सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के एक आदेश पर रोक लगा दी है। लोकपाल ने कहा था कि वह हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत पर सुनवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये बहुत चिंताजनक बात है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख का समर्थन केंद्र सरकार ने भी किया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस सूर्य कान्त की एक बेंच ने लोकपाल वाले मामले पर गुरुवार (20 फरवरी, 2025) को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इसे काफी परेशान करने वाला बताया और केंद्र सरकार को विषय में नोटिस भेजा है।
केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के रुख का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि हाई कोर्ट का हर एक जज अपने आप में संस्था है। उन्होंने कहा है कि कोई भी हाई कोर्ट या उसके जज कभी भी लोकपाल कानून, 2013 के दायरे में नहीं आ सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लोकपाल की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल की कार्रवाई के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए एक मामला चालू किया था। केंद्र सरकार के जवाब के बाद इस मामले में सुनवाई होगी और लोकपाल के अधिकार क्षेत्र पर बात होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 27 जनवरी, 2025 के एक लोकपाल के फैसले पर चालू किया है। लोकपाल ने 27 जनवरी, 2025 को कहा था कि वह हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ आई शिकायतों पर सुनवाई कर सकता है। लोकपाल ने कहा था कि उसके पास यह अधिकार क्षेत्र है क्योंकि हाई कोर्ट के जज ‘सरकारी कर्मचारी’ की परिभाषा के दायरे में आते हैं।
वर्तमान में भारत के लोकपाल जस्टिस AM खानविलकर हैं। उन्होंने ही लोकपाल सदस्यों के साथ मिलकर हाई कोर्ट के जजों के विषय में यह फैसला दिया था। लोकपाल ने यह फैसला हाई कोर्ट के एक जज के विरुद्ध मिली 2 शिकायतों पर दिया था।
हाई कोर्ट के जज पर आरोप था कि उसने एक जिला जज और एक हाई कोर्ट के दूसरे जज पर अपना प्रभाव जमाया। यह दबाव एक निजी कम्पनी के पक्ष में फैसला देने के लिए डाला गया था। शिकायत के अनुसार, इस कम्पनी के लिए पहले जज ने वकील रहते हुए काम किया था।
जज के खिलाफ मिली शिकायत इस आचरण पर की गई शिकायत को लेकर लोकपाल ने पहले अधिकार क्षेत्र तय करने को लेकर फैसला दिया था और शिकायत को CJI संजीव खन्ना को भेज दिया था। लोकपाल ने इससे पहले जनवरी, 2025 में ही सुप्रीम कोर्ट के जज और CJI के खिलाफ शिकायत सुनने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।