दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 25 मार्च को वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पीने पर वादी सुशील कुमार को तलब किया है। कोर्ट ने सुशील कुमार को 29 मार्च 2025 को अदालत में उपस्थित रहने और अपना स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में सुशील कुमार स्पष्टीकरण दें कि कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
वसीयत से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे जज (पश्चिम) शिव कुमार ने 25 मार्च 2025 को दिए गए अपने आदेश में कहा, “आवेदक संख्या 1/श्री सुशील कुमार को एन.डी.ओ.एच. (अगली सुनवाई की तिथि) पर व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने के लिए न्यायालय नोटिस द्वारा जारी किया जाता है।” उन्होंने इस मामले को सुनवाई के लिए 29 मार्च का दिन सूचीबद्ध किया है।
कोर्ट ने कहा कि जब अन्य मामलों की सुनवाई चल रही थी, तब सुशील कुमार फोन पर बात कर रहे थे। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने से मना भी किया, क्योंकि इससे कार्यवाही में बाधा आ रही थी। इसके बाद भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्हें म्यूट मोड पर रख दिया गया। जब उनसे इस ‘दुर्व्यवहार’ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोर्ट से माफी माँग ली और कहा कि वे दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे।
इसके कुछ ही देर बाद कोर्ट आदेश लिखने में लगा तो सुशील कुमार कैमरा के सामने ही सिगरेट पीने लगे। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का काम सँभाल रहे कोर्ट के कर्मचारी ने देख लिया। इसको लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो सुशील कुमार वेब मीटिंग छोड़कर चले गए। वहीं, सुशील कुमार के वकील भी अगली सुनवाई की तारीख लेकर कोर्ट रूम से चले गए।
शौचालय में बैठकर वर्चुअल कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुआ शख्स
हाल ही में वर्चुअल सुनवाई के दौरान गुजरात में ऐसे दो मामले सामने आए हैं। एक मामले में एक व्यक्ति शौचालय में बैठकर कोर्ट की कार्यवाही में भाग ले रहा था। वहीं, दूसरे मामले में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति बेड पर लेटा हुआ था। गुजरात हाई कोर्ट में 17 जनवरी को सुनवाई के दौरान धवलभाई कनुभाई अंबालाल पटेल नाम का व्यक्ति शौचालय में बैठकर अदालत की कार्यवाही में शामिल हुआ था।
हाई कोर्ट के जस्टिस एमके ठक्कर की पीठ ने इस मामले में पटेल के व्यवहार की निंदा की थी। इसके साथ ही कोर्ट की गरिमा को कम करने के लिए 42 वर्षीय पटेल पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। न्यायालय ने पटेल पर सामुदायिक सेवा का दंड भी लगाया। उन्हें दो सप्ताह तक हाई कोर्ट परिसर में स्थित बगीचों में पानी देने और सफाई करने का निर्देश दिया। उन्हें रोजाना 8 घंटे काम करना तय हुआ।
पटेल अपने पिता के खिलाफ एक मामले से संबंधित सुनवाई में वर्चुअली शामिल हुए थे। ऑनलाइन सुनवाई के दौरान उन्होंने अभद्र व्यवहार किया। इसके कारण अदालत ने उन्हें डिस्कनेक्ट कर दिया। कुछ समय बाद पटेल सुनवाई में फिर शामिल हुए। इस बार वे शौचालय में बैठे हुए थे। इसके बाद उन्हें फिर हटा दिया गया। बाद में अदालत ने सोला पुलिस स्टेशन को इसकी जाँच करने का निर्देश दिया।
बेड पर लेटे हुए कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुआ
इसी तरह 13 फरवरी को न्यायमूर्ति एमके ठक्कर की अदालत में कार्रवाई के दौरान वामदेव गाँधी नामक एक व्यक्ति अपने बिस्तर पर लेटे हुए था। वह अदालत की कार्यवाही को लेटकर ऐसे देख रहा था, जैसे कि वह कोई फिल्म देख रहा हो और उसका उसका आनंद ले रहा हो। जब अदालत की नजर वामदेव गाँधी की हरकत पर पड़ी तो कोर्ट ने उन पर 25,000 रुपए का जुर्माना ठोक दिया।
अदालत ने कहा, “न्याय तक पहुँच और व्यापक जनहित के लिए ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा प्रदान की गई है। सुनवाई में जुड़ने वाले व्यक्ति को अदालत की गरिमा को बनाए रखना होगा। इस तरह का आचरण अदालत की गरिमा और शिष्टाचार से समझौता करता है। इसलिए इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अगर इस तरह के कृत्य से सख्ती से नहीं निपटा जाता है तो इससे जनता की नज़र में अदालत की गरिमा कम हो सकती है।”