एकता नाम की जिस हिन्दू महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया, उसके लिए आरफा के मन में कोई सहानुभूति नहीं है। दिक्कत खबर छापने वाले से है। समोसे में गोमांस, या पत्थर, कंडोम और गुटखा डाल कर खिलाने वालों के भी वो समर्थन में हैं।
नरेंद्र मोदी विभिन्न माध्यमों से जनता से संचार करते हैं, फिर भी वो 'तानाशाह' हैं। MK स्टालिन 3 साल में 2 मिनट का इंटरव्यू देकर भी 'जननेता' हैं। अन्नामलाई को लेकर राजदीप सरदेसाई ने इस इंटरव्यू में एक शब्द भी नहीं पूछा।
फालतू डिस्क्लेमर डाल कर पौराणिक पात्रों का मजाक बनाने वाला 'न्यूजलॉन्ड्री' क्या इस्लाम, जन्नत, 72 हूरों और दारू की नदी पर व्यंग्य करेगा? यहाँ तो तथ्य कहने पर 'सर तन से जुदा' हो जाता है, सोचिए व्यंग्य पर क्या होगा।