Friday, April 19, 2024
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चीनी एक भी नहीं मरा, ऑक्सीजन देकर 10 भारतीय सैनिक बचाए: थरूर और पूरा कॉन्ग्रेसी-तंत्र फैला रहा यह झूठ

2017 का वीडियो है, 3 साल से भी ज्यादा पुराना। इसे ही शशि थरूर जैसे नेता और 'कॉन्ग्रेसी पत्रकार' स्वाति चतुर्वेदी से लेकर पूरा कॉन्ग्रेस-तंत्र फैला रहा है। ऐरे-गैरे चायनीज नाम वाले ट्विटर अकाउंट को सच मानकर ये कॉन्ग्रेसी यहाँ तक कह रहे कि एक भी चायनीज सैनिक मारा नहीं गया।

कॉन्ग्रेस का पूरा इकोसिस्टम अब चीन का पक्ष लेकर भारतीय सेना को कमतर दिखाने और बदनाम करने में लग गया है। शनिवार (जून 20, 2020) को ईवा झेंग नामक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो शेयर किया, जिसके बारे में बताया गया कि ये गलवान घाटी के उस जगह का है, जहाँ भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। झेंग ने दावा किया कि वो चीन से है। मजे की बात तो ये कि चीन में ट्विटर प्रतिबंधित है, इसे ब्लॉक कर के रखा गया है।

उसने दावा किया कि इस संघर्ष में चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी के एक भी जवान की मौत नहीं हुई है जबकि मात्र 5 जवान घायल हुए हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि इस संघर्ष में घायल 10 भारतीय जवानों को चीनी सेना ने मदद पहुँचाई। ट्वीट के अनुसार, पीएलए पोस्ट के पास चीनी सेना ने घायल भारतीय जवानों को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी देकर उनकी जान बचाई। हैरत की बात ये है कि इस झूठे ट्वीट को कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने लाइक किया।

शशि थरूर ने झेंग के ट्वीट को किया लाइक

इस ट्वीट के साथ एक संदिग्ध वीडियो भी डाला गया था, जिसमें यूनिफार्म में कुछ जवानों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही थी। कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम की पत्रकार मानी जाने वाली स्वाति चतुर्वेदी ने भी चीन के समर्थन में इस प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने ये तक पता लगाने की कोशिश नहीं की कि ये झेंग है कौन और उसके ही आँकड़ों को चीन का आधिकारिक बयान बताते हुए सोशल मीडिया पर फैलाने का काम किया।

स्वाति चतुर्वेदी ने अपने साथी पत्रकार माइकल सैफी के ट्वीट को भी आगे बढ़ाया, जिसमें दावा किया गया था कि झेंग द्वारा ट्वीट किए गए आँकड़े चीन के आधिकरिक आँकड़े हैं। प्रोफेसर अशोक स्वेन ने भी इस प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने झेंग के हैंडल को ‘चायनीज अकाउंट’ बताते हुए दावा किया कि ये पहली बार है, जब किसी चीनी ने इस तरह से घायलों के आँकड़े सार्वजनिक किए हैं।

स्वाति चतुर्वेदी ने इस प्रपंच को आगे बढ़ाया

बता दें कि स्वेन वही आदमी है, जिसने हाल ही में अमेरिका की तर्ज पर भारत में दंगे भड़काने के इरादे से प्रदर्शन किए जाने की बात कही थी। दरअसल, इस पूरे इकोसिस्टम ने जो घायल भारतीय सैनिकों को चीनियों द्वारा ऑक्सीजन थेरेपी दिए जाने का वीडियो शेयर किया, वो फेक है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। न सिर्फ़ चीनियों के घायलों का आँकड़ा गलत है बल्कि वीडियो भी फेक है। ऊपर से ये आधिकारिक तो है ही नहीं।

चीन की सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी स्वीकार किया था कि भारत-चीन की सेनाओं के बीच गलवान में हुए संघर्ष में दोनों तरफ से जानें गई हैं। उसने पिछले 40 साल में इसे भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा संघर्ष करार दिया था। केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने बताया था कि चीन के 43 जवान मौत के घाट उतारे गए। पीएम मोदी ने भी इसकी पुष्टि की थी कि हमारे जवान मारते-मारते वीरगति को प्राप्त हुए।

शेयर किया जा रहा वीडियो फ़रवरी 2017 का है

जहाँ तक ऑक्सीजन वाले वीडियो की बात है, उसे Bilbilli.Com नामक वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। ये फ़रवरी 14, 2017 का वीडियो है अर्थात 3 साल से भी ज्यादा पुराना है। ये वीडियो तिब्बती आर्मी पुलिस के लिए स्थापित किए गए गोल्डन ऑक्सीजन चैंबर का है। इस वीडियो का भारतीय सैनिकों से कोई लेनादेना नहीं है। बावजूद इसके शशि थरूर और स्वाति चतुर्वेदी जैसों ने इसे लेकर प्रपंच फैलाया।

भारतीय विदेश मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जून के ही मध्य में चीनी सेना ने वेस्टर्न सेक्टर में घुसपैठ का प्रयास किया था, जिसका उसे जवाब दिया गया। बताया गया है कि 6 जून को दोनों पक्षों के बीच बैठक कर के तनाव कम करने के लिए समझौता भी कर लिया गया था लेकिन चीनी बाज नहीं आए और उन्होंने अवैध रूप से निर्माण कार्य जारी रखा, इस पर भारतीय पक्ष ने आपत्ति जताई और हिंसा व क्षति का कारण भी वही बना।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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