क्या ज़माना आ गया है। चुनाव के मौसम में छापे मारने पर समोसे और जलेबियाँ बरामद हो रही हैं! जब ज़माना अच्छा था और सब ख़ुशी से जीवनयापन करते थे तब चुनावी मौसम में पड़ने वाले छापे में शराब जैसे चुनावी पेय पदार्थ बरामद होते थे।
राहुल गाँधी किसान हितों के लड़ते-लड़ते ये भूल बैठे हैं कि उनके आए दिन ऐसे बयानों को सुनने और सहन करने वालों के भी कुछ अधिकार होते हैं, जिन्हें कि मानवाधिकार कहा जाता है।
श्री अजीत भारती को उनके मित्र अलख सुंदरम् ने बताया कि गोरों की जमीन पर जाते ही मुँह पर मुल्तानी मिट्टी लगा कर घूमें ताकि ऑक्सफोर्ड में उन्हें ब्राउन समझ कर कोई दुष्टता न कर दे।
पोटेंशियल हार्वर्ड एसोसिएट प्रोफेसर निधि राजदान ने कहा कि प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइन करने की बातें हार्वर्ड नहीं बल्कि 'व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी' से जारी की गईं थीं।