Monday, September 30, 2024
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PAK है शांतिप्रिय देश, नहीं है ‘जिहादियों’ के लिए कोई जगह: इमरान खान

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान पर आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर जो अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया था, उसका असर अब दिखने लगा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को आखिरकार बोलना पड़ा कि उनके देश में ‘जिहादी संगठनों’ और ‘जिहादी कल्चर’ के लिए कोई जगह नहीं है।

मीडिया से बातचीत करते हुए इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान शांतिप्रिय देश है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया को यह भरोसा दिलाना चाहता है कि वह केवल शांतिप्रिय देश ही नहीं है, बल्कि वह लघुकालीन और दीर्घकालीन नीतियों से इस ‘जिहादी कल्चर’ एवं आंतकवाद को समाप्त करने को लेकर भी ईमानदार है। इसके साथ ही FATF (Financial Action Task Force) द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के डर से इमरान खान ने बयान देते हुए कहा कि हम ब्लैकलिस्टेड नहीं होना चाहिए।

पाकिस्तान के PM का ये बयान ऐसे वक्त आया है, जब पाकिस्तान पर मोदी सरकार की कूटनीतिक पहलों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण दबाव बनाया जा रहा है। हाल ही में अमेरिकी सचिव माइकल आर पोम्पेओ ने भी भारत में हुए पुलवामा हमले को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दूसरी बार भारत में आतंकी हमला हुआ तो पाकिस्तान के लिए काफी दिक्कत हो सकती है। 

हालाँकि, इमरान खान ने पोम्पेओ के इस बयान पर सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उन्होंने कहा, “भारत बेवजह ही पाकिस्तान पर आरोप लगा रहा है। उनका कहना है कि जैश ने हमले की जिम्मेदारी ली है, इसका ये मतलब नहीं कि पाकिस्तान का इसमें कोई हाथ है। साथ ही ईरान भी हम पर आरोप लगा रहा है कि आतंकवादी आतंक फैलाने के लिए हमारी जमीन का इस्तेमाल कर रहे है।”

इमरान खान ने देश में कानून-व्यवस्था के बारे में कहा कि प्रतिबंधित संगठनों को बहुत पहले ही नष्ट कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन यह उनकी सरकार है जो ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए भारी धन खर्च कर रही है।

जम्मू-कश्मीर: 24 घंटे में 4 एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने किए 7 आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर में बीते 24 घंटों में चार अलग-अलग जगहों पर हुई मुठभेड़ में छह आतंकी मारे गए हैं। बांदीपोरा में 2 आतंकियों के मरने की खबर है। पुलिस ने बताया कि यह दोनो आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। इनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर भी था। वहीं शोपियाँ जिले में हुई मुठभेड़ में भी दो आतंकी मारे गए हैं। इसके अलावा सोपोर के वारपोरा में हुई मुठभेड़ में भी दो आतंकी मारे गए हैं। इस बीच दो पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी खबर है।

पुलिस का कहना है कि बांदीपोरा में मुठभेड़ अब खत्म हो चुकी है, लेकिन अन्य दो जगहों पर अभी मुठभेड़ चालू हो रखी है। सोपोर में सुरक्षा के लिहाज से सभी शैक्षिक संस्थानों को बंद किया हुआ है और एहतियात के लिए इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया है।

बांदीपोरा में गुरुवार (मार्च 21, 2019) की शाम को एनकाउंटर तब शुरू हुआ, जब एक घर में दो आतंकियों के छिपे होने की खबर आई। घर में दो सिविलियनों समेत एक 11 साल के बच्चे को आतंकियों द्वारा बंधक बनाया गया था। जिसमें बुजुर्ग तो आतंकियों की पकड़ से बच निकला, लेकिन बच्चा उन्हीं की गिरफ्त में रहा। सुरक्षाबल द्वारा रात भर चलाए गए इस ऑपरेशन में आतंकवादी और नाबालिग मारा गया।

वहीं खबरों के मुताबिक एक आधिकारी ने बताया है कि दक्षिण कश्मीर में शोपियाँ के इमामसाहिब इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया और तलाश अभियान शुरू किया। उन्होंने बताया कि पहले आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियाँ चलानी शुरू की जिसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ शुरू कर दी। इसमें 2 आतंकियों के मरने की खबर आई है।

इसके अलावा इंडिया टीवी की खबर के अनुसार पुलिस अधिकारी ने बताया है कि उत्तर कश्मीर के बारामूला में भी मुठभेड़ चालू हो रखी हैं। बता दें कि सुरक्षाकर्मियों द्वारा दिल्ली में भी जैश का एक आतंकी सज्जाद गिरफ्तार हुआ है, जो पुलवामा के मास्टरमाइंड मोहम्मद भाई के लगातार संपर्क में था और दिल्ली में भी बड़ा हमले करने की फिराक में था।


अरविन्द केजरीवाल! घटिया राजनीति के झाड़ू से मांगलिक चिह्न ‘स्वस्तिक’ का अपमान मत करो

राजनीति सबके बस की बात नहीं। और जो व्यक्ति बदलाव की राजनीति करने आया हो उसके बस की बात तो बिलकुल भी नहीं। क्योंकि राजनीति की दशा और दिशा में तो बदलाव संभव है लेकिन बदलाव की राजनीति ऐसी प्रक्रिया है जो हो ही नहीं सकती। कारण यह है कि चिंतन की किसी भी धारा में बदलाव एक सतत और नैसर्गिक प्रक्रिया है जिसे धरने के मंच से चिल्लाकर नहीं किया जा सकता।

लोकतंत्र में राजनीति कोई ‘एकल दिशा मार्ग’ नहीं बल्कि बहुआयामी व्यवस्था है जिसमें जनता राज्य को अपने ऊपर शासन करने की शक्ति प्रदान करती है और बदले में लोक कल्याण सहित सुरक्षा की गारंटी की मांग करती है। जबकि परिवर्तन एक लीनियर प्रोसेस है, इतिहास में एक समय में राजनीति के किसी एक आयाम में ही परिवर्तन हुआ है। सब कुछ एक ही दिन में या एक रात में नहीं बदल जाता।

अरविन्द केजरीवाल जिस बदलाव की राजनीति करने आए थे वह कभी संभव ही नहीं थी। इसीलिए मैंने एक बार इस व्यक्ति के लिए लिखा था कि इसकी हरकतें राजनीति और शासन व्यवस्था के लिए घातक हैं। निरंतर प्रधानमंत्री मोदी को लक्षित कर गालियाँ देना, अराजक माहौल उत्पन्न करना, लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधिकारों से टकराना जैसे कृत्य कोई बदलाव तो नहीं ला सके अलबत्ता व्यवस्था परिवर्तन के नारों को बाबा भारती का घोड़ा जरूर बना दिया।

अरविन्द केजरीवाल के कारनामों का ताजा उदाहरण है उनका एक ट्वीट जिसमें एक प्रतीकात्मक चित्र में झाड़ू लिया हुआ व्यक्ति ‘स्वस्तिक’ चिह्न को खदेड़ कर भगा रहा है। केजरीवाल के अनुसार यह चित्र किसी ने उन्हें मोबाइल पर भेजा लेकिन इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस प्रकार का हिन्दू विरोधी चित्र केजरीवाल की टीम ने खुद बनाया हो। चित्र से जो संदेश निकलकर सामने आ रहा है वह स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी का झाड़ू एक दिन हिन्दू संस्कृति के प्रतीक स्वस्तिक को खदेड़कर भगा देगा।

प्रश्न यह नहीं कि इस प्रकार के चित्र से केजरीवाल क्या दिखाना चाहते हैं, सवाल यह है कि नगरों में रहने वाली आम जनता- जिसके प्रतिनिधि के रूप में केजरीवाल ने खुद को प्रोजेक्ट किया- के मस्तिष्क में स्वस्तिक का क्या अर्थ छिपा हुआ है। आमतौर पर मांगलिक कार्यों जैसे विवाह इत्यादि समारोह में ही शहरी जनता स्वस्तिक का चिह्न देखती है। दिल्ली जैसे नगर की जनता स्वस्तिक का सही अर्थ न जानती है न जानना चाहती है।

देश का युवा वर्ग जो कि आज वोटरों का भी सबसे बड़ा हिस्सा है उसके दिमाग में हॉलीवुड सिनेमा ने यही भर दिया है कि स्वस्तिक नाज़ी विचारधारा के जनक हिटलर का ‘निशान’ है। अंग्रेज़ी मीडिया में भी हिटलर की नाज़ी पार्टी के चिह्न के लिए स्वस्तिक शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है जिसके कारण लोग स्वस्तिक का वास्तविक अर्थ भूलकर उसकी फासिस्ट व्याख्या को ही सच मान बैठे हैं।

पहली बात तो यह है कि भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक चिह्न का प्रयोग शुभ एवं मंगल कामनाओं के लिए किया जाता है यह किसी राजनैतिक विचारधारा का प्रतीक नहीं है। वैदिक मंत्रों में स्वस्ति वाचन की परंपरा है। स्वस्ति का शाब्दिक अर्थ है ‘मंगल हो’ (सु+अस्ति)। ‘स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः’ आदि मंत्रों में भी इंद्र और पूषा जैसे देवताओं से मंगल कामनाएँ की जाती हैं। उपनिषदों के प्रारंभ और अंत में शांति मंत्रों का उच्चारण किया जाता है ताकि त्रिविध तापों की शांति हो। यह मंत्र गृह प्रवेश से लेकर बच्चे के जन्म, उपनयन संस्कार और विवाह तक में प्रयोग होते हैं। स्वस्तिक का चिह्न ऐसी सुंदर परंपरा का वाहक है।

इतिहास में देखें तो हिटलर ने कभी नाज़ी पार्टी के चिह्न को स्वस्तिक शब्द से संबोधित नहीं किया। नाज़ी जिस प्रतीक चिह्न का प्रयोग करते थे उसे वे Hakenkreuz कहते थे। यह उल्टा स्वस्तिक भले ही दीखता हो लेकिन हिन्दू सनातनी परंपरा से इसका कोई संबंध नहीं था। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात कुछ पश्चिमी स्कॉलरों ने Hakenkreuz को उल्टा स्वस्तिक कहना प्रारंभ किया जिसके कारण विमर्श में यह शब्द आ गया। विडंबना यह है कि आज भारत के शहरी युवाओं का एक बड़ा वर्ग स्वस्तिक चिह्न का गलत अर्थ जानता है। इस अज्ञानता का लाभ लेकर केजरीवाल जैसे घाघ नेता सांकेतिक रूप से भारत की संस्कृति पर कीचड़ उछालने से बाज नहीं आते।

आज समय आ गया है कि जनता केजरीवाल से पूछे कि हिन्दू सनातनी संस्कृति पर कीचड़ उछालने से कौन सी ‘बदलाव की राजनीति’ हो रही है। माना कि मोदी केजरीवाल के  राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन भारत की सांस्कृतिक परंपराओं से केजरीवाल का क्या अहित होता है? भाजपा को फासिस्ट सिद्ध करने के और भी हथकंडे और मुद्दे हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता था। लेकिन जिस जनता से पूछकर केजरीवाल हर काम करते हैं क्या उन्होंने उस जनता से जाकर पूछा कि उसके लिए स्वस्तिक चिह्न के क्या मायने हैं?

शहरी नहीं तो ग्रामीण जनता से ही पूछ लेते कि गाँवों में पुराने जमाने में मिट्टी के घरों की दीवारों पर कौन सा चिह्न बना होता था। आज भी भारत की जनता दीपावली पर पूजा की थाली में लाल रोली से स्वस्तिक चिह्न बनाकर ही गणेश लक्ष्मी की पूजा करती है। स्वयं केजरीवाल जिस बनिया समुदाय से आते हैं वे अपनी तिजोरी पर भी स्वस्तिक चिह्न बनाते हैं। हिन्दू के अतिरिक्त जैन और बौद्ध मतावलंबी भी धार्मिक आयोजनों पर स्वस्तिक का प्रयोग करते हैं।

₹5000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपित हितेश पटेल अल्बानिया में गिरफ्तार, लाया जाएगा भारत

भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की गिरफ्तारी के बाद भारत को एक और कामयाबी मिली है। बता दें कि गुजरात की फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक केस में भगोड़े हितेश पटेल को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार हितेश पटेल को अल्बानिया में हिरासत में लिया गया है, जो कि काफी दिनों से फरार चल रहा था।

दरअसल स्टर्लिंग बायोटेक मामले के आरोपी हितेश पटेल की भारतीय जाँच एजेंसियों को लंबे समय से तलाश थी। ईडी द्वारा विशेष पीएमएलए अदालत में अभियोजन की शिकायत दायर की गई थी और उसके खिलाफ 11 मार्च को रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। जिसके बाद 20 मार्च को हितेश पटेल को अल्बानिया में राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो-तिराना द्वारा हिरासत में लिया गया। हितेश पटेल के जल्द ही भारत में प्रत्यर्पित किए जाने की उम्मीद है।

बता दें कि हितेश पटेल पर ₹5000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में आपराधिक जाँच से बचने के लिए स्टर्लिंग ग्रुप के सभी चार प्रमोटर देश से फरार हो गए थे। इन आरोपियों में हितेश पटेल के अलावा नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ति संदेसरा, राजभूषण दीक्षित, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी और बिचौलिया गगन धवन शामिल है। स्‍टर्लिंग ग्रुप की कंपनियों में स्टर्लिंग बॉयोटेक लिमिटेड, पीएमटी मशींस लिमिटेड, स्टर्लिंग सेज ऐंड इंफ्रा लिमिटेड, स्टर्लिंग पोर्ट लिमिटेड, स्टर्लिंग ऑयल रिसोर्स लिमिटेड और 170 से ज्‍यादा  शेल कंपनियाँ शामिल है।

गौरतलब है कि भारतीय जाँच एजेंसियों के दबाव के बाद ब्रिटेन की पुलिस ने मंगलवार (19 मार्च 2019) को पीएनबी स्‍कैम का आरोपी नीरव मोदी को गिरफ्तार किया। जिसके बाद उसे बुधवार (20 मार्च 2019) को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की जिला न्यायाधीश मैरी माल्लोन की अदालत में पेश किया गया। जहाँ अदालत ने नीरव मोदी को जमानत देने से इनकार करते हुए 29 मार्च तक के लिए हिरासत में भेज दिया है। इसी तरह ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी विजय माल्या को गिरफ्तार किया था, मगर बाद में जमानत मिल गई।

अलगाववादी गिलानी पर ED ने लगाया ₹14.40 लाख का जुर्माना, यासीन मलिक की अवैध विदेशी मुद्रा जब्त

जम्मू-कश्मीर के अलागवावादी नेताओं पर भारतीय जाँच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने घाटी के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के खिलाफ फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत ₹14.40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा ईडी ने 10 हजार डॉलर (करीब ₹7 लाख) जब्त किए हैं। यह रकम साल 2002 में गिलानी के श्रीनगर स्थित आवास पर आयकर विभाग द्वारा छापे के दौरान पकड़ी गई थी।

केंद्रीय जाँच एजेंसी ने 87 वर्षीय अलगाववादी आतंकवादी गिलानी को FEMA के अलग-अलग प्रावधानों के तहत नोटिस भेजा था। यही नहीं, JKLF के पूर्व चेयरमैन यासीन मलिक के पास से मिली अवैध विदेशी मुद्रा को जब्त करने के साथ ही ED उस पर जुर्माना भी लगाएगा। मलिक के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई जारी है। बता दें कि NIA और अन्य एजेंसियाँ घाटी में टेरर फंडिंग की जाँच कर रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इस दौरान अलगाववादी नेताओं से पूछताछ की है।

पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगावादी नेताओं के खिलाफ भारत सरकार ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। सरकार ने अलगाववादी नेताओं को दी गई सुरक्षा भी वापस ले ली है। हुर्रियत नेता घाटीमें रहने वाले पाकिस्तान समर्थक हैं, जो कश्मीर घाटी में अलगाववादी भावनाओं को भड़काने के साथ-साथ सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने के लिए युवाओं को पैसे देते हैं और उकसाते हैं।

सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में कार्रवाई करते हुए कुछ समय पहले मीर वाइज उमर फारूक के घर से हॉट लाइन बरामद की थी। बताया जाता है कि मीर वाइज इस हॉट लाइन का इस्तेमाल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बातचीत करने के लिए करता था।

BJP की पहली सूची के 184 नामों से पता चलती है भाजपा की नई रणनीति

भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 20 अलग-अलग राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए 184 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। सूची की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की। 2014 के चुनावों में चुनाव लड़ने वाले अधिकांश कैबिनेट मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपने निर्वाचन क्षेत्र को बरक़रार रखा गया है और पार्टी कुछ दिग्गज नेताओं को आराम दिया गया है।

दिग्गज नेताओं की जगह नए उम्मीदवारों को चुनाव का हिस्सा बनाने की रणनीति

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस साल अपना लोकसभा चुनाव गुजरात के गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि इस सीट से भाजपा वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को आराम दिया गया है। अमित शाह 2017 में गुजरात के लिए राज्यसभा के सांसद चुने गए। इससे पहले, वह 1997 से 2017 तक गुजरात विधानसभा में विधायक थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वे राज्य सरकार में कई प्रमुख पदों पर रहें हैं।

अमित शाह ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गांधीनगर से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा पार्टी की रणनीति में एक बड़ी बदलाव का संकेत है। लालकृष्ण आडवाणी के अलावा बीसी खंडूरी को लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट नहीं दिया गया। वहीं कलराज मिश्र और भगत सिंह कोश्यारी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी अनिच्छा की घोषणा पहले ही कर दी थी। वहीं एक नाम विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी जुड़ गया है जिन्होंने हाल ही में चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी।

बीजेपी के दिग्गज नेताओं में एक नाम मुरली मनोहर जोशी का भी है, जो 2014 में कानपुर से जीते थे। फ़िलहाल उनके चुनाव लड़ने पर अभी भी संशय बरक़रार है। यह संशय इसलिए बरक़रार है क्योंकि बीजेपी ने जो पहली सूची जारी की है उसमें उनका नाम नदारद था।

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान से दूर रखने की मंशा नए उम्मीदवारों को जगह देने और उनकी नई सकारात्मक राजनीतिक सोच को सामने लाने के मक़सद से की गई जान पड़ती है। ये बात और है कि विपक्ष द्वारा ऐसा दुष्प्रचार किया जाता है कि बीजेपी वरिष्ठ नेताओं को नज़रअंदाज़ कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से जीत का पूरा भरोसा

अब बात प्रधानमंत्री मोदी की जिन्होंने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 3,70,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था, इस बार भी वे वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे। वाराणसी के अलावा उन्होंने गुजरात की वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ा था। इस सीट पर उन्होंने 5,70,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

वाराणसी की सीट से पीएम मोदी के जीतने के कई कारण हैं जिसमें विशेष तौर पर वहाँ किया गया कायाकल्प है। उनके लगभग साढ़े चार साल के कार्यकाल में वहाँ 126 प्रोजेक्ट को पूरा करवाया गया। कुल 4679.79 करोड़ रुपए की लागत से वाराणसी के कायाकल्प में वे सभी आधारभूत सुधार शामिल हैं जिनसे आम जन-जीवन लाभान्वित हुआ।

वाराणसी में विकास के तहत नगर के इंफ्रास्ट्रकचर में ज़बरदस्त सुधार, मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का भव्य पुनर्निर्माण, सड़कों का निर्माण, गलियों-चौराहों की बेहतरी, अंडरग्राउंड वायरिंग से बिजली के तारों को व्यवस्थित करना, पेयजल की व्यवस्था, सीवरेज व्यवस्था, नगर पहले से अधिक साफ़-सुथरा है, बीएचयू ट्रामा सेंटर, बुनकरों के लिए ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर, अस्सी घाटों की सफ़ाई, बैटरी रिक्शों का वितरण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, गंगा सफ़ाई परियोजना, गंगा में सीवर जाना बंद किया गया, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए और वंदे भारत एक्सप्रेस और बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने से लेकर तमाम ढाँचागत परियोजनाओं को समय पर पूरा किया गया।

अमेठी में स्मृति ईरानी और राहुल गाँधी के बीच होगा कड़ा मुक़ाबला

गाँधी परिवार का गढ़ माने जानी वाली अमेठी सीट पर इस बार भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और राहुल गाँधी आमने सामने होंगे। बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राहुल गाँधी से हार का सामना करना पड़ा था। हार के बावजूद स्मृति ईरानी ने अमेठी पर लगातार अपनी नज़र बनाए रखी है और कॉन्ग्रेस के कारनामों को कई बार उजागर भी किया है।

ऐसे कई मौक़े आए जहाँ अनेकों बार अमेठी के विकास और लचर व्यवस्था की समस्याएँ सामने आईं हैं। हाल ही में जब पीएम मोदी ने कोरवा में रूस के सहयोग से आयुध निर्माणी प्रांगण में ही अत्याधुनिक राइफल फैक्ट्री की आधारशिला रखी, उसी दौरान राहुल गाँधी द्वारा पीएम मोदी को झूठा कहने पर स्मृति ईरानी ने उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने ट्विटर पर एक फोटो शेयर की जिससे पता चलता था कि राहुल ने आयुध निर्माणी में 2007 में शिलान्यास किया था। लेकिन पीएम मोदी को जो ट्वीट राहुल ने किया उसमें उन्होंने स्वीकारा कि वो शिलान्यास 2010 में किया था। इस पर स्मृति ईरानी ने चुटकी लेते हुए कहा कि राहुल गाँधी इन दिनों ख़ौफ में हैं जिन्हें अमेठी के विकास के बारे में सही-सही जानकारी नहीं है।

ऐसा ही एक मामला नवंबर 2018 में सामने आया था जब उत्तर प्रदेश के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने राहुल गाँधी पर सवाल दागा था कि जो स्वयं अपने निर्वाचन क्षेत्र में 15 सालों से विकास करने में सक्षम नहीं थे वो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विकास का वादा कैसे कर सकते हैं। राहुल को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास न करने पर जवाबदेही बनती है लेकिन वो इस पर आज तक चुप्पी लगाए हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि अमेठी क्षेत्र कॉन्ग्रेस की विफलताओं का स्मारक है। वहाँ के 5,000 गाँव बिना बिजली के अँधेरे में जीने को मजबूर हैं। सवा लाख घरों तक बिजली नहीं पहुँचाई गई, इस पर राहुल की जवाबदेही बनती है। पीएम मोदी को चुनौती देने से पहले राहुल को अपने निर्वाचन क्षेत्र में फैले अँधेरे पर अपनी चुप्पी तोड़नी होगी।

इसके अलावा ऐसे कई मुद्दों को भी शामिल किया जिनके बारे में जनता को कुछ नहीं मालूम था, हाल ही में गाँधी-वाड्रा परिवार के वो घोटालों भी उजागर हुए जिनकी आँच रक्षा सौदों तक जाती थी। ऐसे में यदि गहनता से सोचा जाए तो राहुल ने विकास के नाम पर लोगों को केवल भ्रमित करने का काम किया है जिसकी बुनियाद केवल झूठ पर टिकी है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को इसका लाभ निश्चित तौर पर मिलेगा।

बिहार BJP सूची में 17 उम्मीदवार तय, कई बड़े नामों के कटने की संभावना

लोकसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तस्वीर लगभग साफ हो चली है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी इस बार पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव लड़ने से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि वो कॉन्ग्रेस की टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं बीजेपी के क़द्दावर नेता गिरिराज सिंह की निर्वाचन सीट बदलकर बेगूसराय करने की भी संभावना है। भागलपुर सीट के जेडीयू पाले में जाने के बाद से ही शाहनवाज़ हुसैन के चुनाव लड़ने पर जहाँ पहले भी संशय था वो जस का तस बना हुआ है।

इन सब बिंदुओं को देखने से पता चलता है कि जहाँ बाकी पार्टियाँ अभी तक मुद्दे डिसाइड नहीं कर पा रहीं वहीं भाजपा ने पहली सूची के माध्यम से अपना विज़न सामने रखा है जिसमें युवाओं को मौके देने से लेकर कॉन्ग्रेस के गढ़ में उसपर आक्रमण करना और वाराणसी के माध्यम से देश के सामने एक बेहतर संसदीय क्षेत्र का विकल्प देना शामिल है।

‘मैं मर्दों के साथ नहीं सोता’- कर्नाटक विधानसभा स्पीकर का बेतुका बयान

कॉन्ग्रेस नेता और कर्नाटक विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार एक बार फिर से अपने बेतुके बयान के कारण खबरों में आ गए है। इस बार उन्होंने अपनी पार्टी के ही नेता के एच मुनियप्पा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह पुरुषों के साथ सोना पसंद नहीं करते हैं, उनके पास उनकी अपनी पत्नी है।

दरअसल, के एच मुनियप्पा ने 15 फरवरी को श्रीनिवासपुर तालुक में कनक कम्युनिटी हॉल का उद्घाटन करते हुए कहा था, “रमेश कुमार और मैं पति-पत्नी की तरह हैं। हमारे बीच कोई विवाद नहीं है।” मुनियप्पा ने यह जवाब टिकट संबंधी सवाल पर दिया था।

एक महीने पुराने इस बयान पर रमेश ने अब प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं मर्दों के साथ सोना पसंद नहीं करता। मेरे पास अपनी पत्नी है। हो सकता है कि उनकी मुझमें दिलचस्पी हो लेकिन मुझे उनमें दिलचस्पी नहीं है। मेरा किसी के साथ एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर नहीं हैं।”

खबरों के मुताबिक आगामी चुनाव में टिकट को लेकर कॉन्ग्रेसी नेता के एच मुनियप्पा और रमेश कुमार के बीच काफ़ी मनमुटाव पैदा हो गया था। जिसके बाद से दोनों के बीच ऐसी नोंक-झोंक देखने को मिल रही है। इसके चलते रमेश ने मुनियप्पा की खुलेआम कई बार आलोचना भी की है।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि रमेश कुमार ऐसे बयान देकर विवादों में आएँ हों। कुछ समय पहले रमेश ने सदन में बहस के दौरान बार-बार अपना नाम आने पर अपनी तुलना रेप पीड़िता से कर डाली थी, जिसके कारण उनकी काफ़ी आलोचना भी हुई थी।

5 मुस्लिमों को दिया है BJP ने पहली लिस्ट में टिकट

चुनावी चहल-पहल के बीच भारतीय जनता पार्टी के बारे में आशंका जाहिर की जा रही थी कि अपनी हिंदूवादी छवि को आगे बढ़ाने के लिए वह मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारेगी, लेकिन भाजपा की पहली लिस्ट को देखने से ही यह आशंका बेबुनियाद साबित हुई है। BJP ने पहली लिस्ट के 184 उम्मीदवारों में से 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को जगह दी है। ये उम्मीदवार जम्मू कश्मीर और लक्षद्वीप जैसी जगहों से हैं जहाँ मुस्लिम मतदाता ज्यादा प्रमुख भूमिका निभाते हैं। 

भाजपा द्वारा जारी की गई पहली लिस्ट में पार्टी ने जम्मू-कश्मीर से 5 उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने बारामुला से एमएम वार, श्रीनगर से खालिद जहाँगीर और अनन्तनाग सीट से सोफी यूसफ को टिकट दिया है।इसके अलावा जम्मू कश्मीर की अन्य 2 सीटों में उधमपुर से डॉक्टर जितेन्द्र सिंह और जम्मू सीट से जुगल किशोर शर्मा को टिकट दिया गया है। भाजपा ने लक्षद्वीप से अब्दुल खादिर को मैदान में उतारा है, पाँचवे मुस्लिम उम्मदवार जलोथू हुसैन नाईक हैं, जो तेलंगाना के महबूबाबाद से चुनाव लड़ेंगे।

BJP ने ये 5 नाम ऐसे समय पर जारी किए हैं जब विपक्षी दल आशंका जता रहे थे कि भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में उन्हीं की तरह हिंदूवादी एजेंडे को आगे रखकर लड़ना चाहती है और इसके लिए वह किसी मुख्य सीट से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेगी।

कॉन्ग्रेस पार्टी को पाकिस्तान से राष्ट्रवाद के मायने सीखने चाहिए

एक बात पूछना चाहता हूँ कॉन्ग्रेसियों से कि तुमको मोदी से दुश्मनी है, भाजपा से दुश्मनी है, ये सब मान लेता हूँ लेकिन इतना तो बता दो कि तुमको प्रेम, मोहब्बत और लगाव किससे है, क्यों है, और किस हद तक है?

क्या तुमको सोनिया गाँधी से लगाव है, क्या तुमको राहुल गाँधी से प्रेम है, या फिर प्रियंका वाड्रा से मोहब्बत है? अगर ऐसा है भी तो उसका एक सपाट कारण बता दो कि इन लोगों का देश, समाज और अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है जो तुम इन पर अपनी जान न्यौछावर करते हो?

क्या तुम अपनी अंतरात्मा के हवाले से कह सकते हो कि 10 जनपथ की प्राइवेट लिमिटेड कॉन्ग्रेस पार्टी से तुम किसी भी वृहद और पवित्र उद्देश्य से जुड़े हो?

क्या कॉन्ग्रेस से जुड़ने के पीछे एकमात्र शांतिदूतों वाली वह सोच नहीं है कि ‘लूट’ यहाँ ‘जायज’ है, और उस लूट का बँटवारा पूरी ईमानदारी से किया जाता है! और कॉन्ग्रेस से जुड़ने वाला हर एक व्यक्ति ‘लूट’ की इसी एकमात्र ‘एकीकृत’ सोच के लिए पार्टी से जुड़ा रहता है, और जीवन पर्यन्त इसी सोच और मिशन के साथ में काम करता है, कि जिस दिन मौका मिलेगा दोनों हाथों से लूट डालेंगे!

क्या तुमको शर्म नहीं आती, जब तुम्हारे नेता देश के प्रधानमंत्री को आतंकी कहते हैं और उस पर पुलवामा में अपने ही जवानों को मार डालने का घिनौना इल्ज़ाम लगाते हैं ? क्या तुमको शर्म नहीं आती कि तुम्हारे नेताओं की वजह से पाकिस्तानी मीडिया को ज्यादा मेहनत ही नहीं करनी पड़ती; भारत के खिलाफ़ उसे जितना भी मसाला और प्रोपगेंडा चाहिए होता है, वह सब कॉन्ग्रेसी नेताओं के बयानों और हरकतों से हासिल हो जाता है ?

क्या तुमको शर्म नहीं आती कि तुम्हारे परम पूज्य नेता राजीव गाँधी के हजारों भाषण लिखने वाले, उनके दौर में प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने वाला एक नेता पाकिस्तान जाकर मोदी के खिलाफ ज़हर उगलता है और वहाँ के नेशनल टीवी पर बैठकर पाकिस्तानी हुक्मरानों से मोदी सरकार का तख्ता पलट करने की अपील करता है ?

क्या तुमको शर्म नहीं आती कि आज तुम्हारी ही पार्टी के एक नेता सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान के नेशनल डे के अवसर पर सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान को मुँहतोड़ जवाब देने की मोदी सरकार की नीति को ही एंटी-नेशनल साबित कर दिया है। वे कह रहे हैं कि पाकिस्तान से ऐसे हमले होते रहते हैं लेकिन हमें इस मैनर से जवाब नहीं देना चाहिए था!

ठीक है तुमको तब भी नहीं आती होगी, लेकिन आज तुम लोगों के ऊपर पूरे देश को आ रही है- शर्म। अगर तुम नेशनलिज्म भाजपा से नहीं सीख सकते तो पाकिस्तान से ही सीख लो, जहाँ का मीडिया और विपक्ष, बेशक अपनी सरकार और सेना को हर मोर्चे पर कठघरे में खड़ा करता है, लेकिन जब भारत के खिलाफ सेना के समर्थन और कड़े रुख की बात आती है, तो वहाँ का पूरा आवाम एक सुर में भारत के विरोध में खड़ा नज़र आता है।

लेकिन तुम लोगों को शर्म नहीं आएगी। क्योंकि उसकी वजह बड़ी वाज़िब सी है, अगर शर्म आ गई तो लूट के उस माल का क्या होगा जो अभी तक कॉन्ग्रेस का झंडा उठाने और इटली के खानदान की जय-जयकार से हासिल किया है, अगर शर्म आ गई तो उन संभावित लूटों में मिलने वाले हिस्से का क्या होगा, जो गाँधी परिवार के फिर सत्ता में आने पर कार्यान्वित होगी।

देश के संसाधनों की अंधाधुंध लूट ही वह एकमात्र एजेंडा, उद्देश्य और लक्ष्य है, जो किसी भी एक सामान्य इंसान को कांग्रेसी बनने पर प्रेरित करता है। अगर इसके अलावा भी, किसी के कांग्रेसी बनने और होने की कोई और वजह हो, तो मुझे जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी और आश्चर्य भी।

सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना भारत, कर्ज माफी नहीं है अच्छा निर्णय: IMF

IMF के अनुसार भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में आ गया है। IMF का कहना है कि चूँकि भारत देश ने पिछले 5 सालों में आर्थिक मोर्चे पर कई सारे अहम बदलाव किए हैं, इसलिए इन सभी बदलावों का असर अब देखने को मिलेगा। हालाँकि, अभी इस दिशा में कुछ और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

7% से ज्यादा है भारत की विकास दर

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की सूचना निदेशक गैरी राइस के अनुसार भारत हर साल 7% से ज्यादा की विकास दर से आगे बढ़ रहा है। GDP में वृद्धि की वजह से भारत, आने वाले सालों में अच्छी प्रगति कर सकता है। भारत के बारे में IMF का पूर्ण मूल्यांकन अगले महीने जारी होने वाली रिपोर्ट में आएगा। यह रिपोर्ट पहली बार गीता गोपीनाथ के मुख्य अर्थशास्त्री बन जाने के बाद जारी होगी। 

बैंकों का NPA, कर्ज माफी बड़ी समस्या

हालाँकि IMF ने कहा है कि बैंकों का NPA और कर्ज माफी अभी भी बड़ी समस्या है। इसके अलावा कई कंपनियाँ दिवालिया कानून (Insolvency & Bankruptcy Code-IBC) की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। इसके साथ ही राज्य सरकारों को भी बेहतर नतीजे आर्थिक मोर्चे पर दिखाने होंगे।

कर्ज माफी नहीं है सही कदम

अंतरराष्ट्र्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत में किसानों की कर्ज माफी करना राज्य सरकारों का एक सही कदम नहीं है, इसके मुकाबले उनके बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करना बेहतर है। कर्ज माफी से किसानों की समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं होगी।

पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार उठाए कदम

गीता गोपीनाथ का मानना है कि किसानों की समस्या को सुलझाने के लिए सरकार को उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए। इसके साथ ही पैदावार बढ़ाने के लिए उनको बेहतर बीज व तकनीक उपलब्ध करानी चाहिए।
लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को खुश करने के लिए कई राज्य सरकारों ने कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। कॉन्ग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और भाजपा ने गुजरात व आसम में किसानों के लिए कर्ज माफी का एलान किया था। कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि जब तक पूरे भारत में किसानों की कर्ज माफी नहीं होगी, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैन से सोने नहीं देंगे। 

पहले भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की तारीफ कर चुकी हैं अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ

इसके पहले कई और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ कर चुकी हैं। केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी सबसे मजबूत रही है। अरुण जेटली ने हाल ही में कहा था कि आजादी के बाद पहली ऐसी सरकार है, जिसने भारतीय इकोनॉमी को नई ऊंचाई दी है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए वित्‍त मंत्री जेटली ने बताया था कि 1947 के बाद की सरकारों के 5 साल के कार्यकाल की तुलना में मोदी सरकार (2014-19) में औसत GDP ग्रोथ रेट 7.3% है।