Tuesday, February 25, 2025
Homeदेश-समाजबेंगलुरु दंगों में चुनकर हिंदुओं को किया गया था टारगेट, स्थानीय लोगों को थी...

बेंगलुरु दंगों में चुनकर हिंदुओं को किया गया था टारगेट, स्थानीय लोगों को थी इसकी पूरी जानकारी: फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में खुलासा

दंगे में सही सलामत बचे व्यक्ति का कहना है कि दंगों के दौरान, समुदाय विशेष वालों की किसी भी कार जिसमें चाँद या HKGN (हज़रत ख्वाजा ग़रीब नवाज़) का प्रतीक लगा था, उसपर हमला नहीं किया गया। हमला करने से पहले दंगाइयों ने सड़क पर खड़ी कारों के कवर तक को उठाकर यह पता लगाने की कोशिश की थी कि कार किसकी थी।

इंडिपेंडेंट फैक्ट फाइंडिंग समिति ने बेंगलुरू के डीजे हल्ली और केजी हल्ली क्षेत्रों में घातक दंगों का शिकार होने के बावजूद बच निकले कुछ हिंदू लोगों की गवाही से यह पता लगाया है कि बेंगलुरु में हुए दंगे पूर्व नियोजित थे, जिसमें जानबूझकर कर हिंदुओं और उनके घरों और वाहनों को निशाना बनाया गया था। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सौंपी गई है।

टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में, बचे हुए लोगों में से एक का दावा है कि उन्हें उर्दू में चेतावनी देते हुए कहा गया था कि वे अपने घरों के अंदर चले जाएँ वरना वे मारे जाएँगे। दंगे में सही सलामत बचे व्यक्ति का कहना है कि दंगों के दौरान, दूसरे मजहब वालों की किसी भी कार जिसमें चाँद या HKGN (हज़रत ख्वाजा ग़रीब नवाज़) का प्रतीक लगा था, उसपर हमला नहीं किया गया। हमला करने से पहले दंगाइयों ने सड़क पर खड़ी कारों के कवर तक को उठाकर यह पता लगाने की कोशिश की थी कि कार किसकी थी।

उन्होंने कहा, “दंगाइयों ने खासकर उस जगह हमला किया था जहाँ सीसीटीवी नहीं लगे थे। इसका साफतौर यह मतलब हुआ कि दंगों में स्थानीय लोग शामिल थे, जिन्हें पहले से पता था कि सीसीटीवी कहाँ-कहाँ लगे है। दंगाइयों ने पहले से यह सुनिश्चित किया था कि केवल दूसरे धर्म वालों को ही निशाना बनाना है। मजहब विशेष वालों की गाड़ियों को छोड़कर, दूसरे धर्म से संबंधित सभी वाहनों पर हमला किया गया और क्षतिग्रस्त किया गया था।”

उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, उसने खुद देखा था कि सड़क के पास के कई घर ऐसे भी थे जिनपर हमला नहीं किया गया था, क्योंकि वे सभी खास मजहब वालों के घर थे।

गवाह ने कहा, “दंगाई उर्दू भाषा में सड़क पर चिल्ला रहे थे और सभी को अपने-अपने घरों में वापस जाने या परिणाम भुगतने के लिए कह रहे थे। उन्होंने हमें उर्दू में हिंसा के बारे में चेतावनी दी और कहा कि हमें अंदर जाना चाहिए वरना हमे मार दिया जाएगा। उन्होंने पुष्टि की कि वहाँ मौजूद लोग भाजपा या कॉन्ग्रेस से जुड़े नहीं थे।”

वहीं दूसरे गवाह ने बताया, “बेंगलुरु में हुए दंगों के दिन हमले वाले स्थान पर समुदाय विशेष का एक भी वाहन नहीं रखा गया था। वहीं सड़क पर भी उस दिन मजहब विशेष वाले किसी को आते-जाते नहीं देखा। साथ ही समुदाय विशेष के कोई भी आदमी, घर या वाहन क्षतिग्रस्त नहीं हुए। उनके वाहनों को जानबूझकर उस रात वहाँ नहीं खड़ा किया गया था।”

इन बातों से इस बात का अंदाजा होता है कि गवाहों ने आखिर ऐसा क्यों सोचा की दंगों के दौरान सिर्फ उन्हें ही टारगेट किया गया था।

एक व्यक्ति ने गवाही दी कि कैसे दंगाइयों ने उनके घरों पर हमला करने से पहले सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरों को नष्ट कर दिया। यह पूछे जाने पर कि उन्हें क्यों लगता है कि उन्हें निशाना बनाया गया था, जिस पर चश्मदीदों का कहना है कि उनके घर को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि कोरोना वायरस के शुरुआती चरण में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर 5 अप्रैल की रात 9 बजे 9 मिनट के लिए दीपक जलाया था।

सर्वाइवर ने याद किया कि उस दिन एक घर ऐसा भी था जिसने उस दिन दीया नहीं जलाया था। जिसपर उन्होंने उसके खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था। उसका कहना है कि संभवतः उसी परिवार ने ही किसी को उस घटना के बारे में सूचित किया होगा, इसलिए उसके घर पर हमला हुआ।

इस बीच, चौथे व्यक्ति ने पुष्टि की कि जो इलाका हमले की चपेट में आया था, वह मुख्यतः दूसरे धर्म का इलाका था। जिसमें ज्यादातर तमिल, कन्नड़, अधिकतम हिंदू रहने वाले थे। उन्होंने कहा कि दंगाई ज्यादातर अपने होश में नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें लगता है कि उनमें से अधिकांश नशे में थे और ड्रग्स का सेवन किया था।

मूल रूप से इन सभी प्रमाणों से पता चलता है कि बेंगलुरु में हमले पूर्व नियोजित, सुव्यवस्थित और विशेष तौर पर हिंदुओं को टारगेट करने के लिए किए गए थे।

गौरतलब है इससे पहले फैक्ट फाइंडिंग समिति ने भी यही कहा था कि दंगे पूर्व नियोजित और संगठित थे और विशेष रूप से क्षेत्र के कुछ हिंदुओं को लक्षित करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि दंगा इस साल की शुरुआत में दिल्ली और हाल ही में स्वीडन में हुई हिंसा का एक बड़ा उदाहरण है। फैक्ट फाइंडिंग समिति ने यह भी पता लगाया कि स्थानीय आबादी दंगों में सक्रिय रूप से शामिल थी और इसके बारे में उन्हें पहले से पता भी था। समिति ने यह भी कहा कि एसडीपीआई और पीएफआई घटना की योजना बनाने और उसे अमल कराने में शामिल थे।

समिति ने पीएफआई और एसडीपीआई की गतिविधियों की निगरानी के अलावा यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार को राज्य में मजहबी उग्रवाद के स्रोत का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए। यह भी राय दी कि राज्य के प्रमुख शहरों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का अध्ययन किया जाना चाहिए और दंगों में अवैध आप्रवासियों की भूमिका की जाँच की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि बेंगलुरु के डीजे हल्ली इलाके में 11 अगस्त को उपद्रवियों ने कॉन्ग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर को निशाना बनाया था। इस दौरान विधायक के घर का एक हिस्सा आग के हवाले कर दिया गया था। दरअसल, विधायक श्रीनिवास के भतीजे ने सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट किया था, जिसके बाद संप्रदाय विशेष के लोगों ने जमकर बवाल मचाया था। करीब 250 गाड़ियाँ फ़ूंक दी गई। वहीं हिंसा के दौरान हमले में एडिशनल पुलिस कमिश्नर समेत 60 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं थीं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘अर्नब गोस्वामी को फर्जी खबर के केस में गलत ढंग से फँसाया’ : कर्नाटक HC ने लगाई राज्य पुलिस और कॉन्ग्रेस सरकार को फटकार,...

अर्नब गोस्वामी के खिलाफ पिछले साल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बारे में फर्जी खबर प्रसारित करने का आरोप लगाया गया था। इसी केस को कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है।

हिंदू बच्चियों से रेप मामले में भड़का राजस्थान का माहौल… हिंदूवादी संगठन प्रदर्शन पर उतरे, कई शहर बंद: राज्यपाल ने दी लड़कियों को सीख-...

परिजनों का आरोप है कि लड़कियों को जबरन धार्मिक काम करने और धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
- विज्ञापन -