सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (17 अप्रैल 2025) को वक्फ (संशोधन) कानून 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने अंतरिम आदेश पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्य नियुक्त नहीं किए जाएँगे। इसके साथ ही नोटिफिकेशन या रजिस्ट्रेशन के जरिए घोषित वक्फ संपत्तियाँ, जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल हैं, डी-नोटिफाई नहीं होंगी, यानी मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने केंद्र के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया और अगली सुनवाई 5 मई 2025 को दोपहर 2 बजे तय की है।
#BREAKING In challenge to Waqf Amendment Act 2025, Centre makes the following statements to the Supreme Court :
— Live Law (@LiveLawIndia) April 17, 2025
Non-Muslims won't be appointed to Central Waqf Councils and State Waqf Boards.
Waqfs, including waqf-by-user, whether declared by way of notification or…
इससे पहले, बुधवार (16 अप्रैल 2025) को कोर्ट ने तीन मुद्दों पर अंतरिम आदेश का प्रस्ताव रखा था: पहला- अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को डी-नोटिफाई न किया जाए। दूसरा- कलेक्टर की जाँच के दौरान वक्फ संपत्ति को गैर-वक्फ न माना जाए, और तीसरा- वक्फ बोर्ड और परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा कोई गैर-मुस्लिम नहीं होगा। पदेन ऐसे सदस्य होते हैं, जो अपनी सरकारी ओहदों के कारण यहाँ जिम्मेदारी पाते हैं।
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समय माँगा था, जिसके बाद सुनवाई गुरुवार को हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना असाधारण कदम होगा और कई निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने से लोग प्रभावित हुए हैं। इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि मौजूदा स्थिति में बड़ा बदलाव नहीं होना चाहिए, ताकि किसी के अधिकार प्रभावित न हों।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि कानून में ‘वक्फ बाय यूजर‘ को हटाना और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी सैकड़ों साल पुरानी वक्फ संपत्तियों के लिए दस्तावेज माँगना असंभव है।
सिबल ने यह भी कहा कि नया कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है। याचिकाकर्ताओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, कॉन्ग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, RJD सांसद मनोज झा और कई संगठन शामिल हैं। दूसरी ओर, छह BJP शासित राज्यों-असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ने केंद्र सरकार के कानून का समर्थन किया है।
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पाँच मुख्य याचिकाएँ चुनने को कहा और कहा कि बाकी याचिकाओं को आवेदन के रूप में माना जाएगा। इसके अलावा, साल 1995 के वक्फ कानून और 2013 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अलग से सूचीबद्ध किया जाएगा।