Wednesday, October 2, 2024
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प्रथम स्वदेशी क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ का सफल परीक्षण, DRDO ने किया कीर्तिमान स्थापित

डिफेंस रिसर्च एंड डेवल्पमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने सोमवार की सुबह ओडिशा के समुद्री तट पर स्थित परीक्षण रेंज से सब-सोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ का सफल परीक्षण कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय सैन्य बल को नई ताकत मिली है। भारत का वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (आईएडीई) के वैज्ञानिकों ने इसके सफल परीक्षण के बाद कहा कि निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर है।

यह स्वदेशी तकनीक पर विकसित भारत की पहली क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल बिना भटके लंबी दूरी तक लक्ष्य साधने में सक्षम है। जल्द ही इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा। इस मिसाइल से भारत की सैन्‍य ताकत को मजबूती मिलेगी। पाकिस्‍तान, चीन समेत कई देश इस मिसाइल की पहुँच में है। यह मिसाइल कुछ सेकेंड में ही दुश्‍मन देशों के किसी भी इलाके को नेस्‍तानाबूद करने में सक्षम है। निर्भय मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम तक के परमाणु वारहेड को अपने साथ ले जा सकती है।

सब-सोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ की खास बातें:-

  • यह मिसाइल 6 मीटर लंबी और 0.52 मीटर चौड़ी है
  • इसका अधिकतम वजन 1500 किलोग्राम है
  • यह मिसाइल 0.6 से लेकर 0.7 मैक की गति से उड़ सकती है
  • यह मिसाइल दो चरणों में उड़ान भरती है
  • यह मिसाइल धरती से कुछ ही मीटर की ऊँचाई पर उड़ने से यह आसानी से राडार की पकड़ में नहीं आती, यानी इसे मिसाइल रोधी तंत्र से भी रोकना काफी मुश्किल है
  • पहली बार में यह पारंपरिक रॉकेट की तरह लबंवत आकाश में जाती है फिर दूसरे चरण में क्षैतिज उड़ान भरने के लिए 90 डिग्री का मोड़ लेती है

गौरतलब है कि इससे पहले भी DRDO के वैज्ञ‍ानिक इस मिसाइल का कई बार परीक्षण कर चुके हैं। निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च 2013 को किया गया था और उस समय मिसाइल में खराबी आने के कारण उसने बीच रास्ते में ही काम करना बंद कर दिया था। दूसरा परीक्षण 17 अक्तूबर 2014 को किया गया जो सफल रहा था। 16 अक्तूबर 2015 को किए गए अगले परीक्षण में मिसाइल 128 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अपने रास्ते से भटक गई थी।

इसके बाद 21 दिसंबर 2016 को परीक्षण किया गया। उस समय भी यह निर्धारित रास्ते से भटक गई थी। इसके अलावा नवंबर 2017 में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था। वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण को सफल बताया था। यह सभी परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में DRDO के परीक्षण रेंज से किए गए थे।

अखिलेश ने किया आज़म के अंडरवियर बयान का बचाव, कहा ‘उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज़म ख़ान के उस बयान का बचाव किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि रामपुर के लोगों ने 17 सालों में उनको (जया प्रदा) नहीं पहचाना, जबकि उन्होंने केवल 17 दिन में उनकी वास्तविकता को पहचान लिया। आज़म ने कहा था, “उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लग गए। मैं तो 17 दिन में ही पहचान गया कि इनके नीचे का जो अंडरवियर है, वो भी खाकी रंग का है। यह टिप्पणी करते हुए आजम खान ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि जया प्रदा के संबंध आरएसएस से थे और जया ने जो उनके खिलाफ आरोप लगाए थे, वो भी आरएसएस की साज़िश थी। आजम ने जब यह शर्मनाक टिप्पणी की थी, उस समय सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मंच पर मौजूद थे।

कई नेताओं ने कहा कि सपा सुप्रीमो अखिलेश की मौजूदगी में दिए गए इस बयान का अखिलेश द्वारा बचाव करने का अर्थ है कि सब कुछ उनकी देखरेख और सहमति से हो रहा है। अखिलेश यादव ने आज़म के महिला-विरोधी ‘अंडरवियर बयान’ पर उनका बचाव करते हुए कहा, “आज़म ख़ान के बयान को गलत परिपेक्ष्य में पेश किया गया। उन्होंने ऐसा किसी और के लिए कहा था। संघ के कपड़ों को लेकर दिया गया उनका बयान किसी और के लिए था। मीडिया इस मामले में ग़लती कर रही है, कुछ और ही दिखाया जा रहा है।” इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने आज़म ख़ान के साथ एक फोटो ट्वीट कर भी यह दिखाया कि कि वो उनके साथ खड़े हैं। अखिलेश का ये ट्वीट आज़म के बयान पर उठे विवाद के बाद आया है।

उधर मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने आज़म ख़ान के बयान की निंदा की है। उन्होंने निर्वाचन आयोग और सपा प्रमुख अखिलेश से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की अपील की। अपर्णा ने आज़म ख़ान के बयान बताते हुए कहा कि वो पार्टी की छवि को गिरा रहे हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कई महिला नेत्रियों को ट्विटर पर टैग करते हुए इस बयान की निंदा करने की अपील की। सुषमा ने लिखा “मुलायम भाई- आप पितामह हैं समाजवादी पार्टी के। आपके सामने रामपुर में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा हैं आप भीष्म की तरह मौन साधने की ग़लती मत करिए।

आज़म खान को महिला आयोग ने भेजी नोटिस

आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ FIR भी दर्ज कर ली गई है। महिला आयोग भी उन्हें नोटिस भेजा है। उनके इस बयान को घिनौना बताते हुए महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने कहा था कि वो निर्वाचन आयोग से अनुरोध करेंगी कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए। कॉन्ग्रेस पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, ‘जया प्रदा पर आज़म ख़ान की टिप्पणी का स्तर भद्दा और तुच्छ है। ऐसा बयान लोकतंत्र के लिए अपमानजनक है। आशा करता हूँ कि चुनाव आयोग और अखिलेश यादव इसका संज्ञान लेंगे और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।

सागरिका जी, बता तो देतीं कि भारत में ‘अफ़्रीकी तानाशाह’ कौन है?

सागरिका घोष (किसी पहचान की आवश्यकता नहीं) ने परसों सुबह ट्वीट किया:

मोटा-मोटी भाषा में कहें तो उन्होंने हम ‘निर्बुद्धि’ भारतीयों के साथ जिसे अंग्रेजी में ‘chastising’ कहते हैं, वह करते हुए कहा कि हे जाहिल, मूर्ख हिन्दुस्तानियों, अफ्रीका जिस कबीलाई तानाशाही को पीछे छोड़ आगे बढ़ रहा है, तुम लोग उन्हीं कबीलाई तानाशाहों को व्यग्रता से गले लगाए जा रहे हो!! (‘Chilling, but true’ का क्या अनुवाद करना!!)

कौन है यह ‘रहस्यमयी’ कबीलाई तानाशाह, जिसने सागरिका जी की उड़ा रखी है नींद??

पर मैं ज़रा कन्फ्यूज्ड हूँ- सागरिका जी बात किसकी कर रहीं हैं?? अभी चुनाव के नतीजे तो आए नहीं हैं जो पता चले कि हम मूर्ख, जाहिल भारतीय किसे ‘व्यग्रता से गले लगाए’ जा रहे हैं… या शायद आप अपने मीडिया ग्रुप टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रकाशित किए गए मतदान-पूर्व सर्वेक्षण की बात कर रहीं थीं, जिसमें… एक मिनट, मोदी और राजग की तो 50 के करीब सीटें कम हो रहीं हैं, मोदी का प्रधानमंत्री बनना या न बनना भाजपा के हाथों से निकल कर राजग के भी बाहर के दलों की मर्जी पर टिक रहा है। उसी की बात कर रहीं हैं आप??

आपके ही मीडिया ग्रुप के Times Now चैनल का यह सर्वेक्षण है, और इसमें संप्रग 140 से भी आगे जा रहा है जबकि 2014 से यह 60 पर पेट में घुटना दबा कर किसी तरह समय काट रहा था। पिछली बार 44 सीटें पाने वाली आपकी प्रिय कॉन्ग्रेस भी इस दफे 96 सीटें पाती दिख रही है। यानी आपके एम्प्लायर के हिसाब से तो ‘हवा’ पलट कर ‘बाबा (राहुल, साहेब नहीं)’ की चलने लगी है- भले ही इसे ढंग की बयार बनने में शायद पाँच साल और लगें!! तो क्या राहुल बाबा को ही वोटरों का थोड़ा-बहुत गले लगाना ‘कबीलाई तानाशाहों को व्यग्रता से गले लगाना’ है?

राहुल गाँधी ही वह कबीलाई तानाशाह हैं? क्योंकि आपका चैनल जनता का मूड तो उनकी तरफ ही मुड़ता दिखा रहा है!!  

या फिर आप उनके ‘कभी हाँ, कभी ना’ वाले दोस्त अखिलेश यादव की बात कर रहीं हैं, जिनके महागठबंधन को आपका चैनल Times Now यूपी में 51 सीटें दे रहा है?  

मीम भाषा में बोलूँ सागरिका जी तो ‘सेड रिएक्सस्स्स्स ओनली’!!! [रोता हुआ इमोजी खुद से कल्पित कर लीजिए!!]

मोदी को गरियाने का नया फार्मूला??

और या फिर हँसी-ठट्ठा छोड़ सीधे-सीधे पूछूँ तो क्या ये मोदी को गरियाने का नया फार्मूला है? क्योंकि ‘आएगा तो मोदी ही’ का मीम और ट्विटर ट्रेंड अब अपने सोशल मीडिया फीड पर और बर्दाश्त नहीं हो रहा?

आपके राजनीतिक आका का ‘चौकीदार चोर है’ औंधे मुँह जमींदोज़ हुआ, ‘नीच किस्म का आदमी’, ‘हमारे मुख्यालय में चाय बेचेगा ये चायवाला’ उलटे पड़े, ‘वॉट अबाउट 2002?’ मीम मैटीरियल से ज्यादा कुछ नहीं बचा है, ‘असहिष्णुता’ से लेकर ‘सेक्युलर फैब्रिक’, संविधान से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी की दुहाई काम नहीं आ रही तो आप ये नया नाटक लेकर आईं?

मैं run-of-the-mill नेता होता तो आप पर यह भी आरोप लगा देता कि आप एक घांची-तेली-ओबीसी, गैर-हिंदीभाषी, गरीब घर में पैदा हुए नेता को अफ्रीका से जोड़ कर एक साथ पिछड़े वर्ग का अपमान, नस्लभेद, वर्ग विभेद, अलाना-फलाना-ढिकाना समेत दो-तीन दर्जन आरोप मढ़ देता। पर फ़िलहाल ज़मीर बेचा नहीं है तो ऐसा नहीं करूँगा, यह जानते हुए भी कि आप मौका मिलने पर मोदी के साथ यही या इससे भी बुरा करतीं।

पर यह ज़रूर कहूँगा कि नरेंद्र मोदी को लोगों की नज़रों में ‘नमो’ आप लोगों ने ही बनाया, 2014 का चुनाव भी उन्हें आपके दुष्प्रचार ने ही जिताया, और आज तमाम सचमुच की खामियाँ सरकार में होते हुए भी वह व्यक्ति अगर आज दोबारा उसी ताकत से सत्ता में वापसी के मुहाने पर खड़ा है तो भी आप ही लोगों की ‘bigotry’ की दया से। अगर पाँच साल मोदी के बहाने हिन्दुओं पर निशाना साधने की बजाय आप और आपके आका सचमुच में कुछ इस सरकार की सही की खामियों की बात कर लेते तो मोदी को हराने के लिए ही आपको अफ्रीका से निंदा भी ‘इम्पोर्टेड’ न इस्तेमाल करनी पड़ती।

अल्पसंख्यकों में डर फैला रहे हैं केजरीवाल: भाजपा ने EC से की शिकायत

गोवा में भाजपा ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की है। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल ने 13 अप्रैल को पणजी में हुई एक जनसभा के दौरान ईसाइयों और समुदाय विशेष के बीच डर फैलाने की बात की है।

चुनाव आयोग को लिखे शिकायत पत्र में भाजपा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में धार्मिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास करके आचार संहिता का उल्लंघन किया। भाजपा की मानें तो केजरीवाल द्वारा इस रैली में कथित तौर पर ऐसे बयान दिए गए हैं, जिसमें कहा गया कि जानवरों की चोरी के आरोप में जो मॉब लिचिंग की जा रही है, वह वास्तव में संगठित तरीके से की गई हत्या है।

चुनाव आयोग को की गई इस शिकायत में बीजेपी ने अपने तर्क को उचित साबित करने के लिए न्यूज़ रिपोर्ट का भी हवाला दिया है। इसके साथ ही इस शिकायत पत्र में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान (ईसाइयों और मुस्लिमों को घुसपैठियों की आड़ में समुद्र में बहा दिया जाएगा) के जरिए लोगों के भीतर डर फैलाने की कोशिश की।

इसके अलावा बता दें कि भाजपा द्वारा आचार संहिता उल्लंघन मामले के मद्देनजर मुख्य चुनाव अधिकारी से एक रोमन कैथोलिक पादरी के ख़िलाफ़ भी शिकायत दर्ज करवाई गई है। इस शिकायत में दावा किया गया है कि पादरी ने कथित तौर पर साम्प्रदायिकता फैलाने के मकसद से भाषण दिया। भाजपा का आरोप है कि पादरी ने गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें कैंसर भगवान के गुस्से की वजह से हुआ है।

शिकायत पत्र में भाजपा ने चुनाव आयोग का इस वीडियो की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो के बारे में बता दें कि इसमें एक पादरी धार्मिक संस्थान के भीतर लोगों को संबोधित करते हुए विशेष पार्टी और धर्म के ख़िलाफ़ नफरत और डर का माहौल बनाता दिख रहा है। भाजपा ने शिकायत पत्र के साथ वायरल हो रहे वीडियो की सीडी भी चुनाव आयोग को दे दी है।

तालाब में मिली भाजपा सदस्य की लाश, हत्या की आशंका से तमिलनाडु में तनाव

तमिलनाडु में भाजपा सदस्य की लाश तालाब में मिलने से क्षेत्र में तनाव फैल गया है। भाजपा सदस्य सेंतिलकुमार का मृत शरीर नागापट्टीनम कसबे के कामेश्वरम स्थित कीरन तालाब में तैरती हुई मिली है। वहीं भाजपा नेताओं ने हत्या का अंदेशा जताया है। ट्विटर पर इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज किया गया है। एक यूज़र ने लिखा कि आख़िर और कितने बलिदानियों को मौत के घाट उतारा जाएगा।

पुलिस ने शव को भेजा पोस्टमार्टम के लिए, क्षेत्र में तनाव

सूचना पाकर मौके पर पहुँची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर नागापट्टीनम के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। भाजपा नेताओं ने उनकी हत्या का आरोप लगाते हुए दोषियों की तत्काल गिरफ़्तारी की माँग की है। घटना ने क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है।

सेंतिलकुमार का पार्थिव शरीर
पानी से निकाल कर रखा गया सेंतिलकुमार का पार्थिव शरीर (mynation से साभार)

इससे पहले भी हत्या का मामला सामने आ चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक होने के कारण तमिलनाडु में एक 75 वर्षीय गोविंदराजन की भी हत्या कर दी गई थी। बुजुर्ग व्यक्ति लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार कर रहा था। वो अपनी शर्ट पर मोदी और जयललिता की तस्वीरें लगाकर प्रचार करते थे।

शनिवार (13 अप्रैल) की शाम को उनका सामना गोपीनाथ नाम के एक व्यक्ति से ओरथानडू में हुआ, जो कॉन्ग्रेस-डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम) गठबंधन का समर्थक था। उनके बीच राजनीतिक मतभेद के कारण बहस होने लगी। आपसी बहस का यह विवाद इतना बढ़ गया कि गोपीनाथ ने गुस्से में 75 वर्षीय गोविंदराजन पर हमला कर दिया। DMK समर्थक द्वारा बुज़ुर्ग को बेरहमी से पीटा गया। इसके बाद उनकी हालत काफ़ी गंभीर हो गई और अंतत: उनकी मृत्यु हो गई।

जब अम्मी-अब्बू ही ‘वेश्या’ कहकर हत्या कर दें, तो जहाँ में ‘बेटियोंं’ के लिए कोई जगह महफ़ूज़ नहीं

आज़ादी भला किसे नहीं पसंद क्योंकि वो किसी की जागिर नहीं होती। इस पर सबका एकसमान हक़ होता है, फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष। लेकिन पितृसत्ता कभी-कभी इतनी हावी हो जाती है कि अपनी पसंद के कपड़े पहनना भी किसी ग़ुनाह से कम नहीं होता। और इसके लिए जान देकर चुकानी पड़ जाती है भारी क़ीमत।

अपनी पसंद से कपड़े पहनना 17 साल की शैफिला के लिए जानलेवा बन गया। उसके पिता इफ्तिख़ार अहमद और अम्मी फरजाना को बेटी के चाल-चलन पर शक़ था, जिसके चलते उसके मुँह में प्लास्टिक का बैग ठूंसकर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। उसके माता-पिता को लगता था कि उनकी बेटी छोटे कपड़े पहनती है और वो ज़रूर कोई ग़लत काम करने लगी है। इसी शक़ ने शैफिला की जान ले ली।

सवाल यह है कि अपनी पसंद के कपड़े पहनना क्या किसी माता-पिता को इतना नागवार लग सकता है कि वो अपनी ही संतान की जान तक ले लें, अगर ऐसा है तो फिर आज़ादी के क्या मायने?

शैफिला की हत्या करने के बाद पिता ने उसकी लाश को अपनी कार के पीछे रखा और वैरिंगटन (Warrington) के घर से 70 किलोमीटर जाकर दूर फेंक दिया। पुलिस की हरक़त के बाद माता-पिता ने जवाब दिया कि उनकी लड़की घर से भाग गई है। लेकिन झूठ की बुनियाद आख़िर कब तक टिकी रह सकती थी, सच सामने आ ही गया।

दरअसल, यह मामला 2003 का है। Cheshire (चेशायर) के वैरिंगटन में इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया गया था। हत्या की इस घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कड़ी निंदा हुई थी। मामला भले ही 2003 का हो लेकिन इसमें अब एक नया मोड़ आया है। वो यह कि शैफिला के क़रीबी दोस्तों में से एक शनिन मुनीर ने ख़ुलासा किया कि शैफिला अक्सर ख़ुद पर होने वाले अत्याचार के बारे में बताती थी। इसमें वो बताती थी कि उसके माता-पिता उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। उसे धमकाया जाता है और मारने तक की धमकी दी जाती थी। उसके दोस्त ने बताया कि शैफिला के माता-पिता उसको ‘वेश्या’ तक कहते थे और कभी-कभी हालात इतने विपरीत हो जाते थे कि वो घर से भाग जाने के बारे में भी सोचा करती थी।

आमतौर पर यह कहा जाता है कि महिलाओं की सुरक्षा उनके घर की दहलीज़ के भीतर होती है, यानी अगर महिलाएँ घर के अंदर हैं तो वो सुरक्षित हैं और यदि बाहर हैं तो उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं। ऐसे में सवाल आता है कि जब घर की चार दीवारी में ही बेरहमी से हत्या हो जाए तो उसे सुरक्षा के किस दायरे में रखा जाए?

शैफिला के माता-पिता ने समाज के सामने अपना एक ऐसा रूप रखा जिसकी एक सभ्य समाज में कल्पना भी नहीं की जा सकती। अपनी ही औलाद का दम घोटते इफ्तिख़ार अहमद के हाथ उस वक़्त कैसे नहीं काँपे, यह अत्यंत ही पीड़ादायी प्रश्न है? इसे सहजता से नहीं स्वीकारा जा सकता।

निक़ाह-हलाला और ट्रिपल तलाक़ जैसी कुप्रथाएँ क्या कम पड़ गईं थी, जो अपनी पसंद के कपड़े पहनने को भी इस प्रताड़ना के दायरे में ला दिया गया! 17 साल की बच्ची पर ये ज़ुल्म किस हद तक सही है, इस पर समय रहते विचार किया जाना चाहिए। अन्यथा अपनी कुंठित सोच के चलते न जाने कितनी शैफिला ऐसी ही निर्मम हत्या का शिकार होती रहेंगी।

एक तरफ दुनिया आगे बढ़ने की दिशा में नित नए इतिहास रचने में लगी हुई है और नई बुलंदियों पर क़दम रख रही है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की घटना यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि इफ़्तिखार और फरजाना जैसे लोग इस तरक्की की राह में रोड़े हैं, जो अपनी दूषित सोच के ज़रिए समाज में ज़हर घोलने का काम करते हैं। आज भी जब महिला वर्ग पर उनके कपड़ों और बिंदास छवि को चाल-चलन के तराजू पर तौला जाता है तो ऐसी मानसिकता पर तरस आता है जो आज भी अपनी रुढ़िवादी और कुंठित सोच का खुला प्रदर्शन करते हैं।

हम हिन्दुस्तान को तोड़ना चाहते तो हिन्दुस्तान आज होता ही नहीं: मुस्लिम नेता ने फिर उगला ‘जहर’

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने फिर से एक नया विवादित बयान दिया है। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “मैं इस जलसे में मोदी को चुनौती देता हूँ। तुम टूट जाओगे मगर हिन्दुस्तान नहीं टूटेगा। तुम ये कहते हो कि अब्दुल्ला हिंदुस्तान को तोड़ना चाहता है। अरे, अगर हम हिंदुस्तान को तोड़ना चाहते तो हिन्दुस्तान आज होता ही नहीं।” कई बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके अब्दुल्ला यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। वो नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष भी हैं। उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में, अब्दुल्ला चुनावी मौसम में लगातार देश-विरोधी बयान दे रहे हैं।

फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने आगे कहा कि भाजपा भावनात्मक मुद्दों को उछालकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि ये लोग भारतीय संविधान के बुनियादी ढाँचे को बदलना चाहते है जिसमें सभी को बराबरी का अधिकार और अवसर प्रदान किया गया है। बकौल फ़ारूक़, यह वही संविधान है जो उनके राज्य (जम्मू-कश्मीर) को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करता है। फ़ारूक़ का बयान पीएम मोदी के उस बयान की प्रतिक्रिया में आया है जिसमे उन्होंने कहा था कि महबूबा और अब्दुल्ला पूरा कुनबा उतार दें तब भी भारत को तोड़ा नहीं जा सकता। नरेंद्र मोदी ने कहा था:

“वे (अब्दुल्ला और मुफ़्ती) चाहे अपना पूरा कुनबा मैदान में उतार लें, जितनी मर्जी गालियाँ दें, लेकिन वे देश को नहीं तोड़ पाएँगे। अब्दुल्ला व मुफ्ती परिवार अपने पूरे कुनबे को मैदान में उतार दें। चाचा, मामा, भाई भतीजा, भांजा, साला, सबको उतार दें और जितनी मर्जी गालियाँ मोदी को देनी हैं दे दो लेकिन इस देश के टुकड़े नहीं कर पाओगे।”

पुलवामा हमले के बाद फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए उन 40 जवानों की वीरगति पर संदेह जताया था जो पुलवामा हमले का शिकार हुए थे। उन्होंने कहा था, “कितने सिपाही हिंदुस्तान के छत्तीसगढ़ में शहीद हुए, क्या कभी मोदी जी वहाँ गए, उन पर फूल चढ़ाने के लिए, या उनके खानदान वालों से हमदर्दी की? या जितने जवान यहाँ मरे उस पर कुछ कहा… मगर वो 40 लोग सीआरपीएफ के शहीद हो गए… उस पर भी मुझे शक है।”

हाल ही में उन्होंने कश्मीर की कथित आज़ादी का राग अलापा था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के घोषणापत्र पर ज़हर उगलते हुए चुनौती स्वरूप कहा था कि देखते हैं, कौन अनुच्छेद 370 हटाता है। उन्होंने कहा था, “बाहर से लाएँगे, बसाएँगे और सोते रहेंगे? हम इसका मुक़ाबला करेंगे। अनुच्छेद 370 को कैसे ख़त्म करोगे? अल्लाह की क़सम कहता हूँ। अल्लाह को यही मंज़ूर होगा कि हम इनसे आज़ाद हो जाएँ। करें, अनुच्छेद 370 हटाएँ, हम भी देखते हैं। देखते हैं फिर कौन इनका झंडा उठाने के लिए तैयार होता है।

फ़ारूक़ अब्दुल्ला भाजपा के ख़िलाफ़ कश्मीर के साथ-साथ देश भर में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने आंध्र प्रदेश पहुँच कर चंद्रबाबू नायडू के लिए प्रचार किया था। नायडू ने उन्हें मुस्लिम बहुल इलाक़ों में घुमाया था और मुस्लिमों से कई वादे किए थे। कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने हाल ही में कई विवादित बयान दिए हैं।

10% आरक्षण: विश्वविद्यालयों में 2 लाख से अधिक सीटें जोड़ी जाएँगी, मोदी सरकार ने लिया फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों (CEI) में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों (EWS) के लिए प्रवेश में आरक्षण के प्रावधानों को मंजूरी दे दी। जानकारी के मुताबिक, कैबिनेट में प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने चुनाव आयोग की अनुमति माँगी थी, क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

ख़बर के मुताबिक, कैबिनेट की मंजूरी से, 158 केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में 2019-20 शैक्षणिक सत्र के दौरान 2 लाख से अधिक अतिरिक्त सीटें जोड़ी जाएँगी, जबकि 2020-21 में 95,783 सीटें जोड़ी जाएँगी। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के प्रवेश में आरक्षण लागू करने के लिए 158 केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों को ₹4315.15 करोड़ की मंजूरी दी गई है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) के 103 वें संवैधानिक संशोधन और दिशा निर्देशों के अनुसरण में EWS श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा और इसके लिए एससी या एसटी के आरक्षण प्रतिशत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ये आरक्षण उस सीमा से अलग होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अध्ययन की सभी शाखाओं में छात्रों के प्रवेश को बढ़ाने के लिए सभी केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों को इसी साल जनवरी में निर्देश जारी किए थे। एससी/ एसटी या फिर अन्य पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित किए गए आनुपातिक आरक्षण को प्रभावित किए बिना आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था। जिसके बाद राज्यसभा ने राज्यसभा ने 9 जनवरी को संविधान में संशोधन करते हुए नौकरियों और शिक्षा में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के को मंजूरी दी थी।

मोदी की बायोपिक बैन करने के बाद अब EC ने योगी पर लगाया 72 घंटे का प्रतिबन्ध

जैसे-जैसे आम चुनाव के मौसम में सियासी बयार की तेज़ी बढ़ रही है, वैसे-वैसे चुनाव आयोग की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है। चुनाव आयोग ने अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया है। इसका अर्थ ये हुआ कि योगी आदित्यनाथ अगले 72 घंटों तक कोई भी रैली, रोड शो या जनसम्पर्क अभियान में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। बता दें कि उन पर ये बैन चुनाव आयोग ने मेरठ में उनके दिए गए बयान को आपत्तिजनक बताते हुए लगाया है। ज्ञात हो कि मेरठ लोकसभा के सिसौली गाँव में आयोजित जनसभा में सहारनपुर की रैली का ज़िक्र करते हुए योगी ने कहा था, “जब गठबंधन के नेताओं को अली पर विश्वास है और वह अली-अली कर रहे हैं, तो हम भी बजरंगबली के अनुयायी हैं और हमें बजरंगबली पर विश्वास है।

चुनाव आयोग के आदेश की कॉपी (पेज 1)
चुनाव आयोग के आदेश की कॉपी (पेज 2)

इसके अलावा चुनाव आयोग ने योगी के हरा वायरस वाले बयान को लेकर भी आपत्ति जताई है। चुनाव आयोग ने कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते योगी की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह संविधान में वर्णित धर्मनिरपेक्षता के माहौल को बनाए रखें। वेस्ट यूपी से हरा वायरस पूरी तरह खत्म करने की अपील करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा:

“राहुल गाँधी जब लोक सभा चुनाव 2019 के लिए नामांकन करने गए थे, तो उनके आसपास न तो तिरंगा था और न ही कॉन्ग्रेस का झंडा, उनके पास हरे रंग का चाँद-सितारे वाला झंडा था। कॉन्ग्रेस पार्टी ने जब अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था तो उसे देखकर लगता है कि कॉन्ग्रेस के हाथ देशद्रोहियों के पास हैं। वेस्ट यूपी में इस हरे वायरस को खत्म कर दीजिए और देश में मोदी की सरकार बनवाइए ताकि देश और प्रदेश को सुरक्षित किया जा सके।”

इसके अलावा चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को भी 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया। मायावती ने मुस्लिम समुदाय से उनका वोट बँटने न देने की खुली अपील कर आचार संहिता को धता बताया था। मायावती ने देवबंद की रैली में कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपना वोट बँटने ना दें और सिर्फ़ महागठबंधन के लिए वोट दें। बता दें कि धर्म एवं जाति के आधार पर वोट माँगना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। सोमवार (15 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट ने भी मायावती के इस बयान को लेकर आपत्ति जताई थी। अदालत में आयोग से पूछा था कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है?

चुनाव आयोग द्वारा मायावती के ख़िलाफ़ एक्शन तभी लिया गया है जब सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि अभी तक इस मामले में नोटिस ही क्यों जारी किया गया है, सख़्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? चुनाव आयोग द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक को रिलीज होने से भी रोक दिया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पुनर्विचार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग पहले फ़िल्म देख ले और उसके बाद कोई निर्णय ले। इस पर हमने बताया था कि कैसे जो तर्क देकर आयोग ने बायोपिक को रोका है, उस तर्क के हिसाब से कई लोग और मीडिया वालों को प्रतिबंधित करना होगा क्योंकि वो भी मोदी की रैलियों को टेलिकास्ट करते हैं, स्टूडियो से पक्ष लेकर बात करते हैं, इंटरव्यू चलाते हैं।

उर्मिला मातोंडकर की रैली में गूँजा ‘मोदी-मोदी’ का नारा, कॉन्ग्रेस समर्थकों ने गुस्से में की मारपीट

हाल ही कॉन्ग्रेस में शामिल होने वाली उर्मिला मातोंडकर चुनाव प्रचार के लिए आज (अप्रैल 15, 2019) मुंबई के बोरिवली इलाके में पहुँची। जहाँ उनके समर्थकों और आम जनता के बीच हुई झड़प की वीडियो सामने आई है। इस वीडियो में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता कुछ लोगों को बुरी तरह पीटते हुए भी नज़र आ रहे हैं।

दरअसल, पूरे मामले की शुरुआत उस समय हुई जब उर्मिला के स्टेशन पहुँचते ही वहाँ मौजूद कुछ लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए। मोदी के समर्थन में नारे सुनकर मानो कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता भड़क उठे और उन्होंने बदले में जोर-जोर से ‘चौकीदार चोर है’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। साथ ही उस युवक के साथ मारपीट भी की जो मोदी-मोदी का नारा लगा रहा था।

ट्विटर पर ANI के वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि एक लड़का जिसने ब्लैक और व्हाइट कलर की टीशर्ट पहनी है वो उर्मिला के आते ही मोदी-मोदी चिल्लाने लगता है और धीरे-धीरे पूरी भीड़ मोदी के समर्थन में खड़ी दिखाई पड़ती है। इस घटना के करीब 20 सेकेंड के भीतर ही कॉन्ग्रेस समर्थक भीड़ के करीब आते हैं और मोदी-मोदी चिल्लाने वाले लड़के को पीटने लगते हैं।

इस आपसी झड़प में वहाँ खड़ी एक लड़की को भी चोट लग जाती है, फिर भी कॉन्ग्रेस समर्थकों की आवाज़ धीमी नहीं पड़ी। घटना के दौरान पुसिल ने वहाँ मौजूद लोगों को शांत करने का प्रयास किया है। लेकिन काफी समय तक भीड़ पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिखा।

हैरानी की बात है कि जिस जगह पर कॉन्ग्रेस के समर्थकों ने इतना बवाल किया उसी रैली में उर्मिला मातोंडकर शासन पर जमकर सवाल उठाते नज़र आईं। उर्मिला ने महिला सुरक्षा से लेकर मीडिया सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने भाजपा सरकार पर वार करते हुए कहा कि वे सत्ता से नफरत की राजनीति फैलाने वालों को निकाल फेंके।

यहाँ सोचने वाली बात है कि जिस सत्ता को उखाड़ फेंककर बॉलीवुड अदाकारा उर्मिला मातोंडकर कॉन्ग्रेस पार्टी की जय-जयकार करवाना चाहती हैं। उसी के समर्थकों द्वारा ऐसी शर्मसार घटना को अंजाम दिया गया। अब ऐसे में देखना है कि उर्मिला का जादू कॉन्ग्रेस की हकीकत को छिपाकर उसे लोकसभा में फायदा पहुँचा सकता है या नहीं।

गौरतलब है कि उत्तर मुंबई सीट पर से बीजेपी ने सिटिंग सांसद गोपाल शेट्टी को उतारा है, जबकि
कॉन्ग्रेस ने अपने 2014 के प्रत्याशी संजय निरुपम की जगह अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को मौका दिया है।