Thursday, May 2, 2024
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गाँधी की हत्या के बाद गुंडों ने हमला किया तो अकेले लाठी लेकर भिड़ गई थीं वीर सावरकर की पत्नी यमुनाबाई: कहानी ‘त्या तिघी’ में से एक की

पति को कालापानी ले जाए जाने से पहले मुंबई के डोंगरी जेल में वो उनसे मिली थीं। वीर सावरकर ने तब उनसे कहा था कि तिनके-तीलियाँ बटोर कर बच्चों के पालन-पोषण को कर्तव्य कहते हैं तो ये काम तो पशु-पक्षी भी कर लेते हैं।

महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के बारे में तो हम सब जानते हैं, लेकिन उनकी पत्नी यमुनाबाई भी एक सच्ची देशभक्त थीं। पति कालापानी की सज़ा काट रहे थे, इलाज के बिना छोटे से बच्चे की मौत हो गई थी और रोज अंग्रेज परेशान करते रहते थे। ऐसी स्त्री किन कष्टों से गुजर रही होगी, आप खुद ही सोचिए। लेकिन, फिर भी उन्होंने महिलाओं में देश के लिए स्वाभिमान जगाने का अभियान चलाया। वीर सावरकर की माँ का कम उम्र में ही देहांत हो गया था।

परिवार में एक महिला की ज़रूरत महसूस हुई तो मात्र 11 वर्षों की उम्र में ही विनायक दामोदर के बड़े भाई गणेश सावरकर का विवाह यशोदाबाई से कर दिया गया। उन्हें प्यार से येसुवाहिनी भी कहते थे। पिता की भी मृत्यु हो चुकी थी। ऐसे में दबे भाई ने छोटों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया। भाभी ने वीर सावरकर को मैट्रिक पास कराने के लिए अपने गहने तक बेच दिए थे। आगे की पढ़ाई के लिए धन नहीं था, ऐसे में जवाहर रियासत के दीवान भाऊराव चिपलूनकर आगे आए।

उन्होंने अपनी बेटी यमुनाईबाई की शादी वीर सावरकर से करने और उनकी उच्च-शिक्षा का जिम्मा उठाने का प्रस्ताव दिया। चार भाई और सात बहनों में सबसे बड़ी यमुनाबाई सावरकर परिवार में मँझली बहू बन कर आईं। बता दें कि सबसे छोटे नारायण सावरकर की शादी शांतिबाई से हुई थी। कभी चाँदी की थाली में खाने वाली रईस घराने की यमुनाबाई ने ससुराल आते खुद को विपरीत माहौल में भी ढाल लिया। उन्हें सब प्यार से ‘माई’ बुलाते थे। सावरकर परिवार की इन तीनों महिलाओं पर ‘त्या तिघी’ नाम के नाटक का मंचन भी किया जाता है।

‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित यशा माथुर के लेख के अनुसार, ‘त्या तिघी’ में यमुनाबाई का किरदार निभाने वाली पुणे की अभिनेत्री अपर्णा सुरेंद्र चौथे बताती हैं कि माई ने पूरे संयुक्त परिवार को अपना लिया था। सावरकर जब लंदन में संघर्ष कर रहे थे, तब उन्होंने अपने बेटे को चेचक के कारण खो दिया था। पति को कालापानी ले जाए जाने से पहले मुंबई के डोंगरी जेल में वो उनसे मिली थीं। वीर सावरकर ने तब उनसे कहा था कि तिनके-तीलियाँ बटोर कर बच्चों के पालन-पोषण को कर्तव्य कहते हैं तो ये काम तो पशु-पक्षी भी कर लेते हैं।

वीर विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी पत्नी से कहा था कि उन्होंने पूरे देश को ही अपना परिवार मान लिया है, इस पर गर्व कीजिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं नहीं भी लौटा तो अगले जन्म में मिलेंगे। तब यमुनाबाई की उम्र मुश्किल से 25-26 वर्ष रही होगी। 1927 में महात्मा गाँधी अपनी पत्नी कस्तूरबा के साथ रत्नागिरी स्थित वीर सावरकर के आवास पर गए थे। 90 मिनट तक यमुनाबाई और कस्तूरबा रसोई में मिली थीं। धार्मिक महिला यमुनाबाई रोज पूजा-पाठ करती थीं।

एक और वाकया ये है कि जब महात्मा गाँधी की हत्या के बाद महाराष्ट्र में ब्राह्मणों का नरसंहार हुआ था, तब गुंडों ने सावरकर के घर पर भी हमला किया था। सबसे छोटे भाई नारायण सावरकर की तो ‘मॉब लिंचिंग’ कर दी गई थी। तब यमुनाबाई अकेले गुंडों से लाठी लेकर भिड़ गई थीं। इस तरह सावरकर परिवार की महिलाओं ने भी कष्ट सह कर अपने घर के पुरुषों की तरह देशसेवा में योगदान दिया। यमुनाबाई के पति दूर थे, बच्चे को खो दिया, लेकिन उनका हौंसला कम नहीं हुआ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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