Saturday, September 28, 2024

विचार

मानवाधिकार की आड़ में कश्मीर पर आवाज उठाने वाले Amnesty के काले करतूतों का कच्चा चिट्ठा

अर्बन नक्सलियों का साथ देने से लेकर तालिबान से संबंध होने तक के आरोप लग चुके होने के बावजूद Amnesty International सुधर नहीं रहा। अब वह कश्मीर के मुद्दे को भुनाने के चक्कर में कुछ नहीं बल्कि जिहाद का संरक्षण ही कर रहा है।

बाढ़, चमकी बुखार और बेरोज़गार… हर दिन मर्डर और बलात्कार… आखिर ठीके कैसे है नीतीश कुमार?

बिहार पुलिस का आँकड़ा कहता है कि जनवरी 2019 से मई 2019 तक (सिर्फ 5 महीनों में) 1277 हत्याएँ, 605 बलात्कार, 3001 दंगे, 4589 अपहरण जैसे संगीन जुर्म इस राज्य में हुए (हुए शायद ज्यादा होंगे!) और जो आधिकारिक तौर पर दर्ज किए गए।

रोमिला थापर जी, सीवी न सही सुरख़ाब के जो पर लगे हैं आप पर वही दिखा दीजिए हमें…

आखिर रोमिला थापर से सीवी क्यों न माँगी जाए? इसे ऐसे क्यों दिखाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने रोमिला थापर के ऊपर कोई परमाणु हथियार डेटोनेट कर दिया है? लिबरपंथी और वामपंथी क्षुब्ध क्यों हैं? एक कागज का टुकड़ा माँगने पर इसे अपने सम्मान पर लेने जैसी कौन सी बात हो गई?

अगर आपने तबरेज का नाम सुना है और रंजीत का नहीं तो जान लीजिए ‘उनका’ एजेंडा कामयाब रहा

आपने इसीलिए रंजीत का नाम नहीं सुना क्योंकि उसकी मॉब लिंचिंग को लेकर किसी ने आवाज़ ही नहीं उठाई। क्यों नहीं उठाई? क्योंकि आरोपितों में मुस्लिम लोग शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपितों में से 2 के नाम अनवर और मिंटू है, जो भाई हैं। लोगों को यह भी बताना पड़ेगा न।

JNU की रोमिला थापर से CV माँग कर गुनाह किया है इस क्रूर, घमंडी, तानाशाही सरकार ने

जहाँ कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री से डिग्री दिखाओ जी कहा जा रहा था, वहाँ एक रिटायर हो चुके प्रोफेसर से, सीवी माँगना गलत क्यों है? अगर वो कहें कि ये ऐसी जगह है जहाँ डिग्री की जरूरत ही नहीं होती, तो ये भी पूछिएगा कि प्रधानमंत्री होने के लिए कौन सी शैक्षणिक योग्यताएँ जरूरी हैं?

पत्रकार वीडियो बनाएगा तो उस पर मुक़दमा हो जाएगा! लोगों ने पूछा – पटेल साहब आपको DM किसने बनाया?

डीएम अनुराग पटेल कहते हैं कि प्रिंट के पत्रकार ने वीडियो बनाया, इसीलिए उस पर मुक़दमे दायर किए गए। डीएम साहब बताएँ कि रेडियो पत्रकार को देखने का हक़ है या उसे सिर्फ़ सुन कर ही काम चलाना है? प्रशासनिक लापरवाही को छिपाने के लिए ख़ुद का मज़ाक बना रहे डीएम।

मनमोहन सिंह की नीति से बढ़ी बीमारी: हर साल मरती हैं 1000 गायें, आज भी सॅंभले तो 1000 साल में खत्म होगा मर्ज

यह मर्जी का मसला नहीं है। न ही प्रधानमंत्री की अपील या सख्त नियम-कायदों का होना जरूरी है। यह मसला आपकी जिंदगी, आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी से जुड़ा। इसलिए, खुद से ही संभलिए। देर हुई तो न हम बचेंगे न पर्यावरण।

हिन्दुओं को बार-बार नीचा दिखाओ, क्योंकि वे हमारा कुछ नहीं उखाड़ पाएँगे…रत्ती भर भी नहीं

हिन्दू का व्यवसाय धंधा तो मजहब विशीष का कारोबार इबादत कैसे? क्यों असहिष्णुता गणेश चतुर्थी पर ही आती है, मुहर्रम पर नहीं? क्यों कम्पनियॉं मानती हैं कि जूते खाकर भी आप उनका ही प्रोडक्ट खरीदेंगे। जवाब है, हिन्दू आज अपनी ही संस्कृति, दर्शन और इतिहास का मज़ाक बनाने वालों के पोषक बने हुए हैं।

क्या सचमुच बर्बाद हो गई है हमारी अर्थव्यवस्था? सरकार क्या कर रही है? (भाग 2)

नीतियाँ लम्बे समय तक के लिए होती हैं, इसलिए सरकारों को सोच समझ कर बोलना चाहिए ताकि बिजनेस करने वालों के बीच यह भरोसा रहे कि यह सरकार जो बोलती है, वो करती है। अगर नीतियाँ तीन महीने में घोषणा के बाद बदलती रहेंगी, जो कि मोदी सरकार में कई बार हो चुका है, तो इंडस्ट्री उसे सही सिग्नल नहीं मानती।

GDP से क्या होता है? क्या सचमुच बर्बाद हो गई है हमारी अर्थव्यवस्था? (भाग 1)

ऑक्सफोर्ड से पढ़े हुए मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था पर ज्ञान दिए जा रहे हैं। मनमोहन सिंह कहते हैं कि मोदी की नीतियों ने भारत को इस स्थिति में पहुँचाया है। लेकिन आँकड़े इस दावे के उलट कुछ और ही कहानी कहते हैं।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें