 फरवरी 2022) देर रात बेंगलुरु से गिरफ्तार किया। उनके ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने FIR दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार किया।
Karnataka | Actor & human rights activist Chethan Kumar arrested for his tweet (on Hijab and Justice Krishna Dixit). A suo moto FIR registered in Sheshadripuram PS as Cr. No. 40/2022 u/s 505(2) & 504 IPC. Kumar will be produced before the Jurisdictional Magistrate: DCP Central
पुलिस ने बताया है कि अभिनेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता चेतन कुमार को उनके ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में शेषाद्रिपुरम थाने में स्वत: संज्ञान लेते हुए 505 (2) और 504 के तहत FIR दर्ज की गई है। इससे पहले 22 फरवरी को चेतन की पत्नी मेघा ने आरोप लगाया था कि कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा ले जाने के बाद से उनके पति गायब हो गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुद को लाइव करते हुए मेघा ने आरोप लगाया कि बिना किसी पूर्व सूचना या कानूनी नोटिस के चेतन को उनके घर से ले जाया गया और अब उनके ठिकाने का पता नहीं चल रहा है।
मेघा ने आरोप लगाया, “चेतन का फोन स्विच ऑफ है, उसके गनमैन का फोन भी स्विच ऑफ है। मैंने शेषाद्रिपुरम थाने में भी चेक किया तो उन्होंने कहा कि चेतन उनकी हिरासत में नहीं है और उसे पूछताछ के लिए कहीं और ले जाया गया है। यह एक तरह का अपहरण है।”
मामला क्या है
दरअसल, चेतन कुमार ने 16 फरवरी को जस्टिस कृष्णा दीक्षित के बारे में अपने एक पुराने ट्वीट को रिट्वीट किया था। पुराने ट्वीट में उन्होंने दुष्कर्म के एक आरोपित को जस्टिस दीक्षित द्वारा जमानत देने पर टिप्पणी की थी। इसे रिट्वीट करते हुए उन्होंने हिजाब विवाद की सुनवाई से जस्टिस कृष्णा दीक्षित के जुड़े होने को लेकर टिप्पणी की।
रीट्वीट करते हुए कन्नड़ अभिनेता ने लिखा, “यह एक ट्वीट है जिसे मैंने लगभग दो साल पहले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के संबंध में लिखा था। जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने दुष्कर्म के एक मामले में इस तरह की परेशान करने वाली टिप्पणी की थी। अब यही जज तय कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में हिजाब स्वीकार्य है या नहीं। क्या ऐसा करने के लिए उनके पास स्पष्टता है?”
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चौथे चरण का मतदान आज 23 फरवरी 2022 को हो रहा है। 9 जिलों की 59 सीटों पर मतदान जारी है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने भी लखनऊ में अपना वोट डाला। वोट देने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी (SP) पर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर पूछे जाने पर उसे उनकी महानता करार दिया।
मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाजवादी पार्टी से खुश नहीं हैं, वे उन्हें वोट नहीं देंगे। यूपी के लोगों ने वोट देने से पहले ही सपा को नकार दिया है, क्योंकि सपा को वोट देने का मतलब गुंडा राज, माफिया राज है। सपा सरकार में दंगे हुए। सपा नेताओं के चेहरे बता रहे हैं कि वे सत्ता में नहीं आ रहे हैं। साथ ही बसपा सुप्रीमो ने विश्वास जताया है कि पूरे उत्तर प्रदेश में बसपा को केवल दलितों और मुस्लिमों का ही नहीं, बल्कि अति पिछड़े और सवर्ण समाज मिल रहा है। पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाएगी।
Muslims are not happy with Samajwadi Party. They will not vote for them. People of UP have rejected SP even before voting as voting for SP means Gunda raj, Mafia raj. Riots happened in SP govt. The face of SP leaders tell that they are not coming in power: BSP chief Mayawati pic.twitter.com/bXy1JY5zt8
अमित शाह को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मायावती ने कहा, “मैं समझती हूँ कि यह उनकी महानता है कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया है। लेकिन मैं उनको यह भी बताना चाहती हूँ कि पूरे उत्तर प्रदेश में बीएसपी को अकेले दलितों और मुसलमानों का ही नहीं, बल्कि अति पिछड़े और सवर्ण समाज यानी सर्व समाज का वोट मिल रहा है।”
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने हाल ही में न्यूज 18 के दिए इंटरव्यू में कहा था कि मायावती ने अपनी प्रासंगिकता नहीं खोई है। उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में वोट मिलेगा। शाह ने कहा था, “बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है। मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा, लेकिन बसपा को वोट मिलेगा। मायावती की जमीन पर अपनी पकड़ है। जाटव वोट बैंक मायावती के साथ जाएगा। मुस्लिम वोट भी बड़ी मात्रा में मायावती के साथ जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि चौथे चरण में नौ जिलों की 59 सीटों के लिए मतदान के दौरान मतदान केंद्रों पर मतदाताओं का भारी उत्साह दिख रहा है। सुबह से ही बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। यह सिलसिला लगातार जारी है। इस चरण में रुहेलखंड से लेकर तराई बेल्ट और अवध क्षेत्र के नौ जिलों की 59 सीटों पर 624 उम्मीदवार मैदान में हैं। मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे तक चलेगा। निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए 860 कंपनी अर्धसैनिक सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन नौ जिलों में कुल 55.31 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 58.24 प्रतिशत वोट पड़े थे। कोविड-19 के मद्देनजर सभी प्रकार की व्यवस्था की गई है।
कर्नाटक के हिजाब विवाद के बाद सोशल मीडिया पर जयपुर की मजिस्ट्रेट रेशमा खान की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है। इस तस्वीर में उन्हें हिजाब पहनकर कार्यालय में काम करते हुए देखा जा सकता है। ट्विटर पर इस तस्वीर को शेयर करते हुए दो चीजें गौर करवाई जा रही हैं। एक तो ये कि कैसे मजिस्ट्रेट रेशमा खान कोर्ट परिसर में कोई भी धार्मिक वेषभूषा की अनुमति न होने के बावजूद भी अपने हिजाब को कार्यालय में पहनकर आईं। दूसरी बात ये कि पद पर पहुँचने के लिए कैसे उनके पिता ने डॉ हबीब खान गौराण ने आरपीएससी अध्यक्ष रहते हुए उनके लिए पेपर चुराए थे और बाद में पोल खुलने पर पद से इस्तीफा दे दिया था।
So the judge who took #Hijab to court is a Magistrate in Rajasthan only because of his father.
See the second image to know how Habeeb Khan leaked paper for his daughter Reshma Khan due to which she got 10th rank.
मामला साल 2013-2014 का है। जब आरपीएससी (RPSC) के पूर्व चेयरमैन हबीब खान गौराण (Habib Khan Gauran) के ख़िलाफ़ अपनी बेटी की खातिर पेपर चुराने का केस दर्ज हुआ था। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी बेटी को मजिस्ट्रेट बनाने के लिए आरजेएस की मुख्य परीक्षा का प्रश्न पत्र चोरी (2013 RJS Paper) किया, जिसमें बाद में उनकी बेटी यानी कि रेशमा खान ने परीक्षा में 10 वीं रैंक हासिल की। साल 2014 की रिपोर्टों के अनुसार गौराण ने अपने पद अध्यक्ष पद पर रहते हुए अहमदाबाद की सूर्या ऑफसेट एंड सिक्युरिटी प्रिंटर्स से सभी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र छपवाए थे। जिसमें 21, 22, 23 व 24 मार्च 2013 को हुई आरजेएस की परीक्षा के प्रश्न पत्र भी शामिल थे।
रेशमा खान पुत्री हबीब खान गौराण मजिस्ट्रेट, JDA, जयपुर माननीय हिजाब पहनकर न्यायालय में बैठी है ! जनरल सिविल रूस के अंतर्गत.. जनरल ड्रेस कोड दिया हुआ है… महिला औऱ पुरुष …जो कोर्ट परिसर में साधारण रूप से सब पर लागू होगा इसमें रिलीजियस नेचर का कुछ भी ड्रेस कोर्ट allow नहीं है pic.twitter.com/WypcthfLvU
रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2013 में ही गौराण की बेटी ने भी एग्जाम दिया था और उसी के लिए गौराण प्रेस जाकर प्रश्न लेकर आए थे। मौजूद जानकारी बताती है कि गौराण की हकीकत सबके सामने तब आई थी जब आरएएस-प्री परीक्षा में पेपर लीक करने वाले गिरोह और प्रेस मालिकों से पूछताछ हुई। सारे सबूतों के आधार पर 2 अक्टूबर को गौराण के विरुद्ध केस फाइल किया गया और एसीबी की जाँच व हर जगह थू-थू होने के चलते हबीब खान को साल 2014 में अपना पद छोड़ना पड़ा।
प्रूफ रीडिंग के बहाने किए सवाल नोट
बाद में इस मामले में हबीब खान गौराण के विरुद्ध अरेस्ट वारंट भी जारी हुआ था। जाँच में ये बात सामने आई थी कि 16 मार्च 2013 को डॉ हबीब खान गौराण उस प्रेस में गए जहाँ पेपर छपने थे और प्रूफ रीडिंग के लिए प्रश्न पत्र लिया। बाद में उस पेपर के सारे प्रश्न नोट कर लिए। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि आरपीएससी अध्यक्ष ने पहले 1 मार्च को ये जानकारी दी थी कि उन्होंने खुद को प्रश्न पत्र बनाने की प्रक्रिया से दूर रखा है क्योंकि उनकी बेटी भी इस एग्जाम में शामिल है और दूसरी ओर वह 16 मार्च 2013 को मुदरेश पुरोहित की प्रिंटिंग प्रेस में गए थे और वहीं उन्होंने प्रश्नों को नोट करने का काम किया था।
कॉन्ग्रेस सरकार में हुई थी हबीब खान की नियुक्ति
मालूम हो कि रेशमा खान के पिता डॉ हबीब खान की आरपीएससी में नियुक्ति साल 2012 में अशोक गहलोत सरकार में हुई थी। वह पूर्व आईपीएस ऑफिसर थे और पेपर लीक मामले में उनके कई दफा पूछताछ हुई थी। आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष से पूछताछ का सिलसिला तब शुरू हुआ था जब प्री एग्जाम लीक मामले में तमाम लोगों से पूछताछ हुई थी।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली का चाँदबाग-करावल नगर वह इलाका है जो फरवरी 2020 के हिंदू विरोधी दंगों में सबसे अधिक प्रभावित रहा था। इसी इलाके में ताहिर हुसैन की वह बिल्डिंग है जो दंगों का प्रमुख केंद्र बनकर उभरी थी। इसी इलाके में IB ऑफिसर अंकित शर्मा को बेरहमी से मारा गया था। हिंदुओं के घरों, दुकानों, संपत्तियों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया था। ताहिर हुसैन के घर के सामने स्थित गली नंबर-6 की शिव मंदिर को भी नुकसान पहुँचाया गया था।
दंगों के दो साल बाद अब इलाके में तनाव नजर नहीं आता। लेकिन स्थानीय हिंदुओं के बीच एक डर साफ नजर आता है। यह डर हमें श्याम साहनी के भीतर भी दिखा। इसके कारण शुरुआत में वे हमसे बातचीत करने को तैयार नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद जब तैयार हुए तो डर की वजह भी एक-एक कर साफ हो गई।
याद है ‘श्याम चाय वाले’ की दुकान?
24 फरवरी 2020 को श्याम साहनी अपनी चाय की दुकान बंद ही कर रहे थे कि मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ अचानक से पत्थरबाजी करती हुए आ गई। उस समय को याद करते हुए उन्होंने बताया, “मैं उस दिन अपनी दुकान पर बैठा चाय बना रहा था। सुबह से ही क्षेत्र के मुस्लिमों का सीएए के ख़िलाफ विरोध जारी था। इसी बीच पता चला हजारों की भीड़ दुकानों में तोड़-फोड़ करती हुई चाँद बाग की ओर से करावल नगर की ओर बढ़ती आ रही है। हमने तुरंत ही शटर को गिराया और पीछे के दरवाजे से निकल गए। लेकिन दंगाई भीड़ ने मेरी दुकान के शटर को तोड़कर पहले लूटपाट और तोड़फोड़ की। इसके बाद ताहिर की छत से फेंके जा रहे पेट्रोल बम से दुकान के बाहरी हिस्से में आग लग गई।”
श्याम चाय वाले का दावा है कि दंगे में उन्हें करीब 5 लाख का नुकसान हुआ था। बाद में किराएदार होने की वजह से उन्हें कोई खास मदद भी नहीं मिली। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि किसी NGO की मदद से 25 हजार का एक चेक मिला था। करीब 32 हजार की मदद उन्हें कपिल मिश्रा और दूसरे स्रोतों से भी मिली थी।
साहनी ने ऑपइंडिया को बताया, “उनका एक ढाबा भी था जिसके बर्तन भी दंगाई लूट ले गए थे। साथ ही दुकान का पूरा सामान या तो लूट लिया गया था या उसमें आग लगा दी गई। काउंटर से लेकर फ्रिज तक कुछ भी सही-सलामत नहीं बचा था।” दो साल बाद जब वे हमें अपना घर दिखा रहे थे तो घर में सामान के नाम पर बिस्तर, पूजा घर और दुकान में बहुत थोड़ा सा सामान ही था।
दुकान में लगी PM मोदी की तस्वीर
श्याम साहनी का ढाबा दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। चाय की दुकान पहले जैसी अब चलती नहीं। बकौल श्याम इसकी वजह है, दिल्ली दंगों के बाद इलाके के बदले हालात और दुकान में लगी PM मोदी की तस्वीर! दरअसल, दिल्ली दंगों के बाद श्याम चाय वाले ने अपनी दुकान में PM मोदी की तस्वीर लगा ली है। तस्वीर को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “इनकी वजह से जान बची है, अब नहीं हटाएँगे चाहे जो हो…”
लिहाजा अब 6 लोगों का परिवार पालने के लिए श्याम आइसक्रीम भी बेचने लगे हैं। वो भी चाँदबाग, मुस्तफाबाद, सीलमपुर के उन इलाकों में देर रात तक आइसक्रीम बेचते हैं, जहाँ से उस समय दंगाइयों के आने के दावे किए गए थे।
दंगों के ठीक बाद जब ऑपइंडिया की टीम श्याम की चाय दुकान पर पहुँची थी तो आस-पास के लोगों ने बताया था, “चार दिन तक श्याम ने कपड़े बदलना तो दूर कुछ खाया तक नहीं था। उसकी आँखों के सामने उसका सब कुछ बर्बाद हो गया था।” दो साल बाद भी वह डर बचा हुआ है। इसके कारण साहनी अब मीडिया से भी बातचीत करने से हिचकते हैं। जैसा कि उन्होंने कहा, मुझे इसी इलाके में रहना है। इन्हीं लोगों के बीच रहना है। परिवार को कुछ हो जाएगा तो कहाँ जाएँगे।”
गिरी ऑटोमोबाइल, अमन ई-रिक्शा, अरोड़ा फर्नीचर
दंगों के दौरान गिरी ऑटोमोबाइल वर्कशॉप को भी दंगाइयों ने तबाह कर दिया था। दो साल बाद जब हम फिर वहॉं पहुॅंचे तो दंगों के वक्त इस वर्कशॉप के मालिक रहे दिलीप से मुलाकात नहीं हो पाई। हालाँकि दंगों के दौरान हुई आगजनी के निशान आज भी यहाँ मौजूद हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि इस वर्कशॉप को किसी मुस्लिम ने अब खरीद लिया है।
गिरी ऑटोमोबाइल का ताहिर हुसैन के घर से निकले दंगाइयों ने क्या हाल किया था इसकी छोटी सी झलक आप इस वीडियो में देख सकते हैं।
उस समय ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए गिरी ऑटोमोबाइल वर्कशॉप के मालिक दिलीप ने बताया था कि दंगाइयों ने उनसे करीब 30-40 हजार रुपए की लूटपाट की थी। उनके अलावा एक प्रधानजी के भी ढाई लाख रुपए छीन ले गए थे।
यही हाल अमन ई-रिक्शा का भी था। ताहिर हुसैन के घर के पास ही स्थित इस दुकान को इस तरह से दंगाइयों ने नुकसान पहुँचाया था कि उनको हमेशा के लिए इलाका छोड़कर जाना पड़ा। दिल्ली दंगों में इनके दुकान की न जाने कितनी बैटरियाँ और ई-रिक्शा के दूसरे सामान लूट लिए गए थे और जो बाकी बचा था उसे आग के हवाले कर दिया था।
अभी वहाँ पर थोक कपड़े की दुकान खुल गई है। इस दुकान के लोगों ने बताया कि अमन ई-रिक्शा वाले दंगे के कुछ महीनों बाद ही इलाका छोड़कर हमेशा के लिए चले गए थे।
अरोड़ा फर्नीचर अब सचदेवा फर्नीचर के नाम से चल रहा। उनका दंगों में जितना नुकसान हुआ उसकी भरपाई नहीं हो पाई। मकान के पिछले हिस्से में जले के निशान आज भी हैं।
वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) और वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad) जैसे पूर्व भारतीय क्रिकेटरों ने रिद्धिमान साहा (Wriddhiman Saha) को उस पत्रकार का नाम सार्वजनिक करने की सलाह दी है, जिसने उन्हें धमकी दी थी। इससे पहले साहा ने नाम बताने से इनकार करते हुए पोस्ट किया था कि वे उस पत्रकार का करियर बर्बाद नहीं करना चाहते।
साहा के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए सहवाग ने लिखा, “प्रिय रिद्धि, दूसरों को नुकसान पहुँचाना तुम्हारा स्वभाव नहीं है। तुम बहुत ही अच्छे व्यक्ति हो। लेकिन भविष्य में किसी और को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए आपके लिए नाम लेना जरूरी है। गहरी साँस ले और नाम बोल डाल।”
Dear Wriddhi, it’s not your nature to harm others and you are a wonderful guy. But to prevent such harm from happening to anyone else in the future , it’s important for you to name him. Gehri saans le, aur naam bol daal. https://t.co/9ovEUT8Fbm
वहीं वेंकटेश प्रसाद ने श्रीमद् भगवद गीता का उद्धरण देते हुए कहा, “गलत को सहना, गलत करने से बड़ा अपराध होता है। ये तुम्हारा कर्तव्य है कि गलत के खिलाफ लड़ो। बहुत जरूरी है कि आप उसका नाम लो। इससे एक अच्छा उदाहरण बनेगा।”
There is a verse in the Bhagvad Gita which translates to- “Tolerating injustice is as much a crime as committing injustice. It Is Your Duty To Fight Injustice.”
It is important for Wriddhiman Saha to name this person. It will definitely set a good example. https://t.co/IBteuhiotS
इससे पहले साहा ने ट्विटर के जरिए अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था, “मैं दुखी हूँ। मैंने सोचा इस तरह के व्यवहार को सहन नहीं किया जाना चाहिए औऱ मैं नहीं चाहता कि किसी को इस तरह की धमकी मिले। इसलिए मैंने उन लोगों के चैट को उजागर करने का फैसला किया है, लेकिन उसके नाम का खुलासा नहीं करूँगा।”
अपने अगले ट्वीट में साहा ने कहा कि वो नहीं चाहते हैं कि उनके कार्य से किसी को दुख पहुँचे। साहा का कहना था कि वो किसी के कैरियर को तबाह नहीं करना चाहते हैं। मैं उसके परिवार को देखते हुए उसके नाम का खुलासा नहीं कर रहा हूँ, लेकिन दोबारा से ऐसा किया गया तो मैं पीछे नहीं हटूँगा। इसके साथ ही साहा ने उन सभी लोगों का भी धन्यवाद किया था, जो उनके समर्थन के लिए आगे आए थे।
गौरतलब है कि रिद्धिमान साहा को श्रीलंका के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद यह पूरा वाकया सामने आया था।
दिल्ली में फरवरी 2020 हुए हिन्दू विरोधी दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से एक नाम नरेश सैनी का भी था। दिल्ली के शाहदरा स्थित ब्रह्मपुरी के गली नंबर-1 में उनका घर है। उनके दोनों भाई अब भी अपने परिवारों के साथ इसी घर में रहते हैं। साथ ही उनकी पत्नी और दो बच्चे भी यहाँ रहते हैं। ब्रह्मपुरी में घुसने के बाद कोई भी उनका नाम बता देगा, क्योंकि सभी के मन में ये घटना अब भी ताजा है। नरेश सैनी सब्जी बेच कर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे।
नरेश सैनी की मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उनकी हत्या के बाद तो कई नेताओं ने उनके यहाँ हाजिरी लगाई थी, लेकिन अफ़सोस कि अब जब इस दंगे के 2 साल बीत गए हैं, उनकी हाल खबर जानने वाला कोई नहीं है। नरेश सैनी की एक बेटी और एक बेटा है। बेटी जहाँ 8 साल की है, वहीं बेटा 7 वर्ष का है। बेटी की पढ़ाई में ही 1700 रुपए प्रति महीने लग जाते हैं। बेटे की फी में तो स्कूल ने छूट दे दी है, लेकिन दोनों की आगे की पढ़ाई को लेकर परिवार चिंतित है।
दिवंगत नरेश सैनी की बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती है, वहीं बेटा दूसरी कक्षा में पढ़ता है। नरेश सैनी की पत्नी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में खासी परेशानी आ रही है। चूँकि नरेश सैनी उसी स्कूल के पास में सब्जी की दुकान लगाते थे जहाँ उनका बेटा पढ़ता है, इसीलिए उस स्कूल ने उनके बेटे की फी में छूट दे दी। नरेश सैनी के बारे में मोहल्ले के लोग भी कहते हैं कि वो एक भले आदमी थे। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब पत्नी को सब्जी की दुकान पर बैठना पड़ता है।
उनकी पत्नी ने बताया कि पहले उन्हें कभी उनके पति सब्जी की दुकान पर बैठने नहीं देते थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी आ गई है कि उन्हें दुकान संभालनी पड़ती है। दिल्ली भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित कई नेता तब इस घटना के बाद नरेश सैनी के घर पहुँचे थे। परिवार को मदद के रूप में 10 लाख रुपए मिले तो थे, लेकिन उसके बाद कहीं से कोई मदद नहीं मिली।
ऑपइंडिया से बात करते हुए नरेश सैनी के भाई राजीव सैनी ने बताया कि न्याय के लिए उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर तो नहीं लगाने पड़ रहे है, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने सिर्फ इतना बताया कि दोषियों को सज़ा मिलेगी। उन्होंने बताया कि अदालत में क्या चल रहा है और क्या नहीं, जाँच में क्या निकला है – इस सम्बन्ध में उन्हें कुछ नहीं बताया गया है। इस मामले में FIR भी दर्ज कराई गई थी। भाई का कहना है कि जाफराबाद थाने में मामला दर्ज कराया गया था। भाई की हत्या को याद कर वो भावुक हो जाते हैं।
राजीव बताते हैं कि फरवरी 2020 में उस दिन नरेश सैनी अपनी दुकान बंद कर के लौट रहे थे। उन्होंने याद किया कि घर आने के बाद स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ समस्या घर में होने के कारण वो दवा लेने के लिए निकले थे। उन्होंने बताया कि नरेश सैनी की पत्नी को सिर्फ 2000-2500 रुपए की एक पेंशन मिलती है। पेंशन और सब्जी की दुकान अलावा कुछ आय का स्रोत नहीं है। राजीव पूछते है कि इतने पैसे से क्या होता है, इतने का तो महीने का दूध खरीद लेने पर ही खर्च हो जाते हैं।
राजीव सैनी ने हमें बताया, “2016 में हमने अपना मकान बनाया था। भला किसे पता था कि इस तरह की घटना हो जाएगी। उसके लिए हमने रुपए इकट्ठे किए गए और लोन भी लिया था। हमने सोचा था कि हमारे पास घर तो होगा। जो 10 लाख रुपए मिले, उनमें से अधिकतर उनके लोन में चले गए। बाकी बैंक में रखा गया है, जिससे कितना मिलता होगा आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। हमारी बस सरकारी से यही अपील है कि मेरे भाई की पत्नी को कोई नौकरी मिल जाए।’
परिवार को अब तक ये भी नहीं पता है कि उनकी हत्या किस तरह से की गई थी और नरेश सैनी की गलती क्या थी। उस समय की ख़बरों में सामने आया था कि मंदिर के सामने खड़ी 400-500 की मुस्लिम भीड़ ने उनकी हत्या की। भीड़ में से किसी ने उन पर गोली भी चलाई थी। जीटीबी अस्पताल में ICU में भर्ती रहने के बाद 4 मार्च, 2022 को उनकी मौत हो गई थी। नरेश सैनी निहत्थे थे, ऐसा भी नहीं था कि उनके पास कोई हथियार था। ब्रह्मपुरी में आज भी इस घटना के बारे में बताते हुए लोग भावुक हो जाते हैं।
कर्नाटक के शिवमोगा जिले में बजरंगदल के कार्यकर्ता हर्षा की बेरहमी से हत्या के मामले में राज्य के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने बयान दिया है। रिपब्लिक टीवी के साथ बातचीत में सीएम बोम्मई ने इस वारदात को क्रूर करार देते हुए साजिश और योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या करार दिया। उन्होंने इसे एक बड़ी साजिश बताते हुए इसके जड़ तक पहुँचने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा, “हर्षा, जिसे हर्षा हिंदू के नाम से भी जाना जाता था। वो एक कार्यकर्ता था। वो हर तरह के धार्मिक कार्यक्रमों में सबसे आगे रहता था। उसने हाल ही में हिंदुओं के कई अहम मामलों को उठाया था, जिससे कई लोग काफी चिढ़े हुए थे। कई स्थानीय लोग उसके खिलाफ थे। ये हत्या बहुत ही भयानक थी। ये हत्या से बढ़कर है। ये हार्डकोर दुश्मनी है, जिसे एक छोटे से लड़के पर दिखाया गया है। उसकी हत्या पीछे का सबसे बड़ा कारण यह था कि वो एक हिंदू एक्टिविस्ट था और बहुत ही मुखर तरीके से अपनी आवाज को उठाता था।”
गौरतलब है कि कर्नाटक के शिवमोगा जिले 26 साल के बजरंग दल कार्यकर्ता हर्षा की रविवार (20 फरवरी 2022) को चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस की जाँच में सामने आया था कि हर्षा ने हाल में अपने फेसबुक प्रोफाइल पर हिजाब के ख़िलाफ़ और भगवा शॉल के समर्थन में पोस्ट लिखी थी। इसी को उसकी हत्या के पीछे की वजह बताया जा रहा है।
बहरहाल इस घटना के मामले में पुलिस ने अब तक 6 कट्टरपंथी मुस्लिमों को गिरफ्तार कर लिया है। इनकी पहचान रियाज, नदीम, मुजाहिद, कासिफ, आसिफ, अफान (रिहान) के तौर पर की गई है।शिवमोगा पुलिस ने बताया कि आरोपित कार में आए और घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस ने बताया कि इन लोगों ने हर्षा का पीछा किया, फिर उसे मारा। कुछ चश्मदीद भी मिले हैं। पुलिस के मुताबिक पीड़ित के ऊपर साल 2016-17 में मजहबी भावनाएँ आहत करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। हर्षा की हत्या करने में रियाज, मुजाहिद, कासिफ, आसिफ का हाथ था जबकि इसकी साजिश रचने में नदीम और अफान शामिल थे।
पुलिस ने बताया कि इस पूरे हत्याकांड में कासिफ मुख्य आरोपित है।
कर्नाटक (Karnataka) हिजाब (Hijab) विवाद का जिन्न गुजरात (Gujrat) भी पहुँच गया है। सूरत (Surat) जिले के एक स्कूल में हिजाब पहनी लड़कियों का विरोध करने के आरोप में विश्व हिन्दू परिषद के 12 से 15 कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया है। विहिप कार्यकर्ताओं को दिल्ली का शाहीन बाग बनाने की साजिशों के तहत हिजाब पहनी लड़कियों को स्कूल भेजा गया था। कपोदरा थाने के इंस्पेक्टर एमबी राठौड़ ने है कि विहिप के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण ढंग से ही अपना विरोध जता रहे थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के बाद मामले को लेकर इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा कि स्कूल में हिजाब पहनकर आने वाली मुस्लिम छात्राएँ वहाँ की छात्राएँ नहीं थी। दरअसल वो सभी प्रतियोगी छात्राएँ थीं और हिजाब पहनकर परीक्षा की तैयारी करने के लिए आई थीं। हिजाब में लड़कियों को देख वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू किया तो स्कूल के प्रिंसिपल ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस वहाँ गई और उन्हें पकड़कर थाने ले आई।
बताया जा रहा है कि ये घटना सूरत के वराछा स्थित पीपी सपाणी स्कूल की है। हिजाब पहनी लड़कियों का वीडियो बनाकर स्कूल के ही कुछ लड़कों ने वीएचपी के कार्यकर्ताओं को फॉरवर्ड किया था। वीएचपी नेता नीलेश अकबरी के मुताबिक, ये गुजरात शाहीन बाग बनाने की साजिश चल रही है। इसी को लेकर हमने स्कूल के प्रिंसिपल से ड्रेस कोड को लेकर सवाल किया था।
कर्नाटक से उठा था हिजाब विवाद
गौरतलब है कि मुस्लिम लड़कियों द्वारा शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनने को लेकर कर्नाटक के उडुपी जिले से शुरू हुआ था। पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। हालाँकि, मुस्लिम हिजाब को अपना मौलिक अधिकार बताते हैं।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल में ईसाई मिशनरियों द्वारा गरीब हिंदू परिवारों को लालच देकर उनका धर्मान्तरण (Conversion) कराने की कोशिश करने का मामला प्रकाश में आय़ा है। हालाँकि, इससे पहले कि ये मिशनरी भोल-भाले लोगों को अपने जाल में फँसा पाते, पुलिस ने लोगों की शिकायत पर धर्मान्तरण के लिए दबाव बनाने के मामले में 4 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इस सभी के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का भी आरोप है।
रिपोर्ट के मुताबिक, घटना बैतूल के भैंसदेही इलाके के उदामा गाँव की है। शनिवार (19 फरवरी, 2022) को सायबू इवने नाम के एक व्यक्ति के खेत पर आमंत्रित किया गया। इस दौरान सायबू इवने, विजय जाधव (निवासी कोठारा अमरावती), रूथबाई जाधव (निवासी कोठारा अमरावती) और डेनी माउल (निवासी सदर बैतूल) मिलकर लोगों को बहलाकर-फुसलाकर उन्हें दूसरे धर्मों के बारे में गलत चीजें बता रहे थे। इसके साथ ही ये चारों आरोपितों लोगों को उनका मूल धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। जिन लोगों को बहकाने की कोशिशें की जा रही थीं, वो सभी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले थे।
इसी दौरान कुछ जागरुक लोगों ने ईसाई मिशनरियों के इस कृत्य की सूचना पुलिस को दे दी। सूचना मिलते ही मौके पर पहुँची पुलिस की टीम ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपितों के पास से ईसाई धर्म के प्रचार की पुस्तकें बाइबल और दूसरे साहित्यों को जब्त कर लिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए दो आरोपित पति-पत्नी हैं, जो कित महाराष्ट्र के कोठारा के रहने वाले हैं, जबकि दो अन्य आरोपित बैतूल के ही रहने वाले हैं, जो कि मिशनरियों से जुड़े हुए हैं। खास बात ये है कि ये ईसाई मिशनरी बैतूल में बड़े पैमाने पर सक्रिय हो रहे है।
इन सभी पर इंडियन पीनल कोड की धारा 295A, 34 और धारा 3 (1)T एसटी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस के साथ पूछताछ में चारों ने अपने आरोपों को कबूल कर लिया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मंगलवार (22 फरवरी 2022) को बहराइच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने दावा किया कि इस बार यूपी में जीत का चौका लगने वाला है। एक बार 2014, दूसरी बार 2017, तीसरी बार 2019 औऱ अब 2022 में जीत का चौका लगेगा। पीएम ने कहा कि प्रदेश के लोगों ने घोर परिवारवादियों को बाहर करने का तय कर लिया है।
बहराइच को महाराजा सुहेलदेव की भूमि करार देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में बहुत अधिक उथल-पुथल मची हुई है, ऐसे में देश को ताकतवर बनने की जरूरत है और ये केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री के मुताबिक, सुहेलदेव की धरती के मतदाताओं का एक-एक वोट देश को मजबूती देगा।
योगी सरकार की तारीफ की
सीएम योगी आदित्यनाथ के कामकाज की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री ने डबल इंजन की सरकार को बहुत जरूरी बताया और कहा कि घोर परिवारवादियों के कारोबार को हमने करीब से देखा है। इन लोगों ने जनता के हितों को खत्म कर दिया था। 2017 से पहले बहराइच, गोंडा, बस्ती औऱ बलरामपुर के लोगों के साथ काफी भेदभाव किया जाता रहा है। लेकिन, बीते पाँच साल में योगी सरकार लगातार गरीबों के जीवन में खुशहाली लाने की कोशिश कर रही है। प्रदेश में डर का माहौल दूर हुआ है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इन योजनाओं से हर गरीब को 2-2 लाख रुपए का बीमा सुरक्षा कवर दिया गया है। प्रदेश के साढ़े चार करोड़ से अधिक लोग इन योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। बीते वर्षों में लगभग 1000 करोड़ रुपए की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी गई है।
विपक्ष द्वारा नौकरियों को लेकर किए जा रहे दावों पर प्रधानमंत्री ने पलटवार किया और कहा, “आजकल ये लोग नौकरी को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन मैं आपको बता दूँ कि योगी जी ने करीब पाँच लाख युवाओं को नौकरी दी है, जबकि इससे पहले 10 साल तक राज करने वाली सरकारों ने केवल 2 लाख नौकरी ही दी थी।”
गौरतलब है कि बुधवार (23 फरवरी 2022) को चौथे चरण के तहत 59 सीटों के लिए वोटिंग होगी। अब तक तीन चरणों में 172 सीटों पर मतदान हो चुके हैं।