सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ और उसके आसपास के क्षेत्र को संरक्षित रखने का आदेश दिया है। इससे पहले 17 मई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस क्षेत्र को 12 नवंबर (8 सप्ताह) तक संरक्षित करने का आदेश दिया था। चूँकि, यह अवधि शनिवार को पूरी हो रही थी। इसलिए, हिंदू पक्ष की याचिका पर पुनः सुनवाई हुई।
शुक्रवार (11 नवंबर 2022) को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि अगले आदेश के लंबित रहने तक 17 मई का अंतरिम आदेश लागू रहेगा।” इसका मतलब यह है कि ज्ञानवापी ढाँचे का वजूखाना अगले आदेश तक पूरी तरह सील रहेगा और शिवलिंग को कोई छूएगा नहीं।
Supreme Court has extended the sealing order for the ‘Shivling’ area (at Gyanvapi mosque complex) till further order. The court has given us three weeks time to respond to a petition from the Muslim side: Advocate Vishnu Shankar Jain pic.twitter.com/ulvQlNkaeS
— ANI (@ANI) November 11, 2022
इससे संबंधित अलग-अलग याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को छूट दी है कि वे जिला कोर्ट जाकर अपनी दलील जिला जज के सामने रख सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि जिला जज तय करेंगे कि सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो या नहीं। साथ ही कोर्ट ने हिंदू पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए 3 सप्ताह का समय भी दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका की सुनवाई को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद’ की याचिका के बारे में पूछा। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने जवाब दिया कि निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अपील लंबित है।
हिंदू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अन्य वकील रंजीत कुमार ने कहा, “मस्जिद कमिटी ने मई में जो याचिका दाखिल की थी वह अब ‘अर्थहीन’ हो चुकी है।मस्जिद समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद’ ने परिसर की जाँच के लिए कोर्ट की तरफ से कमिश्नर नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी, लेकिन कमिटी के लोग खुद ही कमिश्नर के सामने पेश होकर अपनी बात रख चुके हैं।”
इससे पहले 14 अक्टूबर 2022 को हुई सुनवाई में वाराणसी की जिला अदालत ने हिंदू पक्ष द्वारा शिवलिंग के कार्बन डेटिंग कराने की याचिका को खारिज कर दिया था। हिंदू पक्ष ने यह याचिका इसलिए दायर की गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ज्ञानवापी परिसर में मिली वस्तु शिवलिंग है या फव्वारा।
इस मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि किसी भी वैज्ञानिक जाँच की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि शिवलिंग को क्षति पहुँचने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा और लोगों की धार्मिक भावनाएँ भी आहत हो सकती हैं।