हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बनी अवैध संजौली मस्जिद को पूरी तरह से गिराया जाएगा। यह आदेश शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने यह आदेश मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक़ साबित ना होने पर दिया है। पूरी मस्जिद अवैध पाई गई है। इससे पहले अक्टूबर, 2024 में मस्जिद की तीन मंजिलें गिराने का आदेश दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार (3 मई, 2025) को शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने मामले में वक्फ बोर्ड से मस्जिद के कागज दिखाने को कहा। वक्फ बोर्ड सुनवाई के दौरान मस्जिद के मालिकाना हक के कोई भी कागज नहीं दिखा पाया।
वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि मस्जिद 70 वर्षों से अधिक पुरानी है। लेकिन वक्फ बोर्ड इस पाँच मंजिला अवैध मस्जिद का नक्शा, NOC और बाक़ी कागज भी नहीं दिखा पाया। वक्फ बोर्ड कोर्ट में दावा कर रहा था कि संजौली मस्जिद का ढाँचा पुरानी मस्जिद को तोड़ कर बनाया गया है।
नई मस्जिद के निर्माण के लिए ली गई कोई भी अनुमति वक्फ बोर्ड के पास नहीं थी। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से पूछा कि अगर आपने पुरानी मस्जिद तोड़ी तो नई बनाने को अनुमति क्यों नहीं ली। वहीं सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि पुरानी मस्जिद गिराने के बाद यह जमीन सरकार के पास चली गई, जिस पर नया निर्माण अवैध कब्जा है।
वक्फ बोर्ड बीते लगभग 15 वर्षों से इस मस्जिद को लेकर मुकदमा लड़ रहा था। मस्जिद के अवैध कब्जे के खिलाफ केस लड़ रहे वकील ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने इस जमीन पर लैंड माफिया की तरह कब्ज़ा कर लिया था और पाँच मंजिला मस्जिद शहर के बीच खड़ी कर दी थी।
इन सब दावों के बाद ही कोर्ट ने आदेश दिया कि संजौली मस्जिद को पूरी तरह से गिरा दिया जाए। कोर्ट ने इसके लिए क्या समयसीमा तय की है, यह स्पष्ट नहीं हुआ है। वहीं वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएँगे। उनका दावा है कि रिकॉर्ड में मस्जिद दर्ज है लेकिन वह अपडेट नहीं हुआ है।
इससे पहले अक्टूबर, 2024 में शिमला के इसी आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन ऊपरी मंजिले अवैध पाई थीं। इन्हें तोड़ने का आदेश कोर्ट ने दिया था। इनको तोड़ने की प्रक्रिया तब से चल रही है। मस्जिद की सच्चाई एक विवाद के बाद सामने आई थी।
शिमला में एक झगड़े के बाद मुस्लिम युवक एक स्थानीय युवक को पीट कर इस मस्जिद में छुप गए थे। इसके बाद कई दिनों तक हिमाचल प्रदेश में हिंदूवादी संगठनों ने प्रदर्शन किया था। इस मस्जिद को लेकर भी इसके बाद ही याचिकाएँ डाली गई थीं। स्थानीय लोगों ने कहा था कि यह मस्जिद पूरी तरह अवैध है।