उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सनातन धर्म से जुड़े प्रतीकों को शांतिपूर्वक वापस दिया जाना चाहिए और इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए। सीएम योगी ने यह भी कहा कि जहाँ भी ऐसे दावे हैं, उन्हें मस्जिद ना कह कर ‘विवादित ढाँचा’ कहा जाए। उन्होंने संभल की मस्जिद के विषय में आइन-ए-अकबरी का हवाला दिया है। उन्होंने चेताया है कि यह देश मुस्लिम लीग की विचारधारा से नहीं चलेगा।
सीएम योगी ने यह सारी बातें टीवी चैनल आजतक द्वारा प्रयागराज में आयोजित धर्मसंसद में कही हैं। सीएम योगी ने संभल के प्रश्न पर कहा, “संभल में श्रीहरि विष्णु का 10वाँ अवतार जन्म लेने वाला है। यह हमारे पुराणों में उल्लेख है, कब विष्णु का कौन सा अवतार आएगा, इसको लेकर लिखा हुआ है और संभल भी उसी में है। संभल में आजकल जो कुछ देखने को मिल रहा है। वह सब सनातन धर्म से जुड़ा है और इसके प्रमाण प्राप्त हो रहे हैं… भारत में जितने पुराण बने हैं, इन सबकी रचना 3500 वर्ष से 5000 वर्ष में हुआ था।”
उन्होंने आगे कहा, “जिस कालखंड में यह रचे गए तब इस धरती पर इस्लाम नहीं था और तब केवल सनातन था। उसमें भी इसका उल्लेख है। जब इस्लाम ही नहीं था तब जामा मस्जिद कहाँ से आ गई। आइन-ए -अकबरी में इस बात का उल्लेख है कि यहाँ श्रीहरि विष्णु के मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का ढाँचा खड़ा किया गया है। यह उनका ग्रन्थ कह रहा है तो उन्हें अपनी गलती माननी चाहिए। ऐसे में सनातन के जो प्रतीक उन्हें शांतिपूर्वक वापस दिया जाना चाहिए।”
सीएम योगी ने कहा कि ऐसे प्रतीक वापस दिए जाने पर विवाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग की मानसिकता से नहीं बल्कि भारतीय विचारधारा से यह देश चलेगा। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत ने हमेशा ही दुनिया से आए बाकी पीड़ित लोगों को शरण दी है। सीएम योगी ने कहा,” आइन-ए-अकबरी यह बताता है कि 1526 में संभल और 1528 में अयोध्या में मंदिर तोड़कर ढाँचे खड़े किए गए, तो अगर हिन्दू इन्हें माँगते हैं तो उसे मान लिया जाना चाहिए, आप प्रमाण देखिए।”
सीएम योगी ने काशी, मथुरा और संभल समेत बाकी जिन जगह पर विवाद है, उन्हें मस्जिद कहे जाने पर आपति जताई। उन्होंने कहा, “विवादित ढांचों को मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए, जिस दिन हमने यह बोलना बंद कर दिया, उस दिन लोग जाना बंद कर देंगे। इस्लाम में भी यह है कि किसी धर्म को ठेस पहुँचा कर जो मस्जिदनुमा खड़े किए गए ढाँचे में की गई इबादत खुदा को मंजूर नहीं होती… इस्लाम में उपासना के लिए कोई ढाँचा जरूरी नहीं है। सनातन में है। इस बात पर जिद नहीं की जा सकती। समय है कि नए भारत पर सोचा जाए।”