Friday, June 20, 2025
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संभल में जमीन हिंदुओं की, कब्जा था मुस्लिम का… 46 साल बाद हिंदू परिवारों को मिला मालिकाना हक: 1978 के दंगों में कत्लेआम के बाद हुआ था पलायन

माली समाज के तुलसीराम की 1978 के दंगों में हत्या कर दी गई थी और उनके तीन बेटे और परिवार को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस जमीन पर मौजूदा समय में जन्नत निशा नाम का स्कूल चलाया जा रहा था।

साल 1978 के दंगों में अपनी जमीन से बेदखल हुए तुलसीराम के परिवार को 46 साल बाद न्याय मिला है। संभल प्रशासन ने मंगलवार (14 जनवरी 2025) को तुलसीराम के परिवार को 10,000 वर्गफुट जमीन का कब्जा दिलाया। माली समाज के तुलसीराम की 1978 के दंगों में हत्या कर दी गई थी और उनके तीन बेटे और परिवार को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस जमीन पर मौजूदा समय में जन्नत निशा नाम का स्कूल चलाया जा रहा था। हालाँकि अब ये जमीन तुलसीराम के वंशजों को मिल गई है। यह कार्रवाई राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन की देखरेख में हुई, जिसमें भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा और एएसपी श्रीश चंद्र ने मंगलवार को राजस्व रिकॉर्ड का सर्वे कर जमीन की वास्तविक स्थिति का निर्धारण किया। जाँच में पुष्टि हुई कि 15,000 वर्गफुट में से 10,000 वर्गफुट जमीन तुलसीराम के परिवार की है। प्रशासन ने ऑन द स्पॉट कार्रवाई करते हुए तुलसीराम के पोते अमरीश कुमार और उनके परिवार को जमीन पर कब्जा दिलाया।

दस्तावेजों में हेरफेर करने वालों पर होगी कार्रवाई

इस दौरान जन्नत निशा स्कूल के संचालक डॉ. मोहम्मद शाहवेज ने दावा किया कि उनके अब्बू डॉ. जुबैर ने यह जमीन 1976 में खरीदी थी, यानी दंगों से पहले। हालाँकि, जब प्रशासन ने उनसे दस्तावेज माँगे, तो वे संतोषजनक सबूत पेश करने में असफल रहे। अधिकारियों ने पाया कि जमीन के रिकॉर्ड में कई गड़बड़ियाँ थीं, जिनमें एक हिस्सा फायर स्टेशन के रूप में दिखाया गया था। एसडीएम वंदना मिश्रा ने कहा कि दस्तावेजों में जानबूझकर हेरफेर की गई है और इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

तुलसीराम के पोते ने कहा- ‘प्रशासन ने हमें न्याय दिलाया’

तुलसीराम के पोते अमरीश कुमार ने इस न्याय को अपनी वर्षों की लड़ाई का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “मेरे दादा को दंगों में मार दिया गया और हमारी जमीन छीन ली गई। जब हम लौटने की कोशिश करते थे, तो हमें बताया जाता था कि यह जमीन अब हमारी नहीं रही। आज प्रशासन ने हमें न्याय दिलाया है।”

इस परिवार से जुड़ी आशा देवी ने कहा, “हमने अपनी जमीन के साथ-साथ अपना मंदिर भी खो दिया था। दंगों के बाद हमें न केवल अपनों की मौत का दर्द सहना पड़ा, बल्कि अपनी पहचान भी खोनी पड़ी। यह पहली बार है जब किसी ने हमारी बात सुनी है।” बता दें कि संभल में दंगों की पृष्ठिभूमि में करोड़ों की जमीनों पर कब्जे कर लिए गए, जो संभल के प्रमुख इलाकों में स्थित है। अब प्रशासन के इस कदम को इलाके में अवैध कब्जों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

बता दें कि विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभल दंगों का जिक्र किया तो पीड़ित परिवारों ने प्रशासन को शिकायती पत्र देकर जमीन पर मालिकाना हक पाने की गुहार लगाई। इसके बाद सक्रिय हुए प्रशासन ने 46 साल बाद परिवारों को 10 हजार स्क्वायर फीट जमीन पर कब्जा दिलाया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि दंगों के बाद हिंदू परिवारों को अपनी संपत्ति छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि तुलसीराम के परिवार को कब्जा दिलाने के बाद सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। प्रशासन ने साफ किया है कि अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा और हर शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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