Friday, April 26, 2024
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हिंदू कॉलेज में कश्मीरी पंडितों का दर्द बयाँ कर रही थी दीपिका, टूट पड़े वामपंथी गुंडे

दीपिका ने बताया कि 'बोल की लब आजाद हैं तेरे' जैसे नारे लगाने वाले नहीं चाहते कि उनके अलावा कोई दूसरा बोले। वह पूछती हैं कि कोई कश्मीरी पंडितों के अधिकारों की बात करता है तो उसे इस्लाम विरोधी क्यों ठहरा दिया जाता है?

दीपिका शर्मा दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज की छात्रा हैं। आजकल वे वामपंथी गुंडों के निशाने पर हैं। उनका कसूर यह है कि 19 जनवरी को उन्होंने उन कश्मीरी पंडितों की बात की जिन्हें 1990 में अपने ही घर छोड़कर जाने को मजबूर किया गया था। कॉलेज में जब दीपिका ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन दिवस पर इस मुद्दे को उठाने कोशिश की तो वामपंथी गुंडों ने उन्हें इस कदर प्रताड़ित किया कि वे टूट गईं। फूट-फूट कर रो पड़ीं। हालॉंकि दीपिका तब भी नहीं टूटी। रोते-रोते ही कश्मीरी पंडितों के सम​र्थन में कॉलेज के पुरातन छात्रों की ओर से भेजे गए पत्र को पढ़कर सुनाया।

वामपंथी गुंडों द्वारा दीपिका को प्रताड़ित करने की इस घटना की सोशल मीडिया में भी चर्चा हो रही है। जब यह घटना हुई हिन्दू कॉलेज में तृतीय वर्ष की छात्रा दीपिका अपनी सीनियर रहीं आकृति रैना का पत्र पढ़ रही थीं। इसकी कॉलेज में राजनीति विज्ञान की छात्रा रहीं आकृति कश्मीरी पंडित हैं। दीपिका ने बताया कि आकृति रैना ने इस पत्र में अपने ही परिवार के कश्मीर से विस्थापन की कहानी लिखी थी।

ऑपइंडिया से बातचीत में दीपिका शर्मा ने बताया कि जैसे ही उन्होंने यह पत्र पढ़ना शुरू किया, कॉलेज के ही कुछ वामपंथी छात्र गुटों ने दीपिका के खिलाफ जोर-जोर से नारेबाजी शुरू कर दी। दीपिका ने बताया कि हालाँकि उन्हें यह पहले से ही आभास था कि इसके लिए वामपंथी गुट उन्हें परेशान करेंगे। बावजूद दीपिका ने यह जोखिम उठाया। पत्र पढ़ते वक्त बहुत कम ही सही लेकिन कुछ लोग उनके साथ कॉलेज में खड़े रहे।

दीपिका ने बताया कि आज के समय में खुद को अगर आप लेफ्टिस्ट का तमगा नहीं देते हैं, तो आपको नकार दिया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी दक्षिणपंथी होने की वजह से उन्हें ब्राह्मणवादी, पिछड़ा और भी न जाने कितने ही विशेषण दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि वामपंथी विचारधारा के लोग अपने साथ खड़े न होने पर लोगों को किसी भी तरह से पिछड़ा हुआ साबित करने का प्रयास करते हैं और मानसिक प्रताड़ना देते हैं।

ऑपइंडिया के संपादक अजीत भारती से दीपिका शर्मा की बातचीत

दीपिका ने अपना यह भयावह किस्सा शेयर करते हुए कहा कि पत्र पढ़ने से पहले उन्हें भय था कि उनकी इस पहल के बाद शायद कोई भविष्य में इस तरह की गतिविधि में पहल करने से डरेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के साथ समर्थन व्यक्त करने के लिए उनके खिलाफ ‘इस्लामॉफ़ोबिक’ नारे लगाए गए।

दीपिका ने कहा कि वह बार-बार टारगेट की जा चुकी हैं फिर भी कश्मीरी पंडितों की व्यथा पढ़ते हुए वह भावुक थीं। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ यह नारेबाजी SFI जैसे छात्र संगठनों ने की। दीपिका कॉलेज के वुमन डेवलेपमेंट सेल की अध्यक्ष भी हैं। बातचीत के दौरान दीपिका ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की याद में पहली बार इस प्रकार की कोई गतिविधि हुई थी। यदि कोई कश्मीरी पंडितों के अधिकारों की बात कर रहा है तो वह इस्लाम विरोधी क्यों ठहरा दिया जाता है? उन्होंने बताया कि ‘बोल की लब आजाद हैं तेरे’ जैसे नारे लगाने वाले नहीं चाहते कि उनके अलावा कोई दूसरा बोले।

ज्ञात हो कि 19 जनवरी 1990 को कश्मीर के पंडितों को अपना घर छोड़ने का फरमान जारी हुआ था। इस भयावह त्रासदी की बरसी पर हर साल 19 जनवरी को को कश्मीरी पंडित ‘होलोकॉस्ट/एक्सोडस डे’ के तौर पर मनाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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