Saturday, March 29, 2025
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ईसाई धर्मांतरण के लिए ST बच्चों का हो रहा ब्रेनवॉश, MP के मंडला में बाल आयोग को SFI स्कूल के अवैध हॉस्टल से मिले 48 बच्चे: छात्रों का लक्ष्य- पास्टर और सिस्टर बनना, फंडिंग पर सवाल

मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की जाँच में पता चला कि इन बच्चों का ब्रेनवॉश करके उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इस स्कूल को ओडिशा का ज्योति राज बिना किसी अनुमति के चला रहा है।

मध्य प्रदेश के मंडला जिले में ईसाई मिशनरियाँ सक्रिय हैं। ये स्कूल चला रही हैं, ये हॉस्टल चला रही हैं, जिनमें बच्चों को शिक्षा के नाम पर ईसाई बनाया जा रहा है। मंडला के घुटास ग्राम में साइन फॉर इंडिया नाम का स्कूल है, इसके हॉस्टल में रहने वाले 15 लड़कियों और 33 लड़कों को ईसाई बना दिया गया है। इस स्कूल को हॉस्टल चलाने की अनुमति तक नहीं है।

मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की जाँच में पता चला कि इन बच्चों का ब्रेनवॉश करके उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इस स्कूल को ओडिशा का ज्योति राज बिना किसी अनुमति के चला रहा है। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सारी जानकारी भोपाल मुख्यालय व प्रशासन को कार्रवाई के लिए भेज दी है।

बच्चों का ब्रेनवॉश और मजहबी किताबें

बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि ये 48 बच्चे दामोह, अनूपपुर, ओडिशा राज्य और आसपास के इलाकों से लाए गए थे। टीम ने जब बच्चों से बात की, तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर बनने की बजाय पास्टर और सिस्टर बनने की बात कह रहे थे। बच्चों ने खुद बताया कि उन्हें ईसाई धर्म से जुड़ने के लिए कहा गया है। जाँच में पाया गया कि उनका पूरी तरह से ब्रेनवॉश कर दिया गया था। स्कूल में बाइबिल समेत कई मजहबी किताबें भी मिलीं, जो इस बात का सबूत थीं कि यहाँ धार्मिक गतिविधियाँ चल रही थीं।

बाइबिल के साथ होती है स्कूल में प्रार्थना

आयोग की टीम के सामने ही एक अजीब नजारा देखने को मिला। स्कूल में प्रार्थना खुले में नहीं, बल्कि छत के नीचे एक अंडरग्राउंड जगह पर हो रही थी। आमतौर पर स्कूलों में प्रार्थना खुले में होती है, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं था। टीम ने बच्चों से बातचीत और प्रार्थना का पूरा वीडियो रिकॉर्ड किया, जो अब सबूत के तौर पर प्रशासन और भोपाल मुख्यालय को भेजा गया है।

डीपीसी केके उपाध्याय ने बताया कि उन्हें पहले से शक था कि स्कूल में कुछ गलत चल रहा है। जब आयोग की टीम पहुँची, तो बच्चों को बाइबिल के साथ प्रार्थना कक्ष में जाते देखा। बच्चों ने कहा कि वे रोज शाम 6:30 बजे ईसाई प्रार्थना करते हैं और पहले वे दूसरे धर्म को मानते थे।

बच्चियों के कमरे में लगे हैं सीसीटीवी कैमरे

बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि स्कूल के दस्तावेजों में बच्चों का धर्म हिंदू और जाति गोंड लिखा था, लेकिन हॉस्टल के रिकॉर्ड में उन्हें क्रिश्चियन दिखाया गया। बच्चों के पूरे कागजात भी नहीं मिले। हैरानी की बात ये कि हॉस्टल में बच्चियों के बाथरूम में कैमरे लगे थे, जो बेहद आपत्तिजनक है। इन 48 बच्चों में 15 लड़कियाँ और 33 लड़के शामिल हैं – जो मंडला, ओडिशा और अनूपपुर से लाए गए थे। बच्चों के माता-पिता की अनुमति के बिना उन्हें धार्मिक गतिविधियों में शामिल किया जा रहा था।

गोंड के साथ बैगा जनजाति के बच्चे भी निशाने पर

मंडला जिले के सामाजिक कार्यकर्ता तारेंद्र चौरसिया ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि बच्चों के हाथ में कलावा, माथे पर तिलक, सब गायब हैं। हिंदू प्रतीकों को मिटा दिया गया है। गोंड बच्चे हैं। पूरी तरह से ईसाई बनाए जा चुके हैं। प्रार्थना में ईशू की प्रार्थना करते हैं, बाइबिल हाथ में लिए रहते हैं। ये सभी बच्चे गोंड और बैगा जनजाति के हैं। बैना जनजाति की संख्या तेजी से खत्म हो रही है और इसमें सबसे बड़ा योगदान इन मिशनरियों का है।

तारेंद्र चौरसिया ने कहा, “सबसे बड़ा विषय यह है कि यहाँ आदिवासी बच्चों के साथ-साथ बैगा जनजाति बच्चों को भी कन्वर्ट किया जा चुका है। बिना माता-पिता के अनुमति के इनको प्रार्थना कराई जाती है एवँ उनके स्कूल फॉर्म में भी क्रिश्चियन रिलिजन लिखा गया है। इसी तरह आदिवासी जिला मंडला में ईसाई मिशनरियों के द्वारा विद्यालय को धर्मांतरण का अड्डा बनाया हुआ है, लगभग सभी स्कूलों में इसी तरह के मामले सामने आ रहे हैं।”

इस मामले से जुड़े वीडियो – फोटो ऑपइंडिया के पास मौजूद हैं। प्रार्थना करने से लेकर एमपी बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों से बातचीत तक के, इन वीडियो और अन्य जानकारियों को कार्रवाई के लिए आगे भेजा गया है। हैरानी की बात है कि बामुश्किल 100 परिवारों वाले इस पिछड़े से गाँव में ईसाई मिशनरियाँ करोड़ों खर्च करके स्कूल बना रही हैं और उसमें बच्चों को मामूली फीस पर पढ़ाया जा रहा है। आखिर इसके पीछे का मकसद क्या है और कौन इस काम के लिए पैसे दे रहा है, इसकी जाँच बेहद जरूरी है।

साफ तौर पर ये पूरा मामला ईसाई मिशनरियों की करतूतों की ओर इशारा कर रहा है। बिना अनुमति के स्कूल चलाना, बच्चों का ब्रेनवॉश करना और धर्मांतरण की कोशिश करना गंभीर अपराध है। मुख्य आरोपित ज्योति राज ओडिशा का रहने वाला है और उसके खिलाफ कार्रवाई की माँग तेज हो गई है। प्रशासन से संपर्क कर इस मामले में सख्त कदम उठाने को कहा गया है। ये घटना एक बार फिर सवाल उठाती है कि क्या मिशनरी गतिविधियों के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है?

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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