Friday, October 4, 2024
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हम थोड़े बेवफ़ा क्या हुए, आप तो बदचलन हो गए: राहुल गाँधी अमेठी सभासदों से

राजनीति के घोड़े पर सवार राहुल गाँधी ने अभी-अभी रफ़्तार पकड़ी थी। तीन राज्यों में सरकार बनाई। वो भी हिन्दी पट्टी में। लेकिन घोड़ा दुलत्ती भी मारता है, इस ज्ञान को कैलाश के रास्ते में खोज न पाए! और नतीजा अमेठी में मिला।

अमेठी जो न सिर्फ राहुल गाँधी का गढ़ है, बल्कि कॉन्ग्रेस पार्टी का पर्याय भी। यहाँ से कॉन्ग्रेस पार्टी के 13 सभासदों ने कल मतलब बुधवार मतलब 30 जनवरी 2019 को ‘हाथ’ झटककर ‘कमल’ का दामन थाम लिया। अब कहाँ कॉन्ग्रेस जैसी बड़ी पार्टी, और कहाँ छोटे-मोटे सभासद। लेकिन एक कहावत है – देखन को छोटन लगे, घाव करे गंभीर!

गंभीर ही है घाव। यकीन मानिए। सभी के सभी 13 सभासद ‘अल्पसंख्यक’ समाज से आते हैं। कॉन्ग्रेस के लिए यह घाव तब भगंदर बन गया, जब ख़बर में यह भी है कि ना सिर्फ 13 सभासदों ने बल्कि अल्पसंख्यक समाज की कई महिलाएँ और पुरुषों ने भी ‘कमल’ को ही अपना लिया।

नरेंद्र मोदी पर ‘फूट डालो और शासन करो’ का आरोप लगाने वाले ‘शिवभक्त’ ‘रामभक्त’ दत्तात्रेय गोत्री राहुल गाँधी को यह लाइन टेप-रिकॉर्डर में रिपीट मोड ऑन करके सुनना चाहिए – “13 सभासदों के साथ सैकड़ों लोगों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। भाजपा सबका साथ और सबका विकास की राजनीति करती है। इसलिए हम लोगों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।”

हमारे एक साथी हैं। शानदार लिखते हैं। फ़िल्में उन्हें बेहद पसंद है। इसलिए लेखनी में फ़िल्मों के डायलॉग या गाने भी चिपका देते हैं। उन्होंने कभी कपिल सिब्बल को देशद्रोह कानून पर अपनी लेखनी में एक नसीहत दी थी: “येक पे रहना – या घोड़ा बोलो या चतुर बोलो।” पता नहीं क्यों, उनकी यह कालजयी लाइन (जो एक गाने की है, उनकी इसलिए क्योंकि राजनीतिक संदर्भ में पिरोया उन्हीं ने) “येक पे रहना – या घोड़ा बोलो या चतुर बोलो” – राहुल गाँधी पर बहुत सटीक बैठ रही है।

अब देखिए न! कहाँ तो बेचारे जनेऊ धारण कर कमंडल को साधने चले थे। पता चला टोंटी वाले लोटे ने धोखा दे दिया। तिलक लगा राम-भक्त बनने निकले थे, रहीम ने दूरी बना ली। टेंपल-रन के मामले में मोदी को पीछे छोड़ने वाले ‘असली और एकमात्र’ शिव-भक्त राहुल से अगर मुहर्रम पर सवाल पूछ दिए जाएँ तो मैं ‘केजरीवाली’ दावे के साथ कह सकता हूँ कि कल को शिया-सुन्नी भी इनसे कट लेंगे। और जिनको आप साधना चाह रहे हैं, वो सब गंगा मइया में नंगे हैं, तो बताइए भला, क्या आप नंगों के मत से सरकार बनाएँगे! छी-छी-छी!

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसीन रजा ने अमेठी को दिलचस्प बना दिया है। यह सारा कारनामा उन्हीं का है। वैसे वो राहुल गाँधी के परिवार को बहुत प्यार करते हैं। इतना प्यार, इतना प्यार कि वो अकेले ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने पिछले सप्ताह (या शायद 10 दिन) राहुल के दादाजी स्वर्गीय फ़िरोज गाँधी को श्रद्धांजलि देने गए थे। यह और बात है कि अपने दादाजी को श्रद्धांजलि देने के लिए राहुल गाँधी को बीजेपी जॉइन करनी ही पड़ी, ऐसी बाध्यता नहीं है।

भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का वार: अगस्ता वेस्टलैंड मामले में 2 दलाल पकड़ाए, आज कोर्ट में पेशी

भारत ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले पर कार्रवाई तेज़ करते हुए क्रिस्चियन मिशेल के बाद दो अन्य दलालों को दुबई से प्रत्यर्पित करने में सफलता पाई है। घोटाले के सह-अभियुक्त राजीव सक्सेना को बुधवार (जनवरी 30, 2019) सुबह 9:30 बजे उनके आवास से UAE की सुरक्षा एजेंसी द्वारा उठा लिया गया और शाम 5:30 को भारत के लिए प्रत्यर्पित किया गया। वहीं एक अन्य सफल कार्रवाई में दीपक तलवार को भी भारत लाया गया है, जिसे दुबई के अधिकारियों ने पकड़ा था।

दैनिक जागरण के सूत्रों के मुताबिक़ आइजी रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में प्रवर्तन निदेशालय का एक दल, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अफसर और रॉ के अफसरों की एक टीम ने इस काम को अंज़ाम दिया। ताज़ा ख़बरों के अनुसार, भारतीय अधिकारी दोनों ही आरोपितों से पूछताछ कर रहे हैं। इस पूछताछ के बाद घोटाले से जुड़े कई अन्य जानकारियों के भी पर्दाफ़ाश होने की संभावना है।

दुबई में रहने वाले सक्सेना को ईडी ने कई बार तलब किया था। 2017 में उसकी पत्नी को भी चेन्नई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि उसकी पत्नी अभी जमानत पर बाहर है। ईडी के अनुसार, सक्सेना, उसकी पत्नी और दुबई स्थित उसकी दो फर्मों ने धन शोधन किया है। सक्सेना और तलवार को पटियाला कोर्ट में पेश करने की तैयारी की जा रही है।

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3,600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए क्रिश्चियन मिशेल को 22 द‍िसंबर को ईडी की 7 दिन की हिरासत में भेज दिया था। इस मामले में विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने बिचौलिए मिशेल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में अगस्ता-वेस्टलैंड के खिलाफ़ मध्यस्थता की कार्रवाई के लिए याचिका दायर की। सरकार के पक्ष को सुनने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख़ 28 फ़रवरी तय कर दी है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को हलफ़नामा दायर करने के लिए 5 सप्ताह का समय भी दिया है।

आपको बता दें कि 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टरों की खरीद के लिए इटली की कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में करार किया गया था। 3,600 करोड़ रुपए के करार को जनवरी 2014 में भारत सरकार ने रद्द कर दिया था। जानकारी के लिए बता दें कि इस करार में 360 करोड़ रुपए के कमीशन के भुगतान का आरोप लगा था। इटली की कंपनी और भारत सरकार के बीच के इस करार में कमीशन की ख़बर सामने आते ही 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई पर सरकार ने फ़रवरी 2013 में रोक लगा दी थी।

इज़राइल से ₹5,700 करोड़ में दो AWACS ख़रीदेगा भारत

भारत ने इज़राइल से दो और फाल्कन एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कण्ट्रोल सिस्टम (“Phalcon” Airborne Warning And Control System) एयरक्राफ्ट ख़रीदने का निर्णय लिया है। इसे AWACS भी कहा जाता है। इन दोनों की कुल कीमत $800 मिलियन यानी ₹5,700 करोड़ होगी। सरकार इसके लिए जल्द ही बजट का अनुमोदन करने वाली है। अभी हाल ही में भारत ने एयर डिफेंस रडार (ADR) के लिए इज़राइल से ₹4577 करोड़ का करार किया है।

इज़राइल भारत के शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्ता देशों में से एक है। भारतीय सेना इस स्थिति को मज़बूत करते हुए इज़राइल से अतिरिक्त हेरॉन (Heron) और हारोप (Harop) भी ख़रीदना चाहती है। ये दोनों ही मानवरहित विमान हैं, जो दुश्मन के रडार में या अन्य लक्ष्य पर विस्फोट करने के लिए क्रूज़ मिसाइल का भी कार्य करते हैं। भारतीय सशस्त्र सेना इज़राइल से ऐसे अन्य वाहन भी ख़रीदना चाहती है।

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 11 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे हैं। पिछले एक वर्ष में उनका यह दूसरा भारत दौरा होगा। 2017 में नरेंद्र मोदी ने भी यहूदी देश इज़राइल का दौरा किया था। मोदी इज़राइल जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। नेतन्याहू के दौरे के बाद भारत-इज़राइल संबंध और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। वह अपने भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक करेंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, तेल अवीव “स्पाइक” एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) के लिए समझौते पर नए सिरे से जोर दे रहा है। ज्ञात हो कि 2017 के अंत में भारत ने 8,356 मध्यम दूरी की स्पाइक मिसाइलों, 321 लॉन्चर और 15 सिमुलेटरों के लिए प्रस्तावित ₹3,200 करोड़ के सौदे को रद्द कर दिया था। ऐसा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के कहने पर किया गया था। एजेंसी ने कहा था कि वह एक-दो साल के भीतर तकनीकी रूप से अधिक उन्नत मैन-पोर्टेबल एटीजीएम प्रदान कर सकता है।

अनुमानित रूप से ₹12,640 करोड़ के एक बड़े करार में, 400 की संख्या में 155mm आर्टिलरी गन सिस्टम (Artillery Gun Systems) की सप्लाई करने के लिए इज़रायल की कम्पनी एलबिट सिस्टम्स (Elbit Systems) फ्रांस की नेक्सटर सिस्टम के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है। करार के अनुसार 1,180 और आर्टिलरी गन सिस्टम बाद में मेड इन इंडिया के तहत भारत में बनाई जानी है।

भारत ने हाल ही में इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ 66 अग्नि नियंत्रण रडार (Fire Control Radars) के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के रख-रखाव के साथ ₹4,577 करोड़ का सौदा किया है। ये 3-डी निगरानी और ट्रैकिंग रडार सेना की वायु रक्षा वाहिनी के पास मौज़ूद फ्लाईकैचर रडार सिस्टम की जगह लेंगे, जो अब पुरानी हो गई है।

टाइम्स नाउ-VMR सर्वे में NDA को 252, UPA को 147 सीट, त्रिशंकु लोकसभा

आजकल हर टीवी चैनल और मीडिया हाउस नए-नए सर्वे करा रहा है। हाल ही में इंडिया टुडे और फ़र्स्ट पोस्ट के सर्वे भी आए थे। चुनावों की घोषणा अगले महीने हो सकती है, और अप्रैल में चुनावों के शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।

ऐसे में टाइम्स नाउ-VMR का सर्वे आया है जिसमें आगामी लोकसभा चुनावों में किसी भी पार्टी या गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिखाया जा रहा। सर्वे के अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाली NDA को 252 सीटें मिलने की बात कही गई है। इसमें से भाजपा को कुल 215 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है जो कि पिछले चुनावों के 282 सीटों के आँकड़े से 67 कम है। 

इसी सर्वे में अगर UPA की बात करें तो इस गठबंधन को 147 सींच मिलने की उम्मीद है। इसमें से कॉन्ग्रेस को 96 सीटें मिल सकती हैं, जो कि पिछले चुनावों के 44 सीटों से 52 ज़्यादा है। 

सर्वे में भाजपा के कम सीटों का सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन दिख रहा है जो कि भाजपा वाले NDA को 27 पर गिराता दिख रहा है। पिछले लोकसभा चुनावों में, और विधानसभा चुनाव में भी, भाजपा ने अप्रत्याशित सफलता पाई थी। लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन, सर्वे की मानें तो, भाजपा के ताबूत का कील बनती दिख रही है। 

हालाँकि, पिछले कई बार ऐसे सर्वे बिलकुल ही गलत साबित हो चुके हैं। अगर अभी तक के तीन बड़े सर्वेक्षणों की बात करे तो फ़र्स्ट पोस्ट ने भाजपा को आगे बताया। 

सर्वे के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेतृत्‍व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) को जनता की पहली पसंद माना जा रहा है। इस सर्वे के अनुसार NDA, विपक्षी महागठबंधन से बहुत आगे है। इस सर्वे में 52.8% जनता पीएम नरेंद्र मोदी को सर्वाधिक भरोसेमंद नेता मानती है। वहीं, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर केवल 26.8% जनता ने ही विश्वास जताया है।

वहीं, इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार उत्तर भारत के पाँच राज्यों में चुनाव के नतीजे एनडीए के समर्थन में ही आने वाली है। सर्वे के मुताबिक इन पाँच राज्यों – दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान- में NDA को 40% तक वोट मिल सकते हैं, जबकि UPA को महज 23% वोट मिलने की संभावना है। हालाँकि, इस रिपोर्ट के मुताबिक अन्य दल इन राज्यों में यूपीए से ज़्यादा भाजपा व उनके सहयोगी दलों के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।

कलिकाल के संजय हैं दिव्यदृष्टिधारी जनेऊधारी शिवभक्त रामभक्त दत्तात्रेय गोत्री राहुल गाँधी

कॉन्ग्रेस पार्टी की एकमात्र उम्मीद अपने राजनीतिक करियर में एक के बाद एक लगभग पिछत्तिस चुनाव हारने से इतने दुखी हुए हैं कि आए दिन वो कोई नया दिवास्वप्न देखने लगे हैं। लेटेस्ट दिवास्वप्न जो उन्होंने इस क्रम में देखा है, वो ये है कि गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर ने उनसे बताया था कि राफेल डील बदलते समय पीएम नरेंद्र मोदी ने मनोहर पर्रिकर से नहीं पूछा था।

शायद ऐसे स्वप्न देखकर वो अब ये सुबूत देना चाह रहे हैं कि जनेऊ धारण करते ही वो अब महाभारत और उसके पात्रों में विश्वास करते हैं और इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित वो संजय के किरदार से हुए हैं, वही संजय जो अपनी दिव्यदृष्टि से धृतराष्ट्र को युद्धभूमि का हाल सुनते थे।

राहुल गाँधी ने शायद अब अपना एक ध्येय बना लिया है कि चाहे तथ्य कुछ भी कहें, लेकिन उन्होंने जो स्वप्न देखा है वही उनके तथ्य का पुख्ता सुबूत है। ऐसा करने में उन्होंने उस मीडिया गिरोह को भी पीछे छोड़ दिया है, जो ‘साँय -साँय’ वाली रहस्य और रोमाँच से भरी कहानियाँ अपनी ‘विशेष चर्चा’ में चलाने में माहिर हैं।

अलीगढ़ के ‘पिलर लंबर बारा’ पर बैठे हमारे एक ‘गुप्त सूत्र’ की रिसर्च की मानें तो ऐसे हादसे राहुल गाँधी के साथ ख़ासकर तब से होने लगे हैं, जब से उन्होंने यज्ञोपवीत धारण किया है। हमारे इस गुप्त सूत्र को शक है कि राहुल गाँधी को शायद जनेऊ ‘सूट’ नहीं  कर रहा है। और इसी वजह से वो आए दिन अनाप-शनाप सपने देखने लगे हैं।

इससे पहले राहुल गाँधी को स्वप्न आया था कि वो कैलाश मानसरोवर यात्रा पे 13 घंटे लगातार पैदल चलकर जा रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि अपनी इस युवावस्था में ढलते-उजड़ते राजनैतिक करियर को सँभालने के लिए जब राहुल गाँधी को एक व्यक्तिगत राजनीतिक सलाहकार और तेज-तर्रार किसी PR दलों की सहायता लेनी चाहिए थी, वो फोटोशॉप करने वाले युवाओं की मदद ले रहे हैं।

अपनी कैलाश मानसरोवर यात्रा से काला चश्मा और कूल वाली टोपी के साथ स्वप्नद्रष्टा राहुल गाँधी द्वारा जारी तस्वीरें , तस्वीर में कहीं से लाठी की छाया लाकर लगाने वाले को मिलेगा ‘गुप्त सूत्र’ बाबा का ऑटोग्राफ़

बाज़ार में इसके पहले भी इस प्रकार के ‘स्वप्न-राहुलदोष’ के मामले चर्चा में आ चुके हैं, जब पहले अपनी चौड़ाई दिखाने के लिए राहुल गाँधी ने कहा था कि हाँ, वो चीन के साथ विवाद के बावजूद चीन के अधिकारियों से मिलने गए थे। लेकिन यह मामला जैसे ही ‘राष्ट्रवादी’ रंग में आया और सुरक्षा कारणों से यह मुलाकात एकदम बेवकूफ़ाना और राहुल गाँधी के स्तर की बताई गई, तब राहुल गाँधी एकता मंच यह कहता पाया गया कि नहीं, उन्होंने चीन में किसी से कोई मुलाकात नहीं की थी और अगर की भी होगी तो यह राजनयिकों से होने वाली मुलाकात का हिस्सा मात्र था, जो की विपक्ष का नेता होने के नाते वह कर सकते हैं।

विपक्ष का नेता? जी हाँ, यानी एक और स्वप्न, जब आपकी पार्टी के पास पिछले 4 सालों से विपक्ष लायक सीटें भी नहीं हैं, तो फिर आप किस विपक्ष के नेता हैं? मने भाई साब, विपक्ष की ये किस लाइन में आ गए आप?

यह राहुल गाँधी स्वप्नों का आदि हो चुका है और अब ये विपक्ष का ‘तंत्र-साधक’ नेता स्वप्न के दूसरे ही स्तर पर पहुँच चुका है। इस स्तर में होता यह है कि इंसान अपनी खुद की मुलाकातों के स्वप्न के अलावा ये भी दिव्यदृष्टि से जान लेता है कि दूसरे लोग किस-किस से मिल रहे हैं। इसका सबसे जबरदस्त उदाहरण है, जब कलिकाल के इस संजय ने अरुण जेटली की विजय माल्या से वो मुलाकात देख डाली, जिसमें अरुण जेटली माल्या की अटैची और बिस्तरबंद लेकर उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने जा रहे थे।

अंधभक्त और गोदी मीडिया कभी भी नहीं मानेगा कि महाठगबंधन अपनी जगह पर है, लेकिन मोदी जी को अगर असल मायनों में कोई चुनौती दे रहा है, तो वो सिर्फ और सिर्फ राहुल गाँधी हैं। इसके लिए उनके पास कारण भी हैं। मामला चाहे राफ़ेल का हो या फिर कोई और, तमाम सरकारी स्पष्टीकरणों के बाद भी जिस चौड़ाई और हठ से वो अपने बयानों पर अड़े रहते हैं, वो वाकई देखने लायक और लाजवाब है।

गंदे नाले से बॉल निकाल लाने के लिए गली क्रिकेट में बड़े लड़के अक्सर उम्र में छोटे बच्चों को भी टीम में रख लेते हैं, लेकिन जब वो बैटिंग करने की हठ करता है तो घरवालों के मनाने से भी नहीं मानता है। इसी बच्चे से फिर अगर आप कह दें कि बॉउंड्री के उस पार की ही ‘सिक्स’ मानी जाएगी, लेकिन वो बच्चा तो बालहठ में बल्ले पर लगी ‘टुक्क’ को ही सिक्स मानता है, क्योंकि एक बार रूमी ने कहा था, ‘हिज़ लाइफ़ हिज़ रूल्ज़।’

तो मित्रो! इस तरह से राहुल गाँधी की दिव्यदृष्टि एक के बाद एक सपने देखने में अब तक लगातार कामयाब रही है। जैसे उनका एक सपना था कि राफेल डील की फ़ाइलें पर्रिकर के बेडरूम में थीं। दूसरा सपना था, मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि उन्हें राफेल के बारे मे कोई जानकारी नही है।

इस तरह से कुल मिलाकर राहुल गाँधी का अब एक सपना ही बाकी रह गया है, जो उन्होंने बचपन में देखा था, “मैं दत्तात्रेय गोत्री, गाँधी पुत्र राहुल, एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनूँगा।”

उम्मीद है कि राहुल गाँधी के सपनों को जल्द ही उड़ान मिले और वो इस ‘स्वप्न-काण्ड’ के प्रथम अध्याय से जागकर कुछ कर गुज़रें।

अगस्ता वेस्टलैंड: सह-अभियुक्त राजीव सक्सेना को UAE से उठाया गया, वकीलों ने कहा इल्लीगल है ये

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के सह-अभियुक्त राजीव सक्सेना को आज (जनवरी 30, 2019) सुबह 9:30 बजे उनके आवास से UAE की सुरक्षा एजेंसी द्वारा उठा लिया गया और शाम 5:30 को भारत के लिए प्रत्यर्पित किया गया। उनके वकीलों, गीता लूथरा और प्रतीक यादव ने इस पूरे प्रकरण को ग़ैरक़ानूनी कहा है।

वकीलों ने कहा कि राजीव सक्सेना को भारत भेजने के लिए किसी भी तरह की एक्सट्राडीशन (प्रत्यर्पण) प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया और सक्सेना को अपनी दवाई तक नहीं लेने दी गई। उसे दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एक प्राइवेट टर्मिनल से एक प्राइवेट जेट पर बिठाकर भारत ले जाया गया।

जब सक्सेना के वकीलों ने संयुक्त अरब अमीरात की सुरक्षा एजेंसी से बात करने की कोशिश की कि पूरा मामला क्या था तो, वकीलों के शब्दों में, उन्हें कहा गया कि राजीव सक्सेना हवाई जहाज पर हैं और उसे अब रोका नहीं जा सकता। जब वकीलों ने माँग की कि उन्हें और जानकारी दी जाए तो उन्हें कहा गया, “भारत सरकार से पूछो।”

राजीव सक्सेना अगस्ता वेस्टलैंड डील से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी पाए गए हैं। उन्होंने पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसका ईडी (ED) ने विरोध भी किया था। सितंबर 2017 में VVIP चॉपर घोटाले में दायर एक आरोप पत्र में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनका नाम लिया था। सक्सेना और उनकी पत्नी शिवानी सक्सेना दुबई स्थित दो कंपनियों में निदेशक हैं, जबकि वह एक अन्य मॉरीशस स्थित कंपनी में निदेशक के पद पर हैं, और यह आरोप लगाया गया है कि उन सभी कंपनियों को अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में किकबैक मिला है।

अगस्ता-वेस्टलैंड मामला क्या है?

भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टरों की खरीद के लिए इटली की कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में करार किया गया था। 3,600 करोड़ रुपये के करार को जनवरी 2014 में भारत सरकार ने रद्द कर दिया। जानकारी के लिए बता दें कि इस करार में 360 करोड़ रुपये के कमीशन के भुगतान का आरोप लगा था। इटली की कंपनी और सरकार के बीच के इस करार में कमीशन की ख़बर सामने आते ही 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई पर सरकार ने फ़रवरी 2013 में रोक लगा दी थी।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम: क्या हैं इसके मायने, क्या कहीं पर लागू हुआ है? जानिए सब कुछ

लोकसभा चुनाव नज़दीक आते ही एक बार फिर यूनिवर्सल बेसिक इनकम चर्चा में है। वैसे भारत में सामाजिक-आर्थिक विषमता को देखते हुए, इसकी ज़रूरत शिद्दत से महसूस की जाती रही है। आइए विस्तार से उन वजहों पर विचार करते हैं कि क्यों भारत में एक बेसिक इनकम की ज़रूरत है और इस योजना के लागू करने में कौन-सी अड़चने हैं।

क़ायदे से अगर हम देंखे तो भारत में आय की असमानता साफ़ नज़र आएगी, इसकी वजह आज भी देश के कामगार वर्ग और युवाओं  के पास पिछले पाँच सालों में लोगों की आय में कुछ सुधार के बाद भी एक निश्चित आय के साधन का न होना है। आज आज़ादी के 72 साल के बाद भी, क्या देश में सभी लोगों के लिए जीवन की न्यूनतम आवश्यकताएँ पूरी हो पाई हैं? आज भी सभी के पास पीने को स्वच्छ जल नहीं है, सभी को रहने को घर और खाने को भोजन भी सुनिश्चित नहीं हो पाया है। ग़रीबों के बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था भी नहीं दिखती।

देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रहा तो कारण यह है कि लोगों के पास नियमित आय के पर्याप्त साधन नहीं हैं कि वो अपनी मूलभूत ज़रूरतें भी पूरी कर पाएँ। तो क्यों न तमाम सामाजिक, आर्थिक मानकों और विसंगतियों का अध्ययन करते हुए सभी के लिये एक बेसिक इनकम की व्यवस्था कर दी जाए। जिससे वो अपनी साधारण ज़रूरतें पूरी कर पाएँ।

एक लोकतान्त्रिक समाज से हम ऐसी अपेक्षाएँ पाल सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन यापन के लिये कम से कम न्यूनतम आय की गारंटी मिलनी चाहिए।

भारत में यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर ध्यान तब और आकर्षित हुआ जब 2016-17 के भारत के आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) को एक अध्याय के रूप में शामिल कर इसके विविध पक्षों पर चर्चा की गई। ग़ौरतलब यह भी है कि आर्थिक सर्वेक्षण में UBI योजना को ग़रीबी उन्मूलन के साधन के रूप में इसे एक संभावित उपाय बताया गया था।   

आख़िर क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम

यूनिवर्सल बेसिक इनकम देश के हर ज़रूरतमंद नागरिक को, एक नियमित अंतराल पर, बिना शर्त दिया जाने वाला नगद ट्रांसफ़र है। आमतौर पर इसके लिये व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति पर विचार नहीं किया जाता है। अर्थात, अगर वो इस स्थिति में नहीं है कि अपना जीवनयापन कर सके, तो उसे सरकार एक तय राशि देगी। इसकी जड़ में ग़रीबी हो सकती है, किसी का बेरोज़गार होना हो सकता है, या दो नौकरियों के बीच एक वो दौर जब कोई बिना नौकरी के रह रहा/रही हो।

UBI पर आर्थिक सर्वेक्षण की राय

आर्थिक सर्वेक्षण ग़रीबी कम करने के प्रयास में विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के विकल्प के रूप में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की वकालत करता है। यह बताता है कि ग़रीबों की मदद करने का एक अधिक कुशल तरीका उन्हें UBI के माध्यम से सीधे नगद प्रदान करना होगा। यह मौजूदा अनेक कल्याणकारी योजनाओं और विभिन्न प्रकार के सब्सिडी का एक बेहतर विकल्प होगा। यह JAM (जनधन-आधार-मोबाइल) प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे नगद हस्तांतरण के रूप में प्रशासनिक दक्षता भी लाएगा।

भारत के लिये क्यों ज़रूरी है बेसिक न्यूनतम आय

इस बात की सुगबुगाहट पहले से है कि चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा देश में ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ (Universal Basic Income-UBI) योजना लागू करने की घोषणा की जा सकती है। उससे पहले राहुल गाँधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे की तरह चुनावी एजेंडे के रूप में इसे फिर से हवा दे दी। उन्होंने तो यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू करने का लगभग आश्वासन ही दे दिया, पर हमेशा की तरह यह कैसे संभव होगा इस पर कुछ नहीं कहा।

कुछ दिन पहले सिक्किम ने भी दावा किया कि वह इस योजना को लागू करने वाला पहला राज्य होगा और उसने बिना शर्त डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजना लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर, सिक्किम की सत्तारूढ़ पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF), 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, अपने घोषणा-पत्र में UBI को शामिल करने का फ़ैसला कर चुकी है और उनका उद्देश्य 2022 तक राज्य में योजना को लागू करना है।

क्या सिक्किम UBI का बोझ उठाने में सक्षम है

सिक्किम के प्रस्तावित UBI के पक्ष में सबसे आम तर्क यह है कि यह सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा क्योंकि यह अन्य सभी कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी को ख़त्म कर देगा जिससे ग़रीबों हेतु लक्षित अप्रभावी सरकारी परियोजनाओं पर फ़ालतू ख़र्च भी समाप्त हो जाएगा। सिक्किम सरकार का कहना है कि उसने इस योजना के वित्तीय प्रक्रिया पर पहले ही विचार कर लिया है।

सिक्किम ने अपने स्रोतों का ख़ुलासा करते हुए बताया कि राज्य द्वारा कई जलविद्युत परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से राज्य को विद्युत अधिशेष प्राप्त हुआ है। राज्य में 2200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है और अगले कुछ वर्षों में यह आँकड़ा बढ़कर 3000 मेगावाट हो जाएगा। राज्य की आवश्यकता केवल 200-300 मेगावाट है और बाकी की बिजली ट्रेडिंग कंपनियों को बेच दी जाती है जिससे राजस्व में वृद्धि होती है। इसका उपयोग UBI में किया जा सकता है।

इसके अलावा, सिक्किम टूरिज्म से पर्याप्त राजस्व प्राप्त करता है। बता दें कि, सिक्किम की प्रति व्यक्ति GDP 2004-05 से दोहरे अंकों में बढ़ रही है। सिक्किम में 2011-12 में ग़रीबी का अनुपात 22% अर्थात् 51,000 (8.2%) तक घटा है जो 2004-05 में 1.7 लाख (30.9%) था। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार कम आबादी वाला यह राज्य जीवन स्तर के मामले में भारत के बेहतर राज्यों में गिना जाता है।

सिक्किम में ग़रीबी का स्तर (Poverty Level) 8 से 9% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफ़ी नीचे है। बता दें कि प्रति व्यक्ति सकल आय के मामले में सिक्किम का सभी भारतीय राज्यों में तीसरा स्थान होने से इसके पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। सिक्किम महिलाओं के लिये भी सबसे सुरक्षित और प्रगतिशील राज्यों में से एक है। जहाँ कार्यस्थल पर औसत से अधिक उपस्थिति है तथा महिलाओं के विरुद्ध अपराध के आँकड़े बहुत कम हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, राज्य की साक्षरता दर 2001 के 68.8% से बढ़कर 2011 में 82.2% हो गई है।

शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश में चलाया था पायलट प्रोजेक्ट

UBI का सुझाव लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर गाय स्टैंडिंग ने दिया था जिनकी अगुवाई में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मध्य प्रदेश के इंदौर के पास 8 गाँवों में पाँच साल के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया। प्रायोगिक तौर पर इन गाँवों की 6,000 की आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच 500 रुपए वयस्कों के बैंक खाते में हर महीने ट्रांसफ़र किए गए। वहीं, बच्चों के खाते में 150 रुपए जमा कराए गए। उस समय भी प्रयोग के सफल होने के बाद प्रोफ़ेसर स्टैंडिंग ने दावा किया कि मोदी सरकार इस योजना को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

ग़ौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अधिकांश ग्रामीणों ने उस पैसे का उपयोग शौचालय, दीवार, छत की मरम्मत में किया। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के वंचित परिवारों में यह देखा गया कि बेहतर वित्तीय स्थिति में उन्होंने राशन की दुकानों की बजाय बाज़ार से सामान ख़रीद अपने पोषण स्तर में सुधार किया और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति और प्रदर्शन दोनों बेहतर हुई। ऐसे आकड़ों के आधार पर हम कह सकते हैं कि बेसिक इनकम का यह विचार एक उत्तम पहल है।

बेसिक इनकम को पायलट प्रोजेक्ट के ज़रिए बढ़ाना और धीरे-धीरे सावधानीपूर्वक इसे अमल में लाना भारत में आदर्श प्रतीत हो रहा है क्योंकि इसके माध्यम से गाँवों में लोगों के रहन-सहन के स्तर को सुधारा जा सकता है। उन्हें पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है और बच्चों के पोषण में भी सुधार लाया जा सकता है। एक नियमित बेसिक इनकम से भूख और बीमारी से निपटने में मदद मिल सकती है।

बेसिक इनकम, बाल श्रम उन्मूलन में भी मददगार साबित हो सकती है। इससे उत्पादक कार्यों में वृद्धि करके गाँवों की सूरत बदली जा सकती है और यह सही मायने में सतत विकास की दिशा में एक सराहनीय प्रयास होगा। बेसिक इनकम की मदद से सामाजिक विषमता को भी कम किया जा सकता है। यदि एक वाक्य में कहें तो बेसिक इनकम का यह विचार आय की असमानता और इसके दुष्प्रभावों के श्राप से भारत को मुक्त कर 72 साल के पिछड़ेपन को दूर कर सकता है।

21 फरवरी से राम मंदिर निर्माण होगा शुरू, धर्म संसद का निर्णय

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने ऐलान किया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को भूमि पूजन किया जाएगा। कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 स्थित ‘गंगा सेवा अभियानम’ के शिविर में आयोजित परम धर्म संसद के समापन पर शंकराचार्य ने यह ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी अखाड़ों के संतों से बातचीत हो चुकी है। शंकराचार्य ने भूमि पूजन के लिए 4 ईंटें भी मंगवाई हैं।

आज बुधवार सुबह ही अयोध्या में चल रही धर्म संसद में धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर बनाने के लिए तारीख़ का ऐलान करने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि आज (जनवरी 30, 2019) शाम 5 बजे वो धर्म संसद में पहुँचकर मंदिर निर्माण की तारीख़ की घोषणा करेंगे।

परम संसद में कहा गया कि आज गली-गली में धर्म संसद हो रही है। गृहस्थ लोग धर्म संसद नहीं बुला सकते हैं। 21 फरवरी को सभी हिन्दू 4-4 के गुट में, 4-4 शिला लेकर अयोध्या पहुंचे। क्योंकि 4 लोगों पर धारा 144 नहीं लागू होती, 5 लोगों के झुंड पर धारा 144 लगती है। वहीं, नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की 4 शिलाएँ शंकराचार्य को सौंपी गई। इन्हीं 4 नामों की शिलाएँ लेकर 21 फरवरी को अयोध्या पहुँचने के लिए परम धर्म संसद ने सभी हिंदुओं का आह्वान किया है।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, “मंदिर एक दिन में नहीं बनेगा, लेकिन जब शुरू होगा तभी तो बनेगा। इसलिए 21 फरवरी को शिलान्यास के जरिए मंदिर का निर्माण शुरू होगा। ये धर्म संसद भगवान को परमात्मा मानती है, लेकिन दूसरी धर्म संसद भगवान राम को परमात्मा नहीं महापुरुष मानते हैं। इसीलिए सरदार वल्लभभाई पटेल की तरह उनका पुतला बनाना चाहते हैं। हमारे यहाँ मूर्ति लोहे या सीमेंट की नहीं, अष्टधातु, लकड़ी या मिट्टी की बनती है। हमें कंबोडिया के अंकोरवाट की तरह विशाल मंदिर अयोध्या में बनवाना है। अयोध्या को वेटिकन सिटी का दर्जा दिया जाए। स्वामी अवमुक्तेश्वरानन्द ने कहा धर्म संसद सिर्फ धर्माचार्य शंकराचार्य ही बुला सकते हैं।”

इससे पहले केंद्र ने मंगलवार को अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति माँगने के लिये उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। एक नई याचिका में केन्द्र ने कहा कि उसने 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था।

याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास (राम मंदिर निर्माण को प्रोत्साहन देने वाला ट्रस्ट) ने 1991 में अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की माँग की थी। शीर्ष अदालत ने पहले विवादित स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने 1991 में विवादित स्थल के पास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था।

नाक में ट्यूब के साथ बजट पेश करने विधानसभा पहुँचे मनोहर पर्रिकर, कहा ‘जोश इज़ हाई’

अपने सरल व्यक्तित्व और कार्य के प्रति समर्पण के लिए जाने जाने वाले गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज एक नई मिसाल पेश की है। अस्वस्थ चल रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार (जनवरी 30, 2019) को राज्य का बजट पेश किया। इस दौरान वह कुर्सी पर बैठे थे और उनकी नाक में ट्यूब डली हुई थी। उन्होंने कहा कि वह ‘जोश’ से भरे हुए हैं।

सीएम मनोहर पर्रिकर ने कहा कि वह पूरे जोश में हैं और पूरे होश में भी। पिछले दिनों सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी फ़िल्म ‘उरी’ का डायलॉग बहुत चर्चा में है, जिसमें जवानों से पूछा जाता है- ‘हाउ इज़ द जोश?’ पिछले दिनों एक कार्यक्रम में सीएम पर्रिकर ने भी यह डायलॉग बोला था।

इस दौरान उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर वादा करते हैं कि वह अपने जीवन की आख़िरी साँस तक ईमानदारी, तत्परता और समर्पण भाव से गोवा की सेवा करते रहेंगें। बता दें कि एडवांस पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित पर्रिकर काफ़ी दिनों से बीमार चल रहे हैं। कई सरकारी कार्यक्रमों के दौरान उनके नाक में पाइप लगे देखा गया है।

बहुमत की सरकार ले पाती है सही फ़ैसले, त्रिशंकु सरकार विकास में बाधक: PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार (जनवरी 30, 2019) को अपने गृह राज्य गुजरात के सूरत में एयरपोर्ट के एक नए टर्मिनल का शिलान्यास किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने लोगों से पूर्ण बहुमत की सरकार देने की अपील करते हुए कहा कि ऐसा होने के कारण ही उनकी सरकार ने मात्र 4 सालों में कई बड़े फ़ैसले कर देश को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी का नाम लिए बिना यह भी कहा कि 6 दशक के अपने शासन के दौरान केवल अपनी चिंता करने वाले लोग अब उनका मजाक उड़ा रहे हैं, लेकिन वह इसकी परवाह किए बिना नया भारत बनाने में जुटे रहेंगे।

सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की कुछ प्रमुख बातें

पीएम मोदी ने आज सूरत में ₹354 करोड़ की लागत से बनने वाले सूरत एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के शिलान्यास के साथ ही कई अन्य विकास योजनाओं के उद्घाटन के मौके पर कहा कि उनकी सरकार की व्यापक योजना और बड़े निर्णयों के पीछे लोगों के वोट से बनी पूर्ण बहुमत की सरकार थी।

नरेंद्र मोदी 2 सप्ताह में दूसरी बार गुजरात दौरे पर हैं। यहाँ एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया। अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनके बराबर काम करने के लिए पहले की सरकार को और 25 साल लग जाते।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारी सरकार देश के ग़रीब और मध्यम वर्ग के हर व्यक्ति के जीवन को सरल और सुगम बनाने की दिशा में पूरी ईमानदारी के साथ जुटी हुई है।”

नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये लोगों के एक वोट की ताक़त है कि ग़रीब को आज घर मिल रहा है। महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद करते हुए पीएम ने कहा कि सूरत ने गाँधी जी के दर्शन को जमीन पर उतारा है और आज यह शहर मेक-इन-इंडिया से देश को सशक्त कर रहा है।

सूरत के विकास की रफ़्तार पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले 10 वर्षों में तेजी से विकसित होने वाले 10 शहर हिंदुस्तान के होंगे और इसमें भी सबसे टॉप पर सूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी ज़िम्मेदारी है कि इन शहरों को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिए तैयार करें।

नए टर्मिनल का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “सूरत का यह एयरपोर्ट गुजरात का तीसरा बड़ा व्यस्त एयरपोर्ट है। देश में 17 एयरपोर्ट एक्सपैंड किए जा चुके हैं और कई पर काम चल रहा है। मेरा सपना है कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई सफर कर सके।”

केंद्र सरकार की उड़ान योजना का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना ने एविएशन सेक्टर को बड़ी वृद्धि दी है और इसके तहत देशभर में क़रीब 40 एयरपोर्ट देश के एविएशन मैप में जोड़े गए हैं।

पासपोर्ट केंद्रों की वर्तमान स्थिति पर मोदी ने कहा कि देश में वर्ष 2004 में पासपोर्ट केंद्रों की संख्या केवल 80 थी, जबकि पिछले 4 साल में यह आँकड़ा 400 पार कर चुका है।

कॉन्ग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि उनके (कॉन्ग्रेस) कालखंड में 25 लाख मकान बने और वर्तमान सरकार ने 1 करोड़ 30 लाख मकान बनवा दिए।

नोटबंदी पर नरेंद्र मोदी ने कहा, “कुछ लोग पूछते हैं कि नोटबंदी का फ़ायदा क्या है? उन्हें उन युवाओं से पूछना चाहिए, जिनके लिए नोटबंदी के बाद घर खरीदना आसान हुआ है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “हमारी सरकार ने ‘रेरा’ (RERA, रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट) कानून बनाकर ये भी सुनिश्चित किया है कि ग़रीब और मध्यम वर्ग की मेहनत की कमाई बिल्डरों के चक्कर में नहीं फँसनी चाहिए।”

पीएम मोदी ने बताया कि सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों में ₹32 करोड़ के एलईडी बल्ब वितरित किए हैं, पहले जो LED बल्ब ₹350 में मिलता था, अब वह ₹40-50 में मिलता है।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी पर कटाक्ष करते हुए हुए पीएम मोदी ने कहा, “राजीव गाँधी ने कहा था कि 100 पैसा जाता है तो लोगों तक 15 पैसा ही पहुँचता है। अब बाकी के 85 पैसे कौन सा पंजा खाता था, ये मुझसे मत पूछिएगा।”

बहुमत की सरकार चुनने की अपील करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “देश की जनता ने समझदारी से वोट किया और 30 सालों के त्रिशंकु के चक्कर से देश को मुक्ति दिला दी।” उन्होंने कहा, “नई पीढ़ी देख सकती है कि कैसे पूर्ण बहुमत की सरकार होने की वज़ह से सरकार ने कई सारे बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय लिए। यह सब पूर्ण बहुमत की सरकार की वजह से संभव हुआ, जो आप लोगों ने बनाई है।”

भाषण देते हुए अचानक क्यों रुक पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान अचानक किशन रमोलिया नाम का एक कैमरामेन बेहोश होकर गिर गया। जिसके बाद पीएम मोदी ने अपना भाषण वहीं पर रोक दिया।

पीएम मोदी ने अपने अधिकारियों से कहा कि वह फ़ौरन उस कैमरामेन के लिए एंबुलेंस का इंतजाम करें। कैमरामेन को एंबुलेंस से तुरंत हॉस्पिटल पहुँचाया गया।