छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शिक्षा-स्वास्थ्य के नाम पर धर्मांतरण के खेल में शामिल गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के जाँच के आदेश दिए हैं। एजेंसियों के निशाने पर ऐसे NGO हैं, जिनकी विदेशों से फंडिंग होती है। छत्तीसगढ़ में कुल 153 संस्थाएँ हैं, जो विदेशों से फंडिंग लेने के लिए ‘विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FERA) के तहत पंजीकृत हैं। इनकी वित्तीय पड़ताल शुरू हो गई है।
प्रदेश में FERA के अंतर्गत पंजीकृत कुल 153 एनजीओ में इनमें से 52 ने खुद को ईसाई समुदाय से जुड़ा हुआ बताया है। दरअसल, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों के नाम पर बनाए गए इन एनजीओ की गतिविधियाँ संदिग्ध पाई गई हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चेतावनी भी दी थी। उन्होंने धर्मांतरण को ना केवल अनैतिक, बल्कि संविधान की मूल भावना के भी विरुद्ध बताया था।
सीएम साय ने कहा था कि कुछ संदिग्ध NGO के बारे में जानकारी मिली है, जो धर्मांतरण के काम में लिप्त हैं। उन्होंने कहा था कि ये NGO शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर विदेशों से फंडिंग लेते हैं और उसका इस्तेमाल धर्मांतरण के लिए करते हैं। अशिक्षा, गरीबी, चंगाई या लोक-परलोक के नाम पर लोगों को बहकाकर और लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा था कि इसकी जाँच की जाएगी और पता लगाया जाएगा कि इन एनजीओ के पास पैसा कहाँ से आ रहा है और वे इन पैसों का कहाँ एवं कैसे उपयोग कर रहे हैं। इस मामले में नई दुनिया दैनिक अखबार ने FCRA पंजीकृत संस्थानों की जाँच की तो पाया कि ये अधिकांश एनजीओ ने अपने कार्य स्थल के रूप में जनजातीय इलाकों का चयन किया।
बस्तर में एफसीआरए पंजीकृत 19 में से 9 और जशपुर में 18 में से 15 संस्थाएँ ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित की जा रही हैं। राज्य में ईसाई मिशरियों द्वारा सबसे अधिक संस्थाएँ जशपुर में ही संचालित की जा रही हैं। यहाँ धर्मांतरण भी सबसे अधिक है। कहा जाता है कि जशपुर की कुल आबादी का 35 प्रतिशत से अधिक जनजातीय लोग ईसाई बन चुके हैं।
जशपुर में ईसाइयों की संख्या को लेकर मार्च 2024 में एक आरटीआई दाखिल किया गया था। इसमें बताया गया था कि सिर्फ 210 लोग ही कानूनी तौर पर धर्मांतरण करके ईसाई बने थे और उन सभी की मौत हो चुकी है। वहीं, 2011 की जनगणना रिपोर्ट की मानें तो जशपुर के 22.5 प्रतिशत लोगों ने खुद को ईसाई बताया था। अब यह आँकड़ा लगभग दोगुनी हो चुकी है।
बता दें कि राज्य में धर्मांतरण को लेकर 11 महीने में 13 FIR हुई हैं। वहीं, बस्तर संभाग में इसकी अलग-अलग 23 शिकायतें मिली हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो छत्तीसगढ़ के बजट सत्र में राज्य की भाजपा सरकार धर्मांतरण पर नए एवं सख्त कानून ला सकती है। कहा जा रहा है कि इसकी तैयारियाँ भी शुरू हो गई हैं।
नए कानून को छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम नाम दिया गया है। इसका मसौदा तीन राज्यों के संंबंधित कानूनों का अध्ययन करने के बाद इसे तैयार किया गया है। नए कानून के लागू होने के बाद धर्म परिवर्तन से पहले सूचना देनी होगी। इसके अलावा, बिना इजाजत के धर्म परिवर्तन कर शादी करने पर वह शादी अमान्य होगी।
बहलाकर या लालच देकर धर्मांतरण कराना अपराध होगा। वहीं, दो या इससे अधिक लोगों को धर्मांतरण कराने को सामूहिक धर्मांतरण में शामिल किया गया है। इस तरह के अपराध के लिए 10 साल तक की जेल और 2 लाख रुपए जुर्माना की सजा का प्रावधान किया गया है। दूसरे धर्म के व्यक्ति/महिला से शादी के समय अपना धर्म छिपाना भी अपराध की श्रेणी में होगा।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में नए धर्मांतरण विरोधी मसौदे में नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध धर्मांतरण कराने पर 2 साल से 10 साल तक की जेल हो सकती है। वहीं, सामूहिक धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 3 साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है।
कानून के मसौदे में कहा गया है कि धर्मांतरण अवैध नहीं था, यह साबित करने की जिम्मेदारी धर्मांतरण करने वाले और कराने वाले व्यक्ति की होगी। अब देखना ये है कि इस बार भी यह धर्मांतरण संशोधन विधेयक सदन में पास हो पाता है या नहीं, क्योंकि इससे पहले दो बार यह सदन से पारित नहीं हो सका है।