Friday, May 16, 2025
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यूट्यबर रवीश कुमार हो या फिर हीरो जोसेफ विजय… उनके लिए काफिर थे, काफिर हैं, काफिर रहेंगे: बरेली के मौलाना ने फतवा में जो नहीं कहा, वो जाकिर नाइक ने बताया था

मौलाना रिजवी ने एक्टर विजय थालापति के खिलाफ फतवा जारी किया है। उन्होंने मुस्लिमों को विजय को अपनी सभाओं में ना बुलाने को कहा है। विजय ने हाल ही में वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।

एक्टर से नेता बन कर लगातार मुस्लिमों की वकालत करने वाले तमिल एक्टर जोसफ विजय के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। बरेली के एक मौलाना ने पार्टियों में शराब पिलाने, तस्करों को आमंत्रित करने समेत कई कारणों के तहत फतवा जारी किया है। एक्टर विजय ने वक्फ कानून के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है।

बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने एक्टर विजय के खिलाफ यह फतवा जारी किया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया, “कुछ लोग ऐसे हैं जो चेहरा बदल कर मैदान में आते हैं। इसी शक्ल में एक विजय थालापति हैं। वो TVK पार्टी अध्यक्ष हैं और पहले फ़िल्मी दुनिया में जाने जाते थे और अब सियासी पार्टी बना कर राजनीति में आए हैं और मुस्लिमों के हमदर्द बन रहे हैं।”

आगे उन्होंने बताया, “जबकि उनकी फिल्मों में मुस्लिमों को शैतान बनाकर पेश किया गया और आतंकी बताया। रमजान के वक्त में उन्होंने रोजा इफ्तार आयोजित किया और इसमें शराबी, जुआरी और असामाजिक तत्वों को बुलाया। इसको लेकर तमिलनाडु के सुन्नी मुसलमान नाराज है और हमसे फतवा पूछा है।”

मौलाना शहाबुद्दीन ने इसके आगे बताया, “मैंने इसी कड़ी में एक फतवा जारी किया है। मैंने कहा है कि मुस्लिमों को विजय के साथ नहीं खड़े होना चाहिए। वो मुस्लिम के विरोधी चेहरा हैं। उन्हें अपनी मजलिसों और महफ़िलों में बुलाएँ।”

मौलाना रिजवी ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब एक्टर विजय ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि यह कानून संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है और धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है।

विजय ने अपनी पार्टी तमिलगा वेट्री कझगम (TVK) के माध्यम से यह याचिका दायर की है। उन्होंने इस कानून को वापस लेने की माँग की है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार को चेतावनी भी दी है कि, अगर ये कानून वापस नहीं लिया गया तो उनकी पार्टी मुस्लिमों के साथ मिलकर कानूनी लड़ाई लड़ेगी। इससे पहले विजय ने एक इफ्तार पार्टी का आयोजन भी किया था।

इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम जुटे थे। हालाँकि, यह सब करने के बाद भी विजय से काफिर का टैग नहीं छूटा है। विजय स्वयं एक ईसाई हैं। लगातार मुस्लिमों की वकालत करने विजय के मुस्लिमों का लगातार पक्ष लेने और लड़ाइयाँ सब करने के बाद भी उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया है और मुस्लिमों को उनसे दूर रहने को कहा गया है।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी हिन्दू को लगातार मुस्लिमों की लगातार वकालत करने के बावजूद किसी गैर-मुस्लिम को उसकी जगह बताई गई हो। इससे पहले कट्टरपंथी मौलाना जाकिर नाइक ने भी प्रोपेगेंडाबाज पत्रकार रवीश कुमार के लिए ऐसी ही बातें बताई थीं।

दरअसल, ज़ाकिर नाइक ने सवाल पूछा गया था कि दूसरे धर्म वालों का क्या होगा? सवाल था कि आजकल रवीश कुमार जैसे ‘अच्छे दिल वाले’ पत्रकार भी हैं, जो सच्चाई दिखाते हैं, सच्चाई का साथ देते हैं और दूसरे मजहब वालों का पक्ष लेते हुए ‘दमनकारियों’ के खिलाफ बोलते हैं।

सवाल में ये भी कहा गया था कि मीडिया में रवीश ऐसे अकेले पत्रकार नहीं हैं बल्कि और भी हैं जो समुदाय विशेष से तो नहीं हैं लेकिन उनका पक्ष लेते हैं। सवाल था कि अगर ये पत्रकार इस्लाम का अनुयायी बने बिना ही मरें तो उनका क्या होगा, अल्लाह उनके साथ क्या करेगा? क्या उन लोगों का भी यही अंजाम होगा, जो अन्य काफिरों का होता है?

बकौल ज़ाकिर नाइक, रवीश कुमार हों या ‘समुदाय विशेष का पक्ष लेने वाले’ अन्य दूसरे धर्मों वाले, उन सभी के लिए समान सज़ा की ही व्यवस्था है। ज़ाकिर नाइक ने अपने अनुयायियों को समझाया कि जन्नाह अलग-अलग तरह के होते हैं, जैसे फिरदौस और फिरदौस आला।

नाइक ने कहा कि जब कोई जन्नत में जाता है तो सबके लिए अलग-अलग लेवल की व्यवस्था की गई है, सारे जन्नाह समान नहीं होते। ज़ाकिर नाइक ने कहा कि मजहब के सभी लोग भले ही उच्च-कोटि वाले जन्नाह में नहीं जाएँगे लेकिन मजहब के सारे सच्चे लोग जन्नाह में ही जाएँगे।

दूसरे धर्म वालों के बारे में उसने कहा कि जन्नाह की तरह नरक भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं और दूसरे धर्म वाले दिल के कितने भी अच्छे क्यों न हों, उन्हें जाना नरक में ही है। ज़ाकिर नाइक ने स्पष्ट कहा कि दूसरे धर्म वालों का नरक में जाना तय है। बकौल नाइक, अगर कोई मरते समय इस्लाम का अनुयायी नहीं है तो उसके लिए नरक की ही व्यवस्था है।

ऐसे में यह स्पष्ट है कि मुस्लिमों को कोई समर्थन दे लेकिन यदि वह उनके मजहब का नहीं है तो उसे कभी भी स्वीकार्यता नहीं मिलेगी। यह बात सिर्फ ऐसे मामलों में नहीं बल्कि चुनावों में भी स्पष्ट हो जाती है जब मुस्लिम उम्मीदवार की तरफ एकतरफा मुस्लिम वोट होते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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