Friday, October 4, 2024
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वो ‘अच्छे लोग’ जिहादी आतंक के साए में नेरूदा और फ़ैज़ पढ़कर सो जाते हैं

सीमा पर तनाव का माहौल है। बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से बमबारी जारी है। दो-तीन दिनों पहले उस बमबारी में नौ महीने के एक बच्चे की मौत हो गई और उसी दिन श्रीनगर में कुछ आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोली चलाकर पाँच जवानों और कुछ मासूमों को मार दिया। हर साल इसी तरह कई मासूम लोग आतंकवादियों द्वारा मारे जाते हैं। कुछ लोग ये मानते हैं कि इसे युद्ध से सुलझाया जा सकता है तो कुछ लोग ये मानते हैं कि हिंसा कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं होती। और कुछ लोग ये भी मानते हैं कि Nationalism, hyper-nationalism और jingoism के बहाने युद्ध की बातें करने वाले सारे लोग घिनौने, क्रूर और warmonger होते हैं।

हर मसले का बहुत सारा परिप्रेक्ष्य यानी कि perspective होता है। अक्सर हम ये मान लेते हैं कि हमारा परिप्रेक्ष्य ही सही है और दूसरों का ग़लत। पुलवामा हमले के बाद भी कई तरह के विपरीत विचार सामने आए हैं, लेकिन आज मैं पाकिस्तान को सबक सिखाने की बातें करने वाले लोगों के बारे में बोलना नहीं चाहता। आज मैं उन लोगों के बारे में बातें करना चाहता हूँ, जो ये मानते हैं कि उरी पर फिल्म बनाकर या पुलवामा हमले का बदला लेकर हमने अच्छा नहीं किया। आज मैं कुछ अच्छे लोगों के बारे में बातें करना चाहता हूँ।

अच्छे लोग हिंसा या हिंसा के किसी भी संवाद से दूर रहते हैं। अच्छे लोग आतंकवादी हमलों पर दुःख व्यक्त करते हैं, गाँधी के सन्देश लिखते हैं, फैज़ की नज़्म पढ़ते हैं, चैनल बदल कर गुस्सा कम करते हैं और फिर सो जाते हैं। अच्छे लोग मोदी की हँसी में भी युद्ध के विषैले गीत सुन लेते हैं और अच्छे लोग जैश-ए-मोहम्मद को पनाह देने वाले इमरान खान में statesmanship देख लेते हैं। अच्छे लोगों में अच्छा दिखने की इतनी होड़ लगी रहती है कि हिन्दुस्तान के सौ लोगों का पोस्ट पढ़कर उन्हें पूरा हिन्दुस्तान खून का प्यासा दिखने लगता है और पाकिस्तान के दो पोस्ट पढ़कर पूरा पाकिस्तान उन्हें शान्ति की जन्मभूमि दिखने लगती है।

आतंकवादी कैंपों पर हमला करना कब से ग़लत हो गया?

जब अमेरिका पाकिस्तान में घुस कर लादेन को मार रहा था, तब तो उसे युद्ध नहीं बोला गया था। उस दिन तो हमारे अच्छे लोग ये नहीं कह रहे थे कि ओबामा खून का प्यासा है और उसने वोट के लिए लादेन को मार दिया। उस दिन किसी ने ये नहीं कहा था कि पाकिस्तान की अवाम शांति चाहती है, लेकिन अमेरिकी लोग घिनौने हैं। मोदी ने बस ये कहा है कि पुलवामा का बदला लिया जाएगा और इतने में ही वो सबसे बुरा आदमी हो गया।

अच्छे लोगों का मानना है कि भारत को आतंकवादी कैम्पों पर हमला करने के बाद जश्न नहीं मनाना चाहिए था, क्योंकि इससे शान्ति की प्रक्रिया भंग होती है। अच्छे लोग ‘अच्छा सच’ सुनना चाहते हैं। उन्हें ‘बुरा सच’ उचित नहीं लगता। हर रोज़ जब हम शांति की अच्छी बातें लिखकर सो रहे होते हैं, तो सीमा पर आतंकवादी हमलों में कोई न कोई जवान शहीद होता रहता है। हर रोज़ जब हम फैज़ और नेरुदा की कविताएँ पढ़कर ख़ुद को अच्छा इंसान मानते रहते हैं तो उस समय कुछ निर्दोष लोग हमेशा के लिए शांत कर दिए जाते हैं। शान्ति और कविताएँ उन्हें भी पसंद होती हैं, लेकिन जब उनके सामने आतंकवादी बन्दूक लेकर खड़ा रहता है, तब उनके पास बड़ी-बड़ी philosophical बातें करने का convenience नहीं होता।

अच्छे लोग कहते हैं कि केवल प्रेम और संवाद से हिंसा रोकी जा सकती है। अच्छे लोग आपको ये नहीं सुनाना चाहते हैं कि कश्मीर को per-capita के मुताबिक़ सबसे ज्यादा फण्ड मिलता है। इसमें education और medical facilities पर बहुत ध्यान दिया जाता है। अच्छे लोग ये नहीं सुनना चाहते हैं कि जब कोई जवान आतंकवादी को घेरने जाता है तो उस पर पत्थर बरसाए जाते हैं। अच्छे लोग अच्छी बातें लिख कर समस्या हल कर लेते हैं।

जी बिलकुल, युद्ध से गरीबी और तबाही फैलती है। उससे आम आदमी परेशान होता है। आम आदमी के पास पहले से कम परेशानियाँ नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है कि आतंकवादी हमलों में सेना को शांति से मर जाना चाहिए, ताकि आम आदमी शांति की कविता लिख पाए। एक गंभीर समस्या को बस इसलिए तो नहीं भूल जाना चाहिए क्योंकि कुछ गंभीर समस्याएँ और भी हैं।

अच्छे लोग ये तो बोल देते हैं कि सेना की इतनी फ़िक्र है तो सीमा पर लड़ने क्यों नहीं चले जाते, लेकिन कभी ये नहीं बोलते कि मैं सीमा पर शांति का सन्देश लेकर जाऊँगा।

प्रश्न पूछना अच्छा है। आप पूछते रहिए, लेकिन जवाब यदि कड़वा हो तो कान बंद मत कीजिएगा।

असम के कॉन्स्टेबल रफ़ीकुल इस्लाम ख़ान को Pro-Pak पोस्ट शेयर करना पड़ा भारी, हुआ सस्पेंड

असम के एक कॉन्स्टेबल को नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया है। सस्पेंड करने के साथ ही उसकी गिरफ़्तारी भी हो गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उक्त कॉन्स्टेबल ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान समर्थित पोस्ट शेयर किया था, जिसमें पाक के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की तारीफ़ों के पुल बाँधे गए थे। इतना ही नहीं, इस पोस्ट में इस्लाम धर्म को बढ़ावा देने वाली बातें भी कही गई थी। कॉन्स्टेबल रफ़ीकुल इस्लाम ख़ान मोरीगाँव ज़िले के बरछाला पुलिस आउटपोस्ट में तैनात था।

पुलिस विभाग ने रफ़ीकुल की इस हरकत को अनुशासनहीनता बताया। एसपी स्वप्नानील डेका ने इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए बताया:

“मैंने उसके फेसबुक प्रोफाइल पर किसी और के पोस्ट को शेयर करने के लिए उसके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। इस पोस्ट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की प्रशंसा की गई थी और कहा गया था कि मुस्लिम बहुत उदार (Generous) हैं। कोई भी पुलिस कर्मी किसी धर्म विशेष का पक्ष नहीं ले सकता है।”

निलंबित कॉन्स्टेबल ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच कमिटी बिठाई जाएगी, जिसके बाद इस संबंध में आगे के निर्णय लिए जाएँगे। इसके साथ ही पुलिस को उस व्यक्ति की भी तलाश है, जिसने ये पोस्ट लिखा था। पुलिस इसका पता लगाने में जुटी हुई है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, जब उसने रफ़ीकुल से संपर्क साधना चाहा तो उस से कोई बात नहीं हो पाई।

बता दें कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई में आतंकियों के मारे जाने के बाद ऐसे कई लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इन लोगों ने बलिदानी जवानों का मज़ाक बनाने से लेकर आतंकियों की पैरवी तक की थी।

अमेठी राइफल फैक्ट्री: राहुल गाँधी का महाझूठ, देशी कट्टे और AK-47 के बीच अंतर भूले

राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनसे क्रेडिट छीनने का आरोप लगाया है। मामला रूस के सहयोग से अमेठी में स्थापित कलाश्निकोव राइफल फैक्ट्री से जुड़ा है। यहाँ अत्याधुनिक एक-47 राइफल्स का निर्माण किया जाएगा। कलाश्निकोव 203 दुनिया की आधुनिकतम एके-47 राइफल्स में से एक है। पीएम मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाने वाले राहुल गाँधी इस दौरान स्वयं झूठ बोल गए। मामले को समझने से पहले पूरे घटनाक्रम पर एक नज़र डाल कर इसकी तह तक जाना ज़रूरी है।

रविवार (मार्च 4, 2019) को अमेठी के कौहर स्थित सम्राट मैदान में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कोरवा मुंशीगंज में राइफल फैक्ट्री के उद्घाटन को लेकर लोगों को जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘मेड इन अमेठी’ AK-203 राइफलों से आतंकियों और नक्सलियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में हमारे सैनिकों को निश्चित रूप से बहुत बढ़त मिलने वाली है। उन्होंने इस फैक्ट्री से अमेठी के युवाओं को रोज़गार मिलने की भी बात कही।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने राहुल गाँधी और पिछली यूपीए सरकार पर इस फैक्ट्री को लेकर निशाना साधते हुए कहा:

आपके सांसद ने जब 2007 में इसका शिलान्यास किया, तब ये कहा गया था कि साल 2010 से इसमें काम शुरू हो जाएगा लेकिन काम शुरू होना तो दूर, तीन साल में पहले की सरकार ये तय ही नहीं कर पाई कि अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किस तरह के हथियार बनाए जाएँ। इतना ही नहीं, ये फैक्ट्री बनेगी कहाँ, इसके लिए ज़मीन तक उपलब्ध नहीं कराई गई। हमारे देश को आधुनिक राइफल ही नहीं, आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट ही नहीं, आधुनिक तोप के लिए भी इन्हीं लोगों ने इंतजार कराया है।”

इसके बाद राहुल गाँधी ने ट्वीट कर उनके द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय लेने का आरोप पीएम मोदी पर लगाया। राहुल ने इस फैक्ट्री के 2010 में शिलान्यास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से वहाँ छोटे-छोटे हथियारों का उत्पादन चल रहा है। इस दौरान राहुल देशी कट्टे और अत्याधुनिक कलाश्निकोव 203 एके-47 राइफल्स के बीच का अंतर भूल गए। उन्होंने छोटे हथियारों की बात कह अपनी उस ‘बुद्धिमत्ता’ का परिचय दिया, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। अखिलेश पी सिंह जैसे कॉन्ग्रेसी नेताओं ने भी राहुल के इस बयान को आगे बढ़ाया।

अगर संक्षिप्त में इस फैक्ट्री की टाइमलाइन खीचें तो 2005 में ही सेना ने तत्कालीन यूपीए सरकार से अत्याधुनिक राइफल्स ख़रीदने की माँग की थी। इसके बाद 2 वर्ष सरकार को यह निर्णय करने में ही लग गए कि इस फैक्ट्री को कहाँ स्थापित किया जाएगा। 2007 में अमेठी में राइफल फैक्ट्री के निर्माण का निर्णय लिया गया। इसके बाद 3 वर्ष सरकार को ये तय करने में लगा कि इस फैक्ट्री में किस प्रकार का हथियार बनेगा। कुल मिला कर देखें तो इन सबके बावजूद भी यूपीए सरकार इसको अमली जामा पहनाने में नाकाम साबित हुई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गाँधी के इस झूठ पर से पर्दा उठाने के लिए 2010 के एक न्यूज़ रिपोर्ट का हवाला दिया। ‘TOI’ के इस रिपोर्ट में लिखा गया है:

“अत्याधुनिक कार्बाइन निर्माण के लिए प्रस्तावित फैक्ट्री का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन यह नहीं तय किया गया कि यहाँ कौन सी नयी तकनीक की राइफल्स बनेंगी। अनुचित साइट का चयन और अपर्याप्त मॉनिटरिंग की वजह से ये परियोजना काफ़ी धीमी गति से आगे बढ़ी। कैग रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना में बुरी तरह से देरी होने की संभावना है, जिससे सेना को तत्काल आवश्यक कार्बाइन की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।”

राहुल गाँधी अब कैग सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते रहते हैं लेकिन उन्हीं की सरकार के दौरान कैग ने जो बातें कहीं, उन्हें वह कैसे झूठलाएँगे? कैग ने साफ़-साफ़ कहा है कि एक नहीं बल्कि कई स्तरों पर हुई देरी के कारण ये फैक्ट्री अधर में लटकी रही। इसके लिए 60 एकड़ भूमि की ज़रूरत थी लेकिन इसके उलट सिर्फ़ 34 एकड़ ज़मीन का ही इंतजाम हो सका। ये मसला वर्षों तक उत्तर प्रदेश सरकार के साथ पेंडिंग रहा। 2006 में एक ‘साइट सिलेक्शन कमिटी’ की गठन के बावजूद इस तरह की देरी पिछली केंद्र सरकार के ढुलमुल रवैये को प्रदर्शित करता है।

अमेठी में राइफल फैक्ट्री पर भाजपा का पोस्टर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही कहा कि उन्होंने ‘राइफल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट’ का उद्घाटन किया है लेकिन राहुल इन तकनीकी चीजों को समझे बिना आक्षेप लगाने में महारत रखते हैं। राहुल को आयुध फैक्ट्री और राइफल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के बीच का अंतर ही नहीं पता। राहुल को यह भी नहीं पता कि शिलान्यास और उद्घाटन में क्या फ़र्क़ होता है। उन्होंने ये जानने की भी कोशिश नहीं की कि पिछली सरकारों द्वारा शिलान्यास की गई कई परियोजनाएँ वर्षों तक धूल फाँकती रही, जिनमें से कई को वर्तमान सरकार ने पूरा कराया।

कलाश्निकोव राइफल उत्पादन को लेकर भी मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद कार्य शुरू हुआ। रूस के साथ इस बाबत करार किया गया, जिससे यहाँ साढ़े सात लाख अत्याधुनिक राइफल्स का निर्माण होगा, देशी कट्टे और गुल्ली-डंडे का नहीं। राहुल गाँधी ने जिस फैक्ट्री का शिलान्यास किया था, उसके लिए ₹400 करोड़ के क़रीब का बजट प्रस्तावित था जबकि नरेंद्र मोदी द्वारा की गई ताज़ा घोषणा में ₹12,000 करोड़ की लागत आएगी ‘मेड इन फलाना’ से लेकर ‘मेड इन ढिंगना’ तक की बात करने वाले राहुल को ‘मेड इन अमेठी’ आख़िर पच क्यों नहीं रहा?

महाभारत-कालीन शिव मंदिर जो मृत को भी देता है जीवन: #महाशिवरात्रि पर उत्तराखंड से Exclusive रिपोर्टिंग

उत्तराखंड का आदिकालीन सभ्यताओं से गहरा नाता रहा है। यहाँ ऐसे अनेक स्थान मौजूद हैं, जहाँ ऐतिहासिक एवं पौराणिक काल के अवशेष बिखरे पड़े हैं। इन्हीं में एक स्थल है देहरादून जिले के जौनसार-बावर का लाखामंडल गाँव। माना जाता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पाँचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहाँ लाक्षागृह का निर्माण किया था। एएसआइ को खुदाई के दौरान यहाँ मिले सैकड़ों शिवलिंग व दुर्लभ मूर्तियाँ इसकी तस्दीक करती हैं। युवा पत्रकार आशीष नौटियाल की यह फोटो-फीचर रिपोर्ट लाखामंडल पर ही है।

यमुना नदी के उत्तरी छोर पर स्थित देहरादून जिले के जौनसार-बावर का लाखामंडल गाँव ऐतिहासिक ही नहीं पौराणिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। समुद्रतल से 1372 मीटर की ऊँचाई पर स्थित लाखामंडल गाँव देहरादून से 128 किमी, चकराता से 60 किमी और पहाड़ों की रानी मसूरी से 75 किमी की दूरी पर है। लाखामंडल की प्राचीनता को कौरव-पांडवों से जोड़कर देखा जाता है।

गढ़वाल की पारंपरिक शैली में बना मंदिर परिसर
मुख्य मंदिर जिसे युधिष्ठिर ने बनाया था
मंदिर का रक्षक प्रहरी
रक्षक प्रहरी की सामने से ली गई तस्वीर

मान्यता है कि कौरवों ने पांडवों व उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए ही यहाँ लाक्षागृह (लाख का घर) का निर्माण कराया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि लाखामंडल में वह ऐतिहासिक गुफा आज भी मौजूद है, जिससे होकर पांडव सकुशल बाहर निकल आए थे। लोगों का कहना है कि इसके बाद पांडवों ने ‘चक्रनगरी’ में एक माह बिताया, जिसे आज चकराता कहते हैं। लाखामंडल के अलावा हनोल, थैना व मैंद्रथ में खुदाई के दौरान मिले पौराणिक शिवलिंग व मूर्तियाँ गवाह हैं कि इस क्षेत्र में पांडवों का वास रहा है।

लोग इन्हें भीम की गदा बताते हैं। ASI की ख़ुदाई में यहाँ लगातार ऐसी आकृतियाँ और भगवान की मूर्तियाँ निकलती हैं
पांडव गुफा का द्वार
पांडव गुफा के अंदर बैठकर बाबा ‘चिल’ करते हुए
बाबाजी ‘calm’ मूड में

कहते हैं कि पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है। इसी लिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियाँ हैं, जो पश्चिम की ओर मुँह करके खड़े हैं। इनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। शिव को समर्पित लाक्षेश्वर मंदिर 12-13 वीं सदी में निर्मित नागर शैली का मंदिर है।

यात्रियों को मंदिर के बारे में समझाते हुए स्थानीय बुजुर्ग। यह यूट्यूब पर भी मंदिर के बारे में बताते हुए दिख जाते हैं। हालाँकि यह मंदिर से ज्यादा यह बताते हैं कि ‘उटूब’ पर भी आता हूँ।
मंदिर में श्रद्धालु करा रहे फोटो सैशन
मंदिर के बाहर का दृश्य- शांति और सुकून देने वाला
शिवलिंग का जलाभिषेक करते श्रद्धालु
मंदिर के द्वार की शोभा बढ़ाती हुई घंटिया

कर्नाटक: कॉन्ग्रेस MLA उमेश जाधव ने दिया इस्तीफ़ा, थाम सकते हैं BJP का हाथ

लोकसभा चुनाव नज़दीक आते ही कर्नाटक में एक बार फिर से सियासी हलचल शुरू हो गई है। यहाँ कॉन्ग्रेस के विधायक उमेश जाधव ने विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार को आज (मार्च 4, 2019) को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है। हालाँकि इस्तीफ़ा देने का कारण अभी तक सामने नहीं आया है। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कदम के बाद वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

आपको बता दें कि 6 मार्च को कुलबर्गी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक रैली को संबोधित करने वाले हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस मौक़े पर जाधव को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दी जा सकती है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो यदि जाधव भाजपा से जुड़ते हैं तो यह लगभग निश्चित है कि कुलबर्गी से भाजपा उन्हें ही कॉन्ग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के ख़िलाफ़ अपना उम्मीदवार बनाकर उतारेगी। बता दें कि कुलबर्गी की चिंचोली विधानसभा सीट से उमेश जाधव दो बार विधायक चुने जा चुके हैं।

विधायक जाधव के इस फ़ैसले के साथ ही कुल 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में कॉन्ग्रेस के विधायकों की संख्या अब 80 से घटकर 79 रह गई है।

इसके अलावा बताते चलें कि उमेश जाधव कॉन्ग्रेस के उन चार विधायकों में से एक हैं, जो पिछले दो बार से कॉन्ग्रेस विधायकों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। यही कारण था कि कॉन्ग्रेस ने उनकी शिकायत विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार से की थी। साथ ही उनके ख़िलाफ़ दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई करने की माँग भी की गई थी।

47 साल की माँ, 28 की बेटी… साथ जाती थीं कोचिंग, एक ही साथ मिली नौकरी

तमिलनाडु के थेनी जिले की 47 वर्षीय महिला ने अपनी 28 वर्षीय बेटी के साथ राज्य सेवा आयोग की परीक्षा पास करके ये साबित कर दिया है कि पढ़ने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मन में अगर ललक और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो उम्र या परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं।

तीन बच्चों की माँ एन शांतिलक्ष्मी और उनकी बेटी आर तेनमोजी ने राज्य सेवा आयोग ग्रुप-4 की परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी हासिल की है। शांतिलक्ष्मी की नियुक्ति स्वास्थ्य विभाग में हुई है जबकि तेनमोजी की नियुक्ति धर्मस्व विभाग में।

5 साल पहले तक शांतिलक्ष्मी एक गृहिणी थीं। लेकिन 2014 में पति के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ उन पर आ गईं। इसके बाद कला में स्नातक (बीए) व बीएड कर चुकीं शांतिलक्ष्मी ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी।

वो दिन जब बदल गई शांतिलक्ष्मी की सोच

एक दिन शांतिलक्ष्मी अपनी बड़ी बेटी आर तेनमोजी का दाखिला एक नि:शुल्क कोचिंग में करवाने गईं। वो वहाँ पर गई तो थीं अपनी बेटी का दाखिला करवाने मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। बातचीत में जब उस कोचिंग के संचालक जी. सेंथिलकुमार ने उन्हें बताया कि वो भी परीक्षा दे सकती हैं तो शांतिलक्ष्मी ने भी बेटी के साथ कोचिंग जाने का मन बना लिया। फिर दोनों माँ-बेटी एक साथ कोचिंग जाने लगीं।

जब कभी किसी पारिवारिक जिम्मेदारियों या फिर किसी अन्य कारणों से माँ कोचिंग नहीं जा पाती थीं, तो बेटी ही माँ को घर पर पढ़ा देती थी। कोचिंग के सँचालक के मुताबिक इस पद के लिए दसवीं तक की योग्यता अनिवार्य थी और उम्र सीमा में असीमित छूट भी। आयुसीमा में यही छूट शांतिलक्ष्मी के लिए वरदान साबित हुआ। सेंथिलकुमार बताते हैं कि कक्षा में अन्य छात्र शांतिलक्ष्मी की बेटी के उम्र के थे, लेकिन शांतिलक्ष्मी ने प्रश्न पूछने में कभी हिचकिचाहट महसूस नहीं की।

हाल ही में तमिलनाडु राज्य सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम घोषित हुए हैं। इसमें दोनों माँ- बेटी का चयन हो गया है। शांतिलक्ष्मी को उम्मीद है कि उनकी पोस्टिंग होम-टाउन में ही होगी। लेकिन वो दृढ़संकल्प से यह भी कहती हैं कि अगर ऐसा ना भी हुआ तो भी वो नौकरी को ना नहीं कहेंगी।

#महाशिवरात्रि: भारत का कोई श्रद्धालु नहीं करेगा इस मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन, जानें वजह!

आज मंदिरों में लगी लंबी कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि महाशिवरात्रि के पावन मौक़े पर हर शिव श्रद्धालु अपने प्रभु की भक्ति में लीन है। लेकिन इस शुभ अवसर पर शिव का एक मंदिर ऐसा भी है, जहाँ भारत से कोई भी श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं पहुँच रहा है।

हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के लाहौर से 280 किमी दूर पहाड़ियों पर स्थित भगवान शिव के कटासराज मंदिर की। यहाँ आज महाशिवरात्रि पर भारत से कोई भक्त शिव दर्शन के लिए नहीं पहुँचा है। ज़ाहिर है इसका कारण दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ही हैं। जिसके कारण श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान जाने का वीजा ही नहीं लिया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनावों के कारण श्रद्धालुओं की भक्ति पर असर पड़ा हो, इससे पहले भी ऐसी स्थिति 1999 के कारगिल युद्ध और 2008 के मुंबई हमले के बाद पैदा हुई थी।

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट में लगातार 36 साल से भारतीय लोगों को कटासराज लेकर जाने वाले संयोजक शिवप्रताप बजाज ने बताया कि भारत के 141 श्रद्धालुओं ने कटासराज जाने के लिए वीजा की अर्जी लगाई थी। लेकिन पुलवामा हमले के बाद उन्होंने वहाँ न जाने का फैसला किया है। शिवप्रताप बताते हैं कि सिंध के कुछ हिंदू उनकी ओर से भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे।

भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 1000 साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर को महाशिवरात्रि के लिए साफ़ किया गया है। कुछ समय पहले इसके पास लगी सीमेंट फैक्ट्रियाँ बोरवेल से पानी निकाल रही थीं। जिससे जमीनी पानी का स्तर घटता गया और सरोवर सूखने की हालत पर पहुँच गया था। लेकिन फिर सिंध के हिंदुओं की याचिका पर पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय ने सरोवर को ठीक करने के आदेश दिए। साथ ही इन फैक्ट्रियों पर 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया और सरोवर के पास से इन्हें हटाने के विकल्प पर भी विचार करने को कहा गया। अब 150 फीट लंबे और 90 फीट चौड़े पवित्र सरोवर का पानी शीशे की तरह साफ़ है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद से ही पाक सरकार इस मंदिर को यूनेस्को की हैरिटेज लिस्ट में लाने के लिए भी प्रयासरत है।

इस मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि माता सती की मृत्यु होने पर जब शिव रोए थे तो उनके अश्रुओं से एक नदी बन गई थी। इस नदी से दो सरोवर बने। एक तो भारत के पुष्कर में है और दूसरी पाकिस्तान के कटासराज में।

‘अल्लाह जो फैसला करेगा, वो मोदी करेगा’ – PM से प्रभावित एक व्यक्ति के शब्द, वीडियो Viral

पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में हुई एनडीए की संकल्प रैली कई मायनों में अहम रही। सबसे अहम तो यह रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने करीब नौ साल बाद किसी चुनाव रैली में एक साथ मंच साझा किया।

इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण से विपक्ष को तो करारा जवाब दिया ही, साथ ही एयर स्ट्राइक का सबूत माँगने वाले लोगों को भी आइना दिखाया। लोग पीएम मोदी के भाषण से काफी प्रभावित दिखे। यहाँ प्रधानमंत्री ने 850 भारतीय बंदियों को सऊदी अरब से छोड़े जाने और पूरे विश्व में सिर्फ भारत का हज कोटा बढ़ा कर दो लाख करने की भी बात भी कही।

संकल्प रैली के दौरान अपनी प्रतिक्रिया रखते लोग (साभार: प्रभात ख़बर)

मोदी की इस बात पर यहाँ भाषण सुनने आए लोगों ने अपने विचार रखे। इन्हीं में से एक थे अब्दुल जब्बार कासमी। इन्होंने पीएम मोदी की तुलना अल्लाह से कर दी। अब्दुल जब्बार ने कहा कि मोदी जी अल्लाह तो नहीं है। मोदी जी इंसान है और इंसान अल्लाह से बढ़कर तो नहीं होता। लेकिन अल्लाह जो फैसला करेगा, मोदी वही करेगा। वहीं जब उनसे प्रधानमंत्री बनने के बारे में पूछा गया कि मोदी और राहुल में से किसे पीएम बनना चाहिए तो उन्होंने इसे भी अल्लाह के ऊपर छोड़ते हुए कहा जो अल्लाह चाहेगा, वही होगा।

इस मौके पर एक महिला भी पीएम मोदी का पूर्ण समर्थन करती दिखीं। महिला का कहना था कि जब पीएम मोदी ने इतनी बड़ी बात सुलझा दी तो हम उन्हें एक बार नहीं, पाँच बार जिताएँगे और आगे बढ़ाएँगे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें ही आगे भी जिताना चाहिए।

बता दें कि पीएम मोदी ने भाषण देते हुए कहा कि 50 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत को इस्लामिक कॉन्फ्रेंस में गेस्ट ऑफ ऑनर का सम्मान मिला है। पीएम ने कहा कि हाल में भारत दौरे पर आए सऊदी अरब के प्रिंस क्राउन से अरब के जेलों में छोटी-मोटी गलती के कारण बंद भारतीय बंदियों की रिहाई पर बात हुई। जिसके बाद उन्होंने 850 बंदियों को छोड़ने का फैसला भी कर लिया है। इसके साथ ही हज पर जाने वाले भारतीयों का कोटा बढ़ाते हुए दो लाख कर दिया गया। ऐसा सिर्फ भारत के लिए ही हुआ है।

मुर्तजा अली: नेत्रहीन लेकिन सोच हम सबसे आगे की… पुलवामा के वीरों के नाम करेंगे ₹110 करोड़

पुलवामा हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों के लिए देश के कोने-कोने से लोग मदद भेजने में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कोटा के निवासी मुर्तजा अली ने भी वीरगति को प्राप्त हुए सुरक्षाबलों के नाम ₹110 करोड़ देने की इच्छा जताई है।

एक तरफ जहाँ कुछ राजनेता अपनी राजनीति में डूबकर वायुसेना हमले का सबूत माँगने में व्यस्त हैं वहीं एक आम शख्स ने ऐसा कदम उठाकर पूरे देश का दिल जीत लिया। इस 110 करोड़ रुपए की राहत राशि को मुर्तजा ने प्रधानमंत्री राहत कोष में भेजने का फैसला किया है। अपनी जीवन भर की पूँजी को बलिदान हुए जवानों के परिवार वालों के नाम करने वाला यह मुर्तजा अली नामक दिलेर शख्स आखिर है कौन?

मुर्तजा अली मूलत: कोटा के निवासी हैं। लेकिन इस समय वह मुंबई में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। बलिदान हुए जवानों के परिवार की मदद के लिए मुर्तजा ने पीएम कार्यलय में ईमेल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय माँगा है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी उन्हें 2-3 दिन में पीएम के साथ मिलने का आश्वासन दिया है।

खबरों के अनुसार मुर्तजा पीएम मोदी से उनके कार्यालय में मिलकर उन्हें ₹110 करोड़ का चेक देंगे। इसके लिए उन्होंने पहले से हर कागजी कार्यवाई भी कर रखी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि मुर्तजा जन्म से ही नेत्रहीन हैं। बावजूद इसके वो एक जाने-माने वैज्ञानिक हैं। कुछ समय पहले वह फ्यूल बर्न रेडिएशन तकनीक की मदद से जीपीएस, कैमरा या किसी भी अन्य उपकरण के बिना किसी वाहन को ट्रेस करने का आविष्कार कर चुके हैं।

मुर्तजा ने कोटा के कॉमर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। साथ ही उनका ऑटोमोबाइल का पुराना बिजनेस भी है। फिलहाल अपने इस कदम से लोगों के दिलों में घर कर जाने वाले यह वैज्ञानिक PMO के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं ताकि बलिदान हुए जवानों के परिवारों तक मदद पहुँचाई जा सके।

UPA-2 ने क्रिश्चियन मिशेल के दबाव में टाला था राफेल डील: रिपोर्ट्स

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले मामले के आरोपित क्रिश्चियन मिशेल का नाम अब राफेल डील में भी सामने आ रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शक है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-2 के दौरान राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में हुई देरी के लिए वैश्विक डिफेंस डील का चर्चित बिचौलिया क्रिस्चन मिशेल का हाथ हो सकता है। इस संबंध में ईडी अब जाँच कर सकती है। यह जाँच इसलिए भी की जाएगी क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर डील की कथित सफलता के बाद क्रिस्चन मिशेल की पहुँच काफी बढ़ गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय के एक सूत्र (उच्च पदस्थ) ने बताया कि 2012 में राफेल डील को लेकर तब की केंद्र सरकार बहुत उत्‍सुक नहीं थी। और यह तब हुआ था जबकि दसॉ (राफेल बनाने वाली कंपनी) को सबसे कम बोली लगाने वाला (L1) घोषित किया जा चुका था। इस कारण से केंद्र सरकार की बातचीत कंपनी के साथ बहुत आगे बढ़ गई थी। लेकिन अचानक से कुछ मुद्दों पर मतभेद काफी बढ़ गया था। इसके बाद मनमोहन सरकार ने इस डील को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया था। प्रवर्तन निदेशालय की नज़र राफेल डील में हुई देरी को लेकर क्रिस्चन मिशेल पर इसलिए भी टिक गई है क्योंकि उसने राफेल के प्रतिस्‍पर्द्धी यूरोफाइटर में अपनी दिलचस्‍पी बढ़ा ली थी।

‘मिशेल को डिफेंस पर कैबिनेट मीटिंग और गुप्त फ़ाइलों का पता’

10 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “अगस्ता वेस्टलैंड के मामले में आरोपित बिचौलिया मिशेल को रक्षा मामले में कैबिनेट की मीटिंग और रक्षा से जुड़ी सरकार की गुप्त फ़ाइलों के बारे में कैसे पता चल जाता था?”

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि देश की जनता कॉन्ग्रेस से यह जानना चाहती है कि मिशेल ने देश की सुरक्षा से जुड़े इन मामलों में कैसे हस्तक्षेप किया। वैश्विक ताकतें अक्सर यह चाहती हैं कि अपने देश की सैन्य ताकत मजबूत नहीं हो। ऐसे में रक्षा सौदे में एक विदेशी बिचौलिए की भूमिका निश्चित रूप से देश के लिए खतरनाक है।

मिशेल की पहुँच CCS, PMO ही नहीं बल्कि जाँच एजेंसियों तक भी!

आपको बता दें कि यह आश्चर्यजनक रहस्योद्घाटन मिशेल के 2009 के डिस्पैच के आधार पर किया गया है, जिसे उसने अपने साथी बिचौलिए, गुइडो राल्फ हाश्के को लिखा था। 6 दिसंबर 2009 के इस डिस्पैच में, हाश्के को अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाले के एक सह-अभियुक्त वकील गौतम खेतान से दूरी बनाने की बात लिखी गई है।

इसका कारण बताते हुए क्रिश्चियन मिशेल ने हाश्के को लिखा था कि खेतान ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के भीतर अपने ‘दोस्त’ के साथ मिलकर रियल एस्टेट फर्म एम्मार एमजीएफ़ के ख़िलाफ़ छापा मारने की कोशिश की थी। उस समय कंपनी अपना पहला इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) शुरू करने वाली थी। लेकिन एमजीएफ़ के लोगों को इसके बारे में पता चल गया था और उन्होंने हाश्के के लोगों को ‘गेट लॉस्ट’ कहा था।