Monday, October 7, 2024
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‘बदलो मुन्नन खाँ चौराहे का नाम, किसी महापुरुष या क्रांतिकारी के नाम पर रखो’: ऑपइंडिया की खबर का असर, कॉन्ग्रेस नेता की भी माँग

जहाँ ज्यादातर लोग इस चौराहे का नाम बदलने के लिए देश के बलिदानियों का नाम गिना रहे, वहीं कुछ कट्टरपंथी कह रहे: "यह मुन्नन खाँ चौराहे के नाम से मशहूर है और मुन्नन खाँ के ही नाम से रहेगा। कोई कुछ भी कहे, उससे क्या फर्क। कहने को कोई कुछ भी कहता रहेगा।"

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भगवान राम के मंदिर में विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस अवसर पर 500 वर्षों के संघर्ष में बलिदान हुए रामभक्तों को दुनिया भर के हिन्दुओं ने याद किया। कई कारसवकों के परिजनों ने मुलायम के करीबी सफेदपोश मुन्नन खाँ पर पुलिस की वर्दी में नरसंहार करने का आरोप लगाया है। हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गोंडा जिले में मुन्नन खाँ के नाम पर चौराहा, गाँव, पेट्रोल पम्प के साथ-साथ खेल प्रतियोगिता भी आयोजित होती है। अब गोंडा के स्थानीय निवासियों ने मुन्नन खाँ चौराहे का नाम बदलने की माँग उठाई है। यह माँग उठाने वालों में हिन्दू संगठन के पदाधिकारी, व्यापारी और कॉन्ग्रेस पार्टी तक के नेता शामिल हैं। हालाँकि कुछ मुन्नन खाँ समर्थक मुस्लिमों का एलान है कि चौराहे का नाम नहीं बदलने दिया जाएगा।

पहले था ब्राह्मण बाहुल्य इलाका

जब ऑपइंडिया की टीम मुन्नन खाँ चौराहे पर पहुँची तो वहाँ हिन्दुओं की आबादी न के बराबर थी। हमने अमरुद और मूंगफली आदि की रेहड़ी लगाने वालों से बात करने का प्रयास किया तो वो मुन्नन खाँ का नाम आते ही खामोश हो गए। हालाँकि फरवरी 2017 की FIR में खुद गोंडा पुलिस का कहना है कि मुन्नन के बेटे कासिम का इलाके में खौफ है और कोई उसके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। एक व्यक्ति ने कैमरे के आगे न आने की शर्त पर हमें बताया कि जिस मुस्लिम बाहुल्य जगह आज मुन्नन खाँ चौराहा है, वहाँ कभी हिन्दुओं की ब्राह्मण बिरादरी के लोग बहुतायत में थे।

आज भी पोस्ट है बुधई का पुरवा

हमें बताया गया कि धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ती चली गई। इसी के चलते गोंडा के चौक से लेकर कई किलोमीटर दूर खोरहसा बाजार और दर्जी कुआँ तक का सड़क के किनारे वाला क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य हो गया। आज भी मुन्नन खाँ चौराहे के आसपास डाकघर का पोस्ट बुधई का पुरवा लगता है। बुधई का पुरवा आज भी हिन्दू बाहुल्य गाँव है, जहाँ ब्राह्मण वर्ग के लोग ज्यादा रहते हैं। जिस ख़ास जगह को अब मुन्नन खाँ चौराहा बोलते हैं, वो 1990 से पहले कमल टंकी नाम से जानी जाती थी। तब कमल नाम का पेट्रोल पम्प उसी जगह हुआ करता था।

नाम बदलने गए भाजपा विधायक के बैनर फाड़े

योगी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने मुन्नन खाँ चौराहे का नाम बदलने का प्रयास किया था। वो इस चौराहे का नाम ‘महर्षि पतंजलि चौक’ रखना चाहते थे। तब प्रतीक ने मुन्नन खाँ चौराहे पर महर्षि पतंजलि के नाम और तस्वीर वाले बैनर भी लगवाए थे।

गोंडा के विश्व हिन्दू परिषद पदाधिकारी राकेश वर्मा गुड्डू बताते हैं कि इस प्रयास से कट्टरपंथी मुस्लिम नाराज हो गए थे। तब उन्होंने मुन्नन खाँ चौराहे पर लगे बैनरों को फाड़ डाला था। हालाँकि तब उस जगह का नाम महर्षि पतंजलि चौराहा न होने की वजह से आरोपितों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाई थी। महर्षि पतंजलि के नाम पर लगाए गए इस बोर्ड को अराजक तत्वों द्वारा गिराए जाने की पुष्टि गोंडा के समाजसेवी धीरेन्द्र पांडेय ने भी की है।

पुलिस चौकी का नाम सद्भावना रखने पर हुआ था विरोध

ऑपइंडिया ने साल 2017 में गोंडा जिले में बतौर DSP तैनात रहे रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भरत यादव से बात की। उन्होंने बताया कि मुन्नन खाँ चौराहे पर उनके प्रयास से ही पुलिस चौकी स्थापित हुई थी। यह पुलिस चौकी क्षेत्र में होने वाले अपराधों के दमन के लिए जरूरी थी। इस पुलिस चौकी का 22 अक्टूबर 2017 को जनसहयोग से लोकार्पण हुआ था। VHP पदाधिकारी राकेश वर्मा बताते हैं कि तब आसपास के निवासी मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने इस पुलिस चौकी का विरोध किया था।

मुन्नन खाँ चौराहे पर बनी सद्भावना पुलिस चौकी

राकेश वर्मा ने मुस्लिम समुदाय द्वारा पुलिस चौकी के विरोध के खासतौर पर 2 कारण गिनाए। पहला कारण था कि असामाजिक तत्वों द्वारा आए दिन होने वाले अपराधों पर नियंत्रण लगना। राकेश ने विरोध की दूसरी वजह पुलिस चौकी मुन्नन खाँ के नाम पर न होना बताया।

DSP भरत यादव के साथ-साथ SP उमेश कुमार सिंह को भी विरोध झेलना पड़ा था। 2017 में हुए उस विरोध की बात खुद पूर्व DSP भरत यादव ने भी स्वीकारी। हालाँकि उन्होंने इस मामले पर कहा, “कुछ को अँधेरा पसंद होता है तो कुछ को उजाला।” गोंडा के स्थानीय व्यापारी चंदन गुप्ता ने भी बताया कि मुन्नन खाँ चौराहे पर पुलिस चौकी बनने का विरोध कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा किया गया था।

ऑपइंडिया से बात करने वाले गोंडा के तत्कालीन DSP भरत यादव

कॉन्ग्रेस नेता सहित हर वर्ग ने उठाई नाम बदलने की माँग

ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान हमें कई स्थानीय नागरिक मिले। गोंडा शहर में रहने वाला लगभग हर स्थाई और अस्थाई निवासी मुन्नन खाँ चौराहे के बारे में जानते हैं। इनमें से अधिकतर इस पक्ष में हैं कि चौराहे का नाम मुन्नन खाँ के बजाय कुछ और रखा जाए। इन्ही में से कॉन्ग्रेस पार्टी के जिला उपाध्यक्ष दिलीप शुक्ला भी शामिल हैं। दिलीप ने हमसे बात करते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि मुन्नन खाँ चौराहे का नाम ऐसे व्यक्ति पर रखा जाए, जिसका देश की आज़ादी और तरक्की में योगदान रहा हो।

कॉन्ग्रेस नेता दिलीप शुक्ला

उदाहरण के तौर पर कॉन्ग्रेस नेता दिलीप शुक्ला ने गोंडा नरेश राजा देवीबख्श सिंह का नाम लिया। राजा देवीबख्श वही सम्राट थे, जिन्होंने 1850 के आसपास वाजिद अली शाह को हराकर रामजन्मभूमि परिसर पर अधिपत्य जमा लिया था। दिलीप शुक्ला ने मुन्नन खाँ के बारे में बताया कि उन्होंने अपने समय का उपयोग किया और चौराहों के नाम अपनी पहचान पर रखवा लिए। कॉन्ग्रेस नेता ने मुन्नन को तत्कालीन दबंग छवि वाला नेता माना।

गोंडा के व्यापारी चंदन गुप्ता ने भी ऑपइंडिया से बातचीत में मुन्नन खाँ चौराहे का नाम बदलने की माँग उठाई। चंदन गुप्ता ने इसे एक नया नाम बताया और दावा किया कि पूर्व सांसद मुन्नन खाँ को कोई सभ्य व्यक्ति पसंद नहीं करता क्योंकि उन्होंने दंगे करवाए थे।

बकौल चंदन अगर यही चौराहा किसी क्रांतिकारी या महापुरुष के नाम पर होता तो लोगों को एक अच्छा और सकारात्मक संदेश भी जाता। अंत में चंदन ने आशा जताई कि योगी सरकार इस चौराहे का नाम जल्द ही बदलेगी।

मुन्नन खाँ चौराहे पर लगा PWD का बोर्ड

गोंडा जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश गुप्ता ने भी ऑपइंडिया से बात की। सुरेश गुप्ता ने हमें बताया कि जब वो मुन्नन खाँ चौराहे से गुजरते हैं, तब उन्हें बोर्ड पढ़ कर मन में बड़ी पीड़ा होती है। सुरेश ने बताया कि पहले मुन्नन खाँ और अब उनके परिवार के कुछ लोग आपराधिक कार्यों में लिप्त हैं। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि पहले उस चौराहे पर आसपास के भी आपराधिक तत्वों का जमावड़ा रहता था।

सुरेश गुप्ता ने कुछ इलाकों ने नाम भी गिनाए, जहाँ के गिने-चुने बदमाश वहाँ आकर डेरा डाले रहते थे। तब वहाँ गुंडई भी चरम सीमा पर होती थी। उन्होंने कहा कि अगर मुन्नन खाँ चौराहे का नाम योगी सरकार में नहीं बदला गया तो शायद ये बदलाव कभी नहीं हो पाएगा। विकल्प के तौर पर उन्होंने किसी क्रांतिकारी या महापुरुष का नाम रखने की सलाह दी।

गोंडा के स्थानीय निवासी व समाजसेवी धीरेन्द्र प्रताप पांडेय ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि मुन्नन खाँ के नाम पर चौराहे का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि इसे उन्होंने अपनी सांसदी के प्रभुत्व के चलते खुद ही रखवा दिया था। धीरेन्द्र ने योगी सरकार से माँग की है कि मुन्नन खाँ चौराहे को किसी क्रांतिकारी के नाम से रखा जाए। इन सभी में उन्होंने 1857 क्रान्ति के नायक राजा देवीबख्श सिंह को बेहतर विकल्प माना। धीरेन्द्र के मुताबिक मंगल पांडेय चौराहा भी एक विकल्प हो सकता है क्योंकि मुन्नन राजनैतिक नहीं उद्दंड और अराजक विचारधारा के थे।

गोंडा का बिजली विभाग भी आधिकारिक तौर पर प्रयोग करता है मुन्नन खाँ चौराहा नाम

गोंडा जिला अदालत के वकील अरविन्द शुक्ला ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने हमें बताया कि गोंडा जिले में तमाम क्रांतिकारी हुए हैं और बेहतर होगा कि मुन्नन खाँ चौराहे का नामकरण उन्ही में से किसी एक के नाम पर हो जाए। बताते चलें कि ब्रिटिश काल में हुए काकोरी कांड के महानायक राजेंद्र लहड़ी को गोंडा जेल में ही 17 दिसंबर 1927 को फाँसी दी गई थी। यह जेल कथित मुन्नन खाँ चौराहे से महज कुछ ही दूरी पर स्थित है।

विश्व हिन्दू परिषद पदाधिकारी राकेश वर्मा उर्फ़ गुड्डू ने भी हमसे बातचीत में आशा जताई है कि जल्द ही योगी सरकार सभी सरकारी कागजातों से मुन्नन खाँ के नाम पर मौजूद स्थानों को हटवाने का आदेश जारी करेगी। उन्होंने मुन्नन खाँ के नाम पर चौराहे या अन्य स्थलों के नाम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। बकौल राकेश वर्मा मुन्नन खाँ का जीवन सिर्फ और सिर्फ अपनी कौम के कट्टरपंथी तत्वों की साम्प्रदायिक राजनीति करने में बीता है, ऐसे में उनके नाम पर गाँव या चैराहा होना सभ्य समाज को सही संदेश नहीं देता।

मुन्नन खाँ चौराहा था और रहेगा भी

ऑपइंडिया ने मुन्नन खाँ चौराहे पर मौजूद गुटका-सिगरेट आदि बेचने की दुकान चला रहे एक व्यक्ति से बात की। दुकान पर चाँद-तारे वाली झालर लटक रही थी। हमने दुकानदार से पूछा कि क्या इस चौराहे का नाम बदल गया? तब दुकानदार का जवाब था, “यह मुन्नन खाँ चौराहे के नाम से मशहूर है और मुन्नन खाँ के ही नाम से रहेगा। कोई कुछ भी कहे, उससे क्या फर्क। कहने को कोई कुछ भी कहता रहेगा।”

मुन्नन खाँ के घर के ठीक सामने पंचर बनाने वाले एक अन्य दुकानदार ने हमें बताया कि मुन्नन खाँ चौराहे का नाम बदलने की बातें अफवाह हैं और ये जगह अभी भी मुन्नन खाँ चौराहा ही है।

गुटका सिगरेट बेचने वाले दुकानदार के मुताबिक नहीं बदल सकता मुन्नन खाँ चौराहे का नाम

मुस्लिम वर्ग के लोग भी मुन्नन को मानते हैं अपराधी

मुन्नन खाँ चौराहा पर ऑपइंडिया को मुस्लिम समाज के 2 लोग अलग-अलग समय पर मिले। इसमें से एक का नाम इकबाल है। उन दोनों ने बताया कि मुन्नन खाँ अच्छे आदमी नहीं थे। दोनों ने मुन्नन को आपराधिक छवि वाला बताया।

दोनों ने हालाँकि अपनी सुरक्षा की चिंता दिखाते हुए अपनी पहचान उजागर न करने की अपील की। इकबाल ने कहा, “हम रात में घर जाते हैं। क्या पता किस के मन में क्या चल रहा हो।” इक़बाल ने यह भी माना कि समाजवादी पार्टी की सत्ता में उस क्षेत्र में खूब गुंडागर्दी थी, जिसे योगी सरकार ने खत्म किया है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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