रवीश कुमार चाहते हैं कि कोई पत्रकार लाइव इंटरव्यू के दौरान पीएम के जवाब के बाद टेबल पर एक करारा मुक्का मारे और अपनी कुर्सी को नीचे पटक डाले। रवीश की इच्छा है कि मोदी का इंटरव्यू लेनेवाला पत्रकार उनके जवाब के दौरान अपने ही मुँह पर माइक दे मारे।
इंदिरा गाँधी वर्जन-2 की छवि गढ़ने की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर चल ही रही थी कि अचानक एक दिन मुंगेरीलाल ने सपना देखते-देखते अपने एकमात्र दूध के घड़े पर भी लात दे मारी और उसे भी फोड़ दिया। इस तरह से मीडिया गिरोह से लेकर तमाम मोदी विरोधियों के सपने और अरमानों का शीघ्रपतन हो गया।
हिन्दुओं की धरती है, सर्वसमावेशी विचार के लोग हैं, सहिष्णुता के प्रवर्तक और स्नेह में डूबे हुए लोग कि इस्लामी आक्रमणकारियों, इस्लामी बलात्कारियों, इस्लामी और विदेशी हत्यारों को भी बसने की ज़मीन दी। और कितने उदाहरण चाहिए? ऐसे लोग किसी को क्या डराएँगे? हम तो स्वयं ही हर पर्व पर एक खास तरह के आतंक से डर जीते रहे हैं। अब तो तुम हमें, जीने दो, जीने दो!
विकास की योजनाओं का मूल्यांकन समय करेगा ही लेकिन नरेंद्र मोदी ने देश के जनमानस के मन पर एक छाप जरुर छोड़ी है। भविष्य में जब कभी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे तब लोग इतना ज़रूर कहेंगे की शासन तंत्र के तंतुओं को अलग तरीके से बुनने वाला एक ऐसा नेता भी था।
ख़ौफ़ ऐसा कि एक-एक कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 जजों ने उसका केस सुनने से इनकार कर दिया। यूपी का कोई भी जेल उसे रखना नहीं चाहता। वह व्यापारियों को उठवा कर जेल में ही पिटाई करता है। 5 बार विधायक और 1 बार सांसद रहा है खूँखार अतीक अहमद।
वो इंडिया के लोग भारत में आकर, किसी और माहौल, किसी और भाषा में, किसी और विषय की बात कर रहे हैं। बेगुसराय की जनता अपना मत देने के लिए बटन दबाती है। दुआ है कि इस 'दबाने' में भी कहीं उन्हें अपने प्रत्याशी के विरोध के स्वर को दबाया जाना न समझ आ जाए!
दबी जबान में चर्चा हो रही है कि बंद कमरे में कुछ लोगों ने मफ़लर वाले के साथ वो कर दिया है जो कम्बल उढ़ा कर किया जाता है। कविराज विष-वास सोशल मीडिया पर इसपर कटाक्ष भी करते दिखे। यकीन नहीं होता, इतिहास खुद को दोहराता है, ऐसा सुना था, मगर इतनी समानताएँ?
आख़िर भाजपा को गुरदासपुर से सनी देओल को उतारने की ज़रुरत क्यों पड़ गई? सनी ही क्यों? ढाई किलो के हाथ का साथ पाने के पीछे रहे ये 5 सॉलिड कारण जो बताते हैं कि कैप्टन-जाखड़ के संयुक्त प्रभाव को काटने के लिए देओल ही आखिरी विकल्प थे। कार्यकर्ताओं ने भी...
मोदी ने तो माताजी का आशीर्वाद लिया और चले गए, लेकिन लिबरल ब्रीड अभी भी पागल हो रहा है। मोदी रैली में व्यस्त है, इंटरव्यू खत्म हो गया, लेकिन लिबरल ब्रीड उसे कंधे पर लेकर घूम रहा है। लिबरलों के पोस्टर ब्वॉय लिंगलहरी कन्हैया की गरीब माँ पर खूब आहें निकलीं, कैमरा तो उसके घर में भी घुसा था, उसके घर का राजनीतिकरण हुआ कि नहीं?
इस घटना को लगभग एक वर्ष होने वाला है और इस एक वर्ष के भीतर ही कॉन्ग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जनेऊ भी धारण किया, अमरनाथ यात्रा का भी फोटोशॉप किया, समय और परिस्थिति के अनुसार हिन्दू प्रतीकों के साथ खूब तस्वीरें खिंचवाते नजर आते हैं, उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के मंदिर का भ्रमण और धोती पहनना सीखने तक के उपक्रम राहुल गाँधी को करने पड़े हैं।