Thursday, May 2, 2024
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चाँद पर रूस का लूना-25 क्रैश, पर क्या कर रहा है अपना चंद्रयान 3: विक्रम लैंडर से बोला चंद्रयान 2- स्वागत है

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम ने इस बार सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान, 'लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर' के जोखिम को लगभग खत्म कर दिया है। लैंडिंग के वक्त वे सभी विकल्प मौजूद रहेंगे, जिनका इस्तेमाल किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग के लिए किया जा सकता है।

रूस का लूनर मिशन लूना-25 रविवार (20 अगस्त, 2023) को ही चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग के साथ नष्ट हो गया है। ऐसे में अब हमारी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाह भारत के चंद्रयान मिशन पर टिकी है। जहाँ आम लोग भी भारत के मिशन को लेकर उत्सुक हैं वहीं दुनिया भर के वैज्ञानिकों और देशों को भी भारत के चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग का इंतज़ार है। इसके साथ ही भारत चन्द्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। 

दरअसल, रूस, अमेरिका और चीन इन तीन देशों को चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का मुकाम पहले ही हासिल है। इसलिए, भारत की इस चन्द्रयान मिशन के बहुत खास मायने हैं। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि रूस के लूनर मिशन लूना-25 के साथ क्या हुआ? साथ ही अपना चंद्रयान-3 कहाँ तक पहुँचा है?

बता दें कि चंद्रयान- 3 के 23 अगस्त, 2023 को शाम करीब 6:04 बजे (भारतीय समयानुसार) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उम्मीद है। रविवार की सुबह मिशन का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन (रफ्तार कम करने की प्रक्रिया) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया था। वहीं आज चन्द्रमा की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 का स्वागत किया है। इसकी जानकारी इसरो ने आज सोमवार (21 अगस्त, 2023) को दोपहर में ट्वीट कर दी है। 

इसरों ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क स्थापित करने पर ट्वीट कर लिखा, “स्वागत है दोस्त-चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है।”

भारत ने 6  सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 मिशन के तहत प्रज्ञान रोवर लेकर जा रहे विक्रम लैंडर के साथ चाँद की सतह पर पहुँचने का प्रयास किया था लेकिन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर ही लैंडर से संपर्क टूट गया था। वहीं इसरो ने चंद्रयान-2 से सबक लेते हुए इस बार चंद्रयान-3 के लिए कई कई सुधार किए गए हैं। जिससे मिशन के सफल होने की काफी उम्मीदें हैं।

हालाँकि, चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में अभी लगभग दो दिन का समय है लेकिन चंद्रयान-3 के लैंडर ने चाँद की सतह की खूबसूरत तस्वीरें भेजकर एक तरह का पैगाम भेजा है। जिसे इसरों ने ट्वीट कर देशवासियों से साझा किया है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से पहले लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) का इस्तेमाल करके इन तस्वीरों को खींचा है। ये तस्वीरें चाँद की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर उस जगह की हैं, जहाँ पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग होने वाली है। 

चाँद की सतह की तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर शेयर करते हुए इसरो ने लिखा, “ये चाँद के सुदूर क्षेत्र की तस्वीरें हैं, जिसे लैंडर के खतरा जाँच और बचाव कैमरे (एलएचडीएसी) से खींचा गया है। ये कैमरा (लैंडर) नीचे उतरने के दौरान सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र (बिना बोल्डर या गहरे गड्ढों वाले) का पता लगाने में सहायता करता है। इसे स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, इसरो में विकसित किया गया है।”

कैसे फेल हुआ रूस का लूना-25 मिशन 

रूस का अंतरिक्ष यान लूना-25 तकनीकी खराबी के बाद चन्द्रमा की सतह से टकरा कर नष्ट हो गया। इससे रूस का चंद्र मिशन फेल हो गया। बता दें कि सन् 1976 के बाद रूस ने अंतरिक्ष में वापसी की थी। वहीं रूस ने 47 साल बाद 11 अगस्त, 2023 को लूना-25 लॉन्च किया था। इसके 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद थी। लेकिन इससे पहले ही यह अनियंत्रित होकर चंद्रमा से टकरा गया।

रूस के लूना-25 के चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग के साथ ही मिशन की सारी उम्‍मीदें भी खत्‍म हो गई। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्‍कोस्‍मोस की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि भी हो गई है। हालाँकि, कई वैज्ञानिकों द्वारा रूस के चंद्र मिशन के फेल होने की जो सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है वह है चंद्रमा की सतह पर जल्‍दी और पहले पहुँचने की जिद, जिसने इस मिशन का दुखद अंत कर दिया। वहीं इन वैज्ञानिकों ने भारत के चंद्रयान-3 की तारीफों के पुल भी बाँधे हैं।

इस बारे में क्या कहती है रूस की अंतरिक्ष एजेंसी 

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्‍कोस्‍मोस ने शनिवार (19 अगस्त, 2023) को ही लूना के ‘असामान्य स्थिति’ में फँसे होने की जानकारी दी थी। एजेंसी का कहना था कि स्‍पेसक्राफ्ट से उसका संपर्क टूट गया था क्योंकि वह लैंडिंग से पहले की कक्षा में चला गया था। रोस्‍कोस्‍मोस ने कहा कि शुरुआती जाँच से पता चलता है कि लूना-25 के मैनुवर के समय वास्तविक और अनुमानित गणना में कुछ गड़बड़ी हुई थी। इस वजह से स्‍पेसक्राफ्ट एक ऐसी कक्षा में चला गया जिसकी उम्‍मीद नहीं थी। इसी वजह से यह चाँद की सतह से टकराकर क्रैश हो गया।

चंद्रयान- 3 की लैंडिंग होगी खास 

चंद्रयान-3 की सुरक्षित एवं सॉफ्ट लैंडिंग की घड़ी जैसे-जैसे निकट आती जा रही है वैसे-वैसे उत्सुकता बढ़ती जा रही है। हालाँकि, इसरो ने पूरी तैयारी कर रखी है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम ने इस बार सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान, ‘लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर’ के जोखिम को लगभग खत्म कर दिया है। लैंडिंग के वक्त वे सभी विकल्प मौजूद रहेंगे, जिनका इस्तेमाल किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग के लिए किया जा सकता है।

इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 की राह में कोई चट्टान आई या उतरने वाली जगह समतल नहीं है तो ऐसे में उसकी दिशा बदलने का विकल्प रखा गया है। इसे ऐसे समझिए कि इस बार सॉफ्ट लैंडिंग में कठोर जैसा कुछ नहीं है। ‘चंद्रयान 3’ के लिए एक स्प्रिंग पर आधारित सिस्टम तैयार किया गया है। इस लैंडिंग को ISRO की वेबसाइट, फेसबुक, यूट्यूब और डीडी नेशनल पर लाइव देखा जा सकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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