Thursday, October 3, 2024
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नई जर्सी पर धोनी और विराट का रिएक्शन, धोनी ने कहा- 38 साल का आदमी ऐसा कह रहा है तो…

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने हाल ही में वर्ल्ड कप को देखते हुए भारतीय टीम के लिए नई जर्सी को लॉन्च किया। इस जर्सी को देखने के बाद टीम के कप्तान विराट कोहली और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आख़िर उन्हें इस नई जर्सी में क्या पसंद आया।

विराट की मानें तो हर कोई स्लीक लुक को पसंद करता है। इसलिए, वह इसे स्लीक ही चाहते थे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते समय खास दिखना पड़ता है। विराट का मानना है कि बतौर एथलीट आपकी किट और जर्सी कुछ अलग होनी चाहिए।

इसके अलावा इस नई जर्सी में इस्तेमाल किया गया हल्का फैब्रिक विराट को खूब पसंद आया। उन्होंने कहा कि यह नई जर्सी पुरानी वाली से हल्की है। विराट की मानें तो वो जर्सी को बेहद हल्का चाहते थे और इसका फैब्रिक बिलकुल वैसा ही है।

वहीं भारत के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने भी इसे हल्का बताते हुए कहा कि ‘यह बहुत आरामदेह है।’ उन्होंने कहा कि 38 साल का एक व्यक्ति यह बात अगर कह रहा है तो यह थोड़ा मजाकिया लग सकता है लेकिन उन्हें इसका डिजाइन बेहद पसंद आया। उनके अनुसार वो अभी तक जो जर्सी पहनते हुए चले आ रहे थे यह उससे काफ़ी अलग है। धोनी ने इसके बारे में कहा कि इस जर्सी में टू-टोन कलर किया है जो कि भविष्य का डिजाइन नज़र आता है।

टीम इंडिया की नई जर्सी

बता दें कि इस जर्सी में पहली की जर्सी के मुकाबले कई बदलाव किए गए हैं। एक बार फिर से कॉलर के रंग को बाहर से नीला कर दिया गया है। साथ ही, इस पर 1983 विश्व कप और 2011 की जीत की तारीख भी लिखी हुई है। इसके साथ ही जर्सी का रंग पहले के मुक़ाबले और भी गहरा नीला कर दिया गया है। इस जर्सी पर तीन स्टार भी है जिसका पर्याय है कि भारत की तीन विश्व कप में जीत है।

वित्त मंत्रालय पहली बार करेगा ₹20 का सिक्का जारी, जानिए क्या है इसकी खासियत

वित्त मंत्रालय द्वारा बुधवार (मार्च 6, 2019) को ₹20 का सिक्का जारी करने की घोषणा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा इस सिक्के को लॉन्च किया गया। यह सिक्का आकार और रूप के मामले में बाकी सिक्कों के काफ़ी अलग है।

अभी तक हमने 1, 2, 5, 10 के सिक्कों को देखा लेकिन अब जल्द ही बाज़ार में ₹20 के सिक्के चलन में होंगे। इन सिक्कों की खासियत होगी कि यह 12 किनारे वाले बहुभुज आकार वाला होगा। इसका बाहरी व्यास 27 मिमी होगा और इसका वजन 8.54 ग्राम होगा।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना में यह बात कही गई कि इस नए सिक्के की बाहरी रिंग पर 65% तांबा, 15% ज़िंक और 20% निकेल होगा। इसके अलावा सिक्के के अंदर वाली रिंग पर 75% कॉपर, 20% ज़िंक और 5% निकेल होगा।

₹20 के इस नए सिक्के पर सामने की ओर अशोक स्तंभ होगा, जिसके साथ सत्यमेव जयते लिखा होगा। इस सिक्के पर अंग्रेजी में इंडिया और हिंदी में भारत भी लिखा होगा।

रुपए के नए चिह्न के साथ सिक्के के पीछे की ओर बड़े अक्षरों में 20 लिखा होगा। साथ ही देश में कृषि प्रधान देश की छवि को दिखाने के लिए अनाज का चित्र भी उकेरा गया है। 

बता दें कि 10 साल पहले आरबीआई ने मार्च 2009 में दस रुपए का सिक्का जारी किया था और अब दस साल बाद नया सिक्का जारी किया जा रहा है। 10 का सिक्का चलन में होने के बाद आमजन को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था जिससे दस के सिक्के में 13 बार बदलाव करने पड़े थे।

9 AAP विधायक हमारे संपर्क में: कॉन्ग्रेस दे रही है केजरीवाल को झटके पर झटका

कॉन्ग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि 9 आम आदमी पार्टी विधायक उसके संपर्क में हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले अरविन्द केजरीवाल के साथ गठबंधन ठुकरा कर उन्हें करारा झटका देने वाली कॉन्ग्रेस ने फिर से चौंकाने वाली बात कही है। दिल्ली कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता जीतेन्द्र कोचर ने कहा कि आप के 9 विधायक पाला बदल कर कॉन्ग्रेस से जुड़ना चाहते हैं। उधर आप से निष्काषित नेता व पूर्व मंत्री संदीप कुमार ने दिल्ली कॉन्ग्रेस के दफ़्तर जाकर राज्य में पार्टी की अध्यक्षा शीला दीक्षित ने मुलाक़ात की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका कॉन्ग्रेस में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।

संदीप ने कहा कि वे वाल्मीकि समुदाय के आग्रह पर प्रतिनिधि के रूप में शीला से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र में अभी बहुजन समाज पार्टी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हाँलाँकि, उन्होंने आधिकारिक रूप से बसपा नहीं ज्वाइन की है।

कोचर ने इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए कहा- “कॉन्ग्रेस की ओर से गठबंधन के प्रयासों को ख़ारिज करने के बाद आम आदमी पार्टी में भगदड़ की स्थिति है। क़रीब 9 मौजूदा विधायक हमारे संपर्क में हैं और कॉन्ग्रेस में शामिल होना चाहते हैं।” उन्होंने बताया कि इन विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से बात भी की है और कुछ ही दिनों में वे कॉन्ग्रेस में शामिल होंगे।

कॉन्ग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले दम पर ताल ठोकने वाली है। राहुल गाँधी के निवास पर हुई बैठक के बाद पार्टी आलाकमान ने निर्णय लिया कि प्रदेश में कॉन्ग्रेस का आप से गठबंधन नहीं होगा। इसके बाद अरविन्द केजरीवाल ने कॉन्ग्रेस पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया था। लोगों ने सोशल मीडिया में ‘तन्हा केजरीवाल‘ ट्रेंड करा कर उनका ख़ूब मज़ाक उड़ाया था। लोगों का कहना था कि तमाल मिन्नतों के बावजूद कॉन्ग्रेस ने केजरीवाल की एक न सुनी।

फिलहाल आम आदमी पार्टी ने कॉन्ग्रेस के इस दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। आज सुबह आप विधायक मोहिंदर गोयल पर बलात्कार का मामला दर्ज किया गया। इस पर भी पार्टी की तरफ़ से कोई प्रतिक्रया नहीं आई है।

आतंकी यासीन मलिक ने रुबैया का अपहरण किया, 4 IAF अफसरों की हत्या की और बच निकला, लेकिन 30 साल बाद CBI ने कसा शिकंजा

यासीन मालिक के बुरे दिन चालू हो गए हैं। कश्मीर में अलगाववाद पर लगाम लगाने की कवायद में जुटे राज्य प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया है। पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) के तहत यासीन मलिक को गिरफ्त में लिया गया और उसे श्रीनगर से बाहर जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल में रखा जाएगा। इसके साथ ही 30 साल पुराने रुबैया सईद अपहरण मामले में भी नया मोड़ आया है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यासीन मलिक का केस जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की श्रीनगर विंग से जम्मू विंग में स्थानांतरित करने की अर्जी लगाई है जिस पर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मुहर लगा दी है। यह मामला 30 साल पहले का है जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण और भारतीय वायुसेना के 4 अधिकारियों की हत्या के मुख्य आरोपित यासीन मलिक पर केस दर्ज हुआ था।

सीबीआई का कहना है कि कश्मीर घाटी में यासीन मलिक एक रसूखदार व्यक्ति है जिसके कारण वह मुकदमे को प्रभावित कर सकता है इसलिए इस मामले को श्रीनगर विंग से हटाकर जम्मू विंग में ट्रांसफर किया जाए। सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने मामले को कोर्ट की जम्मू विंग में स्थानांतरित करने पर यासीन मलिक और एक अन्य को आपत्ति दर्ज कराने के लिए एक दिन का मौका दिया है।

ध्यातव्य है कि यासीन मलिक एक आतंकी है और ‘अलगाववादी नेता’ के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चीफ भी है। जेकेएलएफ मूलतः एक आतंकवादी संगठन है जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी। सन 1989 में इसी संगठन के आतंकियों ने जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या की थी। दिसंबर 1989 में मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण किया गया था जिसके बदले में पाँच आतंकियों को छोड़ा गया था।

दिसंबर 8, 1989 को रुबैया सईद के अपहरण के बाद पंद्रह दिनों तक ड्रामा चला था जिसके बाद वी पी सिंह सरकार द्वारा अब्दुल हमीद शेख़, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, अल्ताफ अहमद और जावेद अहमद जरगर नामक आतंकियों को जेल से छोड़ा गया था। चौदह साल बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने रुबैया सईद के अपहरण की बात कबूल की थी

अगले साल जनवरी 25 जनवरी 1990 को जेकेएलएफ ने भारतीय वायु सेना के 4 अधिकारियों की हत्या कर दी थी। खुद यासीन मलिक ने भी बीबीसी को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि उसने ड्यूटी पर जा रहे 40 वायुसैनिकों पर गोलियाँ चलाई थीं। इसके बावजूद वह आजतक कानून के शिकंजे से बाहर खुला घूम रहा है। उम्मीद है कि केस में सीबीआई के नए निर्णय के बाद इस मामले में तेज़ी आएगी और यासीन मलिक को सज़ा मिलेगी।      

मेरे कार्यकाल में ISI जैश की मदद से भारत में कराती थी बम धमाके: परवेज मुशर्रफ

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार को दिए इंटरव्यू में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि उनके कार्यकाल में जैश-ए-मोहम्मद की मदद से पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी भारत पर बम धमाके कराने का काम किया करती थी।

पाकिस्तानी पत्रकार नदीम मलिक को फोन पर दिए इंटरव्यू में परवेज मुशर्रफ ने वर्तमान समय में पाकिस्तान द्वारा जैश-ए-मोहम्मद पर की जा रही कार्रवाई का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जिस समय वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे, उस समय जैश-ए-मोहम्मद ने उन पर 2 हमले करवाए थे। पत्रकार मलिक ने इस इंटरव्यू की 2 मिनट की क्लिप ट्विटर पर 5 मार्च को पोस्ट की है।

परवेज मुशर्रफ ने इस इंटरव्यू में कहा, “यह एक अच्छा कदम है। मैं हमेशा से कहता रहा हूँ कि जैश-ए-मोहम्मद एक आतंकी संगठन है। इस आतंकी संगठन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”

परवेज मुशर्रफ ने खुद इंटरव्यू में स्वीकारा है कि जिस समय वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे, उस समय जैश ने उन पर दो बार हमले कराए थे, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे। दिसंबर 2003 में रावलपिंडी के झांडा चिची में आत्मघाती हमलावर ने परवेज मुशर्रफ पर हमला कराया था। मुशर्रफ ने कहा कि यह सौभाग्य कि बात है कि वे इस हमले में बच गए।

परवेज मुशर्रफ ने कहा, “मेरे पुल को पार करने के बाद कुछ देर बाद हमलावर ने बटन दबाया था।” मुशर्रफ से जब यह पूछा गया कि उनके राष्ट्रपति रहते समय क्यों जैश के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया तो उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियाँ (ISI) जैश का इस्तेमाल भारत में बम धमाके कराने के लिए कर रही थीं।”

भारत की कार्रवाई और आतंकवाद पर दुनिया भर के देशों के दबाव के बीच पाकिस्तान ने मंगलवार (5 मार्च, 2019) को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई और बेटे सहित 44 दहशतगर्द को गिरफ्तार करने का दावा किया था। हालाँकि, इस बात को प्रोपेगेंडा माना जा रहा है।

वैसे, कल ही पाकिस्तान द्वारा एक बयान आया है कि पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद जैसी कोई संस्था है ही नहीं।

ट्विटर से निजी अदालत चलाने वाले प्रशांत भूषण ने स्वीकारी गलती, पर SC ने नहीं दी राहत

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और केंद्र सरकार की तरफ़ से प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना कर दिया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की वह याचिका भी ख़ारिज कर दी जिसमे उन्होंने जस्टिस अरुण मिश्रा से ख़ुद को इस केस से वापस लेने की माँग की थी। अटॉर्नी जनरल ने अदालत में बताया कि वे जब बाहर मिले तो उन्होंने भूषण से माफ़ी माँगने को कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।

वेणुगोपाल ने भूषण द्वारा माफ़ी माँगने की स्थिति में केस वापस लेने की बात कही। प्रशांत भूषण की तरफ़ से जिरह करते हुए वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर मुक़दमा पक्ष के मन में जज की ओर से पक्षपात की आशंका की स्थिति में जज को केस से हटाने की माँग की जा सकती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को ध्यान दिलाया कि जजों को केस से हटाने की माँग करना भूषण का पुराना हथकंडा है और इसे अदालत की मर्यादा गिराने का कार्य माना जाना चाहिए।

दुष्यंत दवे को तुषार मेहता द्वारा जिरह करना पसंद नहीं आया और उन्होंने कोर्ट से पूछा कि जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं, उन्हें लम्बी जिरह करने का मौक़ा देकर हम क्या सन्देश देना चाहते हैं? अटॉर्नी जनरल पक्ष ने अदालत से कहा कि लंबित मामलों में मीडिया के पास जाने का क्या औचित्य है जब कोर्ट में वापस आया जा सकता है? इसके बाद प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट को ‘Genuine Mistake’ के रूप में स्वीकार किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वे भूषण के लिए कोई सज़ा नहीं चाहते।

अब इस मामले में 29 मार्च को सुनवाई होगी। कोर्ट ने भूषण की माफ़ी को रिकॉर्ड कर लिया है। ज्ञात हो कि प्रशांत भूषण ने सीबीआई मामले की सुनवाई के बाद अपने ट्वीट में लिखा था:

मैंने विपक्ष के नेता श्री खड़गे से व्यक्तिगत रूप से पुष्टि की है कि ‘हाई पॉवर्ड कमेटी (HPC)’ की बैठक में सीबीआई निदेशक के रूप में नागेश्वर राव को पुनः बहाल करने से संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई थी और इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। सरकार ने उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया है और शायद HPC की बैठक के मनगढंत विवरण प्रस्तुत किए हैं!”

बता दें कि सीबीआई में दो उच्चाधिकारियों के बीच छिड़े विवाद के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा को अक्टूबर 2018 में लम्बी छुट्टी पर भेज दिया था। प्रशांत भूषण ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति को नया सीबीआई निदेशक चुनने को कहा था। उस समिति में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्य न्यायाधीश के प्रतिनिधि और विपक्ष के नेता खड़गे शामिल हैं।

87 वर्षीय वेणुगोपाल ने याचिका में कहा था कि प्रशांत भूषण ने उनकी ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा पर जानबूझ कर संदेह प्रकट किया। 1 फरवरी को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में HPC की बैठक का विवरण प्रस्तुत किया था। इसे सुनवाई के दौरान एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में पेश किया गया था। इस दौरान वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि केंद्र सरकार ने नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने से पहले HPC की अनुमति ली थी।

दिग्विजय को लगता है कि आतंकियों के पक्ष में बोलने पर अल्पसंख्यक खुश होगा: उमा भारती

कॉन्ग्रेस के विवादित नेता दिग्विजय सिंह द्वारा पुलवामा आतंकी हमले को ‘दुर्घटना’ बताने से नाराज उमा भारती ने दिग्विजय सिंह पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह को अपनी पार्टी के आतंकवादियों से लगाव के बारे में सोचना चाहिए।

केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने बुधवार (मार्च 06, 2019) को कहा कि कॉन्ग्रेस एवं उसके वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के निशाने पर हमेशा अल्पसंख्यक वोट रहते हैं इसलिए उनको लगता है कि यदि वह (दिग्विजय) आतंक एवं आतंकवादियों के पक्ष में बोलेंगे तो भारत के अल्पसंख्यक खुश होंगे।

पुलवामा आतंकवादी हमले को दिग्विजय द्वारा ट्विटर पर दुर्घटना लिखे जाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में उमा भारती ने कहा, ‘‘दिग्विजय जी जो कहते हैं उसमें उनके निशाने पर हमेशा अल्पसंख्यक वोट रहते हैं। कॉन्ग्रेस को ही अल्पसंख्यकों की देशभक्ति पर शंका है। इसलिए उनको ऐसा लगता है कि आतंक के पक्ष में बोलने में भारत का जो अल्पसंख्यक है, वह खुश होता है।’’

RSS की सार्वजनिक स्थानों पर शाखा लगाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कॉन्ग्रेसी मंत्रियों द्वारा कहे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘संघ के जो स्वयंसेवक होते हैं, वे राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग हैं। उनको इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है। बल्कि मैं तो यह सुझाव दूँगी कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ संघ की शाखा में जाया करें। इससे उनको देशभक्ति का पाठ सीखने को मिलेगा। उनकी भी समझ में आएगा कि देशभक्ति किसको कहते हैं।’’

अपनी बात रखते हुए उमा भारती ने कहा, ‘‘कमलनाथ जी, दिग्विजय सिंह जी, राहुल गाँधी जी, खासकर दिग्विजय सिंह को तो संघ की शाखा में जाना बहुत जरूरी है, ताकि आतंकवाद से उनका जो लगाव है, हाफिज सईद से और ओसामा बिन लादेन से उनको जो प्यार है, वह कुम्भ भी नहा आने, नर्मदा की परिक्रमा से भी कम नहीं होगा, वह संघ की शाखा में जाने से ही ठीक होगा।’’

भारती ने कहा कि कॉन्ग्रेस ने 1984 एवं 1991 में लोकसभा चुनाव में क्रमश: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की शहादत का राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की। इन्हें तो शर्म आनी चाहिए। विवादास्पद रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर अदालत में चल रहे मुकदमे पर उमा भारती ने कहा कि जिस तरह से मक्का एवं वैटिकन सिटी में मंदिर नहीं बन सकता, उसी प्रकार अयोध्या में राम मंदिर के अलावा कुछ नहीं बन सकता।

71 फुट की गदा वाले इस हनुमान जी को बनाने में लगे 8 साल, अब रिकॉर्ड बुक में होंगे शामिल

फरीदाबाद-गुड़गाँव रोड पर साल 2011 में त्रिवेणी हनुमान मंदिर ट्रस्ट की ओर से हनुमानजी की सबसे बड़ी मूर्ति बननी शुरू हुई थी, जिसका निर्माण कार्य 8 साल बाद 2019 में पूरा चुका है और अब इसे एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में शामिल करवाने की तैयारी चल रही है।

हालाँकि, खड़े हुए हनुमान जी की मूर्तियाँ कई जगह इससे बड़ी-बड़ी हैं लेकिन इस पोज में बनी यह ऐसी पहली विशाल मूर्ति है। इस मूर्ति का निर्माण राजस्थान के आर्किटेक्ट नरेश ने किया है।

नवभारत में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के मुख्य पुजारी खेमचंद का कहना है कि हनुमान जी के इस मंदिर से बड़खल गाँव और शहर के श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। साथ ही इस मंदिर के लिम्का बुक में शामिल होने से यहाँ आने वाले पर्यटक भी बढ़ेंगे।

8 साल में बनकर तैयार हुई हनुमान जी की मूर्ति

हनुमान जी की इस प्रतिमा के हाथ 21 फुट के हैं, लंगोट 41 फुट, कमर 31 फुट, पूँछ और दुपट्टा 101 फुट, गदा 71 फुट, मुकुट 31 फुट और कलाई 10 फुट है।

आन्ध्रप्रदेश में हनुमान जी

इसके साथ ही आपको बता दें कि खड़ी अवस्था में एशिया के सबसे ऊँचे हनुमानजी आन्ध्रप्रदेश में मौजूद हैं। आन्ध्र प्रदेश में मौजूद हनुमान जी की मूर्ति की ऊँचाई 135 फुट है और भक्त इन्हें वीर अभय अंजनी हनुमान स्वामी के नाम से पुकारते हैं। इनका निर्माण 6 साल पहले 2013 में हुआ था।

‘गधों का सरताज है राहुल गाँधी’ जानिए किसने और क्यों की अध्यक्ष जी पर ये निंदनीय टिप्पणी

प्रियंका गाँधी के भाई और कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी का भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने एक बार फिर ‘नामकरण‘ कर दिया है। इस बार यह काम किया है भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और विधायक आकाश विजयवर्गीय ने।

आकाश विजयवर्गीय का कहना है कि पहले कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को ‘पप्पू’ कहा जाता था। उनका कहना है कि पप्पू एक हानिरहित और प्यारा नाम है, लेकिन अब वह राष्ट्र विरोधी की तरह काम करने लगे हैं। इसलिए अब उनके नाम को पप्पू से बदलकर ‘गधों का सरताज’ रख दिया है। उन्होंने यह बातें कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा IAF द्वारा की गई एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने और ओसामा बिन लादेन को सम्मान देने जैसे मुद्दे को लेकर भारतीय युवा मोर्चा के विरोध प्रदर्शन में कहीं।

आकाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश के इंदौर-3 विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और 3 बार के विधायक अश्विन जोशी को 75,000 वोटों के अतंर से हराया था। उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘राहुल गाँधी गधा है’ के नारे लगाए। इस प्रदर्शन का नेतृत्व आकाश ने किया। उन्होंने कहा कि राहुल जिस तरह की हरकत कर रहे हैं उससे वह अब पप्पू कहलाने के लायक नहीं बचे हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस को गधों की सेना और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को गधों का सरताज कहा।

इंदौर के अग्रसेन चौराहे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘राहुल गाँधी चोर है’ के नारे भी लगाए। विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “राहुल उल्टे-सीधे बयान देते हैं। कभी आलू से सोना बनाने की बात करते हैं, कभी आँख मारते हैं और कभी गले पड़ते हैं। वह अपने देश के हैं इसलिए उन्हें पप्पू कहते थे। यह प्यार का नाम है, अगर उनके पास दिमाग नहीं है तो क्या हुआ।”

उन्होंने बयान देते हुए आगे कहा, “अब राहुल देशद्रोह की बात करने लगे हैं। भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाने वाले लोगों के साथ खड़े दिखाई देते हैं। दोकलाम विवाद के दौरान चुपचाप चीनी प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हैं। यदि चीन की वेबसाइट पर यह बात लीक नहीं होती तो हमें पता भी नहीं चलता कि वह चीनी प्रतिनिधियों से मिले हैं।”

राजनीति में आपसी छींटाकशी अब आम बात हो गई है। कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ और पत्नी को लेकर घटिया चुटकुले बनाती है तो कभी भाजपा सांसद अरविन्द केजरीवाल को जूतों के लायक बता देते हैं। राजनीति का यह गिरता हुआ स्तर अभी आम चुनावों तक और ज्यादा गिर सकता है।

पाक के नए हथियार बन रहे हैं भस्मासुर राहुल और कॉन्ग्रेस की राजनीति

हमारे देश का व्यापक लोकतंत्र हमे अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है। प्रतिद्वंद्वियों पर बिना आपत्तिजनक टिप्पणी किए उन्हें घेरने का मौक़ा देता है। राजनीति में जहाँ सारी नैतिकता धराशायी हो जाती है, किसी पर ओछी टिप्पणी कर मानहानि के मुक़दमे में जेल जाना भी यहाँ आपको कुछेक वोट दिला सकता है। ऐसे हालात तब तक बर्दाश्त योग्य रहते हैं, जब तक कि दुश्मन इसका फ़ायदा न उठाए। लेकिन, अब राहुल गाँधी के लगातार आ रहे बयानों और कॉन्ग्रेस पार्टी के लगातार गिरते राजनीतिक स्तर ने पाकिस्तान को एक नया हथियार थमा दिया है, जिस से वह भारत को घेर सकता है।

भारत की पुरानी पार्टी का अध्यक्ष भारत की छवि के लिए भस्मासुर बनता जा रहा है। राहुल समेत कॉन्ग्रेस और महागठबंधन के नेताओं के बयान पाकिस्तानी मीडिया में शेयर हो रहे हैं। वहाँ टीवी चर्चाओं के दौरान पाकिस्तान का पक्ष साबित करने के लिए राहुल के बयानों का जिक्र किया जाता है।

अपने ही देश के ख़िलाफ़ दुश्मन को सौंप रहे हथियार

आज राफेल पर बोलते हुए राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान का पोस्टर बॉय बताया। लेकिन, स्थिति इसके उलट है। पाकिस्तान के सत्ताधीशों, सेना व भारत-विरोधी खेमे में नरेंद्र मोदी के प्रति जितनी घृणा है- राहुल गाँधी के प्रति उतनी ही हमदर्दी। रेडियो पाकिस्तान ने राहुल गाँधी के नेतृत्व में महागठबंधन द्वारा जारी किए गए बयान को आधार बना कर भारत को घेरा। उस बयान में नेताओं ने कहा था कि मोदी ताज़ा सुरक्षा हालात का प्रबल राजनीतिकरण कर रहे हैं। अगर मोदी ऐसा कर रहे हैं तो पाकिस्तानी मीडिया राहुल गाँधी के बयानों का सहारा क्यों लेता है? अगर मोदी पाकिस्तान के पोस्टर बॉय हैं तो वहाँ भारत को ललकारे गए हर एक बयान में मोदी का नाम क्यों रहता है?

असल में, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री रहमान मालिक ने खुलेआम कहा है कि राहुल गाँधी को भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। अपने ट्वीट में उन्होंने भारतीय एजेंसी रॉ और मोदी को लेकर तो गुस्सा ज़ाहिर किया लेकिन राहुल गाँधी को भारत का अगला पीएम बताया। रहमान मालिक और रेडियो पाकिस्तान को राहुल गाँधी अच्छे लगते हैं, मोदी के प्रति वे गुस्सा जताते हैं- तो पाकिस्तान का पोस्टर बॉय कौन हुआ? नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान और वहाँ के पीएम इमरान को जिस तरह की बेइज्जती फील कराई है, वैसा कारनामा शायद ही पहले किसी ने किया हो। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री हैं- वे दौड़-दौड़ कर पाकिस्तान जाते हैं, पाक का बचाव करते हैं। कौन हुआ पाक का पोस्टर बॉय?

नरेंद्र मोदी ने तो भारतीय वायु सेना को खुली छूट दे पाकिस्तान की नाक में दम करने का कार्य किया है। उन्होंने कुछ दिनों पहले एक रैली के दौरान कहा भी था कि अगर आज हमारे पास राफेल होता तो भारत ताज़ा तनावपूर्ण माहौल में और अधिक बेहतर स्थिति में होता। मोदी और उसकी कूटनीति पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने में लगी हुई है। नदियों के पानी का विषय हो या पाकिस्तान से छीने गए ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ दर्जे का- मोदी सरकार हर तरफ़ से पाकिस्तान पर वार कर रही है। लेकिन, विपक्ष राफेल-राफेल चिल्लाने में व्यस्त है।

जैसे शल्य ने अंगराज कर्ण की मनःस्थिति ख़राब की

महाभारत एक पूर्ण ग्रन्थ है, जहाँ राजनीति से लेकर युद्धनीति तक- इन सभी चीजों के हर एक पहलू का वर्णन है, उदाहरण मिलता है। ऐसी ही एक कहानी महारथी कर्ण और शल्य की है। मद्र देश का राजा शल्य जब महाभारत के युद्ध में हिस्स्सा लेने पहुँचा, तब दुर्योधन ने उसका छलपूर्वक स्वागत-सत्कार कर कौरवों की तरफ़ से लड़ने को विवश कर दिया। भांजे युधिष्ठिर को शल्य ने उनके एक वचन निभाने का वादा किया। भीष्म के शर-शैया धारण करने के बाद जब कर्ण कौरवों का सेनापति बना, तब शल्य को उसका सारथी बनाया गया।

यही वो समय था जब युधिष्ठिर ने शल्य को अपना वचन याद दिलाया। शल्य युधिष्ठिर की बात मानने को तैयार हो गया और बदले में धर्मराज युधिष्ठिर ने जो कहा, वो आज के समय में भी प्रासंगिक है और हमेशा रहेगा। युधिष्ठिर का मानना था कि व्यक्ति अपनी शक्ति से ज्यादा अपने मनोबल पर निर्भर रहता है। अगर मनोबल ऊँचा हो तो अपने से अधिक शक्तिशाली शत्रु को भी परास्त किया जा सकता है। उन्होंने शल्य से कहा कि वे कर्ण का मनोबल नीचा करते रहें। सारथी के रूप में युद्ध मैदान में कर्ण के सबसे अधिक नज़दीक रहने के कारण उसके लिए यह संभव भी था।

जब भी कर्ण युद्धक्षेत्र में कोई बहादुरी का कार्य करता- शल्य कुछ बेतुकी बातें कर उसका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता। जब भी कर्ण किसी शत्रु को मार गिरा कर गर्व की अनुभूति करता, शल्य फिर से कुछ बातें कर उनकी मानसिक स्थिति को डावाँडोल करने का प्रयास करता। कर्ण को उसने इतना हतोत्साह किया कि वह शल्य से खीझ उठा। लगभग यही हाल आज राहुल गाँधी का है। जब ‘ एयर स्ट्राइक’ के बाद जनता का मनोबल ऊँचा था, सबूत माँग कर कॉन्ग्रेसी नेताओं ने उस मनोबल को तोड़ने और शत्रु के मनोबल को बढ़ाने का कार्य किया। राफेल सौदा सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और देश गर्व की अनुभूति कर रहा था, तब इस पर छींटाकशी कर-कर के कॉन्ग्रेस पार्टी ने गन्दी राजनीति की। चाहे जो भी हो, अगर देश के लोग अपने ही देश के लिए ऐसा करें तो उसका गलत असर तो पड़ता है। शल्य की कहानी में हमने देखा।

अब सुनिए कि फाइलें कैसे गायब होतीं हैं

राहुल गाँधी ने रक्षा मंत्रालय की फाइलों के गायब होने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस सरकार में सबकुछ गायब हो रहा है। उन्हें इस बात का याद दिलाना ज़रूरी है कि उनके वक़्त क्या हुआ था। कोलब्लॉक एलोकेशन घोटाले के बाद कुछ महत्वपूर्ण काग़ज़ात गायब हो गए थे। अव्वल तो यह कि 2006 से 2009 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ही कोयला मंत्रालय देख रहे थे। ख़ुद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने ये बात स्वीकार की थी कि फाइल्स गायब हो गई हैं। लेकिन उस समय तो विपक्षी पार्टियों ने राजनीति करने की बजाय इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। क्या आज राहुल गाँधी एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी नेता की भूमिका नहीं निभा सकते?

जैसा कि प्रधानमंत्री सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु ने अपनी पुस्तक में लिखा है, पीएमओ की फाइलें सोनिया गाँधी के पास जाया करती थीं और वे इस पर निर्णय लेती थी। ये फाइलों के गायब होने से भी बड़ी गंभीर बात है जहाँ प्रधनमंत्री ही असहाय था। अब राहुल गाँधी रक्षा सौदों पर बिना सबूत आक्षेप लगा कर पाकिस्तान का काम आसान कर रहे हैं और देश को गर्त में ढकेलने की कोशिश कर रहे हैं। पाक का क्या, उसे तो भारत के रक्षा सौदों के बिगड़ने से ख़ुशी ही होगी।